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विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए भारत कटिबद्ध

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नई दिल्ली, 05 सितंबर (इंडिया साइंस वायर): विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ वैज्ञानिक डेटा साझा करने पर भारत द्वारा की जा रही पहल को रेखांकित किया है। भारत के राष्ट्रीय डेटा साझाकरण और सुगम्यता नीति (India’s National Data Sharing and Accessibility Policy) और खुले सरकारी डेटा पोर्टल (Open Government Data Portal) का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा वैज्ञानिक डेटा साझा करने पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने 17वें वार्षिक विज्ञान प्रौद्योगिकी और समाज (Science Technology and Society) फोरम पर विज्ञान एवं प्रौदयोगिकी संबंधी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में ये बातें कही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि “वैज्ञानिक डेटा साझा करने की इस पहल को नई विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष नीति (Science, Tech...

महिला स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ज़रूरी है आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक समानता

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भारत समेत एशिया पैसिफिक क्षेत्र के अनेक देशों की अधिकांश महिलाओं के लिए प्रजनन न्याय (रिप्रोडक्टिव जस्टिस) तक पहुँच एक स्वप्न मात्र ही है। प्रजनन न्याय का अर्थ है व्यक्तिगत शारीरिक स्वायत्तता बनाए रखने का मानवीय अधिकार; यह चुनने और तय करने का अधिकार कि महिला को बच्चे चाहिए अथवा नहीं चाहिए; और इस बात का सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक अधिकार कि बच्चों का लालन पालन एक सुरक्षित वातावरण में किया जा सके। प्रजनन न्याय शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग १९९४ में शिकागो में अश्वेत महिलाओं के एक समूह द्वारा प्रजनन स्वास्थ्य हेतु एक सुव्यवस्थित न्यायिक ढांचे का निर्माण करने के लिए किया गया था | प्रजनन न्याय वह कड़ी है जो प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं (जिनमें गर्भपात और परिवार नियोजन शामिल हैं) तक पहुँच के कानूनी अधिकार को उन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक असमानताओं के साथ जोड़ती है जो महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक ...

कब बिहार में टाटा, रिलायंस, इंफोसिस भी करेंगे निवेश

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बिहार एक बार फिर से चुनावी समर के लिए तैयार है। राज्य में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। नेताओं का जनसंपर्क अभियान जारी है I अब जल्दी ही वहां चुनावी सभाएं भी चालू हो जाएंगी। सभी दलों के नेता जनता से तमाम वादे भी करेंगे। फिऱ ये दल अपने घोषणा पत्र भी लेकर भी जनता को लुभाने आएंगे। उसमें भी जनता और राज्य के विकास के लिए तमाम वादे किए गए होंगे। कितना अच्छा हो कि इस बार बिहार विधान सभा चुनाव जाति के सवाल की बजाय विकास के मुद्दे पर ही लड़ा जाए। इस मसले पर सभी क्षेत्रों में गंभीर बहस हो। सभी दल अपना विकास का रोडमैप जनता के सामने रखें। दुर्भाग्यवश बिहार में विकास के सवाल गौण होते जा रहे हैं। हमने पिछला राज्य विधानसभा चुनाव भी देखा था। तब कैंपेन में विकास के सवाल पर महागठबंधन के नेता फोकस ही नहीं कर प् रहे थे। अभी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकास को सारी कैंपेन के केन्द्र में लाकर खड़ा कर दिया ह...

