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केसरिया हुयी देवभूमि

केसरिया हुयी देवभूमि

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उत्तराखंड में भाजपा के जीतने में किसी को कोई शक शुबा नहीं था। पिछले पांच सालों में जिस तरह कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने उत्तराखंड में लूट खसोट और भ्रष्टाचार किया था उसके बाद जनता ने मन तो साल भर पहले ही बना लिया था। वह तो सिर्फ चुनाव का इंतज़ार कर रही थी कि कैसे हरीश रावत सरकार से छुटकारा मिले। हरीश रावत को अपने मुख्यमंत्री रहते इस बात का आभास था इसलिए उन्होंने इस बार दो विधानसभा से चुनाव लड़ा। अपेक्षित रूप से दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों से उनकी हार हुयी। बसपा तो इस बार खाता भी नहीं खोल सकी। 2017 के चुनाव परिणामों में सबसे बड़ी विजय के साथ जीती भाजपा की रणनीति एवं राष्ट्रपति चुनावों पर इसके प्रभावों पर अमित त्यागी प्रकाश डाल रहे हैं। देवभूमि देवताओं का निवास मानी जाती है। इस बार देवभूमि ने एक नहीं दो मुख्यमंत्री दिये। एक उत्तराखंड को, दूसरा उत्तर प्रदेश को। पांचों राज्यों के चुनावों में ...
यूपी चुनाव परिणाम :  भगवा सुनामी के बाद

यूपी चुनाव परिणाम : भगवा सुनामी के बाद

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  यूपी में भाजपा की अप्रत्याशित जीत ने सभी को चकित कर दिया है व  देश की राजनीति को एक नयी दिशा दी है और वो है विकास की राजनीति। अर्थात जो दल जनता को काम करके दिखाएगा जनता उसी को अपना समर्थन देगी। हालिया चुनावों में भाजपा को इतनी बड़ी जीत नरेन्द्र मोदी जी की सबका साथ सबका विकास की छवि को लेकर मिले हैं। किन्तु भाजपा की राह अब आगे और मुश्किल होने जा रही है क्योंकि उसके समक्ष जनता के इस विश्वास को बनाए रखने की चुनौति है और 2 वर्ष के भीतर कुछ करके दिखाना है जिससे 2019 का लक्ष्य साधा जा सके। प्रस्तुत है एक आलेख   उत्तरप्रदेश के विस्मयकारी, अप्रत्याशित और राजनैतिक भूकंप लाने वाले परिणाम आए। खुद भाजपा के कट्टर समर्थकों को भी यह उम्मीद नहीं थी कि भाजपा को यूपी में तीन सौ से अधिक सीटें मिलेंगी। यहां तक कि अंतिम चरण का प्रचार आते-आते खुद मोदीजी भी एक-दो सभाओं में गठबंधन की बातें कर...
भारतीय न्याय मंच : दिल्ली जन पार्षद चौपाल

भारतीय न्याय मंच : दिल्ली जन पार्षद चौपाल

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जन पार्षद की अवधारणा : जन पार्षद की जिम्मेदारी जन पार्षद, स्थानीय जनता के प्रति उत्तरदायी होगा। वह नगर निगम और दिल्ली के राजकाज की सभी व्यवस्थाओं के बारे में अपनी जानकारी बनाएगा और उसमें सतत बढ़ोत्तरी करेगा। साथ में स्थानीय जनता को भी इसके बारे में शिक्षित करेगा। नगर निगम के संचालन में निगम पार्षद की क्या भूमिका है, यह अपने लिए भी स्पष्ट करेगा और स्थानीय जनता को भी शिक्षित करेगा। अगर नव निर्वाचित निगम पार्षद, कमिश्नर या उसके ऊपर की राजसत्ता को अपने संविधानिक दायित्व का निर्वाह समुचित रूप से करवाने में अपने को अक्षम पाता है , तो जन पार्षदों को दबाव बनाने के लिए, स्थानीय जनता के सहयोग से निगम पार्षद को अपने पद से त्यागपत्र देकर दोबारा चुनाव की मांग करनी चाहिए। अभी की जो वैधानिक व्यवस्था है उसमें सत्ता कमिश्नर के पास है। पार्षद का काम जनता का काम कमिश्नर के समक्ष रखकर उस प...
क्या हम दिल्ली में बदलाव ला सकते हैं

