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Tag: इतनी हिंसा – कारण?

पाक के खिलाफ कूटनीतिक एवं रणनीतिक दबाव जरूरी

पाक के खिलाफ कूटनीतिक एवं रणनीतिक दबाव जरूरी

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पाक के खिलाफ कूटनीतिक एवं रणनीतिक दबाव जरूरी-ललित गर्ग- पाकिस्तान की पहचान एक ऐसे देश के रूप में है जो कमजोर है, असफल है, कर्ज में डूबा है, अपने नागरिकों के हितों की रक्षा करने में नाकाम है, आतंक की नर्सरी एवं प्रयोगशाला है, ढहती अर्थव्यवस्था है, इन बड़ी नाकामियों को ढ़कने के लिये ही वह कश्मीर का राग अलापता रहा है, वहां के नेता एवं सैन्य अधिकारी तमाम जर्जरताओं एवं निराशाओं के बावजूद आज भी हिन्दू और भारत विरोध को ढ़ाल बनाकर ही अपनी सत्ता मजबूत करते रहे हैं। लेकिन अब उसका चेहरा इतना बदनुमा बन गया है कि उसने धर्म के नाम पर निर्दोष एवं बेगुनाह लोगों का खून बहाना शुरु कर दिया है। भारत ही नहीं, दुनिया में आतंक को फैलाने में अपनी जमीन, संसाधन एवं ताकत का प्रयोग खुलेआम करना शुरु कर दिया है, यह उसकी बौखलाहट ही है, यह उसकी निराशा ही है, यह उसकी विकृत सोच ही है। इस घिनौनी सोच का पर्दापाश पहलगाम क...
पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा

पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा

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पहलगाम में मजहबी आतंक का सबसे बर्बर चेहरा-ललित गर्ग-जम्मू-कश्मीर में स्थित पहलगाम, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है, मंगलवार को एक भीषण, दर्दनाक एवं अमानवीय आतंकी हमले का गवाह बना, एक बार फिर जिहादी आतंक का घिनौना-बर्बर चेहरा दिखा। आतंकियों ने पहलगाम में निर्दाेष-निहत्थे पर्यटकों की जिस तरह पहचान पता करके गोलियां बरसाईं, उससे यही पता चलता है कि वे केवल खौफ ही नहीं पैदा करना चाहते थे, बल्कि बड़ी संख्या में लोगों का खून बहाकर दुनिया का ध्यान भी खींचना चाहते थे। यह आतंकवाद एवं सांप्रदायिक घृणा का अब तक का सबसे घिनौना एवं बर्बर हमला एवं चेहरा है, जिसमें हिन्दू सुनकर चलाई गोलियां। जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के मूल एजेंडे का हिस्सा है। इस जघन्य एवं त्रासद घटना में निर्दोष पर्यटकों को तब मौत की गहरी नींद सुलाया गया, जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत में हैं और भारतीय प्रधानमंत्री स...
रक्षा क्षेत्र में भारत की छलांग

रक्षा क्षेत्र में भारत की छलांग

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रक्षा क्षेत्र में भारत की छलांग भारतीय मिसाइलों व रक्षा उपकरणों का बज रहा दुनिया में डंकामृत्युंजय दीक्षितप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सर्वांगीण विकास के पथ पर बढ़ता हुआ आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है। रक्षा क्षेत्र भी इस धारा से अछूता नहीं है इसमें भी अहम और व्यापक परिवर्तन दिख रहा है । 2014 के पूर्व मात्र एक दशक पूर्व तक भारत की पहचान रक्षा उपकरणों के खरीदार की हुआ करती थी। रक्षा खरीद में घोटालों के समाचार आना सामान्य बात थी फिर भी ख़रीदे गए हथियारों की समय पर आपूर्ति नहीं होती थी। मोदी जी के नेतृत्व में ये परिस्थितियाँ तीव्रता के साथ बदल रही हैं। अब भारत जल, थल और नभ तीनों सेनाओं के सभी अंगों को सुदृढ़ करने के लिए दिन-रात प्रयास कर रहा है जिससे रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता और बल दोनों निरंतर बढ़ रहे हैं। भारत के रक्षा वैज्ञानिक निरंतर शोध में में व्यस्त ...
“डिग्री नहीं, दक्षता चाहिए: नई अर्थव्यवस्था की नई ज़रूरतें”

