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Remove word Muslim from name of Aligarh Muslim University to prevent incidents like forcing Hindu girl-student to wear hijab

Remove word Muslim from name of Aligarh Muslim University to prevent incidents like forcing Hindu girl-student to wear hijab

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It refers to reports about shocking incident in Aligarh Muslim University where a Hindu girl-student was forced to wear hijab. Things will not improve till psychological security is provided to non-Muslim students by renaming the university simply as Aligarh University. Or else, the university can be named after some great freedom-fighter like Shaheed Bhagatsingh, Lala Lajpatrai or Ashfaqulla Khan. SUBHASH CHANDRA AGRAWAL
गोधन न्याय योजना अच्छी, पर राह कच्ची

गोधन न्याय योजना अच्छी, पर राह कच्ची

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छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना की घोषणा की है जिसे हरेली के पावन दिवस से प्रारंभ की जाएगी। योजना के संबंध में दिशानिर्देश भी शासन ने जारी कर दिया है। यह देश में गौवंश के संरक्षण और पशुपालकों की सहायता के लिए अच्छी सोच का परिणाम है। लेकिन जैसे की शासकीय योजनाओं के साथ होता है नौकरशाही की रुचि नहीं होने और जल्दी परिणाम की उम्मीद में जब तेज भागने लगते हैं तो योजना हांफने लगती है, गोधन योजना के साथ इस परिणाम की संभावना अधिक है। इसलिए सरकार को इस योजना को लागू करने में और अच्छा परिणाम पाने के लिए थोड़ा धीरज रखने की जरूरत है। गोबर की सरकारी खरीद करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, इसलिए बिना किसी अनुभव के योजना को प्रारंभ करना मुश्किल होता है। इस बात में कोई शक नहीं है कि गाय के गोबर और मूत्र से अनेक उत्पाद बनाकर लाभकारी व्यवसाय किए का सकते हैं। दूसरी ओर छत्...
सनातन धर्म का वास्तविक स्वरूप

सनातन धर्म का वास्तविक स्वरूप

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*धर्म बंधुओ, राष्ट्र के रूप में हमारी समस्या और उसके समाधान पर बहुत कुछ लिखा गया है, लिखा जाता रहेगा। मेरी दृष्टि में सबसे पहले हमें समस्या के पूरे स्कैन, उसकी निष्पत्ति और कारण को भली प्रकार से ध्यान में रखना होगा। तभी इसका समाधान सम्भव होगा।* *आपने पूजा, यज्ञ करते समय कभी संकल्प लिया होगा। उसके शब्द ध्यान कीजिये। ऊँ विष्णुर विष्णुर विष्णुर श्रीमद भगवतो महापुरुषस्य विष्णुराज्ञा प्रवर्तमानस्य श्री ब्रह्मणो द्वितीयपरार्धे श्री श्वेत वराहकलपे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारत वर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मावर्तेकदेशे पुण्यप्रदेशे ......यह संकल्प भारत ही नहीं सारे विश्व भर के हिंदुओं में लिया जाता है और इसके शब्द लगभग यही हैं। आख़िर यह जम्बूद्वीपे भारत वर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मावर्तेकदेशे है क्या ?* *धर्मबंधुओ! जम्बू द्वीप सम्पूर्ण ...
नयी तकनीक से ग्रामीण भारत में कृषि क्षेत्र को बदलना होगा

नयी तकनीक से ग्रामीण भारत में कृषि क्षेत्र को बदलना होगा

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कोरोना काल ने ग्रामीण भारत के युवाओं को कृषि की और मोड़ दिया है. इस दौरान पढ़ी-लिखी युवा पीढ़ी  कृषि क्षेत्र में आने वाली समस्याओं के बारे इसकी दक्षता में सुधार के तरीके ढूंढ रही है, इसके अलावा यह भी अधिक जोर दे रहा है कि कैसे प्रौद्योगिकी को अपनाकर ग्रामीण भारत में कृषि दक्षता को बाध्य जा सकता है. भारत घरेलू और वैश्विक कृषि उत्पादन मांग में अग्रणी योगदानकर्ताओं में से एक है. भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक, फल और सब्जी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, और प्रौद्योगिकी अपनाने से इन आंकड़ों को विभिन्न तरीकों से बेहतर बनाने में मदद की है. लेकिन फिर भी आज भारतीय कृषि समस्याओं से मुक्त नहीं है. वैकल्पिक उपयोगों के लिए कृषि भूमि का रूपांतरण, कृषि जोत के औसत आकार में गिरावट ने खेती की पारंपरिक विधियों को कुशलता से लागू करने की चुनौती देते हुए औसत भूमि...