भारत न बने अमेरिकी पप्पू

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अफगानिस्तान के वर्षों विदेश मंत्री रहे डाॅ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला आजकल अफगानिस्तान की राष्ट्रीय मेल-मिलाप परिषद के अध्यक्ष हैं। वे अफगानिस्तान के लगभग प्रधानमंत्री भी रहे हैं। वे ही दोहा में तालिबान के साथ बातचीत कर रहे हैं। वे भारत आकर हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से मिले हैं। क़तर की राजधानी दोहा में चल रही इस त्रिपक्षीय बातचीत— अमेरिका, काबुल सरकार और तालिबान— में इस बार भारत ने भी भाग लिया है। हमारे नेताओं और अफसरों से उनकी जो बात हुई है, उसकी जो सतही जानकारी अखबारों में छपी है, उससे आप कुछ भी अंदाज नहीं लगा सकते। यह भी पता नहीं कि इस बार अब्दुल्ला दिल्ली क्यों आए थे ? अखबारों में जो कुछ छपा है, वह वही घिसी-पिटी बात छपी है, जो भारत सरकार कुछ वर्षों से दोहराती रही है याने अफगानिस्तान में जो भी हल निकले, वह अफगानों के लिए, अफगानों द्वारा और अफगानों का ही होना चाहिए ? हमारी सरकार से को...
ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

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क्या पहले और दूसरे विश्व युद्ध की कोई ओपचारिक घोषणा हुई थी ?  नहीं न। तो तीसरे विश्व युद्ध की ओपचारिक घोषणा का इंतज़ार क्यों? पिछले एक बर्ष में ज़ेविक हथियार से चीन ने दुनिया की कमर तोड़ दी। अब चीन का प्यादा तुर्की अजरबेजान के कंधे पर बंदूक़ रखकर रुस और फ़्रांस के प्यारे आर्मीनिया को बर्बाद करने पर तुला है। अब तक १५ हज़ार लाशें बिछ चुकी हैं। सच्चाई यह है कि यह बहुत थोड़ी सी तबाही है। अब इस खेल में अलक़ायदा और आइएसआइएस की ज़बरदस्त एंट्री हो चुकी है और दुनिया के सारे ईसाई व मुस्लिम राष्ट्र इस धर्म युद्ध या सभ्यताओं के संघर्ष में शामिल होते जा रहे हैं। प्रबल संभावना है कि अब इस युद्ध में पुराने गठजोड़ व गठबंधन टूटे जाएँगे व नए बनते जाएँगे। जंग का मैदान नित नयी उलटबाँसिया देख रहा है। अब यह भयावह रूप लेने वाला है क्योंकि अनेक महाशक्तियाँ इसमें प्रवेश करने वाली हैं। १) अमेरिका की रिपब्लिकन ख़ेम...

बिहार के चुनावों में वर्चस्व को बचाने की होड़

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बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां एवं सरगर्मियां चरम पर हैं, वहां चुनावी चैसर अब लगभग बिछ चुकी है। कुल मिलाकर इस बार मुकाबला जेडीयू-बीजेपी बनाम आरजेडी-कांग्रेस-कम्युनिस्ट का बनता दिख रहा है। एनडीए में दरार पड़ चुकी है और लोजपा ने स्वतंत्र चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह चुनाव अनेक दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। इन चुनावों की खास बात यह भी है कि विपक्ष तो हमेशा की तरह सरकार की गड़बड़ियों और नाकामियों को मुद्दा बना रहा है, पर सत्तापक्ष नई पिच की तलाश में है। एक और खास बात यह है कि इस बार दोनों ही चुनावी खेमों में छोटे दलों को तवज्जो न देने का रुझान दिखाई दे रहा है। विपक्षी गठबंधन की बात करें तो इसमें शामिल आरएलएसपी जैसे दल मुख्यमंत्री प्रत्याशी का सवाल उठाते हुए काफी पहले से यह कहने लगे थे कि नीतीश कुमार के सामने आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव फिट नहीं बैठते। मगर आरजेडी ने इस सवाल ...

यज्ञ के प्रथम अवतार ‘अग्निहोत्र’ के विषय में अध्यात्मिक शोध !

