विभाजन विभीषिका : षड्यंत्र और संदिग्ध भूमिकाएं
~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटलद्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद अंग्रेजों को देश से खदेड़ने के लिए भारत की जनता आर- पार की लड़ाई में आ चुकी थी। राष्ट्रीयता के मन्त्र से दीक्षित स्वातन्त्र्य वीर-वीराङ्गनाएँ राष्ट्र की स्वतन्त्रता प्राप्त कर लेने के लिए उद्यत हो चुके थे। स्वातन्त्र्य वीर सावरकर - नेताजी सुभाष चन्द्र बोस आदि की विचार भूमि पर आधारित सशस्त्र क्रान्ति के आन्दोलन से अंग्रेज भयभीत हो चुके थे। इसी बीच जब अंग्रेजों को यह स्पष्टता हो गई कि वे अधिक दिन भारत में शासन नहीं कर सकते हैं। तो वे ब्रिटिश कैबिनेट मिशन के रूप में भारत में हिन्दुस्तानी सरकार की घोषणा के लिए अंग्रेज बाध्य हो गए। इस सम्बन्ध में ध्यातव्य है कि “द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन की कमजोर स्थिति ने भारत में स्वतंत्रता की राह सरल कर दी थी। जल्दी ही भारत के स्टेट सेक्रेटरी, पैथिक लारेंस ने 19 फरवरी 1946 को स्वशासन की ...