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कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

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वर्तमान कोरोना वायरस रोग (कोविड-१९) महामारी के कारणवश इस वर्ष का विश्व जनसंख्या दिवस बहुत ही प्रासंगिक और सामयिक रहा क्योंकि राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, कोविड-१९ महामारी से सम्बंधित तालाबंदी के दौरान महिला-हिंसा और प्रताड़ना में बढ़ोतरी ही हुई है. भारत की प्रख्यात महिलाधिकार कार्यकर्ता, हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अनुबद्ध प्रोफेसर और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया से जुड़ीं डॉ गीता सेन ने इस बात पर दुःख जताया कि कोविड-१९ महामारी के चलते एशिया पैसिफिक देशों (जिसमें भारत भी शामिल है) में महिलाओं/ किशोरियों से सम्बंधित अनेक प्रचलित हानिकारक प्रथाओं के जोखिम को बढ़ावा मिला है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के यूएनएफपीए की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट २०२० में कहा गया है. महामारी के दौरान महिला-हिंसा की समानांतर महामारी करीब ४० सालों से महिलाधिकार के लिए समर्पित डॉ गीता सेन ने बताया कि म...
One-nation one-card should be introduced in Delhi to cover complete city-population on fast track

One-nation one-card should be introduced in Delhi to cover complete city-population on fast track

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It refers to news-item about Delhi Chief Minister directing fast disposal of 1.80 lakh pending applications for ration cards at rate of 40000 applications per month. But Delhi should be selected for experimenting ideal one-nation one-card system as announced by Union Finance Minister on 14.05.2020 for complete population of Delhi on a fast track rather than disposing just 1.80 lakh pending applications for ration-cards covering only 8 lakh people of the city out of total population of more than 2 crores. Since ultimately one-nation one-card system is to be adopted, any issue of new ration-cards for pending 1.80 lakh applications will be duplication of work resulting in over-spent of public-resources.   One-nation one-card system if made compulsory, will serve multiple purposes if Aad...
ऑनलाइन पढाई बच्चों  को रास नहीं आई

ऑनलाइन पढाई बच्चों को रास नहीं आई

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ऑनलाइन शिक्षा के परिणाम समाज के सामने आने लगे है | बच्चों और उनके अभिभावकों का एक बड़ा प्रतिशत एकाएक गाज की तरह सर पर आ गिरी इस मुसीबत से दो-दो हाथ करने के लिए तैयार नहीं थे | जिन बच्चों ने कभी घर पर किताब खोली तक नहीं थी, अब उन्हें घर पर ही बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। यह और बात है कि किताब-कापी  उन्हें अब भी नहीं खोलनी, बस कंप्यूटर खोलना है। बड़े नामी स्कूल तो पूरी बेहरहमी के साथ घर में भी स्कूली यूनिफार्म के साथ ऑन लाइन होने की हिदायत देते हैं | मध्यम श्रेणी स्कूल भी बड़े स्कूलों की तरह पूरी निष्ठुरता से फ़ीस वसूल रहे है | इन स्कूलों ने छात्रों  को स्कूलों की वर्दी आदि से छूट है| ऑनलाइन शिक्षा में आ रही दिक्कतों के कारण करीब ४३ प्रतिशत दिव्यांग बच्चे पढ़ाई छोड़ने की तैयारी कर रहे हैं। एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। दिव्यांग लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन स्वाभिमान ने मई में ओ...
कमजोर हो चुकी कांग्रेस कई तरीकों से मजबूत हो सकती है

