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समृद्धि के शिखर एवं गरीबी के गड्ढ़े वाली दुनिया

समृद्धि के शिखर एवं गरीबी के गड्ढ़े वाली दुनिया

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- ललित गर्ग - वैश्विक संस्था ऑक्सफैम ने अपनी आर्थिक असमानता रिपोर्ट में समृद्धि के नाम पर पनप रहे नये नजरिया, विसंगतिपूर्ण आर्थिक संरचना एवं अमीरी गरीबी के बीच बढ़ते फासले की तथ्यपरक प्रभावी प्रस्तुति समय-समय पर देते हुए इसे संतुलित एवं समानतामय संसार-संरचना के लिये घातक बताया है। संभवतः यह एक बड़ी क्रांति एवं विद्रोह का कारण भी बन सकता है। ऑक्सफैम के अनुसार आर्थिक असमानता के लिहाज से पिछले कुछ साल काफी खराब साबित हुए हैं। आज देश एवं दुनिया की समृद्धि कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है, भारत में भी ऐसी तस्वीर दुनिया की तुलना में अधिक तीव्रता से देखने को मिल रही है। भारत में भी भले ही गरीबी कम हो रही हो, लेकिन अमीरी कुछ लोगों तक केन्द्रित हो गयी है। बीते चार सालों की घटनाएं, इनमें चाहे कोरोना हो या युद्ध या इससे उपजी महंगाई, बेरोजगारी, अभाव इन सभी कारणों के चलते साल 2020 के बाद दुनियाभर म...
<strong>उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस</strong>

उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस

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उथल-पुथल में पाक, भारत रहे चौकस आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में बीती 8 फरवरी को हुए आम चुनावों के बाद देश में जो एक राजनीतिक स्थिरता की उम्मीद थी, वह फिलहाल तो पूरी तरह खत्म हो गई हैं। पाकिस्तान, जिसकी नियति ही हो गई है हमेशा संकट में रहना I अब तो वह अराजकता की चपेट में है और भारी मुश्किल की स्थिति में दिखाई दे रहा है। हालांकि लंबी कवायद के बाद पाकिस्तान मुस्लिम लीग ( नवाज) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी) ने देश में मिल कर सरकार बनाने का फैसला कर लिया है। फिलहाल राजनीतिक विश्लेषकों, पत्रकारों और आम जन को कुछ समझ नहीं आ रहा कि देश किस दिशा में जा रहा है। हर कोई अनभिज्ञ सा ही दिख रहा है। चुनाव के नतीजों ने पाकिस्तानी सेना के मोटी तोंद वाले जनरलों को उनकी औकात दिखा दी है। उनके लाख चाहने के बावजूद नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग को जनता ने बहुमत नहीं दिया। नवाज शरीफ लंदन ...
<strong>मोदी के तीसरे कार्यकाल की सुखद आहट</strong>

मोदी के तीसरे कार्यकाल की सुखद आहट

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- ललित गर्ग- वर्ष 2024 के आम चुनाव सन्निकट हैं। भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक एवं धमाकेदार जीत के प्रति आश्वस्त है। एक बार फिर प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी एक नयी पारी की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी का यह तीसरा कार्यकाल अगले एक हजार वर्षों के लिए एक मजबूत नींव रखने का कार्यकाल होगा। इस अवधि में भारत दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने के साथ विश्वगुरु भी बन सकेगा। प्रधानमंत्री मोदी के दो कार्यकाल की समीक्षा करें तो स्पष्ट हो जाता है कि उनकी सरकार द्वारा उठाये गये हर कदम एवं उनकी हर बात राष्ट्र निर्माण की दिशा में बढ़ाये गये अनूठे, परिवर्तनकारी एवं सकारात्मक कदम रहे हैं। 2014 से पहले के भारत में भ्रष्टाचार, घोटालों और तुष्टिकरण की ही बात सामने आती थी लेकिन अब विकास, अविष्कार और नवाचार की बातें हो रही हैं, जिनमें नये भारत, सशक्त भारत की जड़े गहरी हुई है। ...
लोकतंत्र में जानने का अधिकार

