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संस्कृति और अध्यात्म

भारत के लिए नया सिरदर्द

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इन दिनों मुसीबतों के कई छोटे-मोटे बादल भारत पर एक साथ मंडरा रहे हैं। कोरोना, चीन और तालाबंदी की मुसीबतों के साथ-साथ अब लाखों प्रवासी भारतीयों की वापसी के आसार भी दिखाई पड़ रहे हैं। इस समय खाड़ी के देशों में 80 लाख भारतीय काम कर रहे हैं। कोरोना में फैली बेरोजगारी से पीड़ित सैकड़ों भारतीय इन देशों से वापस भारत लौट रहे हैं। यह उनकी मजबूरी है लेकिन बड़ी चिंता का विषय यह है कि इन देशों के शासकों पर दबाव पड़ रहा है कि वे विदेशी कार्मिकों को भगाएं ताकि स्थानीय लोगों के रोजगार में बढ़ोतरी हो सके। इन देशों के कई उच्चपदस्थ शेखों से आजकल जब मेरी बात होती है तो वे यह कहते हुए पाए जाते हैं कि उनके बच्चे अभी-अभी विदेशों से पढ़कर लौटे हैं लेकिन अपने ही देश में सब अच्छी नौकरियों पर विदेशियों ने कब्जा कर रखा है। इस प्रपंच पर इधर सबसे पहले ठोस हमला किया है, कुवैत ने। कुवैत में कुवैतियों की संख्या सिर्फ 13 लाख है जब...
आहत भावनाओं का comfort zone

आहत भावनाओं का comfort zone

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मशहूर सिटकॉम Big Bang Theory के एक एपिसोड में उसका एक किरदार Howard बताता है कि इस हफ्ते वो मशहूर भौतिक विज्ञानी Stephen Hawking से काम के सिलसिले में मिलने वाला है। दोस्तों के इस बारे में बताते हुए Howard, Hawking की मिमिक्री भी करके दिखाता है। हम सभी जानते हैं कि 21 साल की उम्र में Hawking मोटर न्यूरॉन डिसीज का शिकार हो गए थे और वो स्पीच सिंथेसाइजर की मदद से बोलते थे जिसके कारण उनकी आवाज़ अलग तरह से सुनाई देती थी। हॉकिंग की मिमिक्री करते हुए Howard उनके इसी अलग अंदाज़ की नकल करता है। अब आप सोचिए एक शख्स जो पिछले सौ सालों का महानतम भौतिक विज्ञानी हैं। जो बचपन की एक बीमारी की वजह से अपनी आवाज़ खो बैठा है। एक मशहूर सिटकॉम शो के क्रिएटर उसे अपने शो में सेलिब्रीटी की हैसियत से बुलाते हैं और इतनी छूट भी ले लेते हैं कि बीमारी से उपजी उसकी एक कमज़ोरी का मज़ाक भी उड़ा पाएं! और उससे...
क्या विज्ञान पर राजनैतिक हस्तक्षेप भारी पड़ रहा है?

क्या विज्ञान पर राजनैतिक हस्तक्षेप भारी पड़ रहा है?

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भारत सरकार के भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद (आईसीएमआर) ने 2 जुलाई 2020 को कहा था कि 15 अगस्त 2020 (स्वतंत्रता दिवस) तक कोरोना वायरस रोग (कोविड-19) से बचाव के लिए वैक्सीन के शोध को आरंभ और समाप्त कर, उसका "जन स्वास्थ्य उपयोग" आरंभ किया जाए. क्योंकि यह फरमान भारत सरकार के सर्वोच्च चिकित्सा शोध संस्था से आया था, इसलिए यह अत्यंत गंभीर प्रश्न खड़े करता है कि क्या विज्ञान पर राजनैतिक हस्तक्षेप ने ग्रहण लगा दिया है? भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद ने अगले दिन ही स्पष्टीकरण दिया कि उसने यह पत्र इस आशय से लिखा था कि वैक्सीन शोध कार्य में कोई अनावश्यक विलम्ब न हो. परन्तु सबसे बड़े सवाल तो अभी भी जवाब ढूंढ रहे हैं. पिछले सप्ताह एक संसदीय समिति को विशेषज्ञों ने बताया कि वैक्सीन संभवत: 2021 में ही आ सकती है (15 अगस्त 2020 तक नहीं). विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामी...

