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Author: Dialogue India

अपशब्दों की राजनीति : हृदयनारायण दीक्षित

अपशब्दों की राजनीति : हृदयनारायण दीक्षित

TOP STORIES, विश्लेषण, समाचार
शब्द की शक्ति असीम होती है। प्रत्येक शब्द के गर्भ में अर्थ होता है। अर्थ से भरा पूरा शब्द बहुत दूर दूर तक प्रभावी होता है। पतंजलि ने शब्द प्रयोग में सावधानी के निर्देश दिए थे - शब्द का सम्यक ज्ञान और सम्यक प्रयोग ही अपेक्षित परिणाम देता है। महाभारतकार व्यास ने शब्द को ब्रह्म बताया था। युद्ध से आहत व्यास ने कहा था कि शब्द अब ब्रह्म नहीं रहे। लोकमंगल की साधना वाले शब्द जीवनरस को गाढ़ा करते हैं। प्रेम की अभिव्यक्ति के सर्वोत्कृष्ट उपकरण भी शब्द हैं। यही शब्द उचित अवसर उचित घटना और उचित व्यक्ति के लिए ठीक से प्रयुक्त न होने पर भयावह भी हो जाते हैं। सम्प्रति राजनैतिक क्षेत्र में अपशब्दों की आंधी है। अपशब्द सुन्दर शब्दों को विस्थापित कर रहे हैं। विधायी सदनों में भी शब्द अपशब्द के कोलाहल हैं। अपशब्दों के आक्रमण से भाषा का सौंदर्य और सत्यतत्व भी घायल है। कांग्रेस देश की सबसे पुरानी राजनैतिक पार्ट...
गीता का मर्म : हृदयनारायण दीक्षित

गीता का मर्म : हृदयनारायण दीक्षित

धर्म
गीता विश्वप्रतिष्ठ दर्शन ग्रंथ है। भारतीय दर्शन बुद्धि विलास नहीं है। यह कर्तव्यपालन का दर्शन है। युद्ध भी कर्तव्य है लेकिन विषादग्रस्त अर्जुन युद्ध नहीं करना चाहता। श्रीकृष्ण गीता में कहते हैं पण्डितजन जीवित या मृतक के लिए शोक नहीं करते।‘‘ (अध्याय 2.11) पण्डित की परिभाषा ध्यान देने योग्य है - जो शोक नहीं करते वे पण्डित हैं। श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘‘हम तुम और सभी लोग पहले भी थे, भविष्य में भी होंगे। शरीरधारी आत्मा शिशु तरुण और वृद्ध होती है। यह मृत्यु के बाद दूसरा शरीर पाती है। इससे धीर पुरुष मोह में नहीं फंसते।‘‘ पुनर्जन्म हिन्दू मान्यता है। गीता के कई प्रसंगों में पुनर्जन्म का उल्लेख है। सुख दुख आते जाते हैं। दुख व्यथा देता है और सुख प्रसन्नता। श्रीकृष्ण कहते हैं, ‘‘सुख दुख क्षणिक हैं। इन्हें सहन करने का प्रयास करना चाहिए। सुख दुख से विचलित न होने वाला ही मुक्ति के योग्य है।‘‘ (वही 14-15) ...
अंश बनाम पूर्णता : हृदयनारायण दीक्षित

अंश बनाम पूर्णता : हृदयनारायण दीक्षित

TOP STORIES, विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म, साहित्य संवाद
अंश के आधार पर पूर्ण का विवेचन नहीं हो सकता। विवेचन में देश काल के प्रभाव का ध्यान रखना जरूरी होता है। देश काल के प्रभाव में समाज की मान्यताएं बदलती रहती हैं। वाल्मीकि रामायण विश्वप्रसिद्ध महाकाव्य है। रामायण का रचनाकाल लगभग ईसा पूर्व 500 वर्ष माना जाता है। तुलसीदास ने रामकथा पर आधारित रामचरितमानस सोलहवीं सदी में लिखी थी। रामचरितमानस उत्कृष्ट काव्य है। करोड़ों हिन्दू इसे धर्मग्रन्थ जैसा सम्मान देते हैं। एक समय सूरीनाम, मारीशस, कम्बोडिया, थाईलैण्ड आदि देशों में भारत से जाकर बसने वाले लोग रामचरितमानस की प्रतियां भी साथ ले गए थे। लेकिन कुछ राजनेता मानस की कथित नारी अपमान व शूद्र सम्बंधी चैपाइयों को लेकर आक्रामक हैं। वे इसे जलाने या प्रतिबंधित करने की मांग कर रहे हैं। शूद्र शब्द भी इस विवाद का हिस्सा है। उनके वक्तव्यों से सामाजिक विभाजन का खतरा है। वे अगड़े पिछड़े के विभाजन में राजनैतिक भविष्...
महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हैं स्वयं सहायता समूह

