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सवाल गुणवत्ता का !

सवाल गुणवत्ता का !

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रजनीश कपूरपिछले सप्ताह दिल्ली एनसीआर के दो शॉपिंग मॉल की छत गिरने से देश भर में एक ख़ौफ़ का संदेश गया। जिस तरह एकनामी शॉपिंग मॉल की छत ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर नीचे आ गिरी इससे इसके निर्माण और गुणवत्ता पर कईसवाल उठाए जा रहे हैं। शहर के नामी बिल्डर द्वारा निर्मित इस करोड़ों रुपये के मॉल में कई महँगे ब्रांड की दुकानें हैं। यहमॉल ग्राहकों और सैलानियों से भरा रहता है। ऐसे में विभिन्न मॉल में जाने वालों को अब वहाँ जाने से पहले यह सोचनापड़ेगा कि क्या बड़े-बड़े मॉल में जाना सुरक्षित है या वे वापिस अपने स्थानीय बाज़ारों में ही ख़रीदारी करने जाएँ?दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज इलाक़े में स्थित एम्बिएंस मॉल की छत रविवार की देर रात अचानक गिरी। ग़नीमत है कि यहहादसा मध्यरात्रि के बाद हुआ जब वहाँ पर लोग नहीं थे। यदि ऐसा हादसा सुबह या दोपहर के समय हुआ होता तो जान-माल का नुक़सान कई गुना होता, क्योंक...
प्रधानमंत्री मोदी का विकसित भारत का रोडमैप और मिशन 400 का लक्ष्य पाने का आत्मविश्वास

प्रधानमंत्री मोदी का विकसित भारत का रोडमैप और मिशन 400 का लक्ष्य पाने का आत्मविश्वास

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प्रधानमंत्री मोदी का विकसित भारत का रोडमैप और मिशन 400 का लक्ष्य पाने का आत्मविश्वासमृत्युंजय दीक्षितआगामी लोकसभा चुनाव की प्रक्रिया प्रारम्भ होने में अब गिनती के दिन बचे हैं,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकसित भारत के रोडमैप के साथ पूरी तरह चुनावी मोड में हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उनके पिछले दो कार्यकाल की उपलब्धियों को देखते हुए एक बार फिर भी मोदी सरकार का आना तय है और यही कारण है कि उनके नेतृत्व में मंत्रिपरिषद की अंतिम बैठक में 2047 तक विकसित भारत बनाने के विजन पर चर्चा की गयी।इस बैठक में न सिर्फ वर्ष 2047 तक भारत को विकसित देश बनाने के दृष्टिपत्र पर चर्चा की गयी अपितु मई 2024 में गठित होने वाली नई सरकार के कार्यकाल के पहले सौ दिन के एजेंडे पर भी विचार विमर्श हुआ। कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री ने जहाँ फिर से सरकार बनने का विश्वास जताया वहीं उन्होंने यह भी कहा ...
<strong>भारत</strong> <strong>में तृतीय तिमाही में सकल घरेलू</strong> <strong>उत्पाद</strong> <strong>की</strong> <strong>वृद्धि</strong> <strong>दर ने चौंकाया</strong> <strong>है</strong>

भारत में तृतीय तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर ने चौंकाया है

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वित्तीय वर्ष 2023-24 की तृतीय तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर ने भारत सहित विश्व के समस्त आर्थिक विश्लेशकों को चौंका दिया है। इस दौरान, भारत में सकल घरेलू उत्पाद में 8.4 प्रतिशत की वृद्धि हासिल हुई है जबकि प्रथम तिमाही के दौरान वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत एवं द्वितीय तिमाही के दौरान 7.6 प्रतिशत की रही थी। पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान वृद्धि दर 4.4 प्रतिशत रही थी। साथ ही, क्रेडिट रेटिंग संस्थान इकरा ने इस वर्ष तृतीय तिमाही में 6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान एवं भारतीय स्टेट बैंक ने भी 6.9 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया था। कुल मिलाकर, लगभग समस्त वित्तीय संस्थानों के अनुमानों को झुठलाते हुए सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत की रही है।  हम सभी के लिए हर्ष का विषय तो यह है कि विनिर्माण इकाईयों की वृद्धि दर 4.8 प्रतिशत से बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023-24 की तृतीय तिमाह...
<em>कट्टरता के खिलाफ काम करता है 121 मिलियन लोगों का ये इस्लामिक संगठन, 100 साल पुराना इतिहास</em>

कट्टरता के खिलाफ काम करता है 121 मिलियन लोगों का ये इस्लामिक संगठन, 100 साल पुराना इतिहास

