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माया की माया

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साल 1993 केतन शाह के निर्देशन में एक फ़िल्म बनती है, राज बब्बर और फारूक शेख जैसे कद्दावर अभिनेताओं के साथ आते हैं शाहरुख खान, सितारा नहीं अभिनेता शाहरुख, फ़िल्म की यूएसपी है उसका बोल्ड सीन, न्यूडिटी और अश्लीलता के बीच की महीन रेखा को फ़िल्म बचा ले जाने में कामयाब रहती है और नेशनल अवॉर्ड तक ले जाती है। क्रिटिक प्रशंसा से थक नहीं रहे होते... फ़िल्म का नाम... नहीं अभी नहीं बाद में बताऊंगी..अभी  के लिए माज़रत... फ़िल्म की कहानी अडॉल्ट्री यानि विवाहेत्तर संबंध पर बेस्ड है जिसे एक फ्रेंच नॉवेल 'Madame Bovary' के आधार पर बनाया गया है। 90 के दशक में ऐसी खूबसूरत फ़िल्म रचना जिसे आप किसी आधार पर खारिज़ ना कर सकें बहुत दिलेरी का काम था। दिलेरी इसलिए क्योंकि ये वही दौर था जब ममता कुलकर्णी को अश्लीलता के लिए आजीवन बैन कर दिया गया था। दीपा जो केतन की पत्नी भी हैं, की यह पहली फ़िल्म थी जिसमें उन्हो...
ऑनलाइन पढाई बच्चों  को रास नहीं आई

ऑनलाइन पढाई बच्चों को रास नहीं आई

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ऑनलाइन शिक्षा के परिणाम समाज के सामने आने लगे है | बच्चों और उनके अभिभावकों का एक बड़ा प्रतिशत एकाएक गाज की तरह सर पर आ गिरी इस मुसीबत से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार नहीं थे | जिन बच्चों ने कभी घर पर किताब खोली तक नहीं थी, अब उन्हें घर पर ही बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। यह और बात है कि किताब-कापी  उन्हें अब भी नहीं खोलनी, बस कंप्यूटर खोलना है। बड़े नामी स्कूल तो पूरी बेहरहमी के साथ घर में भी स्कूली यूनिफार्म के साथ ऑन लाइन होने की हिदायत देते हैं | मध्यम श्रेणी स्कूल भी बड़े स्कूलों की तरह पूरी निष्ठुरता से फ़ीस वसूल रहे है | इन स्कूलों ने छात्रों  को स्कूलों की वर्दी आदि से छूट है| ऑनलाइन शिक्षा में आ रही दिक्कतों के कारण करीब ४३ प्रतिशत दिव्यांग बच्चे पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। दिव्यांग लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन स्वाभिमान ने मई में ओ...
कमजोर हो चुकी कांग्रेस कई तरीकों से मजबूत हो सकती है

कमजोर हो चुकी कांग्रेस कई तरीकों से मजबूत हो सकती है

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राजस्थान में कांग्रेस सरकार का भविष्य जो भी हो, इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के तौर पर कांग्रेस काफी कमजोर हो चुकी है। कुछ राज्यों में कांग्रेस को बहुमत मिला और कुछ में वह सबसे बड़ा दल बनकर उभरी लेकिन आज कांग्रेस उनमें से कई में विरोधी दल बनकर बैठने पर मजबूर हुई है। इस सर्वज्ञात तथ्य के बावजूद हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी पार्टियों में रही है। कांग्रेस जितने वर्षों तक इस विशाल देश में सत्तारुढ़ रही है, शायद दुनिया की कोई पार्टी नहीं रही है। आज भी देश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां कांग्रेस के कार्यकर्ता न हों। कांग्रेस के अध्यक्षों में किस धर्म, किस जाति, किस प्रांत, किस भाषा और किस योग्यता के लोग नहीं रहे ? सबसे बड़ी बात यह है कि देश की आजादी का बहुत बड़ा श्रेय कांग्रेस को ही है। तो ऐसी कांग्रेस का अत्यंत निर्बल हो जाना य...