क्या हम दिल्ली में बदलाव ला सकते हैं

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लगभग हर दूसरे दिन हम टाइम्स ऑफ इण्डिया और अन्य समाचार पत्रों में दिल्ली के बारे में निम्न शीर्षकों के अंतर्गत ख़बरें पढ़ते हैं-   उपराज्यपाल की अनुमति का इंतज़ार न करें, दिल्ली गृह मंत्रालय से अधिकारियों को निर्देश अधिकारियों से बात करें, उपराज्यपाल के आदेशों का पालन न करें सिविक सेंटर के स्वामित्व को लेकर कॉर्पोरेशन में झगड़ा बलात्कार के तमाम मामलों के बाद दिल्ली को मिला असुरक्षित राजधानी का तमगा सड़कों पर कचरे का ढेर, बीमारियों को खुला निमंत्रण एक ही घंटे की बारिश के बाद हर जगह पानी- ड्रेनेज सिस्टम फेल अधिकरण कार्यवाही, प्रतिपूर्ति जारी करने और भूमि पाने के मामले में दिल्ली सरकार और डीडीए के बीच तनातनी दिल्ली सबसे प्रदूषित शहर है दिल्ली महिला आयोग के सदस्य सचिव की नियुक्ति पर हमारे माननीय मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल को हिटलर की संज्ञा दी स्थानीय नागर...
उत्तर प्रदेश में अमर-कथा हो सकते हैं योगी

उत्तर प्रदेश में अमर-कथा हो सकते हैं योगी

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आदित्यनाथ की सरकार फिलहाल संभावनाओं और उम्मीदों की सरकार-सी लग रही है. समाज में शासन की साख और प्रशासन की चुस्ती का जो भयानक संकट लंबे समय से चल रहा था, उसकी बहाली की आहट-सी है. यह ठीक है कि अभी कुछ भी कहना बीज देखकर पैदावार का अनुमान लगाना है, लेकिन राजनीतिक और सामाजिक संस्कार को बदलने की कोशिशों से आनेवाले दिनों में हालात के बदलने की उम्मीद की जा सकती है. जो खतरे और चिंता है उनकी भी बात होनी चाहिए मगर अभी जो दिख रहा है उसको समझने के बाद. आदित्यनाथ को 19 मार्च को जब मुख्यमंत्री बनाने का एलान किया गया तो मैंने इस बात का यह कहते हुए विरोध किया कि उनकी छवि और मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी दोनों एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. आदित्यनाथ के चेहरे के जरिए बीजेपी ने देश में राजनीति की नीति और नीयत- दोनों के संकेत दिए हैं. योगी को कमान का मतलब ये है कि संघ और प्रधानमंत्री मोदी दोनों यह मान रहे हैं कि उत्...
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानक से 16 गुना अधिक

दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर राष्ट्रीय मानक से 16 गुना अधिक

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पर्यावरण व ऊर्जा विकास के क्षेत्र में काम करनेवाली संस्था सेंटर फाॅर एन्वाॅयरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) द्वारा जारी रिपोर्ट ‘एम्बिएन्ट एयर क्वालिटी फाॅर दिल्ली’ के अनुसार बीते सर्दी के मौसम में राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर पाया गया, जिसका साफ मतलब है कि यहां की हवा सांस लेने योग्य नहीं रही। रिपोर्ट के अनुसार जाड़े के चार महीनों के मौसम में ऐसा कोई इकलौता दिन नहीं रहा, जब वायु की गुणवत्ता की केटेगरी ‘अच्छी’ रही हो, बल्कि 89 प्रतिशत दिनों में यह ‘खराब’ या ‘बहुत खराब’ वायु गुणवत्ता के अंतर्गत रही। 6 प्रतिशत दिनों में यह ‘गंभीर’ दर्जे की मानी गयी। वायु प्रदूषण की यह दशा हमारी राजधानी के जीवन स्तर और रहन-सहन पर गंभीर खतरे पेश करती है। बवाना इंडस्ट्रीयल एरिया के समीप दिल्ली टेक्नोलाॅजिकल युनिवर्सिटी में स्थापित माॅनिटरिंग स्टेशन से प्राप्त प्रदूषित कण यानी पर्टिकुल...
CAN WE CHANGE DELHI – YES. WE CAN

CAN WE CHANGE DELHI – YES. WE CAN

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Every other day we all read these type of news in Times of India and a few of those headlines I am quoting below:- Don’t wait for LG nod, act on copy of files – directive from Delhi Home Minister Speaker to officers : Ignore LG’s order Corporation fights over who owns Civic Centers. After frequent cases of rape Delhi gets a tag of India’s “stalking Capital”. Garbage piled up on the streets. – open invite to diseases. Water –Water everywhere after one hour of rain Drainage system clogged  up. Lack of co-ordination between DDA & Delhi Govt. in acquisition proceedings, release of compensation, receipt of land, etc: Delhi is the most Polluted City. On appointment of member secretary of Delhi Commission for Women – Our CM called honorable Lt. Gov...
राजस्थान सरकार ने दबाव में ही सही, बिजली की बढ़ी दरें वापस ली