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Zayed Award: इंडोनेशिया का नहदलातुल उलमा दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामी संगठन है. ये संगठन इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए शांतिपूर्वक ठंग से पिछले सौ सालों से काम कर रहा है. इंडोनेशिया को कट्टर इस्लाम से बचाए रखने में इस संगठन ने अहम रोल निभाया है. अब यूएई में संगठन को अवॉर्ड दिया गया है. इस्लामिक संगठन नहदलातुल उलमा (Nahdlatul Ulama) को उसके सामाजिक कामों, शिक्षा, शांति और धार्मिक सहिष्णुता के लिए UAE के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. जायद अवॉर्ड (Zayed Award) मिलने के बाद नहदलातुल उलमा के स्कॉलर उलिल अबशार-अब्दल्ला ने कहा, “शांति और धार्मिक सहिष्णुता के लिए नहदलातुल उलमा एक शानदार इंडोनेशियाई मॉडल है. हमारा संगठन 121 मिलियन सदस्यों के साथ दुनिया का सबसे बड़ा इस्लामी संगठन है.” अपने प्रयासों से ये संगठन इंडोनेशियाई फिलॉसफी पेनकासिला (Pancasila) को देश में बनाए...
रद्द होती भर्ती परीक्षाएं, धूमिल होती सरकार की छवि !

रद्द होती भर्ती परीक्षाएं, धूमिल होती सरकार की छवि !

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डॉ अजय कुमार मिश्राउत्तर प्रदेश पुलिस दुनियां की सबसे बड़ी संख्या बल वाली पुलिस है, जिसमें 2.25 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत है | विभाग में चल रही भर्ती को सरकार ने रद्द करके आगामी 6 माह में पुनः परीक्षा की घोषणा की है | निसंदेह पुनः परीक्षा में सजगता देखने को मिलेगी, जिससे पेपर लीक को रोका जा सकेगा | पर इस विषय पर कुछ अधिक कहने और लिखने से पहले कुछ मूल तत्त्वों को भी जानना जरुरी है | कुल 60244 पदों की भर्ती के लिए परीक्षा फरवरी 16 से 18 के मध्य उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में 2385 केंद्र बनाकर आयोजित हुयी थी | इस भर्ती के लिए दिसम्बर 2023 में विज्ञापन निकाला गया था | 48.17 लाख ऑनलाइन आवेदन 27 दिसम्बर 2023 से 16 जनवरी 2024 के मध्य प्राप्त हुए थे | इन प्राप्त आवेदनों में लगभग 2.5 लाख बिहार से, 43 लाख उत्तर प्रदेश से, 98,400 मध्य प्रदेश से, 74,769 हरयाणा से, 97,277 राजस्थान से, 42,259 दिल्...
<em>संघीय मान्यता प्राप्त संवैधानिक संस्थाओं की अवहेलना क्यों?</em>

संघीय मान्यता प्राप्त संवैधानिक संस्थाओं की अवहेलना क्यों?

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देश के सर्वोच्च न्यायालय को राज्य सरकारों के प्रमुखों को संवैधानिक संस्थाओं के सम्मान के बारे में निर्देश देना ही पड़ेंगे, इसकी ज़रूरत अब साफ़ नज़र आ रही है। आज ये प्रश्न खड़े हैं कि दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल संवैधानिक जांच एजेंसियों के सामने पेश क्यों नहीं हो रहे ? क्या आम आदमी इन एजेंसियों के समन को लगातार खारिज कर सकता है? क्या इनके समन को स्वीकार न करना ‘असंवैधानिक’ नहीं है? अदालत का इस व्यवस्था पर एक स्पष्ट आदेश जरूर आना चाहिए। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सीबीआई सरीखी एजेंसियों को संवैधानिक, संघीय मान्यता हासिल है कि वे देश के प्रधानमंत्री को भी जांच के लिए तलब कर सकती हैं। केजरीवाल भी संवैधानिक पद पर हैं और संविधान, लोकतंत्र बचाने के नारों पर राजनीति करते रहे हैं। फिर ईडी के समन को बार-बार ‘अवैध’ करार देना क्या संविधान-सम...
समृद्धि के शिखर एवं गरीबी के गड्ढ़े वाली दुनिया