20 जुलाई से पूरे देश में लागू होगा कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट, सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन…

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कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट -2019 (Consumer Protection Act-2019) 20 जुलाई, 2020 से पूरे देश में लागू होगा. सरकार ने गुरुवार को कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट-2019 को पूरे देश में लागू करने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. नया कानून कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 का स्थान लेगा. नए कानून में ग्राहकों को पहली बार नए अधिकार मिलेंगे. उपभोक्ता किसी भी उपभोक्ता न्यायालयों में मामला दर्ज करा सकेगा. पहले के कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं था. मोदी सरकार ने इस अधिनियम में कई बदलाव किए हैं. इसे लागू हो जाने के बाद अगले 50 सालों तक देश में कोई और कानून बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी ! भ्रामक विज्ञापन पर होगी कार्रवाई नए कानून में उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापन जारी करने पर भी कार्रवाई की जाएगी. नए उपभोक्ता कानून आने के बाद उपभोक्ता विवादों को समय पर, प्रभावी और त्वरित गति से निपटारा किया जा...
उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

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आज हम उस समाज में जी रहे हैं जिसे अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन करने में महारत हासिल है। वो समाज जो एकतरफ अपने उदारवादी होने का ढोंग करता है, महिला अधिकारों, मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बड़े बड़े आंदोलन और बड़ी बड़ी बातें करता है लेकिन जब इन्हीं अधिकारों का उपयोग करते हुए कोई महिला या पुरूष अपने ऐसे विचार समाज के सामने रखते हैं तो इस समाज के कुछ लोगों को यह उदारवाद रास नहीं आता और इनके द्वारा उस महिला या पुरुष का जीना ही दूभर कर दिया जाता है। वो लोग जो असहमत होने के अधिकार को संविधान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा अधिकार मानते हैं वो दूसरों की असहमती को स्वीकार ही नहीं कर पाते। हाल ही के कुछ घटनाक्रमों पर नज़र डालते हैं। 1.हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की एक छात्रा को सोशल मीडिया पर धमकी दी गई है कि यूनिवर्सिटी खुलने के बाद उसे जबरन पीतल का हिजाब पहनाया जाएगा। उसक...
Iran-India cannot overlook each other

Iran-India cannot overlook each other

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Inia's long-standing, trusted friend Iran, gave us a considerable jolt. It was not even assumed that Iran will drop out India from Chabahar -Zahidan railway project, a prestigious project for both the countries. Iran decided to leave-out India's stake and proposes to complete this ambitious project with Chinese financial support. Iran has, in a way added insult to the injury. It is evident that, Sino-India relationship at the present times, is going through a tough phase . Soldiers of both the countries suffered casualties during border clashes. Amid all these situation, this egocentric closeness of Iran with China is definitely troublesome for india. Any way, Countering Iran on this unilateral decision, India must negotiate with Iran promptly and carefully. We cannot leave Iran, as a...
कार्यस्थलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई कोविड-सुरक्षा यूनिट

कार्यस्थलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई कोविड-सुरक्षा यूनिट

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नई दिल्ली, 17 जुलाई (इंडिया साइंस वायर): कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए शोधकर्ता विभिन्न युक्तियां खोजने में जुटे हुए हैं। दुर्गापुर स्थित सेंट्रल मेकैनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआई) के शोधकर्ताओं ने इस दिशा में काम करते हुए नया ‘कोविड प्रोटेक्शन सिस्टम’ (कॉप्स) ईजाद किया है जो कार्यस्थलों पर कोविड-19 का संक्रमण रोकने में उपयोगी हो सकता है। कॉप्स सिस्टम में संपर्क रहित सोलर आधारित ऑटोमेटेड मास्क डिस्पेंसिंग यूनिट और थर्मल स्कैनर (इंटेलिमास्ट) लगाया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर आधारित यह सिस्टम स्वचालित कामकाज में मददगार होगा। सीएमईआरआई द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि यह तकनीक व्यावसायिक हस्तांतरण के लिए तैयार है। निकट भविष्य में सीएमईआरआई की योजना एक डिजिटल एंट्री मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने की है। सोलर आधारित इंटेलिमास्ट ...
शांत रहिये, इमोजी यूज कीजिये और खुश रहिये (हमारी भावनाओं को बगैर सामने रहे भी जाहिर करने का बेहतरीन जरिया हैं इमोजी।)

