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राजस्थान में तुरंत कराएं शक्ति-परीक्षण

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ऐसा लग रहा है कि राजस्थान की राजनीति पटरी पर शीघ्र ही आ जाएगी। राज्यपाल कलराज मिश्र का यह बयान स्वागत योग्य है कि वे विधानसभा का सत्र बुलाने के विरुद्ध नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो तीन शर्तें रखी हैं, वे तर्कसम्मत हैं और उन तीनों का संतोषजनक उत्तर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दे ही रहे हैं। यों भी अदालतों के पिछले फैसलों और संविधान की धारा 174 के मुताबिक विधानसभा सत्र को सामान्यतया राज्यपाल आहूत होने से रोक नहीं सकते। मंत्रिमंडल की सलाह मानना उनके लिए जरुरी है। हालांकि गहलोत ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक गुहार लगा दी है और राजभवन के घेरे जाने की आशंका भी व्यक्त की है लेकिन वे यदि चाहते और उनमें दम होता तो वे खुद ही सारे विधायकों को विधानसभा भवन या किसी अन्य भवन में इकट्ठे करके अपना बहुमत सारे देश को दिखा देते। राजभवन और अदालतें दोनों अपना-सा मुंह लेकर टापते रह जाते। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बह...

भारत किसी गुट में क्यों शामिल हो ?

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अमेरिका ने चीन के विरुद्ध अब बाकायदा शीतयुद्ध की घोषणा कर दी है। ह्यूस्टन के चीनी वाणिज्य दूतावास को बंद कर दिया है। चीन ने चेंगदू के अमेरिकी दूतावास का बंद करके ईंट का जवाब पत्थर से दिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपिओ चीन पर लगातार हमले कर रहे हैं। उन्होंने अपने ताजा बयान में दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों से आग्रह किया है कि वे चीन के विरुद्ध एकजुट हो जाएं। भारत से उनको सबसे ज्यादा आशा है, क्योंकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और गालवान घाटी के हत्याकांड ने भारत को बहुत परेशान कर रखा है। नेहरु और इंदिरा गांधी के जमाने में यह माना जाता था कि एशिया, अफ्रीका और लातीनी अमेरिका के देशों याने तीसरी दुनिया के देशों का नेता भारत है। उन दिनों भारत न तो अमेरिकी गठबंधन में शामिल हुआ और न ही सोवियत गठबंधन में। वह गठबंधन-निरपेक्ष या गुट-निरपेक्ष ही रहा। अब भी भारत किसी गुट में ...

जाकिर नाईक भी चला दाऊद के रास्ते

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अपने को इस्लामिक विद्वान बताने वाला ढोंगी और खुराफाती जाकिर नाईक बाज आने से रहा । वह सुधरने की कोशिश ही नहीं कर रहा। यह उसकी फितरत ही नहीं है । भारत में अपने विवादास्पद बयानों से समाज को बांटने का कोई भी मौका न छोड़ने वाले नाईक ने अब मलेशिया से यह कहा है कि पाकिस्तान सरकार को इस्लामाबाद में हिन्दू मंदिर निर्माण की इजाजत नहीं देनी चाहिए। अगर यह होता है तो यह गैर-इस्लामिक होगा।  अब कोई उससे पूछे कि तुम्हें इस बात से क्या मतलब कि पाकिस्तान मंदिर के निर्माण की अनुमति दे या ना दे? पर नाईक को तो सारे वातावरण को विषाक्त ही करना है। एक जहरीले शख्स से आप और क्या उम्मीद कर सकते है। उसके तो खून में हिन्दू-मुसलमानों के बीच खाई पैदा करना ही है। लगता है जैसे उसके बाप-दादे भारतवंशी हैं ही नहीं । सीधे ऊपर से मुंबई में आ टपके थे ।  ज़ाकिर नाइक लगभग पिछले चार साल से भारत से भागकर मलेशिया जाकर  बसा हुआ...