“डिग्री नहीं, दक्षता चाहिए: नई अर्थव्यवस्था की नई ज़रूरतें”

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"डिग्री नहीं, दक्षता चाहिए: नई अर्थव्यवस्था की नई ज़रूरतें" -डॉ. सत्यवान सौरभ "क्लासरूम से कॉर्पोरेट तक: उच्च शिक्षा और उद्योग के बीच की दूरी""डिग्री से दक्षता तक: शिक्षा प्रणाली को उद्योग से जोड़ने की चुनौती""डिग्री नहीं, दक्षता चाहिए: नई अर्थव्यवस्था की नई ज़रूरतें""कुशल भारत की कुंजी: उद्योग अनुरूप विश्वविद्यालय शिक्षा" वर्तमान में, उच्च शिक्षा प्रणाली उद्योग की तेजी से बदलती आवश्यकताओं से मेल नहीं खाती, जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश स्नातक रोजगार के लिए अपर्याप्त होते हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, केवल 45.9% स्नातक ही रोजगार योग्य हैं, जबकि तकनीकी क्षेत्र में भी यह आंकड़ा बहुत कम है। विश्वविद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों को नियमित रूप से उद्योग के विशेषज्ञों से समीक्षा कराना चाहिए, ताकि छात्रों को भविष्य की नौकरी के लिए तैयार किया जा सके। इसके अलावा, शिक्षा में मानवीय मूल्यों, सॉफ्ट स...
उपराष्ट्रपति बनाम उच्चतम न्यायालय 

उपराष्ट्रपति बनाम उच्चतम न्यायालय 

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उपराष्ट्रपति बनाम उच्चतम न्यायालय  उप राष्ट्रपति जी ने सुप्रीम कोर्ट को बहुत कायदे से धोया है.. पूरा पढ़िए और समझिए कि कैसे उनको उनकी औक़ात दिखाई। 1. "आप राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकते!" – राष्ट्रपति देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद है, कोई अदालत का क्लर्क नहीं। 2. "अनुच्छेद 145(3) कहता है – संवैधानिक व्याख्या के लिए कम-से-कम 5 जज!" – फिर यह तीन जजों की फौज संविधान पर भाषण क्यों दे रही है? 3. "राष्ट्रपति को परमादेश देना सीधे-सीधे संविधान का अपमान है!" – क्या अब जज राष्ट्रपति से ऊपर हो गए? 4. "अनुच्छेद 142 अब 24×7 परमाणु मिसाइल बन गया है!" – हर चीज़ में 142 लगाओ और फैसला सुना दो, यही नया खेल है क्या? सुप्रीम कोर्ट की ओर से राष्ट्रपति और राज्यपालों को बिलों को मंजूरी देने की समयसीमा तय किये जाने पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति...
वक़्फ़ नए सिरे से ही सुनवाई होगी

वक़्फ़ नए सिरे से ही सुनवाई होगी

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वक़्फ़ नए सिरे से ही सुनवाई होगी देश की सर्वोच्च अदालत ने वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर ‘अंतरिम आदेश’ जारी किया है, लेकिन कानून पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई है। ‘अंतरिम आदेश’ भी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जरिए, केंद्र सरकार की ‘अंडरटेकिंग’ के बाद ही, जारी किया गया है। केंद्र की सहमति रही कि अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी। यदि राज्य बोर्ड में ऐसी नियुक्ति की जाती है, तो उसे ‘शून्य’, अमान्य समझा जाए। ‘वक्फ बाय यूजर’ की संपत्तियों, पंजीकृत, राजपत्रित या गैर-पंजीकृत, को ‘डी-नोटिफाई’ नहीं किया जाएगा। बताया जाता है कि ‘वक्फ बाय यूजर’ की 4 लाख से अधिक संपत्तियां हैं। जांच या सर्वे के बाद कलेक्टर वक्फ संपत्ति पर कोई आदेश जारी नहीं करेंगे। इन प्रावधानों पर सॉलिसिटर जनरल ने सर्वोच्च अदालत की न्यायिक पीठ को आश्वस्त किया है कि यथास्...
भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने हेतु सांस्कृतिक संगठनों को भी विशेष भूमिका निभानी होगी