साइकल्स फॉर चेंज से लौटेगी अब साइकिल

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कोरोना काल में साइकिल का क्रेज आये दिन बढ़ रहा है। अब लॉकडाउन के कारण बदली जीवन शैली और पर्यावरण के प्रति लोग अधिक जागरूक हो रहे हैं।तभी तो साइकिल की खरीदारी भी बढ़ रही है। आज युवाओं के अलावा इंजीनियर, प्रोफेसर, डॉक्टर, रिटायर कर्मचारी और प्रोफेशनल लोग भी सेहत बढ़ाने के लिए साइकिल की खरीदारी करने लगे हैं। कोरोना संकट के दौर में परिवहन के लिए साइकिल मुफीद साधन है। इस काल में साइकिल की सवारी सस्ती और सुलभ होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिहाज से भी मुफीद है। पर हमारी सरकारों ने नगर नियोजन में साइकिलों के बारे में बहुत कम सोचा है। आधुनिक चमक-दमक के पीछे भागने वाला भारतीय मध्य वर्ग वैसे भी साइकिलों पर चलना हेठी समझता है. पर आज अब कोरोना काल में साइकिल बहुत सारी समस्याओं का समाधान है। दरअसल, हमारी सोच ही अभिजात वर्ग की तरह हो चली है। हम सड़कों का निर्माण कार य...
स्वामी विवेकानन्द थे भारतीयता की संजीवनी बूंटी

स्वामी विवेकानन्द थे भारतीयता की संजीवनी बूंटी

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महापुरुषों की कीर्ति किसी एक युग तक सीमित नहीं रहती। उनका मानवहितकारी चिन्तन एवं कर्म कालजयी होता है और युगों-युगों तक समाज का मार्गदर्शन करता है। स्वामी विवेकानंद हमारे ऐसे ही एक प्रकाश-स्तंभ हैं, वे भारतीय संस्कृति एवं भारतीयता के प्रखर प्रवक्ता, युगीन समस्याओं के समाधायक, अध्यात्म और विज्ञान के समन्वयक एवं आध्यात्मिक सोच के साथ पूरी दुनिया को वेदों और शास्त्रों का ज्ञान देने वाले एक महामनीषी युगपुरुष थे। जिन्होंने 4 जुलाई 1902 को महासमाधि धारण कर प्राण त्याग दिए थे। स्वामी विवेकानन्द का संन्यास एवं संतता संसार की चिन्ताओं से मुक्ति या पलायन नहीं था। वे अच्छे दार्शनिक, अध्येता, विचारक, समाज-सुधारक एवं प्राचीन परम्परा के भाष्यकार थे। काल के भाल पर कुंकुम उकेरने वाले वे सिद्धपुरुष हंै। वे नैतिक मूल्यों के विकास एवं युवा चेतना के जागरण हेतु कटिबद्ध, मानवीय मूल्यों के पुनरुत्थान के सजग ...
सबकी सुख समृद्धि के लिए होता है नवसंवत्सर

सबकी सुख समृद्धि के लिए होता है नवसंवत्सर

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जो सभ्यता अपने इतिहास पर गर्व करती है, अपनी संस्कृति को सहेज कर रखती है और अपनी परंपराओं का श्रद्धा से पालन करके पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ाती है वो गुज़रते वक्त के साथ बिखरती नहीं बल्कि और ज्यादा निखरती जाती है। जब चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा के सूर्योदय के साथ सम्पूर्ण भारत के घर घर में लोग अपने इष्टदेवी देवता का अपनी अपनी परंपरा अनुसार पूजन करके नवसंवत्सर का स्वागत कर रहे होते हैं, तो विश्व इस सनातन संस्कृति की ओर कौतूहल से देख रहा होता है। क्योंकि कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से पूर्वोत्तर तक लोग इस दिन को उगादि, नवरेह, नवरात्र, गुढ़ी पड़वा, जैसे त्योहारों के रूप में मना रहे होते हैं, पावन नदियों की पूजा कर रहे होते हैं, मंदिरों में मंत्रोच्चार के साथ शंखनाद और घंटनाद चल रहा होता है, तो यह पूजन अपने लिए नहीं होता। क्योंकि अपने लिए जब मनुष्य पूजा करता है तो अकेले कर लेता है कभी भी कर लेता ह...
शिव हैं संसार और संन्यास के समन्वय

शिव हैं संसार और संन्यास के समन्वय

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महाशिवरात्रि- 21 फरवरी 2020 पर विशेष भगवान शिव आदिदेव है, देवों के देव है, महादेव हैं। सभी देवताओं में वे सर्वोच्च हैं, महानतम हैं, दुःखों को हरने वाले हैं। वे कल्याणकारी हैं तो संहारकर्ता भी हैं। प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुण मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है, जो शिवत्व का जन्म दिवस है। यह शिव से मिलन की रात्रि का सुअवसर है। इसी दिन निशीथ अर्धरात्रि में शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। इसीलिये यह पुनीत पर्व सम्पूर्ण देश एवं दुनिया में उल्लास और उमंग के साथ मनाया जाता है। यह पर्व सांस्कृतिक एवं धार्मिक चेतना की ज्योति किरण है। इससे हमारी चेतना जाग्रत होती है, जीवन एवं जगत में प्रसन्नता, गति, संगति, सौहार्द, ऊर्जा, आत्मशुद्धि एवं नवप्रेरणा का प्रकाश परिव्याप्त होता है। यह पर्व जीवन के श्रेष्ठ एवं मंगलकारी व्रतों, संकल्पों तथा विचारों को अपनाने की प्रेरणा देता है। भ...
मंदिरों में घूमती है  ब्रज की होली

