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अंतराष्ट्रीय स्वरूप हुआ अयोध्या रामलला जन्मस्थान मंदिर का

अंतराष्ट्रीय स्वरूप हुआ अयोध्या रामलला जन्मस्थान मंदिर का

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अंतराष्ट्रीय स्वरूप हुआ अयोध्या रामलला जन्मस्थान मंदिर का* थाईलैंड से मिट्टी आई : दुनियाँ के 155 देशों से जल आया* 80 देशों में सीधा प्रसारण होगा प्राण प्रतिष्ठा समारोह का --रमेश शर्मा अयोध्या में भव्य आकार ले रहे रामजन्म स्थान मंदिर ने अब अंतरराष्ट्रीय स्वरूप ले लिया है । पूरी दुनियाँ में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा दिवस की अधीरता से प्रतीक्षा की जा रही है । निर्माण के लिये 155 देशों से जल आया है, अमेरिका से एक श्रृद्धालु ने दान भेजा है तो थाईलैंड से जल के साथ मिट्टी भी आई है । 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का अस्सी देशों में सीधा प्रसारण होगा ।अयोध्या में बन रहे रामलला जन्म स्थान मंदिर का निर्माण अंतिम चरण में है । यद्यपि भव्यता और पूर्णता के लिये तो लगभग एक वर्ष और लगेगा पर 22 जनवरी को होने वाले रामलला प्राण प्रतिष्ठा आयोजन की लगभग सभी तैयारी हो चुकी है । इस समारोह की...
नरसी मेहता की जन्म जयन्ती- 19 दिसम्बर, 2023 के लिये विशेष

नरसी मेहता की जन्म जयन्ती- 19 दिसम्बर, 2023 के लिये विशेष

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संतकवि नरसी मेहता :परमात्मा नहीं, पर परमात्मा से कम नहीं-ः ललित गर्ग:- नरसी मेहता न केवल गुजराती भक्ति साहित्य बल्कि समूचे राष्ट्र के भक्ति साहित्य की श्रेष्ठतम विभूति थे। उनके कृतित्व और व्यक्तित्व की महत्ता के अनुरूप साहित्य के इतिहास-ग्रंथों में ‘नरसिंह-मीरा-युग’ नाम से एक स्वतंत्र काव्यकाल का निर्धारण किया गया है जिसकी मुख्य विशेषता भावप्रवण कृष्णभक्ति से अनुप्रेरित पदों का निर्माण है। पद-प्रणेता के रूप में गुजराती साहित्य में नरसी का लगभग वही स्थान है जो हिंदी में सूरदास का। ‘वैष्णव जन तो तैणे कहिए जे पीड पराई जाणे रे’ पंक्ति से आरंभ होनेवाला सुविख्यात पद नरसी मेहता का ही है। उन्होंने इस भजन में एक बात अच्छी प्रकार से कह दी है। ‘पर दुःखे उपकार करे’ कह कर भजन में रुक गए होते, तो वैष्णव जनों की संख्या बहुत बढ़ जाती है। ‘पर दुःखे उपकार करे तोए मन अभिमान न आणे रे“ कह कर हम सब में ...
अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर निर्माण से स्थानीय अर्थव्यवस्था को लगेंगे पंख

अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर निर्माण से स्थानीय अर्थव्यवस्था को लगेंगे पंख

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अंततः वह घड़ी भी बहुत करीब आ पहुंची है, जिसका इंतजार हिंदू धर्मावलंबी पिछले लगभग 500 वर्षों से कर रहे हैं। 5 अगस्त 2020 को भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी ने पूजनीय संत मंडल एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सर संघचालक श्री मोहन जी भागवत के सानिध्य में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण की आधारशिला रखी थी। अब दिनांक 22 जनवरी 2024 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ही पूज्य संत मंडल एवं परम पूजनीय सर संघचालक श्री मोहन जी भागवत की उपस्थिति में अयोध्या में नव निर्मित प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर का उद्घाटन करने जा रहे हैं। भारत ही क्या बल्कि पूरे विश्व में ही हिंदू धर्मावलंबी अति उत्साहित हैं एवं पूरे भारत में वातावरण राममय होने जा रहा है।  अयोध्या में निर्माणरत श्रीराम मंदिर पूरे विश्व में निवासरत हिंदू धर्मावलम्बियों के लिए न केवल विशाल आ...
राम हमारे : हरि अनंत हरि कथा अनंता..!

राम हमारे : हरि अनंत हरि कथा अनंता..!

