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ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई

ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई

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ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक कार्रवाई - डॉ सत्यवान सौरभ भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादियों के 9 ठिकानों को नष्ट किया, जिसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रमुख आतंकवादी संगठनों के हेडक्वार्टर भी शामिल थे। भारतीय सेना ने 100 किलोमीटर तक पाकिस्तान की सीमा में घुसकर आतंकवादी अड्डों पर सटीक एयरस्ट्राइक की। साथ ही, भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराया। इस ऑपरेशन ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत अपनी सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। जय हिंद! भारत ने हाल ही में पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के खिलाफ एक ऐतिहासिक सैन्य ऑपरेशन "ऑपरेशन सिंदूर" को अंजाम दिया, जो केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारतीय सेना की ताकत, साहस और...
(संघर्ष से शांति तक का सफर) “युद्ध से युद्धविराम तक: भारत-पाक रिश्तों की बदलती तस्वीर”

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(संघर्ष से शांति तक का सफर) "युद्ध से युद्धविराम तक: भारत-पाक रिश्तों की बदलती तस्वीर" 10 मई 2025 को, भारत और पाकिस्तान ने एक पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमति व्यक्त की, जो हाल के वर्षों में सबसे गंभीर संघर्ष के बाद हुआ। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद सैन्य तनाव बढ़ा था। अमेरिकी राष्ट्रपति की मध्यस्थता में हुई वार्ता के बाद, दोनों देशों ने इस संघर्ष को समाप्त करने का निर्णय लिया। हालांकि, सीमा पर स्थायी शांति अभी भी एक बड़ी चुनौती है। सच्ची शांति तब तक संभव नहीं है जब तक कि दोनों देश आपसी विश्वास, संवाद और सहयोग को प्राथमिकता न दें। युद्धविराम केवल एक कदम है, पर स्थायी शांति की दिशा में कई और कदम बढ़ाने की जरूरत है। Pakistan will have to give up its anti-India policy in the interest of its citizens भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंध हमेशा से...
सेना के साथ खड़ा भारत, सत्ता के लिए लड़ता पाकिस्तान

सेना के साथ खड़ा भारत, सत्ता के लिए लड़ता पाकिस्तान

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सेना के साथ खड़ा भारत, सत्ता के लिए लड़ता पाकिस्तान संजय सक्सेना,वरिष्ठ पत्रकार हाल के वर्षाे में भारतीय राजनीति में जिस तरह से सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच हर मुद्दे पर तलवारें खींची नजर आती थी,उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिस तरह से दोनों धड़ों में एकजुटता देखने को मिल रही है,उससे देश की आम जनता काफी खुश है,वहीं पाकिस्तान में इसके उलट नजारा नजर आ रहा है। पड़ोसी मुल्क में विपक्ष लगातार प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को कोसने और उन्हें नाकाबिल नेता साबित करने में लगा है। मोदी और शरीफ की तुलना शेर और सियार के रूप में की जा रही है। बहरहाल,भारत के लिये यह सुखद है कि आतंकवाद के खिलाफ मोदी सरकार के हर कदम पर विपक्ष बिना किसी शर्त के पूरी मजबूती से खड़ा है। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले और उसके जवाब में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद पूरे राजनीतिक परिदृश्य में ए...
पाकिस्तान को अपने नागरिकों के हित में अपनी भारत विरोधी नीति को छोड़ना ही होगा

पाकिस्तान को अपने नागरिकों के हित में अपनी भारत विरोधी नीति को छोड़ना ही होगा

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पाकिस्तान को अपने नागरिकों के हित में अपनी भारत विरोधी नीति को छोड़ना ही होगा पाकिस्तान के जन्म के साथ ही वहां के राष्ट्रीय दलों एवं नेताओं ने भारत विरोध को अपनी अधिकारिक नीति बना लिया था। पाकिस्तान के आर्थिक विकास पर ध्यान नहीं देते हुए, किसी भी प्रकार भारत के हितों को क्षति पहुंचाई जाए, इस बात पर अधिक ध्यान दिया गया। भारत को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से पाकिस्तान द्वारा कई आतंकवादी संगठन खड़े किए जाते रहे एवं इन संगठनों के आतंकवादी सदस्यों ...
संपूर्ण सनातन भारत ही ‘चेतना’ का लक्ष्य: राजेश चेतन

