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Author: dindiaadmin

Implementation rules for India’s first fuel consumption norms for cars is full of holes, says CSE

Implementation rules for India’s first fuel consumption norms for cars is full of holes, says CSE

TOP STORIES, प्रेस विज्ञप्ति
Centre for Science and Environment (CSE) has found serious loopholes in the recently released draft rules for measuring and monitoring compliance with the new fuel consumption standards for passenger cars to be enforced for the first time in India this year. India, so far, is the only major vehicle producing region in the world that has not implemented fuel efficiency norms for vehicles. While these norms were notified way back in 2015, rules for compliance with the norms have just been proposed by the Union Ministry of Road Transport and Highways for implementation this year. Says Anumita Roychowdhury, executive director-research and advocacy, CSE: “The proposed compliance rules have allowed number of concessions for the car industry to score extra points for certain technologies for c...
राहुल- प्रियंका का खर्च आप क्यों उठाएं?

राहुल- प्रियंका का खर्च आप क्यों उठाएं?

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कुछ माह पहले राजधानी के आरटीआई एक्टिविस्ट आशीष भट्टाचार्य की एक आरटीआई  का जो जवाब भारत सरकार  ने दिया से पता चला कि प्रियंका गांधी को लुटियन दिल्ली के 35 लोधी एस्टेट के शानदार बंगले का मासिक किराया मात्र 8,888 रुपये ही देना पड़ता है। यह छह कमरे और दो बड़े हालों का विशाल बंगला है। कई एकड़ में फैला है। ऊंची दीवारें हैं। जगह-जगह सुरक्षा पोस्ट बने हुए हैं। सुरक्षा प्रहरी २४ घंटे तैनात रहते हैं। यह भी ठीक है कि उनकी भी सुरक्षा अहम है। वे कम से कम नेहरु-गाँधी परिवार की वंशज तो हैं ही। पर उनसे इतना कम किराया क्यों लिया जा रहा है? इतने कम किराए पर राजधानी में एक कमरे का फ्लैट मिलना भी कठिन है। और जब प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा का अपना सैंकड़ों करोड़ का लंबा-चौड़ा कारोबार है। वे स्वयं सक्षम हैं, तो फिर उनसे इतना कम किराया सरकार क्यों लेती है। जाहिर है, देश की जनता को इस सवाल का जवाब तो चाहिए ही।...
स्वस्थ भारत ने बनाया कलगी को स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का गुडविल एंबेसडर

स्वस्थ भारत ने बनाया कलगी को स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का गुडविल एंबेसडर

प्रेस विज्ञप्ति
कहते हैं कि बालक-बालिकाओं में हुनर की कमी नहीं होती, जरूरत होती है उसे तराशने की, सही मार्गदर्शन की। एक बार उन्हें सही मार्गदर्शन मिल जाए तो वो अपनी मंजिल खुद ही बना लेती हैं। ऐसी ही एक नेत्रहीन बालिका हैं कलगी रावल। कलगी जन्मजात नेत्रहीन हैं। बावजूद इसके उन्होंने अपनी जिंदगी में अंधेरे अपने पास फटकने नहीं दिया। 10 वीं परीक्षा डायरेक्ट दीं और 76 फीसद अंकों से उतीर्ण हुईं। इतना ही नहीं उन्होंने अमेरिका जाकर 10000 ऑडियंस के बीच अपनी बात को रखा। रेडियो जॉकी के रूप में काम किया। सुगम्य भारत अभियान को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने अपने जैसी बालिकाओं की सेवा करने की ठानी है और कल्गी फाउंडेशन के जरीए यह काम कर रही हैं। गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली कलगी के इसी आत्मविश्वास ने उन्हें स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का गुडविल एंबेसडर बनाया है। भारत भ्रमण पर निकली स्वस्थ भारत यात्रा दल ने अपने अभियान के लिए कल...
जंग-ए-आज़ादी का दूसरा सबसे बड़ा बलिदान था तारापुर गोलीकांड

