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बिजली की खपत बढी, आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी ?

बिजली की खपत बढी, आर्थिक गतिविधियों में बढ़ोतरी ?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीने (अप्रैल-जनवरी) के दौरान देश की बिजली की खपत सालाना आधार पर 7.5 प्रतिशत बढ़कर 1,354.97 बिलियन यूनिट (बीयू) हो गई है। इससे देशभर में आर्थिक तेजी के संकेत है।केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र की कुछ ऊर्जा कंपनियों की सहायकों को सूचीबद्ध कराने पर विचार कर रही है। निवेश व सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडे ने शुक्रवार को ये संकेत दिए हैं, उन्होंने कहा कि हमारी महत्त्वपूर्ण कंपनियों में से कुछ की सहायकों के पास बाजार में उतरने के काफी मौके हैं। ऊर्जा क्षेत्र में सहजता से ट्रांजिशन हो रहा है। ऊर्जा कंपनियां हरित परिसंपत्ति के लिए सहायकों का सृजन कर इस ओर बढ़ रही हैं। इसमें वृद्धि की काफी संभावनाएं हैं और ये तेजी से आगे बढ़ रही हैं। वैसे ये कंपनियां पूंजी बाजार में आईपीओ लाकर कुछ धन जुटा सकती हैं। दीपम सचिव ने भी कहा है कि बा...
भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव की ब्यार पर प्रश्नचिन्ह क्यों?

भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव की ब्यार पर प्रश्नचिन्ह क्यों?

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भारत में पिछले एक दशक में, विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में, अतुलनीय सुधार दृष्टिगोचर है और भारतीय अर्थव्यवस्था आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ ही विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था भी बन गई है। आगे आने वाले लगभग पांच वर्षों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, ऐसा आंकलन विश्व के कई वित्तीय एवं आर्थिक संस्थान कर रहे हैं। आज विश्व के कई देश पूंजीवादी मॉडल से निराश होकर भारतीय आर्थिक मॉडल को अपनाने की बात करने लगे हैं क्योंकि सनातन संस्कृति पर आधारित भारतीय आर्थिक मॉडल पश्चिमी आर्थिक मॉडल की तुलना में बेहतर माना जा रहा है। परंतु, दुर्भाग्य से भारत में कुछ राजनैतिक दल एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हुए भारत में हाल ही के समय में हुई आर्थिक प्रगति को कमतर आंकते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था ...
अब भारत से ब्रेन ड्रेन को कम करने का समय आ गया है

अब भारत से ब्रेन ड्रेन को कम करने का समय आ गया है

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अभी हाल ही में इजराईल ने हमास के साथ छिड़े युद्ध के बाद भारत से एक लाख कामगारों को इजराईल भेजने का आग्रह किया है क्योंकि लगभग इतनी ही संख्या में फिलिस्तीन के नागरिक इजराईल में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे थे। हालांकि, इजराईल द्वारा भारत से मांगे गए एक लाख कामगारों की संख्या में इंजीनियर भी शामिल हैं। इसी प्रकार ताईवान ने भी घोषणा की थी कि उसे लगभग एक लाख भारतीय इंजीनियरों की आवश्यकता है। इसके पूर्व जापान ने भी लगभग 2 वर्ष पूर्व घोषणा की थी कि वह 2 लाख भारतीय इंजीनियरों की भर्ती जापान में विभिन्न कम्पनियों में करेगा। एक अन्य समाचार के अनुसार, माक्रोसोफ्ट के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री सत्या नंडेला एवं गूगल के मुख्य कार्यपालन अधिकार श्री सुंदर पिचाई भी प्रयास कर रहे हैं कि इनकी कम्पनियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किस प्रकार भारतीय इंजीनियरों की भर्...