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~कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल हमारी सनातनी परम्परा - संस्कृति श्रेष्ठ जीवन मूल्यों की जननी है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने अपने सम्पूर्ण जीवन चरित्र से राष्ट्र को उसके आदर्श सौंपे हैं। बाल्यकाल से लेकर जीवन के सम्पूर्ण क्रम में प्रभु श्री राम का चरित मनुष्यत्व से देवत्व की साधना का मार्ग प्रशस्त करता है। और उनका मार्ग एकदम सुगम - सहज- सरल तथा मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा का अमृत कुम्भ है। इसी अमृत कुम्भ में ही सम्पूर्ण सृष्टि के कुशल सञ्चालन- शान्ति- समन्वय- साहचर्य की गर्भनाल गड़ी हुई है। दशरथ पुत्र कौशल्या नन्दन बालक राम का बाल्यकाल वर्तमान परिदृश्य के लिए सर्वाधिक प्रेरणादायी है। प्रकृति के पञ्चभूत -पञ्चतत्वों यथा - भूमि, जल,आकाश, अग्नि वायु से लेकर माता -पिता , गुरुजनों, सम्पूर्ण समाज के प्रति जिस आदर एवं श्रद्धा के मानकों को स्थापित किया है ,वह अनुकरणीय है। विद्या अध्ययन के सम...
ईश्वरीय शक्ति का अद्भुत चमत्कार है श्रमिकों का सुरक्षित बाहर निकलना!

ईश्वरीय शक्ति का अद्भुत चमत्कार है श्रमिकों का सुरक्षित बाहर निकलना!

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मृत्युंजय दीक्षितउत्तराखंड राज्य के उत्तरकाशी जिले के पास सिलक्यारा सुरंग में 17 दिन से फंसे आठ राज्यों के 41 कर्मवीरों को 17 दिन बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है । इस खतरनाक हादसे और फिर कर्मवीरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए जिस प्रकार आपरेशन जिंदगी चलाया गया अदभुत जीवटता का कार्य है। श्रमिकों को सुरंग से बाहर निकालने के लिए चलाये जा रहे अभियान पर भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व की दृष्टि थी । अंततः भारत के 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और विशेषज्ञों, कार्यकर्ताओं और नेतृत्व के श्रम और अनथक प्रयासों का सकारात्मक प्रतिफल मिला और 17 दिन बाद सभी कर्मवीरों के घरों में खुशियों के दीप जलाये गये । सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने की यह घटना एक बहुत ही महत्वपूर्ण है और अध्ययन किये जाने योग्य है।इस घटना का एक महत्वपूर्ण पक्ष यह रहा कि जहां विदेशी मशीनों ने ने भी साथ छोड़ दिया और परिस...
महाकवि भास के अभिषेकनाटक में श्रीरामकथा

महाकवि भास के अभिषेकनाटक में श्रीरामकथा

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श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंगमहाकवि भास के अभिषेकनाटक में श्रीरामकथाभारतीय साहित्य की परम्परा में रामायण को काव्यों की श्रेणी में 'आदि काव्यÓ माना जाता है। रामायण की कथा आज भी भारत में झुग्गी-झोपड़ियों से लेकर विशाल भवनों, गली-गली, महानगरों से लेकर छोटे से छोटे गाँव और आँगन में हमें बड़ी सरलता से सुनने को मिल जाती है। प्राचीन संस्कृत, प्राकृत भाषा के अतिरिक्त प्राय: सभी भारतीय प्रादेशिक भाषा में श्रीरामकथा का अपने प्रदेश के रीति रिवाज और संस्कृति में रंगा हुआ वर्णन इनमें मिल जाता है। रामायण और महाभारत काल के उपरान्त अद्यावधि ज्ञात सन्दर्भों में श्रीरामकथा को अपने साहित्य में गढ़ने-रचनेवाले सबसे प्राचीन और सबसे पहले महाकवि भास ही दिखाई देते हैं। महाकवि भास के नाटकों में प्रसिद्ध नाटक अभिषेकनाटक तथा प्रतिमानाटक श्रीरामकथा पर आधारित है। अत: सर्वप्रथम अभिषेक नाटक की श्रीरामकथा की कथावस्त...
राम आ रहे हैं

राम आ रहे हैं

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भगवान श्री राम मन्दिर के विध्वंस जो आततायी बाबर ने किया था, क्या ऐसा लगता है कि यह विध्वंस भी इतनी सहजता से कर दिया गया होगा। मानो सब प्रतीक्षा कर रहे हों कि एक मुगल आये और तोपखाने की मुँह मन्दिर की प्राचीरों की ओर करके उसे ध्वंस करे? और यह सब कुछ देखकर शेष लोग तालियाँ बजाएंगे? इतिहासकारों ने कुछ ऐसा ही पढ़ाया और सिखाया। बचपन से यही तथ्य पढ़ती आयी हूँ कि, मुगल ऐसे थे वैसे थे। उनका कोई सामना करने वाला नहीं था।परन्तु फिर जब उनके विषय में तर्क और प्रतिप्रश्न रखती हूँ तो बड़के इतिहासकार जी भी बगलियाँ झाँकने लगते हैं। क्यों भई?जब मुगल बाबर इतना ही महान था, जो जनता को विश्वास में लेकर राम मन्दिर विध्वंस किया, जिसका कोई विरोध न हुआ(आपकी मान्यता अनुसार) तो वही बाबर अपने जीवन का मात्र चार ही वर्ष भारत में क्यों रहने पाया?उसके बाद तो उसे भी जन्नत की हूरें सुपुर्द हुई। बाबर का गुणगान इसलिये हु...
<strong>दिवाली ने कैसे लांघा हिंदू धर्म की सीमाओं को</strong>

