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Author: dindiaadmin

पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक

पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक

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रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों को हल करने में लगेंगे कई साल, वैकल्पिक और टिकाऊ तरीकों पर विचार करना बुद्धिमानी। किसानों को उर्वरकों के उपयोग की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षित करें, जिसमें सही मात्रा, समय और उपयोग की तकनीकें शामिल हैं। जो किसान अधिक ज्ञान प्राप्त करेंगे वे निर्णय लेने में बेहतर ढंग से सुसज्जित होंगे। लक्षित सब्सिडी कार्यक्रमों को लागू करें जो छोटे और हाशिए पर रहने वाले किसानों को समर्थन देने पर केंद्रित हों जो वित्तीय बाधाओं का सामना कर रहें हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सब्सिडी उन लोगों को दी जाए जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। विशेष फसल और मिट्टी की आवश्यकताओं के आधार पर उर्वरक के उपयोग को अधिकतम करने के लिए, मिट्टी परीक्षण और पोषक तत्व प्रबंधन रणनीतियों जैसी सटीक कृषि तकनीकों के कार्यान्वयन को बढ़ावा दें। इससे पर्यावरण और उपयोग पर नकारात्मक प्रभा...
नया साल मनायें लेकिन सावधानी से : बेटे बेटियों को समझाकर भेजें

नया साल मनायें लेकिन सावधानी से : बेटे बेटियों को समझाकर भेजें

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पिछले साल हत्या और बलात्कार की दर्जनों घटनाएँ घटीं थीं : दिल्ली में एक बेटी को मीलों घसीटा था --रमेश शर्मा नया साल आने वाला है । पूरा देश उत्सव मनायेगा । महानगरों में सभी बार, होटल रेस्टोरेंट बुक हो चुके हैं । पहाड़ों पर जाने के लिये भी कतारें लग गईं हैं । उत्सव मनाएँ लेकिन सावधानी बरतें । पिछले साल अकेली दिल्ली में हत्या, बलात्कार आदि के 19 बड़े अपराध घटे थे । कांजीवली में तो एक बेटी को 14 किलोमीटर तक घसीटा था ।वर्ष 2023 का समापन की घड़ी आ गई और 2024 की झलक दिखने लगी । दुनियाँ के साथ भारत में भी नववर्ष के स्वागत की तैयारी हो रही है । चारों ओर ये नजारे दिख रहे हैं। मीडिया में नववर्ष तैयारी की खबरें आने लगीं। तैयारी होटल, बार रेस्टोरेंट आदि में बहुत अधिक है । अंग्रेज ठंडे देश के रहने वाले थे । वे क्रिसमस की इन छुट्टियों में मंसूरी नैनीताल आदि ठंडे पहाड़ों पर जाया करते थे । अंग्रे...
गालिबने 1857 के गदर पर क्यों कलम नहीं उठाई

गालिबने 1857 के गदर पर क्यों कलम नहीं उठाई

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आर.के. सिन्हा मिर्जा मोहम्मद असादुल्लाह बेग खान यानी  मिर्जा गालिब एक से बढ़कर एक कालजयी शेर कहते हैं। कौन सा हिन्दुस्तानी होगा जिन्हें गालिब साहब के कहे “हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसीं, कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले...” और “हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त, लेकिन, दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है...” जैसे शेरों को सुन-सुनकर आनंद ना मिलता हो। गालिब अपनी शायरी में वे सारे दुख, तकलीफ और त्रासदियों का जिक्र करते हैं जिससे वे महान शायर बनते हैं। लगता है कि गालिब में भी एक आम आदमी की कई कमजोरियाँ थीं। ग़ालिब ने अपने जीवन में भी कई दुःख देखे। उनके सात बच्चे थे लेकिन सातों की मृत्यु हो गई थी। उनकी माली हालत तो कभी बहुत बेहतर नहीं रही। वे जीवनभर किराए के घर में ही रहे। दिल्ली-6 में जहाँ  ...
26 दिसम्बर : वीर बाल दिवस

