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Author: dindiaadmin

Tata strategy of Manda

Tata strategy of Manda

BREAKING NEWS, आर्थिक
As a Prof. of Strategy, for past 3 years I knew it was a matter of time before the situation exploded. Cyrus Mistry never had a chance as Ratan Tata handed over to him nothing short of a financial disaster. I assure you the worst is yet to come, and the blame will be wrongly placed on Cyrus's shoulders. And, am tempted to say that I told you so in 2014 ! Excerpt from my Case study published (ref. 314-361-1) at The Case Center, U.K. in 2014 M&A Melodrama at Tata Group : Frenzy to Freeze In 2004, the 'sweet n shy' Tata group embarked on an uncharacteristic pursuit. In a radical departure from an average of one acquisition each year during 1995-2003, the group carried out 51 mergers and acquisitions during 2004-08 i.e. one M&A deal every 35.8 days for 5 years in a row. It may we...
“मिशन 2018” का बजट

“मिशन 2018” का बजट

addtop, राज्य
  मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह की सरकार राजनीतिक रूप से पहले ही मिशन 2018 के मूड में आ चुकी थी. अब सूबे का नया बजट भी अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव के रंग में रंगा हुआ नजर आ रहा है. वित्तमंत्री जयंत मलैया द्वारा वित्त वर्ष 2017-18 के लिये पेश किये गये बजट में 2018 के जीत की चाभी तलाशने की कोशिश गयी है. यह घोषणाओं से भरपूर बजट है जिसके जरिए सभी को साधने की कोशिश की गई है. बजट में शहरी गरीबों के लिये पांच रुपये में भोजन, विधवा महिलाओं के लिये पेंशन और प्रदेश सरकार के कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग का लाभ देने जैसी घोषणायें दक्षिण के राजनीति की याद दिलाती हैं. इस लोक लुभावन बजट में कोई नया “कर” नहीं लगाया गया है और शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया गया है.मुख्यमंत्री द्वारा चलाये जा रहे नर्मदा सेवा यात्रा को भी ख़ास महत्त्व देते हुए इसके लिए धन की कमी ना होने देने...
Delhi Media Is Hurting Brand India With Distortions

Delhi Media Is Hurting Brand India With Distortions

addtop, BREAKING NEWS, विश्लेषण
There has been a worrisome tendency over the last two years of Delhi-based media using highly local events, mostly in Delhi, to broad-brush the entire country as religiously intolerant; increasingly intolerant; as Freedom of Expression (FOE) and our rights being under attack; becoming increasingly communal; becoming fascist, etc. The good citizens of India are perplexed, hurt and angry at being so branded. The same media also brands citizens who do not agree with their India view as communal, intolerant, Bhakts, internet Hindus and the like, reducing the space for a genuine debate on multiple issues. Local incidents are blown up as All-India issues. Known and unknown political leaders who hold strong extreme views have often had mics thrust into their faces and their vi...
SCIENTIFIC REASON BEHIND HINDU TRADITION

SCIENTIFIC REASON BEHIND HINDU TRADITION

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Joining Both Palms Together To Greet In Hindu culture, people greet each other by joining their palms – termed as “Namaskar.” The general reason behind this tradition is that greeting by joining both the palms means respect. However, scientifically speaking, joining both hands ensures joining the tips of all the fingers together; which are denoted to the pressure points of eyes, ears, and mind. Pressing them together is said to activate the pressure points which helps us remember that person for a long time. And, no germs since we don’t make any physical contact!   2. Why Do Indian Women Wear Toe Ring image courtesy Wearing toe rings is not just the significance of married women but there is science behind it. Normally toe rings are worn on the second toe. A particular nerve f...
Eight anti-India intellectuals and academics you must be aware of

Eight anti-India intellectuals and academics you must be aware of

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1. Angana Chatterji Books: Violent Gods: Hindu Nationalism in India’s Present; Narratives from Orissa Land and Justice: The Struggle for Cultural Survival in Orissa Pronouncements:  In Gujarat, Hindu extremists killed 2,000 people in February-March of 2002. Muslims live in fear there, victims of pathological violence. Raped, lynched, torched, ghettoised. A year and half later, Muslims in Gujarat are afraid to return to their villages, many still flee from town to town. Ghosts haunted by history. Country, community, police, courts — institutions of betrayal that broker their destitution. This is India today. Grassroots movements in resistance to the debacle of nation making are combating the sangh. Where Dalits, Adivasis and others are allied in subalt...
नारी अस्तित्व एवं अस्मिता पर धुंधलके क्यों?

नारी अस्तित्व एवं अस्मिता पर धुंधलके क्यों?