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाते हैं स्वयं सहायता समूह

TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
स्वयं सहायता समूह दृष्टिकोण ग्रामीण विकास के लिए एक सक्षम, सशक्त और नीचे से ऊपर का दृष्टिकोण है जिसने विकासशील देशों में कम आय वाले परिवारों को काफी आर्थिक और गैर-आर्थिक बाह्यता प्रदान की हैं। स्वयं सहायता समूह दृष्टिकोण को गरीबी का मुकाबला करने के लिए एक स्थायी उपकरण के रूप में सराहा जा रहा है, जो लाभ के लिए दृष्टिकोण का संयोजन है जो आत्मनिर्भर है, और गरीबी उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करता है जो कम आय वाले परिवारों को सशक्त बनाता है। यह तेजी से विकासशील देशों में सरकार के लिए विकासात्मक प्राथमिकताओं का प्रयोग करने का साधन बनता जा रहा है। -डॉ सत्यवान सौरभ एक स्वयं सहायता समूह एक गाँव-आधारित वित्तीय मध्यस्थता समिति है, जिसमें आम तौर पर 10-20 स्थानीय महिला या पुरुष शामिल होते हैं। जब औपचारिक वित्तीय प्रणाली जरूरतमंदों की मदद करने में विफल हो जाती है, तो छोटे समूह सूक्ष्म पैमाने पर पैसे ...
ऐसे विवाद, देश हित में नहीं है

ऐसे विवाद, देश हित में नहीं है

EXCLUSIVE NEWS, विश्लेषण
दुर्भाग्य ! अब भी देश राजनीतिक स्वार्थों से परिचालित किया जा रहा है। पंडित और ब्राह्मण के बीच अंतर बताने की विवशता के पीछे ऐसे ही स्वार्थ अपनी भूमिका निभा रहे हैं। सवाल ब्राह्मणों या विद्वानों का नहीं है, सवाल इस बात का है कि जाति-प्रथा ने आदमी और आदमी के बीच दीवार खड़ी की है, और इसे मज़बूत करने की कोशिश हो रही है। जहां से विवाद खड़ा हुआ,वो मुम्बई में संत रविदास जयंती के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जाति-प्रथा की विसंगति पर चोट करते हुए यह बात कही थी। ‘कठौती में गंगा’ का मंत्र सिखाने वाले संत रविदास ने तो मनुष्यता का ही एक संदेश दिया था, जो आज भारत की आवश्यकता है। यानी मनुष्य मात्र की आवश्यकता। मोहन भागवत संत रविदास के इसी संदेश की बात कर रहे थे। यह दुर्भाग्य ही है कि मोहन भागवत की यह बात भी विवादों के घेरे में आ गयी । ब्राह्मणों को यह शिकायत है कि भागवत ने ...
मदनी : इस्लाम जन्मा भारत में ?

मदनी : इस्लाम जन्मा भारत में ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
डॉ. वेदप्रताप वैदिक जमीयत उलेमा-ए-हिंद के मुखिया महमूद मदनी के बयान पर इधर हंगामा मचा हुआ है। हमारे टीवी चैनलों पर आजकल यही सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है। मदनी के इस कथन का कोई एतिहासिक प्रमाण नहीं है कि ‘‘इस्लाम का जन्म-स्थान अरब देश नहीं, भारत है। पहले नवी का जन्म भारत में ही हुआ है। यह मुसलमानों की मातृभूमि है। इस्लाम को विदेशी मजहब मानना एतिहासिक दृष्टि से गलत है और बिल्कुल निराधार है।’’ ये वाक्य मदनी ने पढ़कर सुनाए थे, जमीयत के 34 वें अधिवेशन में। यों तो मदनी अपने आप में उत्तम वक्ता हैं लेकिन यह समझ में नहीं आया कि ये विवादास्पद वाक्य उन्होंने पढ़कर क्यों सुनाए? हो सकता है कि जैसे हमारे बड़े नेताओं के भाषण उनके अफसर लिखकर दे देते हैं और वे उन्हें श्रोताओं के सामने पढ़ डालते हैं, वैसे ही यह गलती मदनी से भी हो गई है। लेकिन इस गलती के पीछे छिपी भावना को समझने की कोशिश की जाए तो लगेगा क...
मौलाना मदनी ने तुर्की की मदद करने के लिए भारत की खूब तारीफ की और इजराइल से संबंध ना रखने की बात कही

मौलाना मदनी ने तुर्की की मदद करने के लिए भारत की खूब तारीफ की और इजराइल से संबंध ना रखने की बात कही

EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय, सामाजिक
उन्होंने कहा कि मैं भारत सरकार से यही अपील करूंगा कि वह इजराइल के साथ अपने संबंधों की समीक्षा करें और इजरायल के साथ संबंध तोड़ कर मुस्लिम देशों के साथ बेहतर संबंध रखें सोचिए इस कौम की सोच कितनी घटिया है तुर्की ने आज तक किसी भी मंच पर भारत का साथ नहीं है तुर्की के मन में आज भी वही टीस है कि जब अंग्रेजों ने अविभाजित भारत में भारतीय सेना की बहादुरी से ऑटोमन साम्राज्य का तख्तापलट कर दिया था और लाल टोपी लगाए तुर्कों को जोकर बना दिया था यह तुर्क यानी ऑटोमन साम्राज्य शान से कहता था कि वह पैगंबर के बनाए गए नक्शे के मुताबिक पूरी दुनिया में इस्लाम का राज लाएगा और फिर ऑटोमन की वहशी दरिंदा सेना कई दिशाओं में निकल पड़ी और उनका काम फसलों को जलाना लोगों का कत्ल करना था ब्रिटेन आयरलैंड छोड़कर लगभग पूरा यूरोप इनके कब्जे में आ गया अफ्रीका में यह हॉर्न ऑफ अफ्रीका तक बढ़ गए थे यानी इजिप्ट लीबिया मोर...
कैसे भारत में निवेश का केंद्र बना यूपी

कैसे भारत में निवेश का केंद्र बना यूपी

BREAKING NEWS, Current Affaires, Today News, TOP STORIES, राज्य, विश्लेषण
आर.के. सिन्हा भगवान राम और कृष्ण की पवित्र जन्मस्थली के रूप में जाना जाने वाला उत्तर प्रदेश अपने बिलकुल नए अवतार में भारत और दुनिया के शीर्ष व्यापारिक घरानों को निवेश करने के लिए आकर्षित कर रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में मुकेश अंबानी से लेकर कुमार मंगलम बिड़ला, टाटा समूह के एन. चंद्रशेखर से लेकर ज्यूरिख एयरपोर्ट एशिया के सीईओ डेनियल बिचर समेत कॉर्पोरेट जगत की कई दिग्गज हस्तियां ना केवल मौजूद थी बल्कि उन्होंने राज्य में कुल मिलाकर 33.50 लाख करोड़ की राशि के निवेश की घोषणा की। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में निवेश प्रस्तावों के लागू होने से 92.50 लाख (9.25 मिलियन) रोजगार के अवसर पैदा होंगे। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 में 33.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को प्राप्त करने व...
भारतीयों को मॉरीशस क्यों प्रिय है?

भारतीयों को मॉरीशस क्यों प्रिय है?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, राष्ट्रीय, सामाजिक
*विनीत नारायणअफ्रीकी महाद्वीप के दक्षिण-पूर्व तट से से लगभग 900 किलोमीटर दूर हिंद महासागर के तट पर और मेडागास्करके पूर्व में स्थित द्वीपीय देश मॉरीशस भारतीयों के लिए काफ़ी आकर्षक स्थान है। अपने झील, झरनों, हरे भरेजंगलों व प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर मॉरीशस हर नवविवाहित जोड़े के लिए बरसों से हनीमून मनाने का स्थानबन हुआ है। परंतु क्या आप जानते हैं कि इसके अलावा भी एक कारण है जिसके लिये मॉरीशस भारतीयों को बहुतप्रिय है।सुंदर पर्यटक स्थल होने के कारण मॉरीशस में केवल हनीमून मनाने वाले पर्यटक ही नहीं आते। बल्कि ‘टैक्स हैवन’के नाम से मशहूर इस छोटे से द्वीप पर हर उस व्यक्ति की नज़र बनी रहती है जो किसी न किसी तरह से भारत मेंआयकर की चोरी करना चाहता है। चूँकि भारत और मॉरीशस के बीच हुए ‘दोहरे करारोपण संधि’ के तहतभारतीय कंपनियां मॉरीशस की किसी कंपनी से समझौता कर भारत में एफडीआई के द्वारा निवेश करवा लेती...
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

TOP STORIES, धर्म
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंगश्रीरामचरितमानस में शिव-पार्वती विवाह प्रसंग सिव पद कमल जिन्हहि रति नाहीं। रामहि ते सपनेहुँ न सोहाहीं।।बिनु छल बिस्वनाथ पद नेहू। राम भगत कर लच्छन एहू।।श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड १०४-३दो.- संकरप्रिय मम द्रोही सिव द्रोही मम दास।ते नर करहिं कलप भरि घोर नरक महुँ बास।।श्रीरामचरितमानस लंकाकाण्ड दोहाश्रीराम एवं शिवजी का आपस में एक-दूसरे के प्रति घनिष्ठ प्रेम-भक्ति-श्रद्धा जगत् प्रसिद्ध है। शिवजी श्रीरामकथा श्रवण करने हेतु महर्षि अगस्त्य के आश्रम गए तथा सतीजी सहित श्रीरामकथा का श्रवण किया। सतीजी शिवजी के समझाने के उपरान्त श्रीराम के चरित्र एवं उनकी लीलाओं को पहिचान नहीं सकी। अंत में उनकी परीक्षा लेने चली गई। श्रीरामजी की लीला-परीक्षा लेकर लौट आईं। सतीजी ने शिवजी से परीक्षा की बात बताई नहीं। शिवजी ने ध्यान लगने पर सब जान लिया। सतीजी द्वारा सीताजी का रूप धारण क...