जंग-ए-आज़ादी का दूसरा सबसे बड़ा बलिदान था तारापुर गोलीकांड

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    भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की चर्चा आते ही हमें याद आता है ‘बलिदान’ | मूछों पर ताव देते पंडित चंद्रशेखर आज़ाद, पगड़ी पहने सरदार भगत सिंह, जलियांवाला बाग में अंग्रेजों की गोलियों से गिरते लोग ये सभी दृश्य कौंधने लगते हैं मन में | एक ऐसा ही रोमांचित कर देने वाला घटनाक्रम आज आपसे साझा करना चाहता हूँ | इतिहास की स्मृति में धुंधला से गए कुछ पन्नों का पुनर्पाठ करना चाहता हूँ ताकि भारत की आन-बान-शान के लिए कुर्बान हो गए उन वीरों का ऋण चूकाने की कोशिश कर सकें | यह कहानी है बिहार के मुंगेर जिला अंतर्गत “ तारापुर थाना “ की, जहाँ 15 फरवरी 1932 की दोपहर सैकड़ों आजादी के दीवाने तिरंगा लहराने निकल पड़े | ब्रिटिश साम्राज्य के  यूनियन जैक की जगह राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगा “ फहराने के उन्माद में तारापुर के अमर सेनानियों का दल हाथों में झंडा और होठों पर वंदे मातरम की गूंज लिए आगे बढ़ रहा थ...
पर्यावरण एवं विस्थापन राजनैतिक पार्टियों का मुद्दो से गायब है!

पर्यावरण एवं विस्थापन राजनैतिक पार्टियों का मुद्दो से गायब है!

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उत्तराखंड के लोग अपना पांचवा राज्य विधानसभा चुनने जा रहे है। हमने पाया कि बांध व अन्य बड़ी परियोजनायें, खदान, शराब, बेरोजगारी, पर्यटन, इत्यादि के कारण हो रहा विस्थापन का वास्तविक मुद्दे है। ये सब राजनैतिक पार्टियों के एजेंडा में शामिल नहीं है। जून 2013 की त्रासदी से प्रभावित लोग अभी भी ठीक तरीके से ना बसाये गये है ना ही सभी को क्षतिपूर्ति मिली है। इन सब  मुद्दों के अलावा, वे उन मुद्दों को उठा रहे है जो की अस्तित्व में ही नहीं है और न ही उत्तराखंड के लोगों एवं हरे-भरे वातावरण संबघी रोजाना की समस्याओं को हल कर सकेंगें। उत्तराखंड एक हरा-भरा, नदियों खासतौर से राष्ट्रीय नदी गंगा और पांचधाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, और हेमकुंड साहिब) वाला हिमालयी राज्य है। कोई भी राजनैतिक पार्टी, यहाँ के स्रोतों से बड़े लोगों को छोड़कर, स्थानीय लोगो का भला करने वाले, विकास के रोडमैप के साथ नहीं ...
चुनावी अनुष्ठान में अनिवार्य मतदान जरूरी क्यों?

चुनावी अनुष्ठान में अनिवार्य मतदान जरूरी क्यों?

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उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर मतदाता को अपने भाग्य का फैसला करने का अधिकार मिला है। यदि मतदाता सशक्त  और स्वस्थ लोकतंत्र चाहता है तो उसे कम-से-कम मतदान में उत्साह का प्रदर्शन करना होगा और अधिकतम मतदान को संभव बनाना होगा। मतदान के प्रति मतदाता की उदासीनता ने ही लोकतंत्र को कमजोर बनाया है। अनेक मोर्चाें पर अधिकतम मतदान के लिये प्रयास किये जा रहे हैं, विशेषतः युवापीढ़ी इसके लिये जागरूक हुई है यह एक शुभ संकेत है। यही कारण है कि विधानसभा चुनावों के पहले चरण में पंजाब और गोवा में क्रमशः 78.6 और 83 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके लिए चुनाव आयोग और ‘आओ मतदान करे’-अभियान से जुडे़ विभिन्न पक्ष बधाई के पात्र है। चुनाव आयोग को तो इसके लिये व्यापक प्रयत्न करने ही होंगे, जैसाकि इस बार उसने गोवा में पहली बार मतदान करने वाली लड़कियों को टैडी बियर और लड़कों को पेन बां...
हिंदू फारसी तो दलित गैर संवैधानिक शब्द

हिंदू फारसी तो दलित गैर संवैधानिक शब्द

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आज हमारे देश में दो शब्दों को लेकर समाज में एक बड़ी भ्रांति फैली हुई है। पहला हिंदू और दूसरा दलित। ये दोनों शब्द समाज की संरचना में दो विपरित ध्रुव के वाहक के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है। दो अलग-अलग ध्रुवों की पहचान के चलते ही ये दोनों शब्द न केवल समाजगत बाधाओं में उलझे हुए है बल्कि समय-समय पर विवाद के रूप में भी सामने आए है। इसके इतर इन शब्दों की समाज के अलग- अलग वर्ग और दायरों में (दलित-गैर दलित ) अपना स्थान है। दलित शब्द की पहचान भारत के संदर्भ में ख्यात है तो हिंदू शब्द की पहचान हिंदुस्तानी संदर्भ। ऐसा मेरा मानना नही है बल्कि यह समाज में प्रचलित मान्यताओं के आधार पर अपनी पहचान बनाए हुए है। हालाकि यह एक सच भी हो सकता है क्योंकि आज हमारा देश दो वर्ग व दो विचारधाराओं में बट़ा हुआ है। एक विचारधारा उस भारत की पक्षधर है जो गरीबी, गैर बराबरी, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय की पक्षधर है वो...
माँ त्रिपुरा कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग की छात्राओं के बीच पहुँची स्वस्थ भारत यात्रा टीम