26 दिसम्बर : वीर बाल दिवस

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गुरु गोविन्द सिंह के साहबजादों को दी गई क्रूर यातनाओं और बलिदान का स्मृति दिवस --रमेश शर्मा दिसम्बर माह की 21 से लेकर 27 के बीच गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्रों को दी गई क्रूरतम यातनाओं और बलिदान की स्मृतियाँ तिथियाँ हैं। ऐसा उदाहरण विश्व के किसी इतिहास में नहीं मिलता। इनमें 26 दिसम्बर के दिन दो अवोध साहबजादों का बलिदान हुआ। ये बलिदान राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा के लिये हुये । इस वर्ष यह दिवस वीर बाल दिवस के रूप में स्मरण किया जा रहा है ।सनातन संस्कृति और परंपराओं की रक्षा केलिये भारत में असंख्य बलिदान हुये हैं। इनमें कुछ परिवार ऐसे हैं जिनकी पीढ़ियों का बलिदान इस राष्ट्र, धर्म और संस्कृति की रक्षा केलिये हुआ । गुरु गोविन्द सिंह की वंश परंपरा है जिनकी पीढियों के बलिदान इतिहास पन्नों में दर्ज है । इसमें गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्रों को दी गई क्रूरतम यातनाएँ और बलिदान का व...
भारत का खजाना भरते सात समंदर पार बसे भारतीय

भारत का खजाना भरते सात समंदर पार बसे भारतीय

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भारत का खजाना भरते सात समंदर पार बसे भारतीय आर.के. सिन्हा अपने वतन से सात समंदर दूर कामकाज के लिए गए भारतीयों ने देश के खजाने को लबालब भर दिया है। उन्होंने चालू साल 125 बिलियन डॉलर यानी करीब 136 अरब रुपये भारत में भेजे। विश्व बैंक की हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से बाहर रहने वाले लाखों भारतीयों ने साल 2022 की तुलना में 11 फीसद अधिक धन चालू साल में स्वदेश भेजकर अपने  देश से प्रेम का सशक्त परिचय़ दिया।  भारत के बाद   मेक्सिको और चीन  को अपने देशवासियों से पैसा मिला। हालांकि, भारत की तुलना में इन दोनों देशों को अपनी आबादी के अनुपात में बहुत कम धन मिला। मेक्सिकों को 67 बिलियन और चीन को मात्र 50 बिलियन डॉलर मिले। बात बहुत साफ है कि संसार के कोने-कोने में रहने वाले भारतीयों ने अपने देश...
डाक्टर और जानलेवा लापरवाही ?

डाक्टर और जानलेवा लापरवाही ?

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भारतीय संसद द्वारा हाल ही में भारतीय न्याय संहिता में जो बदलाव किया गया है वह डॉक्टरों के लिये तो निश्चय ही राहतकारी है, लेकिन यदि वास्तव में जानलेवा लापरवाही होती है तो क्या मरीज को न्याय मिल सकेगा? कुछ लोग इस फैसले की तार्किकता पर सवाल उठाते हैं। दरअसल, भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 में किसी लापरवाही से होने वाली मौत के लिये जुर्माने के अलावा पांच साल की सजा का प्रावधान है। इसके साथ ही इलाज में लापरवाही के प्रकरण में चिकित्सकों को राहत देते हुए इस सजा को घटाकर अधिकतम दो साल व जुर्माना कर दिया गया है। सरकार की दलील है कि लोगों के इलाज करने वाले चिकित्सकों को अनावश्यक दबाव से बचाने के लिये भारतीय मेडिकल एसोसिएशन के आग्रह पर यह कदम उठाया गया है, लेकिन वहीं जानकार मानते हैं कि मरीजों के जीवन रक्षा के अधिकार का भी सम्मान होना चाहिए। संसद के शीतकालीन सत्र में अभूतपूर्व हंगामे और निलं...
भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के बारे में आईएमएफ की चिंता उचित नहीं

भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के बारे में आईएमएफ की चिंता उचित नहीं

EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक, विश्लेषण
भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के बारे में आईएमएफ की चिंता उचित नहीं हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के सम्बंध में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि भारत का ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात वर्ष 2028 तक यदि 100 प्रतिशत के स्तर को पार कर जाता है तो सम्भव है कि भारत की विकास दर पर इसका विपरीत प्रभाव होने लगे। हालांकि भारत का ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात वर्ष 2020 में 88.53 प्रतिशत तक पहुंच गया था, क्योंकि पूरे विश्व में ही कोरोना महामारी के चलते आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई थी। परंतु, इसके बाद के वर्षों में भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात में लगातार सुधार दृष्टिगोचर है और यह वर्ष 2021 में 83.75 प्रतिशत एवं वर्ष 2022 में 81.02 प्रतिशत के स्तर पर नीचे आ गया है। साथ ही, भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के वर्ष 2028 में 80.5 प्रतिशत के निचले स्तर पर...
क्यों जरुरी था अयोध्या का भव्य विकास?