कमजोर हो चुकी कांग्रेस कई तरीकों से मजबूत हो सकती है

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राजस्थान में कांग्रेस सरकार का भविष्य जो भी हो, इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि एक राष्ट्रीय राजनीतिक दल के तौर पर कांग्रेस काफी कमजोर हो चुकी है। कुछ राज्यों में कांग्रेस को बहुमत मिला और कुछ में वह सबसे बड़ा दल बनकर उभरी लेकिन आज कांग्रेस उनमें से कई में विरोधी दल बनकर बैठने पर मजबूर हुई है। इस सर्वज्ञात तथ्य के बावजूद हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी पार्टियों में रही है। कांग्रेस जितने वर्षों तक इस विशाल देश में सत्तारुढ़ रही है, शायद दुनिया की कोई पार्टी नहीं रही है। आज भी देश का कोई जिला ऐसा नहीं है, जहां कांग्रेस के कार्यकर्ता न हों। कांग्रेस के अध्यक्षों में किस धर्म, किस जाति, किस प्रांत, किस भाषा और किस योग्यता के लोग नहीं रहे ? सबसे बड़ी बात यह है कि देश की आजादी का बहुत बड़ा श्रेय कांग्रेस को ही है। तो ऐसी कांग्रेस का अत्यंत निर्बल हो जाना य...
दल-बदलुओं के बीच पिसती राजनीति

दल-बदलुओं के बीच पिसती राजनीति

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हाल ही में राजस्थान में बिगड़ते राजनीतिक संकट के बीच राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष द्वारा बागी विधायकों को ‘दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्यता नोटिस जारी किया गया है। इसको लेकर बागी काॅन्ग्रेसी नेता सचिन पायलट और 18 अन्य असंतुष्ट विधायकों ने अयोग्यता नोटिस को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। मामले पर  बागी विधायकों का तर्क है विधानसभा के बाहर कुछ नेताओं के निर्णयों और नीतियों से असहमत होने के आधार पर उन्हें संसदीय ‘दलबदल विरोधी कानून’ के तहत अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है,ऐसा करना गलत है। मामला ये है कि राजस्थान के कांग्रेसी उपमुख्यमंत्री सहित कॉंग्रेस के कुछ बागी विधायक हाल ही में 'काॅन्ग्रेस विधायक दल  की बैठकों में बार-बार निमंत्रण देने के बावज़ूद शामिल नहीं हुए थे। इसके बाद राज्य में पार्टी के मुख्य सचेतक की अपील पर विधानसभा अध्यक्ष द्वारा इन विधायकों को...
Delhi Police and Justice-Delivery-System should co-ordinate to flush out gangsters in Delhi now active in recovery-process after lockdown

Delhi Police and Justice-Delivery-System should co-ordinate to flush out gangsters in Delhi now active in recovery-process after lockdown

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Gangsters are reported to have been active in Delhi known for torturing and life-threatening recovery-process especially after lockdown when many loan-takers are not in position to pay-off loans. Even banks and Non-Banking-Financial-Companies NBFCs are said to have hire such gangster-teams some of which are even controlled by their heads in jail because of poor-most justice-delivery-system where justice can practically be achieved only through god-drafted police-encounters. Loan-takers are threatened of being killed in case such illegal activities are reported to police. There are big advocates hired by such gangster-agencies to save them in case of any police-action or court-case. Lt Governor and Chief Minister of Delhi should take up the matter with Chief Justice of Delhi High Court s...
उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

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आज हम उस समाज में जी रहे हैं जिसे अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन करने में महारत हासिल है। वो समाज जो एकतरफ अपने उदारवादी होने का ढोंग करता है, महिला अधिकारों, मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बड़े बड़े आंदोलन और बड़ी बड़ी बातें करता है लेकिन जब इन्हीं अधिकारों का उपयोग करते हुए कोई महिला या पुरूष अपने ऐसे विचार समाज के सामने रखते हैं तो इस समाज के कुछ लोगों को यह उदारवाद रास नहीं आता और इनके द्वारा उस महिला या पुरुष का जीना ही दूभर कर दिया जाता है। वो लोग जो असहमत होने के अधिकार को संविधान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा अधिकार मानते हैं वो दूसरों की असहमती को स्वीकार ही नहीं कर पाते। हाल ही के कुछ घटनाक्रमों पर नज़र डालते हैं। 1.हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की एक छात्रा को सोशल मीडिया पर धमकी दी गई है कि यूनिवर्सिटी खुलने के बाद उसे जबरन पीतल का हिजाब पहनाया जाएगा। उसक...
कार्यस्थलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई कोविड-सुरक्षा यूनिट

कार्यस्थलों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित नई कोविड-सुरक्षा यूनिट