मेरे प्यारे कांग्रेसी मित्रो

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लंबे समय तक पिंजरे में बंद रहने के बाद सारे पंछियों का मन उड़ने को करता है, लेकिन उड़ने का ख्वाब देखने से पहले आप लोगों को कुछ तथ्य अवश्य मालूम होने चाहिए। 1. कांग्रेस में वंशवाद का आगाज़ 1929 में ही हो गया था, जब मोतीलाल नेहरू (1928) से अध्यक्ष का पद जवाहर लाल नेहरू (1929, 1930) को ट्रांसफर किया गया था। 2. जवाहर लाल नेहरू तीन बार (1936, 1937, 1946) फिर से अध्यक्ष बने। 3. फिर प्रधानमंत्री रहते हुए नेहरू जी स्वयं तो चार साल (1951-54) कांग्रेस अध्यक्ष रहे ही, 1959 में एक साल के लिए अपनी बेटी इंदिरा गांधी को भी अध्यक्ष बनवाया। 4. फिर इंदिरा गांधी 1978 में जो कांग्रेस अध्यक्ष बनीं तो  तबसे अब तक 42 साल की अवधि में 35 साल तक इंदिरा, राजीव, सोनिया और राहुल गांधी अध्यक्ष रहे हैं। 5. 1978 के बाद से आज तक केवल दो मौकों पर ही कांग्रेस अध्यक्ष का पद गांधी परिवार से बाहर जा सका, वह भी क...
कोरोना कहर से बदली जिन्दगी को स्वीकारें

कोरोना कहर से बदली जिन्दगी को स्वीकारें

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कोरोना महासंकट ने हमारी सोच एवं संवेदना ही नहीं बदली बल्कि हमारा सम्पूर्ण जीवन बदल दिया है। जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा और लोकतंत्र व्यवस्था में सबसे बड़ा राष्ट्र, कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में अब तक सफल रहा हैं। हमने भी देशव्यापी लाॅकडाउन, सोशल डिस्टेंसिग, निजी स्वच्छता, संयम, आत्मबल जैसे उपायों से कोरोना वायरस के भयावह प्रसार को रोकने की कोशिश की है। सामुदायिक व्यवहार में इस संयम, स्व-विवेक, सादगी एवं अनुशासन के अभीष्ट परिणाम भी मिले हैं। जहां-जहां इन उपायों का कड़ाई से पालन किया गया है, वहां पर रोगियों की संख्या तथा मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है। इसके विपरीत जहां इन उपायों का उल्लंघन या उनके पालन में ढिलाई बरती गई, वहां पर रोगियों की संख्या में तेजी देखी गई है। अब कोरोना असली चुनौती बन रहा है। अभी हमें पूरी सावधानी एवं सतर्कता बरतनी होगी, अन्यथा कोरोना क...
Drug Discovery Hackathon training programme launched

Drug Discovery Hackathon training programme launched

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New Delhi, Jul 14 (India Science Wire): The Drug Discovery Hackathon (DDH), 2020 training programme kick-started with lectures on different topics. It is an online platform to take open source drug discovery to a higher pedestal in the crusade against the COVID-19 pandemic. Dr Shekhar C. Mande, Director General, Council of Scientific and Industrial Research (DG-CSIR) delivered a lecture on “Rational Drug Design: An Overview”. He laid emphasis on target identification and validation, assay development, virtual screening (VS), high throughput screening (HTS), quantitative structure-activity relationship (QSAR) and refinement of compounds, characterization of prospective drugs, testing on animals for activity and side effects, clinical trials and Food and Drug Administration (FDA) app...
प्राकृतिक रूप से करें दिल की बीमारियों की रोकथाम:  कोविड 19 की महामारी में