माँ त्रिपुरा कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग की छात्राओं के बीच पहुँची स्वस्थ भारत यात्रा टीम

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भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर गंधिस्मृति एवं दर्शन समिति के मार्गदर्शन में निकली स्वस्थ भारत यात्रा टीम ने आज माँ त्रिपुरा कॉलेज ऑफ़ नर्सिंग की बालिकाओं को स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का सन्देश दिया. छात्राओं को संबोधित करते हुए स्वस्थ भारत न्यास के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि आपलोग नर्सिंग की छात्रा हैं, आप के ऊपर देश के स्वास्थ्य की बड़ी जिम्मेदारी हैं. सही मायने में स्वस्थ भारत की सिपाही आप ही लोग हैं. छात्राओं को उन्होंने antibaiotic के दुरूपयोग को लेकर भी जागरुक किया. साथ ही उनसे शुभ लाभ की अवधारणा पर इलाज करने का संकल्प कराया. इस अवसर पर गांधीवादी चिंतक कुमार कृष्णन ने भी अपनी बात रखी. स्वस्थ भारत यात्री दल ने कॉलेज की तीन छात्राओं को स्वस्थ भारत की ओर से स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज का गूडविल अम्बेसडर मनोनीत किया. गौरतलब है की झाबुआ प्रवास के प्रथम दिन भी उत्क...

“अलिफ़” के अधूरे सबक

विश्लेषण
मुस्लिम समाज में शिक्षा की चुनौती जैसे भारी-भरकम विषय को पेश करने का दावा, "लड़ना नहीं, पढ़ना जरूरी है” का नारा और जर्नलिस्ट से फिल्ममेकर बना एक युवा फिल्मकार, यह सब मिल कर किसी भी फिल्म के लिए एक जागरूक दर्शक की उत्सुकता जगाने के लिए काफी हैं. निर्देशक ज़ैगम इमाम के दूसरी फिल्म 'अलिफ'  के साथ ना तो कोई बड़ा बैनर हैं और ना ही बड़ा स्टारकास्ट, इसलिए छोटे बजट से बनी इस फिल्म की विषयवस्तु ही इसकी खूबी हो सकती थी लेकिन दुर्भाग्य से फिल्म अपने विषयवस्तु के भार को झेल नहीं पाती है और एक अपरिपक्व सिनेमा बन कर रह जाती है. कहानी का केंद्र बनारस है जहाँ दोषीपुरा के एक मुस्लिम बहुल बस्ती में हकीम रज़ा का परिवार रहता है. उनका बेटा अली अपने दोस्त शकील के साथ पास के एक मदरसे में हाफ़िज़ (पूरा कुरआन कठंस्थ कर लेना) की पढ़ाई करता है. सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहता है इस बीच हकीम रज़ा की बहन ज़हरा रज़ा जिन्हें दंगों के...
इंदौर की पांच वालिकाएं बनीं ‘स्वस्थ वालिका स्वस्थ समाज’ की गुडविल एम्बेसडर

इंदौर की पांच वालिकाएं बनीं ‘स्वस्थ वालिका स्वस्थ समाज’ की गुडविल एम्बेसडर

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स्वस्थ भारत यात्रा के इंदौर पहुंचने पर इंदौर प्रेस क्लब में आयोजित समारोह में ईवा ऑर्गनाइजेशन की ओर से स्वागत किया गया। आयोजित समारोह में स्वस्थ भारत यात्रा के प्रकल्पक आशुतोष कुमार सिंह ने कहा कि बालिकाओं के सेहत के सवाल की लगातार अनदेखी हो रही है। लोगों की संवेदना को झकझोरने और सामाजिक नजरिया बदलने के मकसद से यह यात्रा भारत छोड़ो आंदोलन के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में की जा रही है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अंग्रेजों को भगाने के लिए भारत छोड़ों आंदोलन की शुरूआत की थी उसी तरह हमारे साथियों ने देश से बीमारी को भगाने के लिए एवं बालिकाओं के स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की परिकल्पना की है। उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य के सवाल पर लोगों का जागरूक होना जरूरी है। इस परिप्रेक्ष्य में ‘अपनी दवा को जाने’ और जेनरिक मेडिसिन को लेकर चलाये जा रहे मुहिम की विस्तार से जा...