दिवाली ने कैसे लांघा हिंदू धर्म की सीमाओं को

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आर.के. सिन्हा दीपोत्सव मूलत: और अंतत: हिन्दू पर्व होते हुए अपने आप में व्यापक अर्थ लिए हुए हैं। यह तो अंधकार से प्रकाश की तरफ लेकर जाने वाला अनोखा त्योहार है। अंधकार व्यापक है, रोशनी की अपेक्षा। क्योंकि, अंधेरा अधिक काल। दिन के पीछे भी अंधेरा है रात का। दिन के आगे भी अंधेरा है रात का । दिवाली को ईसाई, मुसलमान और यहूदी भी अपने-अपने तरीके से मनाएंगे। सिख, बुद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए तो इस दिन का खास महत्व तो है ही। राजधानी दिल्ली के बिशप हाउस पर दिवाली पर आलोक सज्जा की जाएगी। दीए भी जलाए जाएंगे। यह ही है भारत की विशेषता। क्या है बिशप हाउस? ये देश के प्रोटेस्टेंट ईसाई समाज के प्रमुख बिशप का मुख्यालय है। यह नई दिल्ली के जयसिंह रोड पर। दरअसल प्रकाश पर्व हमें अपने देश के पवित्र मूल्यों, जरूरतमंद लोगों के प्रति मदद का हाथ बढ़ाने की हमारी जिम्मेदारी...
भारत की पहचान है सनातन धर्म : विजयेन्द्र सरस्वती

भारत की पहचान है सनातन धर्म : विजयेन्द्र सरस्वती

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भारत की पहचान है सनातन धर्म : विजयेन्द्र सरस्वती शास्त्रीय तरीके से होना चाहिए अयोध्या धाम का विकासलखनऊ, 07 नवम्बर । श्री कांची कामकोटि पीठ के 70वें आचार्य जगद्गुरु श्री शंकर विजयेन्द्र सरस्वती शंकराचार्य स्वामी जी ने माधव सभागार निरालानगर में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि अयोध्या धाम का विकास शास्त्रीय तरीके से होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अयोध्या प्राचीन नगरी है। इसलिए अयोध्या नगर का विकास प्राचीन संस्कृति को ध्यान में रखकर करना चाहिए जिससे नगर की पौराणिकता कायम रहे। शंकराचार्य ने कहा कि अयोध्या के छोटे मंदिरों का भी जीणोद्धार होना चाहिए। अयोध्या नगर में होटलों व अन्य निर्माण के साथ ही साथ पुरानी धर्मशालाओं व भवनों का भी जीणोद्धार होना चाहिए। इसके साथ ही अयोध्या में शास्त्र विद्या, संगीत विद्या और शिल्प शास्त्र की शिक्षा की भी व्यवस्था होनी चाहिए। भारत की पहचान है सनातन धर्मजगद्गु...
दशहरा : केवल उत्सव ही नहीं समाज और राष्ट्र निर्माण का संकल्प

दशहरा : केवल उत्सव ही नहीं समाज और राष्ट्र निर्माण का संकल्प

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सत्य की स्थापना के लिये शक्ति, शस्त्र और सक्षमता आवश्यक --रमेश शर्मा सनातन परंपरा में मनाये जाने वाले तीज त्यौहार केवल उत्सव भर नहीं होते । उनमें जीवन को सुन्दर बनाने का संदेश होता है । दशहरा उत्सव में भी संदेह है । यह संदेश है व्यक्ति, परिवार, समाज और राष्ट्र की समृद्धि का जो इसकी कथा और उसे मनाने के तरीके से बहुत स्पष्ट है ।विजय दशमी उत्सव पूरे देश में मनाया जाता है । विभिन्न प्रदेशों में इस उत्सव के नाम अलग हैं मनाने के तरीके भी विभिन्न हैं पर सबमें शक्ति पूजा ही प्रमुख अभीष्ट है । इस उत्सव के दो नाम हैं। एक दशहरा और दूसरा "विजय दशमीं" । इस आयोजन का एक आदर्श वाक्य है- "असत्य पर सत्य की विजय" । पुराण कथाओं के अनुसार दो महासंग्राम इस उत्सव की पृष्ठभूमि है । एक भगवान राम और रावण के बीच महायुद्ध । यह युद्ध नौ दिन चला और दसवें दिन रामजी को विजय मिली। दूसरी कथा है माता शक्ति भवानी ...