जल्द शुरू होगा वेंटिलेटर ‘स्वस्थवायु’ का चिकित्सीय परीक्षण

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नई दिल्ली, 23 जुलाई (इंडिया साइंस वायर): वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से संबद्ध नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरी (एनएएल) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित वेंटिलेटर ‘स्वस्थवायु’ का चिकित्सीय परीक्षण जल्दी शुरू हो सकता है। यह चिकित्सीय परीक्षण बंगलुरु के मणिपाल हॉस्पिटल्स में किया जाएगा। एनएएल द्वारा जारी एक ताजा बयान में यह जानकारी दी गई है। एनएएल में इलेक्ट्रॉनिक्स विभाग के मुख्य वैज्ञानिक डॉ सी.एम. आनंद ने कहा है- इस उपकरण का परीक्षण कृत्रिम फेफड़े के मॉडल पर किया गया है। इसे नेशनल एक्रेडटैशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग ऐंड कैलिब्रेशन लैबोरेटरीज (एनएबीएल) के इलेक्ट्रिकल सुरक्षा, कार्यप्रणाली, मूल्यांकन और जैव-अनुकूलता से जुड़े कड़े परीक्षणों में प्रभावी पाया गया है। यह उपकरण सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) और सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (सीडीएससीओ) जैस...
संतुलित आर्थिक सोच पर मंथन जरूरी

संतुलित आर्थिक सोच पर मंथन जरूरी

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कोरोना के प्रकोप से जूझ रही दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा यह महामहारी नहीं होकर असंतुलित एवं भौतिकवादी आर्थिक मानसिकता है। हर किसी के मन में उछाल मार रही अमीरी की ललक है जिसमें हर कोई आर्थिक अपराध एवं पर्यावरण विनाश को नजरअंदाज कर रहा है। इसी से भ्रष्टाचार बढ़ा हैं, पर्यावरण का विनाश हो रहा है, महामारियां बढ़ रही हैं, इंसान का नैतिक एवं चारित्रिक पतन हो रहा है। जीवन पर प्रश्नचिन्ह टंक रहे हैं और अंधकारपूर्ण स्थितियां व्याप्त है। इन खतरों का कारण अमीरी बताया जा रहा है। मजेदार बात यह है कि संतुलित आर्थिक विकास को अपनाने का सुझाव और कोरोना जैसी व्याधि का कारण अमीरी को बताने का निष्कर्ष किसी आध्यात्मिक गुरु या साधु-संत का नहीं बल्कि दुनिया के कुछ जाने-माने वैज्ञानिकों का है। इससे भी बड़ी बात यह कि ऑस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन के पर्यावरण वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा की गई यह स्टडी वल्र्...
स्ट्रोक के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार शारीरिक निष्क्रियता

स्ट्रोक के बढ़ते मामलों के लिए जिम्मेदार शारीरिक निष्क्रियता

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भारत फैलने वाली बीमारियों से लेकर न फैलने वाली बीमारियों से घिरा हुआ है। भारत में होने वाली मृत्यु के सबसे बड़े कारणों में स्ट्रोक भी शामिल होता है। एक हालिया अध्ध्यन के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में एक लाख लोगों में से 84,000 लोग और शहरों में एक लाख में से 35,000 लोग स्ट्रोक का शिकार बनते हैं। स्ट्रोक के कारण गंभीर रूप से बीमार पडऩे के साथ व्यक्तिकी जान तक जा सकती है। स्ट्रोक एक गंभीर समस्या है, जिसका तत्काल इलाज करना आवश्यक होता है। यह मस्तिष्क से संबंधित समस्या है, जो खून के प्रवाह के रुकने से होती है। यह समस्या मस्तिष्क की कोशिकाओं को नष्ट कर देती है और कई मामलों में इससे ब्लीडिंग की समस्या भी हो सकती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, स्ट्रोक का खतरा 55 साल से अधिक उम्र के लोगों में ज्यादा होता है। लेकिन आज, लाइफस्टाइल में बदलाव और एक्सरसाइज में कमी, धूम्रपान और शराब क...