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जब हमारे दादा अथवा पिता का जन्म हुआ था, उस समय के विश्व से वर्तमान विश्व का स्वरूप अत्यधिक भिन्न है । संभवतः सभी परिवर्तनों में से सर्वाधिक मुख्य परिवर्तन है पूरे विश्व में बढता प्रदूषण, जिसके परिणामस्वरूप हरितगृह गैसों (ग्रीन हाऊस गैस) के उत्सर्जन में तथा अन्य हानिकारक प्रभावों में वृद्धि हो गई है । जब भी हम प्रदूषण की बात करते हैं, तो सामान्यतः हम वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भोजन प्रदूषण और भूमि प्रदूषण के विषय में विचार करते हैं । मौसम के अस्वाभाविक स्वरूप का कारण, मानवजाति का प्रकृति पर प्रभाव है । तथापि यह मानव द्वारा की गई भौतिक स्तर की उपेक्षा तक ही सीमित नहीं है; अपितु उनके द्वारा वायुमंडल में उत्सर्जित मानसिक तथा आध्यात्मिक प्रदूषण भी इसका कारण है । मानसिक प्रदूषण लोगों के नकारात्मक विचार जैसे – लालच, धोखा, घृणा, विनाश हेतु योजना बनाना, इत्यादि के कारण होता है । यह मा...

नये शिक्षक से होगा राष्ट्र का नवनिर्माण

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विश्व शिक्षक (अध्यापक) दिवस प्रतिवर्ष दुनिया के लगभग एक सौ देशों में 5 अक्टूबर को मनाया जाता है। दुनिया को परिष्कृत करनेे और जिम्मेदार व्यक्तियों का निर्माण करने में शिक्षकों के प्रयासों और कड़ी मेहनत की सराहना और स्वीकार करने के अवसर के रूप में यह दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भारत के लिये यह दिवस इसलिये महत्वपूर्ण है कि इसी वर्ष राष्ट्रीय शिक्षा नीति घोषित हुई है जिसमें शिक्षकों को अधिक सशक्त, जिम्मेदार एवं राष्ट्र- व्यक्ति निर्माण में उनकी भूमिका पर विशेष बल दिया गया है। लार्ड मैकाले की शिक्षा में अब तक भारत में गुरु एवं शिक्षक श्रद्धा का पात्र न होकर वेतन-भोगी नौकर बन गया था, शिक्षक की भूमिका गौण हो गयी थी। आजादी के बाद से चली आ रही शिक्षा प्रणाली में विद्यालय एवं विश्व विद्यालय के प्रबंध तंत्र की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई थी और शिक्षालय मिशन न होकर व्यवसाय बन गया था। इस बड़ी विसंगति को दूर ...

India Post ignores misuse of heavily subsidised post-cards for listening names on Akashwani, should revise minimum postal-tariff to be rupee one

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It is indeed shocking that postal-department delivers highly subsidised rubber-stamped (printed) post-cards of just 50 paise each to Akashwani (All India Radio) where senders write Any-Song for programme of listeners-choice of film-songs just to get their names broadcast on Akashwani. According to rules, these rubber-stamped post-cards should be considered as printed post-cards carrying a postal-tariff of rupees six, and must not be delivered to Akashwani. Bitter fact is that subsidised post-cards are not being used by common people. These are also misused for commercial purposes like by chit-fund companies to send reminders for payments. Ideally such unpopular postal-items like post-cards and Inland-Letter-Cards must now be discontinued to prevent unnecessary subsidy-loss on public-exc...

Constitutional provision for Legislative Council in states be repealed

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There was a post-emergency era in the year 1977 when Legislative Councils remained in just five states, but now being again constituted in other states. Best is to altogether abolish constitutional provision of having Legislative Councils. These serve no practical purpose other than rehabilitation of family-members and other favorites of political rulers including several rejected ones of general elections to be employed at public-expense just to provide an expensive feather on caps of those elected. Ruling parties in states also manipulate winning of its candidates in elections to Legislative Council by misuse of power.   SUBHASH CHANDRA AGRAWAL