लोकतंत्र में जानने का अधिकार

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विनीत नारायणकिसी भी स्वस्थ लोकतंत्र में मतदाता और नेता के बीच यदि विश्वास ही न हो तो वो रिश्ता ज़्यादा लम्बानहीं चलता। लोकतंत्र में हर एक चुना हुआ जनप्रतिनिधि अपने मतदाता के प्रति जवाबदेही के लिए बाध्यहोता है। यदि मतदाता को लगे कि उससे कुछ छुपाया जा रहा है तो वो ठगा सा महसूस करता है। लोकतंत्रया जनतंत्र का सीधा मतलब ही यह होता है कि जनता की मर्ज़ी से चुने गये सांसद या विधायक उनकीआवाज़ उठाएँगे और उनके ही हक़ में सरकार चलाएँगे। यदि मतदाताओं को ही अंधेरे में रखा जाएगा तोदल चाहे कोई भी हो दोबारा सत्ता में नहीं आ सकता। परंतु पिछले सप्ताह देश की शीर्ष अदालत ने एकऐसा फ़ैसला सुनाया जिसने देश के करोड़ों मतदाताओं के बीच उम्मीद की किरण जगा दी।‘इलेक्टोरल बाँड्स’ के ज़रिये राजनैतिक दलों को दिये जाने वाले चुनावी चंदे को लेकर देश भर में एक भ्रमसा फैला हुआ था। जिस तरह इन बाँड्स के ज़रिये दिये जाने वाल...
अब भारत से ब्रेन ड्रेन को कम करने का समय आ गया है

अब भारत से ब्रेन ड्रेन को कम करने का समय आ गया है

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अभी हाल ही में इजराईल ने हमास के साथ छिड़े युद्ध के बाद भारत से एक लाख कामगारों को इजराईल भेजने का आग्रह किया है क्योंकि लगभग इतनी ही संख्या में फिलिस्तीन के नागरिक इजराईल में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे थे। हालांकि, इजराईल द्वारा भारत से मांगे गए एक लाख कामगारों की संख्या में इंजीनियर भी शामिल हैं। इसी प्रकार ताईवान ने भी घोषणा की थी कि उसे लगभग एक लाख भारतीय इंजीनियरों की आवश्यकता है। इसके पूर्व जापान ने भी लगभग 2 वर्ष पूर्व घोषणा की थी कि वह 2 लाख भारतीय इंजीनियरों की भर्ती जापान में विभिन्न कम्पनियों में करेगा। एक अन्य समाचार के अनुसार, माक्रोसोफ्ट के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री सत्या नंडेला एवं गूगल के मुख्य कार्यपालन अधिकार श्री सुंदर पिचाई भी प्रयास कर रहे हैं कि इनकी कम्पनियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किस प्रकार भारतीय इंजीनियरों की भर्...

अन्नदाता आंदोलनरत है क्यों?

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देश का अन्नदाता खेत की जगह सड़क पर आंदोलनरत है।यदि राजनीति और अन्य दुराग्रहों को नजरअंदाज कर दें तो देश के लिये अन्न उगाने वाले किसानों का अपनी मांगों के लिये सड़क पर आना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जायेगा। भले ही 2020-21 में हुए लंबे किसान आंदोलन के दौरान होने वाली हिंसक घटनाओं और लाल किले प्रकरण के मद्देनजर केंद्र व हरियाणा सरकार सख्ती दिखा रही हो, लेकिन फिर किसानों के लिये मार्ग में भारी-भरकम अवरोध लगाने और कीलें बिछाने की कार्रवाई को अच्छा नहीं कहा जा सकता है। निस्संदेह,प्रशासन के सामने कानून-व्यवस्था का प्रश्न होता है और ऐसे आंदोलन के दौरान अराजक तत्वों की दखल का अंदेशा बना रहता है। आम नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे उपाय जरूरी हो सकते हैं मगर सवाल यह है कि ऐसी स्थिति आती ही क्यों है? प्रश्न यह है कि समय रहते किसानों के जायज मुद्दों पर संवेदनशील पहल क्यों नहीं हुई ? तीन कृषि कान...
कतर से भारतीय नौ सैनिक रिहा- असर भारत की सफल कूटनीति का

कतर से भारतीय नौ सैनिक रिहा- असर भारत की सफल कूटनीति का

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आर.के. सिन्हा कतर की जेल में बंद भारतीय नौसेनिकों को 18 महीने बाद जेल से रिहाई की सोमवार को जैसे ही खबर आई तो सारा देश ही झूम उठा। कुछ समय पहले इन अधिकारियों की मौत की सजा को अलग-अलग अवधि की जेल की सजा में बदल दिया गया था। तब देश को कम से कम यह संतोष तो था कि चलो हमारे नागरिकों की जान तो बच गई, पर देश यह भी प्रार्थना कर रहा था कि कतर की जेल में बंद भारतीय नागरिक रिहा होकर सकुशल देश वापस आ जाएं। बेशक, इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार की विदेश नीति की बड़ी सफलता ही  माना जाएगा कि कतर से फांसी की सजा घोषित हुए नागरिकों की आज रिहाई हो गई। वे सभी सकुशल और ससम्मान जनक तरीके से भारत की धरती पर वापस लौट आए। इस तरह से भारत की कुशल विदेश नीति को सारे संसार ने देखा और दांतों तले उंगलियाँ दबाकर आश्चर्य से देखते ही रह गये । अमूमन अरब देशों के शेख सामान्य तौर पर ज...
पुस्तकों का मेला क्यों है अलबेला

