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Increased sea surface temperature affecting Indian monsoon: Study

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New Delhi, Oct. 02 (India Science Wire): The agricultural sector plays a key role in the economy of India and twenty-five other East Asian developing countries across a distance of 18,000 km (from east to west) and 6,000 km (from south to north). The main influencing factor in Indian agriculture is the southwest monsoon season from June to September caused by the cross-equatorial winds that blow from a southwesterly direction. The source of this wind is located more than 4,000 km away from India near the Mascarene Islands in the Southern Indian Ocean (SIO). The state of agriculture that includes forestry, hunting, fishing as well the cultivation of crops and livestock production is determined by this southwest monsoon. The climate across the world is however changing in many ways ...

Study reveals startling findings on Arctic sea ice decimation

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New Delhi, Oct. 05 (India Science Wire): A study on underwater sounds using a passive acoustic monitoring system during the winters has been able to probe sea ice melting in the Arctic and its contributing factors. The research was led by The National Institute of Ocean Technology (NIOT) and the results reveal a decline in the sea ice concentration, thus disrupting the normal ocean circulation and the global conveyor belt, and eventually leading to changes in global climate. Initially, NIOT scientists used passive acoustic monitoring technology to detect ambient noises underwater caused by the melting of sea ice. The sound produced due to the release of tiny bubbles during sea ice melting with the spectral peak in the range of 1–3 kHz is similar to the sounds recorded in the sum...

Microplastics threaten marine environment along Kanyakumari coast

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New Delhi, Oct. 05 (India Science Wire): Microplastics are usually plastic particles of less than 5 mm. It may be primary or secondary microplastics which can be found in coastal environments all over the world. Also, the microplastics are much more hazardous than macroplastics because of their availability in all levels of marine food webs. In a study conducted by the Department of Remote Sensing, Bharathidasan University covering eight different sampling stations along a 71 km long coastline with both urbanized beaches and undisturbed coastal areas along the Indian Ocean, the researchers assessed the magnitude of the microplastic pollution problem. The study revealed that microplastic is one of the carriers of major pollution to the marine environment found along the entire Kanya...

विज्ञान और प्रौद्योगिकी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए भारत कटिबद्ध

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नई दिल्ली, 05 सितंबर (इंडिया साइंस वायर): विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ वैज्ञानिक डेटा साझा करने पर भारत द्वारा की जा रही पहल को रेखांकित किया है। भारत के राष्ट्रीय डेटा साझाकरण और सुगम्यता नीति (India’s National Data Sharing and Accessibility Policy) और खुले सरकारी डेटा पोर्टल (Open Government Data Portal) का हवाला देते हुए उन्होंने कहा है कि सरकार द्वारा वैज्ञानिक डेटा साझा करने पर सबसे अधिक ध्यान दिया जा रहा है। प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने 17वें वार्षिक विज्ञान प्रौद्योगिकी और समाज (Science Technology and Society) फोरम पर विज्ञान एवं प्रौदयोगिकी संबंधी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में ये बातें कही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा है कि “वैज्ञानिक डेटा साझा करने की इस पहल को नई विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं नवोन्मेष नीति (Science, Tech...

महिला स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ज़रूरी है आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक समानता

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भारत समेत एशिया पैसिफिक क्षेत्र के अनेक देशों की अधिकांश महिलाओं के लिए प्रजनन न्याय (रिप्रोडक्टिव जस्टिस) तक पहुँच एक स्वप्न मात्र ही है। प्रजनन न्याय का अर्थ है व्यक्तिगत शारीरिक स्वायत्तता बनाए रखने का मानवीय अधिकार; यह चुनने और तय करने का अधिकार कि महिला को बच्चे चाहिए अथवा नहीं चाहिए; और इस बात का सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक अधिकार कि बच्चों का लालन पालन एक सुरक्षित वातावरण में किया जा सके। प्रजनन न्याय शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग १९९४ में शिकागो में अश्वेत महिलाओं के एक समूह द्वारा प्रजनन स्वास्थ्य हेतु एक सुव्यवस्थित न्यायिक ढांचे का निर्माण करने के लिए किया गया था | प्रजनन न्याय वह कड़ी है जो प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं (जिनमें गर्भपात और परिवार नियोजन शामिल हैं) तक पहुँच के कानूनी अधिकार को उन सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक असमानताओं के साथ जोड़ती है जो महिलाओं की प्रजनन स्वास्थ्य सेवाओं तक ...

कब बिहार में टाटा, रिलायंस, इंफोसिस भी करेंगे निवेश

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बिहार एक बार फिर से चुनावी समर के लिए तैयार है। राज्य में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। नेताओं का जनसंपर्क अभियान जारी है I अब जल्दी ही वहां चुनावी सभाएं भी चालू हो जाएंगी। सभी दलों के नेता जनता से तमाम वादे भी करेंगे। फिऱ ये दल अपने घोषणा पत्र भी लेकर भी जनता को लुभाने आएंगे। उसमें भी जनता और राज्य के विकास के लिए तमाम वादे किए गए होंगे। कितना अच्छा हो कि इस बार बिहार विधान सभा चुनाव जाति के सवाल की बजाय विकास के मुद्दे पर ही लड़ा जाए। इस मसले पर सभी क्षेत्रों में गंभीर बहस हो। सभी दल अपना विकास का रोडमैप जनता के सामने रखें। दुर्भाग्यवश बिहार में विकास के सवाल गौण होते जा रहे हैं। हमने पिछला राज्य विधानसभा चुनाव भी देखा था। तब कैंपेन में विकास के सवाल पर महागठबंधन के नेता फोकस ही नहीं कर प् रहे थे। अभी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकास को सारी कैंपेन के केन्द्र में लाकर खड़ा कर दिया ह...