शांत रहिये, इमोजी यूज कीजिये और खुश रहिये (हमारी भावनाओं को बगैर सामने रहे भी जाहिर करने का बेहतरीन जरिया हैं इमोजी।)

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इमोजी हमारी भावनाओं का संकेत होते हैं, जिनके जरिए आप अपने जज्बातों को बयां करते हैं, और हंसी-ख़ुशी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ सम्पर्क में रहते है. पूरी दुनिया में विश्व इमोजी दिवस 17 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिन "इमोजी का वैश्विक उत्सव" माना जाता है. ये दिवस 2014 के बाद से प्रतिवर्ष मनाया जाता है, पहला इमोजी दिवस साल 2014 में बनाया गया था. इस हिसाब से इस बार इस दिवस की सातवीं सालगिरह है. हालांकि इसकी शुरुआत काफी पहले हुई थी. जापान के डिजाइनर शिगेताका कुरीता ने साल 1999 में ही इमोजी का सेट तैयार किया था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रिटेन की एक प्रसीद यूनिवर्सिटी में इमोजी पाठ्यक्रम के रूप में शामिल है. वास्तवमें विश्व इमोजी दिवस "जेरेमी बर्गे के दिमाग की उपज" है, लंदन स्थित इमोजीपी के संस्थापक ने इसे 2014 में बनाया था. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार ब...
प्रकृति हमें कब बचाएगी

प्रकृति हमें कब बचाएगी

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इस दुष्काल में हुए लॉक डाउन ने भारतीयों को प्रकृति का सानिध्य महसूस कराया था हम घर में रहते हुए सुबह की मंद बयार और गौधुली की उष्मा महसूस करने लगे थे | लॉक डाउन-१ हटा हो या २  हालत बदतर ही  हुए | अब उद्योग खुलने के साथ पर्यावरण सूचकांक फिर डराने लगा है | सच भी है कोई भी व्यावहारिक कारोबार हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहेगा कि वह वो सब करे करे जिन पर उसका कारोबार निर्भर है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का विरोध ठप है क्योंकि लॉकडाउन के कारण लोग एकत्रित नहीं हो सकते। ऐसे में अब तक उनकी अनदेखी करता आया मंत्रालय अब क्यों ध्यान देगा? सच तो यह है कि सारा भारतीय समाज जिस पर्यावरण की निर्मलता से निरापद रहेगा | उस पर्यावरण के मोर्चे पर देश  पिछड़  रहा है |इस  नाकामी का एक मानक येल विश्वविद्यालय के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में दिखता है। सन २०२०  में जारी सूचकांक में भारत १८०  देशों में १६८ वें स्थान पर रहा...
भारत में सच्चा लोकतंत्र कैसे लाएं ?

भारत में सच्चा लोकतंत्र कैसे लाएं ?

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कल के मेरे लेख हमारे ‘ढोंगी लोकतंत्र’ पर प्रतिक्रियाओं की बरसात हो गई। लोग पूछ रहे हैं कि भारत को सच्चा लोकतंत्र कैसे बनाएं ? कुछ सुझाव दीजिए। सबसे पहले देश की सभी पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र हो याने किसी भी पद पर कोई भी नेता बिना चुनाव के नियुक्त न किया जाए। पार्टी के अध्यक्ष तथा सभी पदाधिकारियों का सीधा चुनाव हो, गुप्त मतदान द्वारा। दूसरा, किसी को भी नगर निगम, विधानसभा या संसद का उम्मीदवार घोषित करने के पहले यह जरुरी हो कि वह पार्टी-सदस्य पहले अपनी पार्टी के आतंरिक चुनाव में बहुमत प्राप्त करे। नेताओं द्वारा नामजदगी एकदम बंद हो। तीसरा, यह भी किया जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष, महासचिव और सचिवों को दो बार से ज्यादा लगातार अपने पद पर न रहने दिया जाए। चौथा, पार्टी के आय और व्यय का पूरा हिसाब हर साल सार्वजनिक किया जाए। हमारी पार्टियों को रिश्वत और दलाली के पैसों से परहेज करना सिखाया जाए। पां...