राजस्थान सरकार ने दबाव में ही सही, बिजली की बढ़ी दरें वापस ली

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राजस्थान सरकार ने कृषि विद्युत कनैक्शन और अनमीटर्ड विद्युत कनैक्शनों पर बढ़ायी दरों को तत्काल वापस लेने की घोषणा की है। राजस्थान के ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह ने कहा कि जनप्रतिनिधियों और पार्टी कार्यकर्ताओं से मिले फीड बैक के आधार पर सरकार ने यह निर्णय लिया है। वहीं विपक्ष का कहना है कि किसानों के उग्र होते जन आन्दोलन के आगे सरकार झुकी है। ऊर्जा मंत्री पुष्पेन्द्र सिंह के अनुसार इन दरों को वापस लेने से डिस्काम पर प्रतिवर्ष 500 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जिसका भुगतान राज्य सरकार द्वारा वहन किया जायेगा। नियामक आयोग की सिफारिशों पर राज्य सरकार ने सितम्बर 2016 से कृषि कनैक्शनों पर 25 पैसे प्रति युनिट बढ़ाकर एक रूपया पन्द्रह पैसा कर दिया था। इसी तरह अनमीटर्ड विद्युत कनैक्शनों का चार्ज 85 रूपये से बढ़ाकर 120 रूपये कर दिया गया था। इन दोनों वृद्धि को तत्काल वापस ले लिया गया है। जिन क...
सत्ता विरोध बन सकता है बदलाव का आधार

सत्ता विरोध बन सकता है बदलाव का आधार

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लगातार 15 साल तक शासन करने से सत्ता के स्वाभाविक विरोध झेलने वाले मुख्यमंत्री एवं लगभग इतने ही सालों तक अनशन पर रहीं इरोम शर्मिला के बीच अब लड़ाई एक रोचक राजनैतिक मोड़ पर पहुंच गयी है। अपनी पार्टी बनाकर शर्मिला ने इरादे साफ कर दिये हैं तो भाजपा ने किसी भी कीमत पर कांग्रेस मुक्त भारत का नारा दे रखा है। केजरीवाल द्वारा इरोम शर्मिला को समर्थन देने से मणिपुर के राजनैतिक समीकरण इस बार कुछ नया गुल खिलाने जा रहे हैं। विशेष संवाददाता अमित त्यागी की एक रिपोर्ट। पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर के चुनाव में इस बार इरोम शर्मिला का उतरना एक नए सियासी समीकरण का उदय है। इरोम शर्मिला ने अफस्पा हटाने को लेकर लगभग 15 साल तक अनशन किया और वर्तमान मुख्यमंत्री इबोबी की नाक में नकेल डाली रहीं। हालांकि, इरोम शर्मिला ने सुर्खियां तो बहुत पायीं किन्तु केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उनके त्याग और बलिदान पर कुछ ठोस नती...
कांग्रेस होगी या आप ? भाजपा-अकाली साफ

कांग्रेस होगी या आप ? भाजपा-अकाली साफ

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पंजाब में चुनाव के बाद जैसा रुझान दिख रहा है उसके अनुसार भाजपा और अकाली दल से जनता बेहद नाराज़ है। वह इन दोनों दलों के गठबंधन को दूसरा कार्यकाल देने के पक्ष में नजऱ नहीं आ रही है। अब इस गठबंधन का विकल्प कांग्रेस होगी या आप, इस पर भी पंजाब का मतदाता विभाजित है। त्रिशंकु सरकार होने की स्थिति में कुछ गठजोड़ भी संभव हैं और राष्ट्रपति शासन का विकल्प भी। पंजाब का चुनाव बाद आंकलन कर रहे हैं विशेष संवाददाता अमित त्यागी। शायद बदलाव की इतनी तगड़ी बयार और कहीं दिखाई नहीं दे रही है जितनी कि पंजाब में है। यहां अकाली-भाजपा सरकार से जनता बेहद नाराज़ दिख रही है। वह किसी भी कीमत पर इस सरकार को दूसरा कार्यकाल देने के पक्ष में नहीं है। अब अगर इन दोनों दलों के गठबंधन के विकल्प की बात करें तो कांग्रेस और आम आदमी पार्टी विकल्प बनती दिखती हैं। पहले बात करते हैं आम आदमी पार्टी की। लोकसभा चुनाव 2014 में जब पूरे...