संपूर्ण सनातन भारत ही ‘चेतना’ का लक्ष्य: राजेश चेतन

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धरती को जहन्नुम बना कर जन्नत के जो सपने दिखाए वो 'काफिर' 'इस्लाम और विश्व शांति' व्याख्यान का आयोजन गले-सड़े कानूनों को तत्काल बदलने की जरूरत संपूर्ण सनातन भारत ही 'चेतना' का लक्ष्य: राजेश चेतन नई दिल्ली। संस्कार को अपनी वास्तविक धरोहर और संपूर्ण सनातन भारत को ही मूल लक्ष्य मानने वाली संस्था चेतना ने राष्ट्रवाद की लौ को और प्रखर करने के लिए रोहिणी में 'इस्लाम और विश्व शांति' व्याख्यान का आयोजन किया। लाला पन्ना लाल सिंघल स्मृति व्याख्यानमाला की यह नौवीं कड़ी थी। जाने माने उद्योगपति अनिल सिंघल व्याख्यान के स्वागताध्यक्ष रहे।ज्वलंत विषय पर वक्ताओं के तथ्यपूर्ण व तार्किक संबोधन से राष्ट्रवाद की भावनाओं का ऐसा सैलाब आया जो सभागार में मौजूद हर किसी को अपने साथ बहा ले गया।वक्ताओं का ओज, आक्रोश और आक्रामक तेवर इस कदर हावी हुए कि बार-बार भारत माता की जय, वंदेमातरम के नारे गूंजते रहे।वक...
सनातन हिंदू धर्म एवं भारत में उत्पन्न समस्त मत पंथ विश्व में शांति चाहते हैं |

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सनातन हिंदू धर्म एवं भारत में उत्पन्न समस्त मत पंथ विश्व में शांति चाहते हैं प्रहलाद सबनानी भारत में सनातन हिंदू धर्म तो अनादि एवं अनंत काल से चला आ रहा है परंतु बाद के खंडकाल में भारत में कई अन्य प्रकार के मत पंथ भी विकसित हुए हैं जैसे बौद्ध धर्म, जैन धर्म, सिख धर्म आदि। भारत में विकसित विभिन्न मत पंथ मूलतः सनातन हिंदू संस्कृति का ही अनुपालन करते हुए दिखाई देते हैं और ऐसा कहा जाता है कि यह समस्त मत पंथ सनातन हिंदू धर्म की विभिन्न धाराएं ही हैं। भारत में विकसित मत पंथ सामान्यतः अपने दर्शन, कर्मकांड एवं सामाजिक ताने बाने के दायरे में अपने धर्म का अनुपालन करते हैं। भारत में हिंदू धर्म के सिद्धांतों पर चलने वाले नागरिकों की संख्या सबसे अधिक हैं एवं यह भारत का सबसे बड़ा धर्म है, जिसमें विभिन्न देवी देवताओं और पूजा प्रथाओं की एक विस्तृत प्रणाली शामिल है। भारत में विकसित हुए मत पंथों म...
सिंदूर की सौगंध: एक था पाकिस्तान: इतिहास के पन्नों में सिमटता सच

सिंदूर की सौगंध: एक था पाकिस्तान: इतिहास के पन्नों में सिमटता सच

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एक था पाकिस्तान: इतिहास के पन्नों में सिमटता सच सिंदूर की सौगंध: 'एक था पाकिस्तान' की गूंज "एक था पाकिस्तान" – ये केवल तीन शब्द नहीं, बल्कि इतिहास की एक गहरी दास्तां है। यह उस विभाजन का प्रतीक है, जिसने दिलों को तोड़ा और घरों को उजाड़ा। लेकिन क्या हमें हमेशा इस नफरत के जाल में फंसे रहना चाहिए? हमें न केवल बाहरी दुश्मनों से, बल्कि अपने भीतर की नफरत से भी लड़ना होगा। तभी एक दिन हम गर्व से कह सकेंगे – हाँ, 'एक था पाकिस्तान', और हम थे, हैं, और रहेंगे – एक, अखंड, अविनाशी भारत। 'एक था पाकिस्तान' - यह केवल तीन शब्द नहीं हैं, बल्कि यह उन अनगिनत कुर्बानियों, टूटे सपनों और संघर्षों की कहानी है, जो भारतीय सभ्यता के दिल में गहरे तक समाई हुई हैं। जब हम यह वाक्य सुनते हैं, तो न केवल एक भूगोल का जिक्र होता है, बल्कि एक पूरी जड़ें, एक परिवार, एक संस्कृति, और एक सपना जो कभी हमारे अपने हिस्से ...
मेरा लेख जाति जनगणना विभाजन का नहीं, विकास का आधार बने

