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धर्म

इंग्लैंड में हिंदुओं का मजहब आधारित उत्पीड़न

इंग्लैंड में हिंदुओं का मजहब आधारित उत्पीड़न

BREAKING NEWS, TOP STORIES, धर्म, साहित्य संवाद
-बलबीर पुंज आखिर हिंदू-मुस्लिम संबंधों में तनाव क्यों है? तथाकथित सेकुलरवादियों की माने तो यह समस्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मई 2014 में सत्तारुढ़ होने के बाद से आरंभ हुई है और उससे पूर्व, इनके आपसी संबंधों में कटुता का कारण— राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या अन्य हिंदू संगठनों का व्यवहार है। परंतु ऐसा (कु)तर्क करने वाले इस प्रश्न का उत्तर कभी नहीं देते कि इन दोनों ही समुदायों के बीच पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में संबंध क्यों ठीक नहीं है? अभी हाल ही में यूनाइटेड किंगडम (यू.के.) स्थित प्रबुद्ध मंडल 'हैनरी जैक्सन सोसायटी' (एच.जे.एस.) की एक रिपोर्ट सार्वजनिक हुई, जो रेखांकित करती है कि इंग्लैंड में भी हिंदू-मुस्लिमों के बीच रिश्ते काफी गर्त में है। इसका कारण यह बताया गया कि यू.के. स्थित हिंदू समाज, जिनकी संख्या वहां की मुस्लिम आबादी की लगभग एक चौथाई है— वे और उनके बच्चे मजहब के ना...
षड्यंत्र और राजनीति का हिस्सा धर्म परिवर्तन

षड्यंत्र और राजनीति का हिस्सा धर्म परिवर्तन

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सुप्रीम कोर्ट मानता है कि धर्म परिवर्तन एक गंभीर मुद्दा है और इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए। धर्म परिवर्तन राजनीतिक मुद्दा है या आस्था का मामला? लोगों को जबरन धर्मांतरण, प्रलोभन या लालच आदि के प्रावधानों और तरीकों के बारे में भी शिक्षित करने की आवश्यकता है। जबरन धर्मांतरण की सजा को पहले के 10 साल से घटाकर एक से पांच साल कर दिया गया। धर्म परिवर्तन से जुड़ा विवाह अवैध है। यदि धर्मांतरण में नाबालिग, महिला या अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का कोई सदस्य शामिल है, तो कारावास दो से सात साल है। -डॉ प्रियंका सौरभ आस्था परिवर्तन हृदय का विषय है। आप राजनीतिक भाषा शैली और ऐसे प्रतीकों को अपनाकर किसी के अंतर्मन नहीं बदल सकते। गांधी जी इसी कारण धर्म परिवर्तन के विरुद्ध थे। उनका मानना था कि समाज सुधार के काम में धर्म परिवर्तन की भूमिका नहीं है। जाहिर है, धर्म परिवर्तन के पीछे दिए गए तर्क...
Why Congress abandoned the Ram temple issue

Why Congress abandoned the Ram temple issue

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Vivek ShuklaIt is almost certain that once the G-20 summit would come to an end and head of the states of member countries of powerful forum of the world would leave in the month of coming September, 2023, India would be in a election mode. They are slated in the month of April-May, 2024.Even before the poll dates would be announced, the nation would see huge euphoria when the Ram temple would be unveiled in Ayodhya in January, 2024. Of course, the Ram temple has been the life and soul of BJP's politics since it came into being in 1980. Will the Ram temple would be an issue in the 2024 Lok Sabha polls too?Will the BJP reap the fruits of construction of Ram Temple ? This question is rife in the air.The saffron party wants the temple to open before the Lok Sabha polls. It goes without s...
क्या बाइबिल में ईसा मसीह की शिक्षाएँ नहीं हैं?

क्या बाइबिल में ईसा मसीह की शिक्षाएँ नहीं हैं?

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, धर्म, विश्लेषण
विनीत नारायणये सुन कर दुनिया भर के ईसाई भड़क जाएँगे कि बाइबिल में ईसा मसीह की शिक्षाएँ नहीं हैं। पर गहन शोध केबाद ये दावा किया है इतिहासकार हर्ष महान कैरे ने अपनी पुस्तक, ‘डिस्कवरिंग जीसस’ में। रूपा प्रकाशन सेप्रकाशित 387 पेज की ये अंग्रेज़ी पुस्तक ईसाइयों और ग़ैर ईसाइयों के बीच कौतूहल का विषय बन गई है। लेखकका दावा है कि बाइबिल में जो शिक्षाएँ लिखी गई हैं वो पॉल के विचार हैं जो कभी ईसा मसीह से मिला ही नहींथा। पर उसका दावा है कि ईसा मसीह ने यह ज्ञान उसे अवचेतन अवस्था में दिया। जिसे उसने लिपिबद्ध कर दिया।हालाँकि पॉल ईसा मसीह के बारह प्रथम व मूल शिष्यों में से एक नहीं था फिर भी वो स्वयं को अपोस्टेल (प्रचारक)होने का दावा करता है। जबकि ऐतिहासिक प्रमाण इसके विरुद्ध हैं।यीशु के बारह प्रधान शिष्य थे जिन्हें अपोस्टेल (प्रचारक) कहा जाता है। इनमें से एक का नाम जूड्स इस्कारियट थाजिसने यीशु को धोखा दे...
श्रीराम नवमी उत्सव मनाना भी अपराध