दिव्यांगों को अनुसूचित जाति-जनजाति के समान आरक्षण

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हमारे भारत का संविधान हम सभी नागरिकों के लिए समानता, स्वतंत्रता, न्याय व गरिमा का रक्षक है और यह  दिव्यांग को समाज में समानता  पर जोर डालता है। वर्तमान  वर्षों में विकलांगों के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है। सही भी है अगर विकलांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो वे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते हैं। भारत की जनगणना 2001 के मुताबिक, देश में 2.19 करोड़ व्यक्ति विकलांगता के साथ जीवन यापन कर रहें है, जो कुल जनसंख्या का 2.13% हिस्सा है। इनमे से 75% विकलांग व्यक्ति ग्रामीण इलाकों में रहते हैं, तथा 49% विकलांग व्यक्ति साक्षर हैं व 34% रोजगार प्राप्त हैं। हाल ही में  विकलांगता से पीड़ित लोग समान लाभ और आराम के हकदार हैं इसलिए  उनकी सामाजिक स्थिति को मजबूती और शिक्षा या रोजगार के लिए इनको अनुसूचित जाति में बराबर लाभ का अधिक...
Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

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Consumer Protection Act 2019 has come into force from 20.07.2020 with several added features to safeguard interests of consumers. But big question is why some basic root-level changes are not incorporated either in the Act itself or by simultaneous modifications in existing system. National Anti-Profiteering Authority (NAPP) presently working under Department of Revenue should be shifted to Department of Consumer Affairs. Unfortunately there is no provision of entertaining feedback and suggestions coming from experts either by NAPP or by so many bodies constituted under Consumer Protection Act 2019. There must be some body which may have power to study and implement suggestions (if feasible) so that problems may not arise at root-level required to be tackled by NAPP or other bodies cons...

कब तक सामने आते रहेंगे प्यारेमियाँ जैसे चरित्र ?

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“हर चेहरे पर नकाब है यहाँ बेनकाब कोई चेहरा नहीं हर दामन में दाग है यहाँ बेदाग कोई दामन नहीं। यह अजीब शहर है जहाँ औरत बेपर्दा कर दी जाती है लेकिन सफेदपोशों के नकाब कायम हैं यहाँ”  ​​​​​​​मध्यप्रदेश की राजधानी एक बार फिर कलंकित हुई। एक बार फिर साबित हुआ कि हम एक सभ्य समाज होने का कितना भी ढोंग करें लेकिन सत्य बेहद कड़वा है।  प्यारेमियाँ तो केवल वो नाम है जो सामने आया है ऐसे कितने ही नाम अभी भी गुमनाम हैं। प्यारेमियाँ तो मात्र वो चेहरा है जो बेनकाब हुआ है ऐसे कितने ही चेहरे अभी भी नकाब की ओट में हैं यह हम सभी जानते हैं। चूंकि अब यह मामला सामने आ गया है तो सब ओर से प्यारेमियाँ को कठोर से कठोर दंड देने की मांग उठने लगी है। लेकिन क्या प्यारेमियाँ को दंडित करने मात्र ही समस्या का हल है? क्या प्यारेमियाँ अकेला अपराधी है? ऐसे अनेक सवाल हैं जो एक समाज के रूप में हमें स्वयं से...

पायलट के लिए जहाज में जगह नहीं

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राजस्थान उच्च न्यायालय का फैसला कांग्रेस के बागी नेता सचिन पायलट के या तो पक्ष में आएगा या विरोध में आएगा। या हो सकता है कि अदालत सारे मामले को विधानसभा अध्यक्ष पर ही छोड़ दे। हर हालत में अब सचिन पायलट का राजस्थान की कांग्रेस में रहना लगभग असंभव है। उनका कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष का पद गया, उप-मुख्यमंत्री और मंत्री पद गया। अब वे साधारण विधायक हैं। यदि अदालत ने उनके विरुद्ध फैसला दे दिया तो विधानसभा अध्यक्ष उन्हें विधानसभा का सदस्य भी नहीं रहने देंगे। दल-बदल विरोधी कानून की खूंटी पर सचिन और उनके साथियों को लटका दिया जाएगा। पार्टी की सदस्यता भी जाती रहेगी। और यदि अदालत ने सचिन के पक्ष में फैसला दे दिया तो विधानसभा अध्यक्ष शायद अपना नोटिस वापिस ले लेंगे। फिर आगे क्या होगा ? आगे होगा विधानसभा का सत्र ! सचिन गुट तब भी कांग्रेस का सदस्य माना जाएगा। यदि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी सरकार के प्रत...