प्राकृतिक रूप से करें दिल की बीमारियों की रोकथाम: कोविड 19 की महामारी में

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जबसे कोरोना की महामारी की शुरुआत हुई है, तबसे दिल की बीमारियों से लोगों का ध्यान हट गया है। हालांकि, विश्व स्तर पर हार्ट अटैक के कारण मृत्युदर और बीमारी की दर को अक्सर अनदेखा किया जाता है, लेकिन अभी भी बहुत से ऐसे देश हैं जिन्हें इसके मृत्युदर के प्रकोप का आज भी सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ जहां अधिकतर देशों का मुख्य लक्ष्य कोविड19 के लिए वैक्सीन बनाना है , तो दूसरी ओर लोगों को इसकी रोकथाम के तरीकों के बारे में बताया जा रहा है, जैसे कि सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइजेशन, हांथ धोना, किसी से हाथ न मिलाना आदि। हालिया आंकड़ों के अनुसार, 5.4 लाख मृत्युदर के साथ विश्वस्तर पर अबतक 1.2 करोड़ लोग कोरोना के संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। वहीं भारत में 20,000 मृत्यु दर के साथ अबतक 7.4 लाख मामले दर्ज किए जा चुके हैं। बावजूद इसके, कोरोनरी आर्टरी डिजीज (सीएडी) और दिल की अन्य बीमारियों की तुलना में कोरोना के...
ईरान को चीनी प्रलोभन

ईरान को चीनी प्रलोभन

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाड ट्रंप की कृपा कुछ ऐसी है, जो ईरान को चीन की गोद में बिठा देगी। ‘न्यूयार्क टाइम्स’ ने एक 18 पृष्ठ का दस्तावेज उजागर किया है, जिससे पता चलता है कि ईरान में चीन अगले 25 साल में 400 बिलियन डाॅलर्स का विनियोग करेगा। इस पैसे का इस्तेमाल किस-किस क्षेत्र में घुसने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा, यह जानकर ही आप दंग रह जाएंगे। ईरान में रेलें, सड़कें, पुल, बंदरगाह आदि के निर्माण में तो चीनी पूंजी लगेगी ही, चीन का बस चलेगा तो वह ईरान की बैंकों, दूर-संचार और फौजी जरुरतों पर भी अपना वर्चस्व कायम करना चाहेगा। ईरान के जरिए वह दक्षिण और मध्य एशिया के राष्ट्रों में अपनी सामरिक उपस्थिति बढ़ाने की पूरी कोशिश करेगा। दक्षिण एशिया के साथ 2000 तक चीन का व्यापार सिर्फ 5.57 बिलियन डाॅलकर का था, पिछले 18-19 साल में वह 23 गुना बढ़कर 127.36 बिलियन डाॅलर का हो गया है। पाकिस्तान पर तो चीन की पकड़ काफी म...
कैसे भारतीय विद्यार्थी पढ़ने के लिए विदेश न जाएं

कैसे भारतीय विद्यार्थी पढ़ने के लिए विदेश न जाएं

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कभी इस बात पर गौर किया है कि भारत से हरेक साल लाखों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा आदि देशों में क्यों चले जाते हैं? यह सवाल इसलिए भी समीचिन हो गया है, क्योंकि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विदेशी विद्यार्थियों को अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन की ओर से एक और बड़ा झटका लगा है। इन विद्यार्थियों में भारतीयों का आंकड़ा बहुत बड़ा है। अमेरिका ने इन विद्यार्थियों से कहा है कि उनके कॉलेज या विश्वविद्यालय अगर पूरी तरह ऑनलाइन पढ़ाई पर आ गए हैं, तो वे या तो किसी और संस्थान में या किसी ऐसे कोर्स में दाखिला ले लें जहां कक्षा में प्रत्यक्ष उपस्थिति के जरिए पढ़ाई हो रही हो, या फिर अमेरिका छोड़कर अपने देश वापस चले जाएं, क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उनका वीजा तो मंजूर नहीं ही किया जाएगा।  दरअसल, कोरोना के कारण अमेरिका में भी ज्यादातर कॉलेजों और विश्वविद्याल...