समृद्धि के शिखर एवं गरीबी के गड्ढ़े वाली दुनिया

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- ललित गर्ग - वैश्विक संस्था ऑक्सफैम ने अपनी आर्थिक असमानता रिपोर्ट में समृद्धि के नाम पर पनप रहे नये नजरिया, विसंगतिपूर्ण आर्थिक संरचना एवं अमीरी गरीबी के बीच बढ़ते फासले की तथ्यपरक प्रभावी प्रस्तुति समय-समय पर देते हुए इसे संतुलित एवं समानतामय संसार-संरचना के लिये घातक बताया है। संभवतः यह एक बड़ी क्रांति एवं विद्रोह का कारण भी बन सकता है। ऑक्सफैम के अनुसार आर्थिक असमानता के लिहाज से पिछले कुछ साल काफी खराब साबित हुए हैं। आज देश एवं दुनिया की समृद्धि कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है, भारत में भी ऐसी तस्वीर दुनिया की तुलना में अधिक तीव्रता से देखने को मिल रही है। भारत में भी भले ही गरीबी कम हो रही हो, लेकिन अमीरी कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है। बीते चार सालों की घटनाएं, इनमें चाहे कोरोना हो या युद्ध या इससे उपजी महंगाई, बेरोजगारी, अभाव इन सभी कारणों के चलते साल 2020 के बाद दुनियाभर म...
<strong>उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस</strong>

उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस

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उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में बीती 8 फरवरी को हुए आम चुनावों के बाद देश में जो एक राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद थी, वह फिलहाल तो पूरी तरह खत्म हो गई हैं। पाकिस्तान, जिसकी नियति ही हो गई है हमेशा संकट में रहना I अब तो वह अराजकता की चपेट में है और भारी मुश्किल की स्थिति में दिखाई दे रहा है। हालांकि लंबी कवायद के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग ( नवाज) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी) ने देश में मिल कर सरकार बनाने का फैसला कर लिया है। फिलहाल राजनीतिक विश्लेषकों, पत्रकारों और आम जन को कुछ समझ नहीं आ रहा कि देश किस दिशा में जा रहा है। हर कोई अनभिज्ञ सा ही दिख रहा है। चुनाव के नतीजों ने पाकिस्तानी सेना के मोटी तोंद वाले जनरलों को उनकी औकात दिखा दी है। उनके लाख चाहने के बावजूद नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग को जनता ने बहुमत नहीं दिया। नवाज शरीफ लंदन ...
<strong>मोदी के तीसरे कार्यकाल की सुखद आहट</strong>

मोदी के तीसरे कार्यकाल की सुखद आहट

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- ललित गर्ग- वर्ष 2024 के आम चुनाव सन्निकट हैं। भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक एवं धमाकेदार जीत के प्रति आश्वस्त है। एक बार फिर प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी एक नयी पारी की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी का यह तीसरा कार्यकाल अगले एक हजार वर्षों के लिए एक मजबूत नींव रखने का कार्यकाल होगा। इस अवधि में भारत दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ विश्वगुरु भी बन सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी के दो कार्यकाल की समीक्षा करें तो स्पष्ट हो जाता है कि उनकी सरकार द्वारा उठाये गये हर कदम एवं उनकी हर बात राष्ट्र निर्माण की दिशा में बढ़ाये गये अनूठे, परिवर्तनकारी एवं सकारात्मक कदम रहे हैं। 2014 से पहले के भारत में भ्रष्टाचार, घोटालों और तुष्टिकरण की ही बात सामने आती थी लेकिन अब विकास, अविष्कार और नवाचार की बातें हो रही हैं, जिनमें नये भारत, सशक्त भारत की जड़े गहरी हुई है। ...
लोकतंत्र में जानने का अधिकार

लोकतंत्र में जानने का अधिकार

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विनीत नारायणकिसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में मतदाता और नेता के बीच यदि विश्वास ही न हो तो वो रिश्ता ज़्यादा लम्बानहीं चलता। लोकतंत्र में हर एक चुना हुआ जनप्रतिनिधि अपने मतदाता के प्रति जवाबदेही के लिए बाध्यहोता है। यदि मतदाता को लगे कि उससे कुछ छुपाया जा रहा है तो वो ठगा सा महसूस करता है। लोकतंत्रया जनतंत्र का सीधा मतलब ही यह होता है कि जनता की मर्ज़ी से चुने गये सांसद या विधायक उनकीआवाज़ उठाएँगे और उनके ही हक़ में सरकार चलाएँगे। यदि मतदाताओं को ही अंधेरे में रखा जाएगा तोदल चाहे कोई भी हो दोबारा सत्ता में नहीं आ सकता। परंतु पिछले सप्ताह देश की शीर्ष अदालत ने एकऐसा फ़ैसला सुनाया जिसने देश के करोड़ों मतदाताओं के बीच उम्मीद की किरण जगा दी।‘इलेक्टोरल बाँड्स’ के ज़रिये राजनैतिक दलों को दिये जाने वाले चुनावी चंदे को लेकर देश भर में एक भ्रमसा फैला हुआ था। जिस तरह इन बाँड्स के ज़रिये दिये जाने वाल...