अन्नदाता आंदोलनरत है क्यों?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, आर्थिक, राष्ट्रीय, समाचार
देश का अन्नदाता खेत की जगह सड़क पर आंदोलनरत है।यदि राजनीति और अन्य दुराग्रहों को नजरअंदाज कर दें तो देश के लिये अन्न उगाने वाले किसानों का अपनी मांगों के लिये सड़क पर आना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जायेगा। भले ही 2020-21 में हुए लंबे किसान आंदोलन के दौरान होने वाली हिंसक घटनाओं और लाल किले प्रकरण के मद्देनजर केंद्र व हरियाणा सरकार सख्ती दिखा रही हो, लेकिन फिर किसानों के लिये मार्ग में भारी-भरकम अवरोध लगाने और कीलें बिछाने की कार्रवाई को अच्छा नहीं कहा जा सकता है। निस्संदेह,प्रशासन के सामने कानून-व्यवस्था का प्रश्न होता है और ऐसे आंदोलन के दौरान अराजक तत्वों की दखल का अंदेशा बना रहता है। आम नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे उपाय जरूरी हो सकते हैं मगर सवाल यह है कि ऐसी स्थिति आती ही क्यों है? प्रश्न यह है कि समय रहते किसानों के जायज मुद्दों पर संवेदनशील पहल क्यों नहीं हुई ? तीन कृषि कान...
खाली हाथ बजट …..

खाली हाथ बजट …..

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 स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत। 2024 का अंतरिम बजट प्रशासनिक रवायत है क्योंकि पूर्ण बजट तो जुलाई में आएगा‚ जिस पर नई सरकार का रिपोर्ट कार्ड़ स्पष्ट नजर आएगा। व्यवसायों को फलने-फूलने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने, पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग के उत्थान की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि विकास न्यायसंगत, टिकाऊ और हरित हो, विकास की गुणवत्ता पर ध्यान दें। सरकार को बड़ी-बड़ी योजनाओं पर ध्यान देने की बजाय स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक सुधार पर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि ये गरीबों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं हैं, लेकिन यह इस तथ्य से दूर नहीं है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा बजट बेहद अपर्याप्त हैं, भले ही ये सेवाएं खराब बुनियादी ढांचे, भारी रिक्तियों और अपर्याप्...
पूंजीगत खर्च बढ़ाने के बावजूद वित्तीय घाटे को कम करना बजट की सफलता है

पूंजीगत खर्च बढ़ाने के बावजूद वित्तीय घाटे को कम करना बजट की सफलता है

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Community-verified icon वर्ष 2024 में लोक सभा चुनाव होने जा रहे हैं, अतः केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पेश किए गए बजट में भारी भरकम घोषणाओं से बचते हुए दिनांक 1 फरवरी 2024 को लोकसभा में वोट ओन अकाउंट पेश किया। लोक सभा चुनाव के सम्पन्न होने के पश्चात एक बार पुनः वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट माननीया वित्त मंत्री महोदया द्वारा लोक सभा में पेश किया जाएगा। इस तरह से परम्परा का निर्वहन ही किया गया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 वर्ष के लिए पेश किए किए गए बजट की मुख्य विशेषता यह है कि पूंजीगत व्यय को बढ़ाने के बावजूद वित्तीय घाटे को कम करने का सफल प्रयास किया गया है।  वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए पेश किए गए केंद्रीय बजट में 7.5 लाख करोड़ रुपए के पूंजीगत व्यय का प्रावधान किया गया था। इसे वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए गए बजट में बढ़ाकर 10 लाख करोड़ रुपए का कर द...
अयोध्या में प्रभुश्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारत की आर्थिक विकास दर जा सकतीहै 10 प्रतिशत के पार

अयोध्या में प्रभुश्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारत की आर्थिक विकास दर जा सकतीहै 10 प्रतिशत के पार

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किसी भी देश में आर्थिक विकास को अतुलनीय गति देने में केवल 10 वर्ष का समय बहुत कम माना जाता है। इतिहास गवाह है कि कई देशों को आर्थिक विकास की रफ्तार को गति देने में दशकों लग जाते हैं। चीन ने वर्ष 1980 का आसपास अपने देश में आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किए थे परंतु इनका परिणाम दशकों बाद दिखाई दिया था, लगभग यही स्थिति अन्य देशों की भी रही है। परंतु, भारत ने पिछले केवल 10 वर्षों के दौरान अर्थ के कई क्षेत्रों में पूरे विश्व को राह दिखाई है। भारत में आधारभूत ढांचे को विकसित करने पर विशेष ध्यान दिया जा गया है क्योंकि किसी भी देश के आर्थिक विकास को गति देने में आधारभूत ढांचे का विकसित अवस्था में होना अति आवश्यक माना जाता है। भारत में वर्ष 2013 में केवल 4,100 किलोमीटर रेल्वे लाइन का विद्युतीकरण किया जा सका था जो वर्ष 2023 में बढ़कर 28,100 किलोमीटर का हो गया है। राष्ट्रीय हाईवे भी वर्ष 2014 क...
वित्तीय वर्ष 2024 में भारत की आर्थिक विकास दर का सही आंकलन नहीं कर पा रहे हैं विदेशी वित्तीय संस्थान