भारत न बने अमेरिकी पप्पू

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अफगानिस्तान के वर्षों विदेश मंत्री रहे डाॅ. अब्दुल्ला अब्दुल्ला आजकल अफगानिस्तान की राष्ट्रीय मेल-मिलाप परिषद के अध्यक्ष हैं। वे अफगानिस्तान के लगभग प्रधानमंत्री भी रहे हैं। वे ही दोहा में तालिबान के साथ बातचीत कर रहे हैं। वे भारत आकर हमारे प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से मिले हैं। क़तर की राजधानी दोहा में चल रही इस त्रिपक्षीय बातचीत— अमेरिका, काबुल सरकार और तालिबान— में इस बार भारत ने भी भाग लिया है। हमारे नेताओं और अफसरों से उनकी जो बात हुई है, उसकी जो सतही जानकारी अखबारों में छपी है, उससे आप कुछ भी अंदाज नहीं लगा सकते। यह भी पता नहीं कि इस बार अब्दुल्ला दिल्ली क्यों आए थे ? अखबारों में जो कुछ छपा है, वह वही घिसी-पिटी बात छपी है, जो भारत सरकार कुछ वर्षों से दोहराती रही है याने अफगानिस्तान में जो भी हल निकले, वह अफगानों के लिए, अफगानों द्वारा और अफगानों का ही होना चाहिए ? हमारी सरकार से को...
ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

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क्या पहले और दूसरे विश्व युद्ध की कोई ओपचारिक घोषणा हुई थी ?  नहीं न। तो तीसरे विश्व युद्ध की ओपचारिक घोषणा का इंतज़ार क्यों? पिछले एक बर्ष में ज़ेविक हथियार से चीन ने दुनिया की कमर तोड़ दी। अब चीन का प्यादा तुर्की अजरबेजान के कंधे पर बंदूक़ रखकर रुस और फ़्रांस के प्यारे आर्मीनिया को बर्बाद करने पर तुला है। अब तक १५ हज़ार लाशें बिछ चुकी हैं। सच्चाई यह है कि यह बहुत थोड़ी सी तबाही है। अब इस खेल में अलक़ायदा और आइएसआइएस की ज़बरदस्त एंट्री हो चुकी है और दुनिया के सारे ईसाई व मुस्लिम राष्ट्र इस धर्म युद्ध या सभ्यताओं के संघर्ष में शामिल होते जा रहे हैं। प्रबल संभावना है कि अब इस युद्ध में पुराने गठजोड़ व गठबंधन टूटे जाएँगे व नए बनते जाएँगे। जंग का मैदान नित नयी उलटबाँसिया देख रहा है। अब यह भयावह रूप लेने वाला है क्योंकि अनेक महाशक्तियाँ इसमें प्रवेश करने वाली हैं। १) अमेरिका की रिपब्लिकन ख़ेम...

बिहार के चुनावों में वर्चस्व को बचाने की होड़

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बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां एवं सरगर्मियां चरम पर हैं, वहां चुनावी चैसर अब लगभग बिछ चुकी है। कुल मिलाकर इस बार मुकाबला जेडीयू-बीजेपी बनाम आरजेडी-कांग्रेस-कम्युनिस्ट का बनता दिख रहा है। एनडीए में दरार पड़ चुकी है और लोजपा ने स्वतंत्र चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह चुनाव अनेक दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। इन चुनावों की खास बात यह भी है कि विपक्ष तो हमेशा की तरह सरकार की गड़बड़ियों और नाकामियों को मुद्दा बना रहा है, पर सत्तापक्ष नई पिच की तलाश में है। एक और खास बात यह है कि इस बार दोनों ही चुनावी खेमों में छोटे दलों को तवज्जो न देने का रुझान दिखाई दे रहा है। विपक्षी गठबंधन की बात करें तो इसमें शामिल आरएलएसपी जैसे दल मुख्यमंत्री प्रत्याशी का सवाल उठाते हुए काफी पहले से यह कहने लगे थे कि नीतीश कुमार के सामने आरजेडी के युवा नेता तेजस्वी यादव फिट नहीं बैठते। मगर आरजेडी ने इस सवाल ...

यज्ञ के प्रथम अवतार ‘अग्निहोत्र’ के विषय में अध्यात्मिक शोध !

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जब हमारे दादा अथवा पिता का जन्म हुआ था, उस समय के विश्व से वर्तमान विश्व का स्वरूप अत्यधिक भिन्न है । संभवतः सभी परिवर्तनों में से सर्वाधिक मुख्य परिवर्तन है पूरे विश्व में बढता प्रदूषण, जिसके परिणामस्वरूप हरितगृह गैसों (ग्रीन हाऊस गैस) के उत्सर्जन में तथा अन्य हानिकारक प्रभावों में वृद्धि हो गई है । जब भी हम प्रदूषण की बात करते हैं, तो सामान्यतः हम वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, भोजन प्रदूषण और भूमि प्रदूषण के विषय में विचार करते हैं । मौसम के अस्वाभाविक स्वरूप का कारण, मानवजाति का प्रकृति पर प्रभाव है । तथापि यह मानव द्वारा की गई भौतिक स्तर की उपेक्षा तक ही सीमित नहीं है; अपितु उनके द्वारा वायुमंडल में उत्सर्जित मानसिक तथा आध्यात्मिक प्रदूषण भी इसका कारण है । मानसिक प्रदूषण लोगों के नकारात्मक विचार जैसे – लालच, धोखा, घृणा, विनाश हेतु योजना बनाना, इत्यादि के कारण होता है । यह मा...