क्यों जरुरी था अयोध्या का भव्य विकास?

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-विनीत नारायणX (ट्विटर) पर एक पोस्ट देखी जिसमें अयोध्या में रामलला के विग्रह को रज़ाई उढ़ाने का मज़ाक़ उड़ाया गया है।उस पर मैंने निम्न पोस्ट लिखी जो शायद आपको रोचक लग। वैष्णव संप्रदायों में साकार ब्रह्म की उपासना होती है।उसमें भगवान के विग्रह को पत्थर, लकड़ी या धातु की मूर्ति नहीं माना जाता। बल्कि उनका जागृत स्वरूप मानकरउनकी सेवा- पूजा एक जीवित व्यक्ति के रूप में की जाती है।ये सदियों पुरानी परंपरा है। जैसे श्रीलड्डूगोपाल जी के विग्रह को नित्य स्नान कराना, उनका शृंगार करना, उन्हेंदिन में अनेक बार भोग लगाना और उन्हें रात्रि में शयन कराना। ये परंपरा हम वैष्णवों के घरों में आज भी चलरही है। ‘जाकी रही भावना जैसी-प्रभु मूरत देखी तीन तैसी।’इसीलिए सेवा पूजा प्रारंभ करने से पहले भगवान के नये विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। इसका शास्त्रों मेंसंपूर्ण विधि विधान है। जैसा अब रामलला के विग्रह की अ...
विकास बिना संस्कार, विनाश का आधार!

विकास बिना संस्कार, विनाश का आधार!

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संघ और भाजपा की विकास नीति सफल हो रही है यह देख कर आनंद होता है। इस से गांधीवादी , रामराज्यवादी , कौटिल्यवादी, जेपीभक्त, और हिन्दुवादी ये सभी फूले नहीं समा रहे है। कांग्रेसी, कौम्युनिस्ट, और अत्याधुनिक वोकवादी लूटे पिटे से फिर रहे हैं। भविष्य में विश्व गुरु भारत का वसुधैव कुटुंब साकार होता लगता है। कोई शक?यस सर।भीषण विकास अमरीका में हुआ। सन् पचास से। आज अमरीका कहाँ है? ऋण के कूप में !!!हर प्रकार का ऋण , केवल आर्थिक ही नहीं !! उन मौलिक जातियों का , प्रवासी जातियों का, और बौद्धिक संस्कृतियों का, जिन्होंने अमरीकी राष्ट्र का निर्माण किया। ऋण चुकाने की बजाए अमरीकी सत्ता की नीति ऋण दाताओं को दमन या युद्ध से दुर्बल करने की है जिसका परिणाम आत्मघात है। चीन भी लगभग उसी प्रक्रिया का शिकार है।क्या यह सब देख कर भारत के कर्णधारों की आँखें नहीं खुल जानी चाहिए? अमरीका-यूरोप ने ग्रीक सिद्धांत, अ...
यह रणनीति चिंताजनक है

यह रणनीति चिंताजनक है

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अवधेश कुमारनिस्संदेह यह अभूतपूर्व अप्रिय स्थिति है। संसद सत्र का समापन होने तक दोनों सदन के 141 सांसद निलंबित किये जा चुके थे। इसके पहले आजाद भारत में कभी भी इतने सांसदों का निलंबन नहीं हुआ था। लोकसभा में आईएनडीआईए के कुल 138 सांसदों में से 95 तथा राज्यसभा में 95 सांसदों में से 46 को निलंबित किया गया। इस तरह आईएनडीआईए के लगभग दो तिहाई सदस्य लोकसभा से निलंबित रहे। केवल 43 सदस्य निलंबित नहीं हुए । मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के 48 में से केवल 9 सदस्य ही सदन में रह गए जिनमें पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी शामिल हैं। यह केवल दुर्भाग्यपूर्ण नहीं बल्कि भयभीत करने वाली स्थिति है। संसद हमारे संसदीय लोकतंत्र की शीर्ष इकाई है तो उसके सदस्य माननीय सांसदों का कद इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में कितना बड़ा है इसके बारे में बताने की आवश्यकता नहीं है। नीति निर्माण की भूमिका के साथ अपने गरिमापूर्ण आच...