पुस्तकों का मेला क्यों है अलबेला

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-ललित गर्ग - इंसान की ज़िंदगी में विचारों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्थान है। वैचारिक क्रांति एवं विचारों की जंग में पुस्तकें सबसे बड़ा हथियार है। लेकिन यह हथियार जिसके पास हैं, वह ज़िंदगी की जंग हारेगा नहीं। जब लड़ाई वैचारिक हो तो पुस्तकें हथियार का काम करती हैं। पुस्तकों का इतिहास शानदार और परम्परा भव्य रही है। पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मार्गदर्शक हैं। पुस्तकें सिर्फ जानकारी और मनोरंजन ही नहीं देती बल्कि हमारे दिमाग को चुस्त-दुरुस्त रखती हैं। आज डिजिटलीकरण के समय में भले ही पुस्तकों की उपादेयता एवं अस्तित्व पर प्रश्न उठ रहा हो लेकिन समाज में पुस्तकें पुनः अपने सम्मानजनक स्थान पर प्रतिष्ठित होंगी, इसमें कोई संदेह नहीं है। पुस्तकों पर छाये धुंधलकों को दूर करने के लिये एवं पुस्तक की प्रासंगिकता को नये पंख देने की दृष्टि से लेखक, पुस्तक प्रेमी और प्रकाशकों का ’महाकुंभ’ यानी नई दिल्ली विश्व प...
विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी पर विशेष

विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी पर विशेष

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विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी पर विशेष कैंसर नियंत्रण की दिशा में उठाने होंगे बड़े कदम रमेश सर्राफ धमोरा कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका नाम सुनते ही घबराहट होने लगती है। कैंसर से पीड़ित व्यक्ति बीमारी से अधिक तो कैंसर के नाम से डर जाता है। जिस व्यक्ति को कैंसर होता है वह तो गंभीर यातना से गुजरता ही है उसके साथ ही उसका परिवार को भी बहुत कष्टमय स्थिति में गुजरना पड़ता है। जानलेवा होने के साथ ही कैंसर की बीमारी में मरीज को बहुत अधिक शारीरिक पीड़ा भी झेलनी पड़ती है। कैंसर की बीमारी इतनी भयावह होती है जिसमें मरीज की मौत सुनिश्चित मानी जाती है। बीमारी की पीड़ा व मौत के डर से मैरिज घुट-घुट कर मरता है।  कैंसर के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी रोकथाम, पहचान और उपचार को प्रोत्साहित करने के लिए 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। विश्व कैंसर दिवस का जन्म 4 फरवरी 2000 को पेरिस में ...
हैपी हार्मोंस स्राव कैसे नियमित हो?

हैपी हार्मोंस स्राव कैसे नियमित हो?

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राकेश दुबे *हैपी हार्मोंस स्राव कैसे नियमित हो?* यूँ तो डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन हार्मोन हैं । हार्मोन शरीर में बनने वाले एक तरह के केमिकल होते हैं। ये रक्त के जरिये शरीर के विभिन्न अंगों और ऊतकों तक पहुंचते हैं। हार्मोन हमारे शरीर की सभी तरह की गतिविधियों को तो प्रभावित करते ही हैं, ये हमारी मानसिक और भावनात्मक अवस्थाओं को भी पैदा करते हैं या उनकी प्रकृति के लिए जिम्मेदार होते हैं। ऊपर हमने जिन चार हार्मोंस का जिक्र किया है, इन सबको हैपी हार्मोंस कहते हैं। इनके नियमित और संतुलित स्राव से हम खुश रहते हैं, हमारा मूड अच्छा रहता है। जैसे - एंडोर्फिन जब पर्याप्त रूप से और नियमित स्रावित होता है तो हमारा दिमाग शांत और स्वस्थ रहता है। ये हमें कई तरह के दर्द से राहत दिलाता है, जबकि सेरोटोनिन हमारे मूड को स्थिर रखता है और डोपामाइन हमारे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का एक ...