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सम्पूर्ण विश्व में नारी के प्रति सम्मान एवं प्रशंसा प्रकट करते हुए 8 मार्च का दिन उनकी सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में, उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन से पहले और बाद में हफ्ते भर तक विचार विमर्श और गोष्ठियां होंगी जिनमें महिलाओं से जुड़े मामलों जैसे महिलाओं की स्थिति, कन्या भू्रण हत्या की बढ़ती घटनाएं, लड़कियों की तुलना में लड़कों की बढ़ती संख्या, गांवों में महिला की अशिक्षा एवं शोषण, महिलाओं की सुरक्षा, महिलाओं के साथ होने वाली बलात्कार की घटनाएं, अश्लील हरकतें और विशेष रूप से उनके खिलाफ होने वाले अपराध को एक बार फिर चर्चा में लाकर वाहवाही लूट ली जायेगी। लेकिन इन सबके बावजूद एक टीस से मन में उठती है कि आखिर नारी कब तक भोग की वस्तु बनी रहेगी?  उसका जीवन कब तक खतरों से घिरा रहेगा? बलात्कार, छेड़खानी, भूण हत्या और दहेज की धधकती आग में वह कब तक भस्म होती रहेगी? कब तक...
मौलिक भारत की नयी राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन

मौलिक भारत की नयी राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन

BREAKING NEWS, प्रेस विज्ञप्ति
सम्मानित साथियों सादर प्रणाम। आशा है आप स्वस्थ व सानन्द होंगे। साथियों, मौलिक भारत की नयी राष्ट्रीय कार्यकारणी के गठन हेतू बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी की महत्वपूर्ण बैठक दिनांक 04/03/2017 को  कार्यलय -  A - 74,सेक्टर 2 में आयोजित की गयी। यह तय किया गया कि धीरे धीरे एक छाया मंत्रिमण्डल का निर्माण कर केंद्र सरकार के कामकाज पर पूरी नज़र रखते हुए उन्हें सुझाव दिए जाएंगे। मोदी सरकार के ' न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन' की नीति को कार्यरूप में लाने के लिए लगातार सरकारीकरण को कम कर निजी और स्थानीय क्षेत्र को सशक्त करने के सुझाव एवं कार्ययोजना भी सरकार को दी जायेगी।  3.देश की दो तिहाई विपन्न जनता के उत्थान के लिए इनका रोजगरपरक विकास जो ग्राम और कृषि आधारित हो और पर्यावरपूरक हो के विकास के लिए कार्य किया जायेगा।   4.ग्राम स्वराज्य यानि स्थानीय निकायों का सशक्तिकरण, कृषि आधारित उद्योग धंधों का ...
होली के रंगों का आध्यात्मिक महत्व

होली के रंगों का आध्यात्मिक महत्व

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होली भारत का एक विशिष्ट सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक त्यौहार है। अध्यात्म का अर्थ है मनुष्य का ईश्वर से संबंधित होना या स्वयं का स्वयं के साथ संबंधित होना है। इसलिए होली मानव का परमात्मा से एवं स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार का पर्व है। होली रंगों का त्यौहार है। रंग सिर्फ प्रकृति और चित्रों में ही नहीं हमारी आंतरिक ऊर्जा में भी छिपे होते हैं, जिसे हम आभामंडल कहते हंै। एक तरह से यही आभामंडल विभिन्न रंगों का समवाय है, संगठन है। हमारे जीवन पर रंगों का गहरा प्रभाव होता है, हमारा चिन्तन भी रंगों के सहयोग से ही होता है। हमारी गति भी रंगों के सहयोग से ही होती है। हमारा आभामंडल, जो सर्वाधिक शक्तिशाली होता है, वह भी रंगों की ही अनुकृति है। पहले आदमी की पचहान चमड़ी और रंग-रूप से होती थी। आज वैज्ञानिक दृष्टि इतनी विकसित हो गई कि अब पहचान त्वचा से नहीं, आभामंडल से होती है। होली का अवसर अध्यात्म के लोगों के...
Friend, father & philosopher of black money is Chidambaram

Friend, father & philosopher of black money is Chidambaram

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Palaniappan Chidambaram, whom I shall for the sake of brevity call just Chidambaram, is best seen through black and white. And please don’t get me wrong and accuse me of racism. I refer not to epidermis or mane, but to the economic colour of money. Some of his greatest contributions to the economy of India are his brilliant pioneering initiatives for changing the colour of money from black to white. And this passion has never left him. Many of us have forgotten the Voluntary Disclosure of Income Scheme (VDIS) 1997, which he announced when he was Finance Minister with the United Front government, granting income-tax defaulters indefinite immunity from prosecution under the Foreign Exchange Regulation Act, 1973, Income Tax Act, 1961, Wealth Tax Act, 1957, and Companies Act, 1956, in excha...
दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

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देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री लोहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल ने पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर कहा था कि भारत के इतिहास का एक नया अध्याय हमारे सामने खुल रहा है। हमारे पास अपने आप को बधाई देने की वजह है कि हम सब इस मुबारक मौके के भागीदार बन रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व का भी अवसर है। लेकिन इस गौरव बोध और जश्न के साथ हमें अपने कर्तव्यों और दायित्वों को भी याद रखने की जरूरत है। हमें अपने-अपने दिल व दिमाग को साफ करके खुद से, नए गणराज्य से और देश से यह वादा करना चाहिए कि हम ईमानदार आचरण करेंगे। हमें याद रखने की जरूरत है कि हम कौन हैं, हमें क्या विरासत मिली है और हमने क्या हासिल किया है? राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि नकदी रहित लेन-देन होने से अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी। 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2016-17 की शुरूआत में ...