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अरुण के आंचल में खुशबू खज़ाना

अरुण के आंचल में खुशबू खज़ाना

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उगते सूरज का प्रदेश, सर्वाधिक क्षेत्रीय बोलियों वाला प्रदेश, भारत के तीसरा विशाल राष्ट्रीय पार्क (नाम्दाफा नेशनल पार्क ) वाला प्रदेश जैसे भारतीय स्तर के कई विशेषण अरुणाचल प्रदेश के साथ जुडे़ हैं, लेकिन अरुणाचल प्रदेश के लिए जो विशेषण सबसे खास और अनोखा है, वह है, यहां उपलब्ण्ध सबसे अधिक आॅर्चिड विविधता। आॅर्चिड - यानी एक ऐसी बूटी, जिसमें फूल भी दिखाई दें। इस नाते इन आॅर्चिड्स को हिंदी में हम पुष्पबूटी कह सकते हैं। जीवों में जैसे इंसान, वैसे वनस्पतियों में सबसे ऊंचा रुतबा है पुष्पबूटियों का।......पुष्पबूटियों की यह दुनिया इतनी बड़ी है... इतनी विशाल! इतने रंग, इतने आकार, इतनी गंध, इतने उपयोग कि जानने, समझने-समझााने में ही सालों निकल जायें। मोनोकोलाइडिन्स में सबसे बड़ा परिवार पुष्पबूटियों का ही है। अरुणचल प्रदेश: भारत में सर्वाधिक पुष्पबूटी विविधता का कीर्तिमान नेशनल रिसर्च सेंटर फाॅर आ...
Criminals Defeat U.P. Govt.

Criminals Defeat U.P. Govt.

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Now one really feels scared while traveling by road. There is fear all around. Murder, rape, kidnapping and robbery are matter of concern. Not only that even Police force are attacked. Our Uttar Pradesh was not like this earlier. Criminals are roaming freely in the state. Police appears helpless in the state. The state government is indifferent. Has it been concerned about law and order, the government would posted police officers in posts that are vacant. There are 3.64 lakhs sanctioned strength of Police force in the state. But at present only 1.64 lakh police men are working. Approximately 2 lakh posts are vacant. A Public Litigation Petition was filed in the Supreme Court in this regard. The apex court has expressed concern and has issued notice to the state government on this issue...
पर्यावरण एवं विस्थापन राजनैतिक पार्टियों का मुद्दो से गायब है!

पर्यावरण एवं विस्थापन राजनैतिक पार्टियों का मुद्दो से गायब है!

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उत्तराखंड के लोग अपना पांचवा राज्य विधानसभा चुनने जा रहे है। हमने पाया कि बांध व अन्य बड़ी परियोजनायें, खदान, शराब, बेरोजगारी, पर्यटन, इत्यादि के कारण हो रहा विस्थापन का वास्तविक मुद्दे है। ये सब राजनैतिक पार्टियों के एजेंडा में शामिल नहीं है। जून 2013 की त्रासदी से प्रभावित लोग अभी भी ठीक तरीके से ना बसाये गये है ना ही सभी को क्षतिपूर्ति मिली है। इन सब  मुद्दों के अलावा, वे उन मुद्दों को उठा रहे है जो की अस्तित्व में ही नहीं है और न ही उत्तराखंड के लोगों एवं हरे-भरे वातावरण संबघी रोजाना की समस्याओं को हल कर सकेंगें। उत्तराखंड एक हरा-भरा, नदियों खासतौर से राष्ट्रीय नदी गंगा और पांचधाम (बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, और हेमकुंड साहिब) वाला हिमालयी राज्य है। कोई भी राजनैतिक पार्टी, यहाँ के स्रोतों से बड़े लोगों को छोड़कर, स्थानीय लोगो का भला करने वाले, विकास के रोडमैप के साथ नहीं ...
विकास और सुरक्षा की दृष्टि से ज़रूरी है मणिपुर में बदलाव

विकास और सुरक्षा की दृष्टि से ज़रूरी है मणिपुर में बदलाव

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मणिपुर पूर्वोत्तर में म्यांमार का सीमावर्ती राज्य है। देश की अखंडता को बरकरार रखने के लिए सुदूर सीमावर्ती राज्य का मजबूत होना एक आवश्यक अहम शर्त होती है। हालांकि, 2017 में हो रहे सभी पांच राज्यों की सीमा अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगी है किन्तु एक सुदूर प्रदेश होने के कारण मणिपुर की सीमा का महत्व बढ़ जाता है। जिस तरह हृदय से सुदूर अंगों को रक्त पहुंचाने का काम धमनी और शिराओं के माध्यम से होता है वैसा ही सुदूर प्रदेशों में विकास का मॉडल पहुंचाने का काम केंद्र और राज्य सरकारों का होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता संभालने के बाद से ही पूर्वोत्तर के राज्यों पर विशेष ध्यान दिया है। असम के बाद अब मणिपुर पर उनकी निगाह है। मणिपुर की भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार मणिपुर के चुनाव का महत्व समझा रहे हैं विशेष संवाददाता अमित त्यागी। मणिपुर में पिछले पंद्रह सालों से कांग्रेस का शासन रहा है। ओकराम इबोबी ...
नेताओं की फौज के साथ होगी  मोदी मैजिक की परीक्षा