मंदिरों में घूमती है ब्रज की होली

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यशोदानंद आनंदकंद, श्री कृष्ण चन्द्र की इस क्रीड़ास्थली में जिन स्थलों पर भगवान श्रीकृष्ण ने लीलाएं की वे तीर्थ बन गए । कहीं उसे मंदिर का प्रतीक दिया गया तो कहीं वन और कहीं उपवन का । भगवत् कृपा प्रसाद की प्राप्ति की आशा से ही ब्रज के त्यौहारों के प्रमुख केन्द्र से मंदिर बने हुए हैं । होली भी इसी श्रृंखला मंे मंदिरों के इर्द-गिर्द घूमती है । ब्रज के मंदिरों में वैसे तो होली की शुरूआत बसंत से होती है, जब मंदिरों में गुलाल की होली प्रारंभ हो जाती है, किन्तु होली को गति फाल्गुन की प्रथमा को मिलती है जब मंदिर द्वारिकाधीश में रसिया गायन शुरू हो जाता है । अष्टमी में चैत्रमास प्रारंभ होने तक प्रत्येक दिवस होली की अपनी अलग ही पंखुडी लाता है । प्रकृति ने तो सातों रंगों को प्रधानता दी है किन्तु ब्रज की होली में तो अनगिनत रंग हैं । अनगिनत रंग-बिरंगी पंखुड़ियां बरसाने की लठामार होली से लेकर पुरानी गोकु...
बंगला कृत्तिवास रामायण और उसके अल्पज्ञात प्रसंग

बंगला कृत्तिवास रामायण और उसके अल्पज्ञात प्रसंग

संस्कृति और अध्यात्म
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग बंगला कृत्तिवास रामायण और उसके अल्पज्ञात प्रसंग नास्ति गंगासमं तीर्थं नास्ति मातृसमो गुरु:। नास्ति विष्णूसमो देवो नास्ति रामायणात्परम्।। रामायण-माहात्म्य ५.२१ गंगा के समान तीर्थ, माता के तुल्य गुरु, भगवान् विष्णु के सदृश देवता तथा रामायण से बढ़ कर कोई श्रेष्ठ वस्तु नहीं है। वाल्मीकीय रामायण से प्रभावित होकर भारत की अनेक भाषाओं में श्रीरामकथा किसी न किसी रूप में लिखी गई है। वाल्मीकीय रामायण को आधार बनाकर बंगला भाषा में 'कृत्तिवास रामायणÓ गोस्वामी तुलसीदासजी विरचित श्रीरामचरितमानस से लगभग १०० वर्ष पूर्व लिखी गई। जिस समय कृत्तिवास रामायण की रचना की गई उस समय संस्कृत भाषा के अनेक आचार्यों-विद्वानों द्वारा उनके इस रचना के कार्य की आलोचना तथा निंदा की। कालान्तर में उसी कृत्तिवास रामायण के महाकाव्य ने बंगाली जनता का हृदय जीत लिया जिसके परिणामस्वरूप आज अम...
गुजराती भाषा में गिरधर रामायण तथा अल्पज्ञात प्रसंग

गुजराती भाषा में गिरधर रामायण तथा अल्पज्ञात प्रसंग

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श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग गुजराती भाषा में गिरधर रामायण तथा अल्पज्ञात प्रसंग जब तक हमारी भारत भूमि में गंगा और कावेरी प्रवाहमान है, तब तक सीताराम की कथा भी आबाल, स्त्री, पुरुष सबमें प्रचलित रहेगी, माता की तरह हमारी जनता की रक्षा करती रहेगी। (चक्रवर्ती श्री राजगोपालाचार्य जी) भारत में अनेक भाषाएँ, बोली और लिखी जाती हैं। इन भाषा और बोलियों में हमारी विभिन्नता न होकर राष्ट्रीय एकता परिलक्षित होती है। हमारी यह भारतीयता का निर्माण मातृभूमि प्रेम, हमारे रीतिरिवाज, हमारी संस्कृति, हमारी कलाओं, हमारे साहित्य आदि से हुआ है। भारतीय भाषाओं में वर्णित श्रीरामकथा में अनेक अनमोल रत्न छुपे पड़े हुए हैं। श्री गिरधरदासजी द्वारा विरचित गुजराती रामायण गुजराती भाषा का सर्वोत्तम श्रीराम कथा काव्य है। गिरधरदासजी का जन्म लाड़ वैश्य परिवार में बड़ौदा (वड़ोदरा) गुजरात के ग्राम मासर में ई. १७८५ मे...