भारत को पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने हेतु सांस्कृतिक संगठनों को भी विशेष भूमिका निभानी होगी

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भारत को पुनः विश्वगुरु के रूप में स्थापित करने हेतु सांस्कृतिक संगठनों को भी विशेष भूमिका निभानी होगी प्रहलाद सबनानी  प्राचीनकाल में भारत विश्व गुरु रहा है इस विषय पर अब कोई शक की गुंजाईश नहीं रही है क्योंकि अब तो पश्चिमी देशों द्वारा पूरे विश्व के प्राचीन काल के संदर्भ में की गई रिसर्च में भी यह तथ्य उभरकर सामने आ रहे हैं। भारत क्यों और कैसे विश्व गुरु के पद पर आसीन रहा है, इस संदर्भ में कहा जा रहा है कि भारत में हिंदू सनातन संस्कृति के नियमों के आधार पर भारतीय नागरिक समाज में अपने दैनंदिनी कार्य कलाप करते रहे हैं। साथ ही,  भारतीयों के डीएनए में आध्यतम पाया जाता रहा है जिसके चलते वे विभिन्न क्षेत्रों में किए जाने वाले अपने कार्यों को धर्म से जोड़कर करते रहे हैं। लगभग समस्त भारतीय, काम, अर्थ एवं कर्म को भी धर्म से जोड़कर करते रहे हैं। काम, अर्थ एवं कर्म में चूंकि तामसी प्रवृत्ति का ...
इन्हें तो कठोर सजा दीजिए

इन्हें तो कठोर सजा दीजिए

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राकेश दुबे इन्हें तो कठोर सजा दीजिए निश्चित ही उन लोगों को कठोर सजा मिलना चाहिए। जिनकी लापरवाही से किसानों के खून-पसीने से उपजी और कर दाता के धन से खरीदी गई लाखों टन उपज बर्बाद हो गई। सोचिए जिस देश में करोड़ों लोग कुपोषण व खाद्यान्न की किल्लत से जूझ रहे हों, उसके सिर्फ एक राज्य में ही, चार साल में 8191 मीट्रिक टन अनाज सड़ जाए, इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। हमारा गैर-जिम्मेदार तंत्र व अदूरदर्शी नेतृत्व इसकी जवाबदेही से बच नहीं सकता। ये लापरवाही की अंतहीन शृंखला की दुर्भाग्यपूर्ण परिणति है। किसानों के खून-पसीने से उपजी और कर दाता के धन से खरीदी गई लाखों टन उपज का यूं बर्बाद होना बताता है कि हमारे तंत्र में प्रबंधन से जुड़े अधिकारी कितने संवेदनहीन और गैर-जिम्मेदार हैं। चिंता की बात यह है कि पंजाब में साल-दर-साल बर्बाद होने वाले अनाज की मात्रा लगातार बढ़ती ही जा रही है। यानी ...
इतनी हिंसा – कारण?

इतनी हिंसा – कारण?

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इतनी हिंसा – कारण? राकेश दुबे देश में बढ़ती भौतिक विलासिता की चकाचौंध और सोशल मीडिया का जिंदगी में बढ़ता दखल, पारिवारिक-सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर रहा है। संबंधों में तकरार और फिर नृशंस तरीके से हत्या जैसे मामलों ने देश को झकझोर कर रख दिया है। मेरठ की मुस्कान ने अपने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर अपने पति सौरभ राजपूत की हत्या कर दी। ऐसे ही मुजफ्फरनगर की पिंकी ने अपने आशिक के लिए अपने पति अनुज को जहर पिलाकर मार दिया। रिश्तों में हत्या का ऐसा ही प्रकरण बेंगलुरू में देखने को मिला, वहां के हुलीमावु क्षेत्र में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की हत्या करके उसकी बॉडी को सूटकेस में भर दिया। देश के अलग-अलग शहरों में हो रही ऐसी हत्याओं ने देश की जनता को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया। आखिर यह सिलसिला कहां जकर थमेगा? इन घटनाओं ने सोचने-समझने के लिए मजबूर कर दिया है कि आखिर यह देश किस दिशा...