नेताओं की फौज के साथ होगी  मोदी मैजिक की परीक्षा

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उत्तराखंड इस समय बदलाव के लिए तैयार दिख रहा है। अपने गठन के बाद से उत्तराखंड में राजनैतिक उथल पुथल चलती रही है। यहां कांग्रेस और भाजपा मवार सरकार का गठन करते रहे हैं। उत्तराखंड के गठन के प्रारम्भिक दौर में जब उत्तर प्रदेश में मायावती मजबूत थीं तब बसपा भी अपना यहां प्रभाव रखती थी। इसके बाद धीरे धीरे बसपा यहां कमजोर होती चली गयी। कांग्रेस के बड़े नेता एक एक कर अब भाजपा में शामिल हो गये हैं। वर्तमान सरकार के कई मंत्री एवं इसी कार्यकाल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री भी अब भाजपाई हैं। कांग्रेस अब बिना नेताओं के सिर्फ पारंपरिक जनाधार के भरोसे उत्तराखंड में उतर रही है। उसके पास न तो काडर बनाने के लिये समय बचा है और न ही अपनी बात कहने के लिये कद्दावरों की फौज। ऐसे में उत्तराखंड की लड़ाई अब युवा कांग्रेसियों के जुनून एवं भाजपा के बढ़ते जनाधार के बीच आकर ठहर गयी है। उत्तराखंड पर विशेष संवाददाता अमित त्यागी...
पर्रिकर का विकल्प न ढूंढ पाना भारी पड़ रहा भाजपा को

पर्रिकर का विकल्प न ढूंढ पाना भारी पड़ रहा भाजपा को

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कभी कभी कोई व्यक्ति इतना बड़ा बन जाता है कि उसका विकल्प न ढूंढ पाना भी सत्ता वापसी में रोड़े लगा देता है। ऐसा ही कुछ है रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के साथ। वह गोवा छोड़कर केंद्र की राजनीति में क्या गये, गोवा की भाजपा अनाथ हो गयी। एक अच्छी ख़ासी चल रही सरकार, जो सत्ता में पुनर्वापसी कर सकती थी। आज ऐसी स्थिति में है जहां उसकी दोबारा वापसी तो दूर सबसे बड़ी पार्टी बनने के भी लाले पड़े हुये हैं। गोवा की राजनीति पर विशेष संवाददाता अमित त्यागी का एक आलेख गोवा एक कम क्षेत्रफल वाला राज्य है। कई सालों से यहां कांग्रेस बनाम भाजपा की ज़ंग रही है। इन दोनों दलों के बीच ही सत्ता का हस्तांतरण होता रहा है। इस समय वहां भाजपा की सरकार है। गोवा में कांग्रेस कमजोर है इसलिए आम आदमी पार्टी वहां एक विकल्प के तौर पर उभर चुकी है। जबसे मनोहर पर्रिकर केंद्र में रक्षामंत्री बने हैं तबसे गोवा में किसी बड़े चेहरे के लि...
अप्रवासियों की सक्रियता से रोचक बनता पंजाब चुनाव

अप्रवासियों की सक्रियता से रोचक बनता पंजाब चुनाव

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गोवा और पंजाब दो ऐसे राज्य हैं जहां आम आदमी पार्टी न सिर्फ राजनैतिक परिदृश्य में दिखाई दे रही है बल्कि अपना एक खासा प्रभाव भी रख रही है। एक ओर पंजाब में भाजपा-अकाली दल की सरकार है तो दूसरी ओर गोवा में भी भाजपा की सरकार है। इन दोनों प्रदेशों में नशा और उससे जुड़े कारोबार एक अहम चुनावी मुद्दा है। चूंकि नशे के बड़े दुष्प्रभाव होते हैं इसलिए इसका विरोध करने वाली पार्टी जनभावना की प्रतीक बन जाती है। दोनों जगह वर्तमान सरकार के विरोध स्वरूप आम आदमी पार्टी स्वयं को एक विकल्प दिखाने में सफल रही है। हालांकि, दोनों प्रदेशों में आप बहुमत से दूर दिख रही है फिर भी सत्तासीन दलों को नाको चने चबवाने का काम तो कर ही रही है। गोवा और पंजाब को विश्लेषित करता विशेष संवाददाता अमित त्यागी का एक आलेख। पंजाब की एक बड़ी आबादी विदेशों में निवास करती है। यह अप्रवासी भारतीय विदेश में रहकर अपने पंजाब पर निगाहें लगाये...