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नई दिल्ली, 17 जुलाई (इंडिया साइंस वायर): कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए शोधकर्ता विभिन्न युक्तियां खोजने में जुटे हुए हैं। दुर्गापुर स्थित सेंट्रल मेकैनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआई) के शोधकर्ताओं ने इस दिशा में काम करते हुए नया ‘कोविड प्रोटेक्शन सिस्टम’ (कॉप्स) ईजाद किया है जो कार्यस्थलों पर कोविड-19 का संक्रमण रोकने में उपयोगी हो सकता है। कॉप्स सिस्टम में संपर्क रहित सोलर आधारित ऑटोमेटेड मास्क डिस्पेंसिंग यूनिट और थर्मल स्कैनर (इंटेलिमास्ट) लगाया गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इंटरनेट ऑफ थिंग्स पर आधारित यह सिस्टम स्वचालित कामकाज में मददगार होगा। सीएमईआरआई द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि यह तकनीक व्यावसायिक हस्तांतरण के लिए तैयार है। निकट भविष्य में सीएमईआरआई की योजना एक डिजिटल एंट्री मैनेजमेंट सिस्टम विकसित करने की है। सोलर आधारित इंटेलिमास्ट ...
भारत में सच्चा लोकतंत्र कैसे लाएं ?

भारत में सच्चा लोकतंत्र कैसे लाएं ?

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कल के मेरे लेख हमारे ‘ढोंगी लोकतंत्र’ पर प्रतिक्रियाओं की बरसात हो गई। लोग पूछ रहे हैं कि भारत को सच्चा लोकतंत्र कैसे बनाएं ? कुछ सुझाव दीजिए। सबसे पहले देश की सभी पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र हो याने किसी भी पद पर कोई भी नेता बिना चुनाव के नियुक्त न किया जाए। पार्टी के अध्यक्ष तथा सभी पदाधिकारियों का सीधा चुनाव हो, गुप्त मतदान द्वारा। दूसरा, किसी को भी नगर निगम, विधानसभा या संसद का उम्मीदवार घोषित करने के पहले यह जरुरी हो कि वह पार्टी-सदस्य पहले अपनी पार्टी के आतंरिक चुनाव में बहुमत प्राप्त करे। नेताओं द्वारा नामजदगी एकदम बंद हो। तीसरा, यह भी किया जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष, महासचिव और सचिवों को दो बार से ज्यादा लगातार अपने पद पर न रहने दिया जाए। चौथा, पार्टी के आय और व्यय का पूरा हिसाब हर साल सार्वजनिक किया जाए। हमारी पार्टियों को रिश्वत और दलाली के पैसों से परहेज करना सिखाया जाए। पां...
मार्च 2021 तक कोरोना से 28 लाख मौत – भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु

मार्च 2021 तक कोरोना से 28 लाख मौत – भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु

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भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु ने एक स्टडी में दावा किया है की 1 सितम्बर 2020 तक देश में 35 लाख कोरोना संक्रमित होगे, जबकि बेंगलुरु में 2.1 लाख कोरोना संक्रमित होगे | भारत में इस समय कोरोना वायरस तेजी से बढ़ रहा है | ऐसे में इस स्टडी का महत्व बढ़ जाता है | इनके द्वारा यह दावा वर्तमान में कोरोना संक्रमण की बढ़ती गति के आधार पर किया गया है | इसी अवधि तक सक्रीय कोरोना केस की संख्या पुरे देश में 10 लाख रहेगी जबकि कर्नाटका में सक्रीय कोरोना संक्रमित की संख्या 1 सितम्बर 2020 तक 71,300 रहेगी | भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) बेंगलुरु का यह भी दावा है की यदि संक्रमण पर कुछ नियन्त्रण हो पाता है तो 1 सितम्बर 2020 तक कोरोना संक्रमण संख्या पुरे देश में 20 लाख होगी जिनमे से सक्रीय केस 4.75 लाख रहेगी और इस संक्रमण से मरने वाले लोगो की संख्या 88000 संभावित है | कर्नाटका के सन्दर्भ में इस अवधि में...