श्रीराम नवमी उत्सव मनाना भी अपराध

BREAKING NEWS, धर्म, विश्लेषण
प्रशांत पोळ दिनांक 1 अप्रैल को भोपाल में हुतात्मा हेमू कालानी जन्मशताब्दी समारोह संपन्न हुआ. इस समारोह में विदेशों से भी अनेक सिंधी भाषिक भाई – बहन आए थे. इन में से, कराची से आए हुए नारायणदास ने बताया की ‘पाकिस्तान में हिन्दू अपना कोई भी त्यौहार / उत्सव सार्वजनिक रूप से, खुले में नहीं मना सकते. मंदिर में या किसी के घर पर ही मनाना पड़ता हैं.‘ इस रामनवमी को बंगाल, बिहार आदि स्थानों पर जो कुछ हुआ, उसे देखकर लगता हैं, की ‘क्या, भारत के कुछ स्थानों पर भी हिन्दू अपना उत्सव सार्वजनिक रूप से नहीं मना सकते?’ इस वर्ष गुरुवार, 30 मार्च को रामनवमी थी. वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, देश के लगभग सभी गांवों में, शहरों में इस दिन भगवान राम की शोभायात्रा निकलती हैं. इस वर्ष भी निकली. किन्तु बंगाल के हावड़ा में, उत्तर दिनाजपुर जिले के डालखोला में, इस्लामपुर में, वडोदरा में, छत्रपती संभाजी न...
बल, बुद्धि और सिद्धि के सागर हैं हनुमान

बल, बुद्धि और सिद्धि के सागर हैं हनुमान

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हनुमान जयन्ती- 6 अप्रैल 2023 पर विशेष- ललित गर्ग - आधुनिक समय के सबसे जागृत, सिद्ध, चमत्कार घटित करने वाले एवं अपने भक्तों के दुःखों को हरने वाले भगवान हनुमान हैं, उनका चरित्र अतुलित पराक्रम, ज्ञान और शक्ति के बाद भी अहंकार से विहीन था। यही आदर्श आज हमारे लिये प्रकाश स्तंभ हैं, जो विषमताओं से भरे हुए संसार सागर में हमारा मार्गदर्शन करते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि असंभव लगने वाले कार्यों में भी जब हनुमानजी ने विजय प्राप्त की तब भी उन्होंने प्रत्येक सफलता का श्रेय ‘सो सब तव प्रताप रघुराई’ कहकर अपने स्वामी को समर्पित कर दिया। पूरी मेहनत करना पर श्रेय प्राप्ति की इच्छा न रखना सेवक का देव दुर्लभ गुण होता है, जो उसे अन्य सभी सद्गुणों का उपहार दे देता है। यहीं हनुमानजी के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता है। वे शौर्य, साहस और नेतृत्व के भी प्रतीक हैं। समर्पण एवं भक्ति उनका सर्वाधिक लोकप्रिय ग...
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

धर्म
परशुरामजी माता-पिता से उऋण हो गए किन्तु अपने गुरु से उऋण क्यों नहीं हो सके? श्रीरामचरितमानस का श्रवण, पारायण और सुनाने के बारे में गोस्वामी तुलसीदासजी ने अत्यन्त गम्भीर बात बालकाण्ड में स्पष्ट कर दी है। श्रीरामचरितमानस के प्रसंग स्वयं कथा करने वाले को अच्छी तरह समझकर कहना चाहिए। श्रीरामकथा श्रवण करने वाले को श्रद्धा भक्ति एवं रुचि से समझना चाहिए? यदि कथा सुनाने वाले और श्रवणकर्ता भक्तों में तालमेल नहीं है तो इस पवित्र कथा का फल (लाभ) प्राप्त कभी भी नहीं होता है यथा-भनिति मोरि सिव कृपाँ बिभाती। ससि समाज मिलि मनहुँ सुराती।।जे एहि कथहि सनेह समेता। कहिहहिं सुनहिं समुझि सचेता।।होइहहिं राम चरन अनुरागी। कलिमल रहित सुमंगल भागी।।श्रीरामचरितमानस बालकाण्ड १५-५-६तुलसीदासजी कहते हैं कि उनकी कविता श्रीशिवजी की कृपा से ऐसी सुशोभित होगी जैसी तारागणों के सहित चन्द्रमा के साथ रात्रि शोभित होती है। जो इस...
हनुमान जी – साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक

हनुमान जी – साहस, शौर्य और समर्पण के प्रतीक

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हनुमान, जिन्होंने सीता देवी को दिखाने के लिए अपना हृदय खोल दिया कि भगवान राम और वह उनके हृदय में निवास करते हैं और उन्हें उनसे उपहार के रूप में मोतियों के हार की आवश्यकता नहीं है, ऐसे अद्भुत समर्पण और बलिदान की आज कल्पना भी नहीं की जा सकती . लेकिन भगवान अपने अनुयायियों की भक्ति के लिए ही पीछे हटते हैं। हनुमान की पूजा सभी लोग विशेष रूप से करते हैं जो खेल और कठिन योगाभ्यास में लगे हुए हैं। हनुमान की तरह, हमें अपने मन, बुद्धि को अपनी आत्मा के नियंत्रण में लाकर, अपने स्वामी (हमारे सच्चे स्व, आत्मान) की सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। -प्रियंका सौरभ हनुमान सबसे लोकप्रिय हिंदू देवताओं में से एक हैं। वह सेवा (सेवा), भक्ति (भक्ति) और समर्पण (समर्पण, अहंकारहीनता) का अवतार है। वह शिव के अवतार हैं। उन्हें अंजनी देवी के पुत्र पवन-देवता (मरुता) का पुत्र भी माना जाता है। उनकी ठुड्डी ऊंची है (इसलि...
भारत के अंदर- बाहर सभी जगह राम का नाम

भारत के अंदर- बाहर सभी जगह राम का नाम

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आर.के. सिन्हा भारत के कण-कण में राम बसे हैं। भारत की राम के बिना कल्पना करना ही असंभव है। सारा भारत राम को अपना आराध्य और पूजनीय मानता है। डॉ राम मनोहर लोहिया कहते थे कि भारत के तीन सबसे बड़े पौराणिक नाम – “राम, कृष्ण और शिव ही हैं।” उनके काम के बारे में थोड़ी-बहुत जानकारी प्राय: सभी को, कम से कम दो में एक भारतीय को तो होगी ही। उनके विचार व कर्म, या उन्होंने कौन-से शब्द कब कहे, उसे विस्तारपूर्वक दस में एक तो जानता होगा। कभी सोचिए कि एक दिन में भारत में कितनी बार यहां की जनता प्रभु राम का नाम लेती है।   पर भगवान राम को सिर्फ भारत तक सीमित करना उचित नहीं होगा। वैसे तो  थाईलैंड बौद्ध देश हैं, पर वहां भी राम आराध्य है। राजधानी बैंकॉक से सटा है अयोध्या शहर। वहां के लोगों की मान्यता है कि यहीं थी भगवान श्रीराम की राजधानी। थाईलैंड के बौद्ध मंदिरों में आपक...
श्रीराम हैं अनंत, रामकथा अनंता

श्रीराम हैं अनंत, रामकथा अनंता

Today News, धर्म, सामाजिक
सचमुच श्रीराम न केवल भारत के लिये बल्कि दुनिया के प्रेरक है, पालनहार है। भारत के जन-जन के लिये वे एक संबल हैं, एक समाधान हैं, एक आश्वासन हैं निष्कंटक जीवन का, अंधेरों में उजालों का। भारत की संस्कृति एवं  विशाल आबादी के साथ दर्जनभर देशों के लोगों में यह नाम चेतन-अचेतन अवस्था में समाया हुआ है, इस लोक की थाती श्रीराम हैं और व्याप्ति भी श्रीराम। श्रीराम अनंत हैं तो रामकथा भी अनंता हैं, श्रीराम केवल भारतवासियों या केवल हिन्दुओं के मर्यादा पुरुषोत्तम नहीं हैं, बल्कि बहुत से देशों, जातियों के भी मर्यादा पुरुष हैं जो भारतीय नहीं। रामायण में जो मानवीय मूल्य दृष्टि सामने आई, वह देशकाल की सीमाओं से ऊपर उठ गई। वह उन तत्वों को प्रतिष्ठित करती है, जिन्हें वह केवल पढ़े-लिखे लोगों की चीज न रहकर लोक मानस का अंग बन गई। हिन्दु धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में रावण के अत्याचारों को समाप्त करने तथा ...