वित्तीय वर्ष 2024 में भारत की आर्थिक विकास दर का सही आंकलन नहीं कर पा रहे हैं विदेशी वित्तीय संस्थान

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वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद के बारे में विदेशी वित्तीय संस्थान अभी भी व्यावहारिक रूख नहीं अपना पा रहे हैं। विभिन्न वित्तीय संस्थानों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर 6 से 6.5 प्रतिशत रह सकती है। जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्रथम तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 7.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है और द्वितीय तिमाही में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। आगामी दो तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर यदि 5.5 प्रतिशत भी रहती है तो यह पूरे वित्तीय वर्ष के लिये 6.5 प्रतिशत से ऊपर रहने वाली है। परंतु, केंद्र सरकार एवं कुछ राज्य सरकारों द्वारा किए जा रहे पूंजीगत खर्चों, ग्रामीण इलाकों के बढ़ रही उत्पादों की मांग, विभिन्न कम्पनियों की लगातार बढ़ रही लाभप्रदता, वस्तु एवं सेवा कर संग्रहण एवं प्रत्यक्ष कर संग्रहण में वृद्धि दर को देखते हुए इस ...
वर्ष 2023 में आर्थिक क्षेत्र में भारत की कुछ विशेष उपलब्धियां रही हैं

वर्ष 2023 में आर्थिक क्षेत्र में भारत की कुछ विशेष उपलब्धियां रही हैं

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वर्ष 2023 मेंआर्थिकक्षेत्रमेंभारतकीकुछविशेषउपलब्धियांरहीहैं वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर लगभग 7 प्रतिशत के आसपास रहने की प्रबल सम्भावनाएं बन रही हैं। इस वर्ष की प्रथम तिमाही, अप्रेल-जून 2023, में आर्थिक विकास दर 7.8 प्रतिशत की रही है, वहीं द्वितीय तिमाही,  जुलाई- सितम्बर 2023 में 7.6 प्रतिशत की रही है। इसी प्रकार, दीपावली त्यौहार पर लगभग 4 लाख करोड़ रुपए के व्यापार के चलते एवं अक्टोबर 2023 माह में विनिर्माण के क्षेत्र में विकास दर के 12 प्रतिशत से ऊपर रहने से इस वर्ष की तृतीय तिमाही, अक्टोबर-दिसम्बर 2023, में भी आर्थिक विकास 7 प्रतिशत रह सकती है। इससे पूरे वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत रहने की प्रबल सम्भावनाए बन रही हैं। जबकि, विश्व के कई अन्य विकसित देशों में मंदी की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इस प्रकार भारत वर्ष 2023 में भी लगातार व...

भारत के ऋण-जीडीपी अनुपात के बारे में आईएमएफ की चिंता उचित नहीं है

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हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के सम्बंध में चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि भारत का ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात वर्ष 2028 तक यदि 100 प्रतिशत के स्तर को पार कर जाता है तो सम्भव है कि भारत की विकास दर पर इसका विपरीत प्रभाव होने लगे। हालांकि  भारत का ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात वर्ष 2020 में 88.53 प्रतिशत तक पहुंच गया था, क्योंकि पूरे विश्व में ही कोरोना महामारी के चलते आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई थी। परंतु, इसके बाद के वर्षों में भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात में लगातार सुधार दृष्टिगोचर है और यह वर्ष 2021 में 83.75 प्रतिशत एवं वर्ष 2022 में 81.02 प्रतिशत के स्तर पर नीचे आ गया है। साथ ही, भारत के ऋण: सकल घरेलू उत्पाद अनुपात के वर्ष 2028 में 80.5 प्रतिशत के निचले स्तर पर आने की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। यदि अन्य देशों के ऋण: सकल घरे...