मेरा लेख जाति जनगणना विभाजन का नहीं, विकास का आधार बने

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मेरा लेख जाति जनगणना विभाजन का नहीं, विकास का आधार बने - ललित गर्ग- पहलगाम की क्रूर एवं बर्बर आतंकी घटना के बाद मोदी सरकार लगातार पाकिस्तान को करारा जबाव देने की तैयारी के अति जटिल एवं संवेदनशील दौर में एकाएक जातिगत जनगणना कराने का निर्णय लेकर न विपक्षी दलों को बल्कि समूचे देश को चौकाया एवं चमत्कृत किया है। सरकार का यह निर्णय जितना बड़ा है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। मोदी सरकार का जातिगत जनगणना के लिए तैयार होना सुखद और स्वागतयोग्य है। पिछले कुछ समय से जातिगत जनगणना की मांग बहुत जोर-शोर से हो रही थी। कुछ राज्यों में तो भाजपा भी ऐसी जनगणना के पक्ष में दिखी थी, पर केंद्र सरकार का रुख इस पर बहुत साफ नहीं हो रहा था। अब अचानक ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में राजनीतिक मामलों की उच्चस्तरीय कैबिनेट समिति की बैठक में यह फैसला ले लिया गया। बाद में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडि...
ऐतिहासिक निर्णय है जातिगत जनगणना

ऐतिहासिक निर्णय है जातिगत जनगणना

BREAKING NEWS, EXCLUSIVE NEWS, Link of debates on various news channel participation by Dialogue India Group Editor Anuj Agarwal, Today News, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, धर्म, प्रेस विज्ञप्ति, मल्टीमीडिया, विश्लेषण, समाचार, सामाजिक
ऐतिहासिक निर्णय है जातिगत जनगणनामृत्युंजय दीक्षितजम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों द्वारा धर्म पूछकर किये गये हिन्दू नरसंहार के बाद जनमानस में उपजे आक्रोष और पाकिस्तान पर कार्यवाही की प्रतीक्षा कर रहा आम जनमानस तथा राजनैतिक दल उस समय हैरान रह गए जब केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना कराने का बड़ा निर्णय सुनाया। केंद्र सरकार का यह निर्णय आते ही देश का राजनैतिक विमर्श जातिगत जनगणना पर केन्द्रित हो गया। आमजन यद्यपि यह सोच रहा है कि इस समय जब हम आतंकवादियों के शवों की प्रतीक्षा कर रहे हैं उस समय प्रधानमंत्री जी को ये क्या सूझ पड़ी, किन्तु आश्वस्त है कि प्रधानमंत्री जी ने ऐसा किया है तो अवश्य इसके पीछे कुछ रणनीति होगी। उधर कांग्रेस के नेतृत्व में इंडी गठबंधन इसे अपनी विजय बताकर प्रसन्नता व्यक्त कर रहा है। कांग्रेस तो इतनी आतुर हो गई कि उसने सोशल मीडिया पर, “सरकार उनकी, सिस्टम हमारा” कैप्शन के ...
“इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?”

“इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?”

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"इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?" - प्रियंका सौरभ मुझे यह सोचकर पीड़ा होती है कि आज भी हमारे बच्चों को इतिहास के नाम पर मुग़ल शासकों की गाथाएँ पढ़ाई जाती हैं, जबकि चाणक्य, चित्रगुप्त और छत्रपति शिवाजी जैसे हमारे महान विचारकों और योद्धाओं को पाठ्यक्रम में पर्याप्त स्थान नहीं मिलता। मेरा मानना है कि इतिहास केवल जानने का विषय नहीं, बल्कि आत्मगौरव और पहचान का आधार है। मैं चाहता हूँ कि हमारी आने वाली पीढ़ियाँ अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ें और उन्हें वह शिक्षा मिले जो उनके भीतर आत्मविश्वास और राष्ट्रभक्ति जगाए। “जय सनातन” मेरे लिए केवल नारा नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक संकल्प है। "इतिहास का बोझ: कब तक हमारी पीढ़ियाँ झुकती रहेंगी?" “इतिहास केवल अतीत का आईना नहीं होता, वह आने वाली पीढ़ियों की दृष्टि का आधार भी होता है।” पर अफसोस, भारत के वर्तमान शैक्षणिक ढाँचे में यह आईना...