अखिलेश के सपा अध्यक्ष होने का अर्थ

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अखिलेश यादव का समाजवादी पार्टी का अध्यक्ष बनना सपा के नेताओं और समर्थक जनाधार द्वारा युवा नेतृत्व की स्वीकृति है। कुछ लोग सोच रहे थे कि सपा दो भागों में विभक्तहो जाएगी पर ऐसा हुआ नहीं। विवाद में संसद सदस्यों, विधायकों एवं राष्ट्रीय परिषद् के सदस्यों का प्रबल बहुमत चुनाव आयोग पहुंच गया । पार्टियों में विवाद की स्थिति में अपना स्थान सुनिश्चित करने के लिए लोग गुटों का सहारा लेते हैं, लेकिन इस अवधारणा के विरूद्ध सभी के सभी अखिलेश के पास पहुंच गए। ऐसा इसलिए हुआ कि सभी को अखिलेश के अलावा कोई विकल्प दिखाई नहीं दिया। मुलायम सिंह परिस्थितियों को भांप कर नरम हो गए । पिता-पुत्र की इस नरमी में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अहम भूमिका निभाई। लालू की यह भूमिका अखिलेश के लिए पार्टी एवं नेतृत्व विस्तार में सहायक होने का संकेत है। लालू बूढ़े हो रहे हैं, उनका जनाधार राष्ट्रीय पार्टी का भा...
यूपी में गठबंधन : फायदे में सपा, भाजपा को नफा, बसपा सफा

यूपी में गठबंधन : फायदे में सपा, भाजपा को नफा, बसपा सफा

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उत्तर प्रदेश में अब सियासत की महाभारत का मैदान सज चुका है। सभी दलों के योद्धा निर्धारित हो चुके हैं। सब के सब अपने अपने निर्धारित चुनाव क्षेत्रों में जीत के दावे करने लगे हैं। कई महीनों की नूरा कुश्ती के बाद सपा के चाल, चरित्र और चेहरे को नया रंग रोगन करके बाज़ार में लाया जा चुका है। अखिलेश यादव अब साढ़े चार मुख्यमंत्री में आधे नहीं बल्कि पूरे सेनापति बनाके पेश किये जा चुके हैं। नेताजी के द्वारा जिस तरह से अपने बेटे को विरासत सौंपी गयी है उसमें पूरे देश को मज़ा आया। एक सामान्य बुद्धि का व्यक्ति भी यह समझ रहा है कि यह सब एक पिता द्वारा पुत्र के व्यक्तित्व को चमकाने की कवायद थी। जिस तरह फिल्म में खलनायक जितना बड़ा होता है, नायक उतना ही बड़ा बनकर उभरता है ठीक वैसे ही शिवपाल को बड़ा खलनायक बना कर पेश किया गया। पर एक बात समझ में किसी को नहीं आयी कि शिवपाल को खलनायक बनाने के नेताजी के जिस दांव क...
जयपुर की दो बालिकाएं बनीं स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की गुडविल अम्बेसडर

जयपुर की दो बालिकाएं बनीं स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज की गुडविल अम्बेसडर

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जयपुर स्थित किड्स ओरिजिन पब्लिक स्कूल की दो छात्राओं को स्वस्थ भारत (न्यास) ने स्वस्थ बालिका स्वस्थ समाज कैम्पेन का गुडविल अम्बेसडर मनोनीत किया है. इस कैम्पेन को पूरे देश में फ़ैलाने के मकसद से निकली स्वस्थ भारत यात्रा दल ने अपने 2 दिवसीय जयपुर प्रवास के दौरान दिया गर्ग और नीलम शर्मा को गुडविल अम्बेसडर के लिए चुना. इन दोनों बालिकाओं को यह सम्मान स्कूल के वार्षिक उत्सव में दिया जायेगा. बसंतपंचमी के दिन स्वस्थ भारत यात्रा दल ने किड्स ओरिजिन स्कूल की बचियों से स्वास्थ्य चर्चा की. यात्रा दल के सदस्य एवं न्यास के चेरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने छात्र-छात्राओं से संवाद करते हुए कहा कि अगर उन्हें आगे बढ़ना है, खूब सफलता प्राप्त करनी है तो स्वस्थ रहना पड़ेगा. इसके लिए जरूरी है की हम साफ सफाई पर ध्यान दें. घर के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर की सफाई पर भी ध्यान देना अति आवश्यक है. उन्होंने बालिकाओ एवं बालकों स...