राजस्थान में तुरंत कराएं शक्ति-परीक्षण
ऐसा लग रहा है कि राजस्थान की राजनीति पटरी पर शीघ्र ही आ जाएगी। राज्यपाल कलराज मिश्र का यह बयान स्वागत योग्य है कि वे विधानसभा का सत्र बुलाने के विरुद्ध नहीं हैं लेकिन उन्होंने जो तीन शर्तें रखी हैं, वे तर्कसम्मत हैं और उन तीनों का संतोषजनक उत्तर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दे ही रहे हैं। यों भी अदालतों के पिछले फैसलों और संविधान की धारा 174 के मुताबिक विधानसभा सत्र को सामान्यतया राज्यपाल आहूत होने से रोक नहीं सकते। मंत्रिमंडल की सलाह मानना उनके लिए जरुरी है। हालांकि गहलोत ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री तक गुहार लगा दी है और राजभवन के घेरे जाने की आशंका भी व्यक्त की है लेकिन वे यदि चाहते और उनमें दम होता तो वे खुद ही सारे विधायकों को विधानसभा भवन या किसी अन्य भवन में इकट्ठे करके अपना बहुमत सारे देश को दिखा देते। राजभवन और अदालतें दोनों अपना-सा मुंह लेकर टापते रह जाते। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए बह...