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लाल किले से 9वीं बार PM मोदी का संबोधन

लाल किले से 9वीं बार PM मोदी का संबोधन

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने लाल किले की प्राचीर से 9वीं बार देश को संबोधित किया. आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. इस बार पीएम ने अपने भाषण में परिवारवाद, भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद पर जमकर हमला बोला.,
आखिर क्यों नहीं देते आमिर खान देश के सवालों के जवाब

आखिर क्यों नहीं देते आमिर खान देश के सवालों के जवाब

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  आखिर क्यों नहीं देते आमिर खान देश के सवालों के जवाब आर.के. सिन्हा कहते हैं कि इंसान को बहुत सोच-समझकर ही कुछ बोलना चाहिए। यानी उसे इस तरह की बातें करने से बचना चाहिए जिससे उसे आगे चलकर कष्ट हो। आमिर खान के साथ आज के दिन यही हो रहा है। आमिर खान ने 2015 में बड़ी बुलंदी से कहा था कि “वे देश के मौजूदा वातावरण में खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं और वे अपने  बच्चों को लेकर  चिंतित हैं और देश छोड़कर जाना चाहते हैं।” उस समय यह बात उन्होंने मोदी सरकार के शासन काल के शुरू होने पर अपनी टिप्पणी के रूप में मोदी विरोधियों की वाहवाही लूटने के लिये कही थीं I उन्हें क्या पता था कि मोदी सरकार लम्बे समय तक भारत पर शासन करने वाला है I आमिर खान अब अपनी पिक्चर लाल सिंह चड्ढा को प्रमोट करते हुये लगभग गिड़गिड़ाने वाले भाव से भारत भर के सिने प्रेमियों से गुजारिश कर रहे हैं कि वे उनकी फिल्म को जरूर देखें। उनकी च...
खेलों में भारत के बढ़ते कदम, 61 पदकों के साथ बना खेल महाशक्ति

खेलों में भारत के बढ़ते कदम, 61 पदकों के साथ बना खेल महाशक्ति

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खेलों में भारत के बढ़ते कदम, 61 पदकों के साथ बना खेल महाशक्ति आर.के. सिन्हा यह कोई बहुत पुरानी बात नहीं हैं जब अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल आयोजनों में भारत की लगभग सांकेतिक उपस्थिति ही रहा करती थी। हम हॉकी में तो कभी-कभार बेहतर प्रदर्शन कर लिया करते थे, पर शेष खेलों में हमारा प्रदर्शन औसत से नीचे या खराब ही रहता था। हमारे खिलाड़ियों- अधिकरियों की टोलियां वहां पर जाकर मौज-मस्ती करके वापस आ जाया करती थी। हिन्दुस्तानी खेल प्रेमियों की निगाहें तरस जाती थीं कि एक अदद पदक को देखने के लिए। पर गुजरे दशक से स्थितियां तेजी से बदल रही हैं खासकर मोदी सरकार के आने के बाद। सबसे बड़ी बात ये है कि हम बैडमिंटन में विश्व चैंपियन बनने लगे हैं, हमारा धावक ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतता है और क्रिकेट में तो हम विश्व की सबस बड़ी शक्ति हैं ही। इस कामनवेल्थ गेम में 22 स्वर्ण पदकों सहित कुल 61 पदकों...
नयी सभ्यता और  संस्कृति में रक्षाबंधन का महत्व

नयी सभ्यता और संस्कृति में रक्षाबंधन का महत्व

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रक्षाबंधन- 11 अगस्त, 2022 पर विशेष नयी सभ्यता और  संस्कृति में रक्षाबंधन का महत्व -ललित गर्ग - भाई-बहन के पवित्र संबंध के महत्व कसे हमारे देश में कई पर्व-त्योहारों में प्रतिबिंबित किया गया है। उनमें रक्षाबंधन सर्वोपरि है, धार्मिक एवं अलौकिक महत्व का यह त्योहार बहन भाई के स्नेह, अपनत्व एवं प्यार के धागों से जुड़ा है, जो घर-घर में भाई-बहिन के रिश्तों में नवीन ऊर्जा एवं आपसी प्रगाढ़ता का संचार करता है। भाई-बहन का प्रेम बड़ा अनूठा और अद्वितीय माना गया है। बहनों में उमंग और उत्साह को संचरित करता है, वे अपने प्यारे भाइयों के हाथ में राखी बांधने को आतुर होती हैं। बेहद शालीन और सात्विक स्नेह संबंधों का यह पर्व सदियों पुराना है। रक्षाबंधन का गौरव अंतहीन पवित्र प्रेम की कहानी से जुड़ा है। उड़ीसा में पुरी का सुप्रसिद्ध जगन्नाथ मन्दिर भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को समर्पित है। जहां सुभद्रा अपने भाई श्रीक...
अमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम?

अमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम?

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अमृत महोत्सव के जश्न में, कहाँ खड़े हैं आज हम? (विश्व की उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है. हालांकि भारत महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतरता है, लेकिन व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घरेलू मुद्दों के कारण वह कमजोर पड़ जाता है। बिना साक्षरता के कोई भी देश आगे नहीं बढ़ सकता। ऐसे में सभी शिक्षित हों तभी सारी समस्याओं से आजादी पाई जा सकती है। साक्षरता के साथ-साथ देश भर में बढ़ती बेरोजगारी युवाओं को गुलामी का अहसास देती है, आखिर वो कब इस से आजाद होगा। ) -सत्यवान 'सौरभ' भारत ने वैश्विक पहचान हासिल करने के लिए ढेर सारी चुनौतियों को पार करते हुए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्रों में से एक बनने के लिए छोटे कदम उठाए। भारत ने आजादी के बाद से...
करियर प्लस एजुकेशन सोसायटी का रजत जयंती समारोह- भारतीय शिक्षा के स्वदेशीकरण का समय

करियर प्लस एजुकेशन सोसायटी का रजत जयंती समारोह- भारतीय शिक्षा के स्वदेशीकरण का समय

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प्रेस विज्ञप्ति करियर प्लस एजुकेशनल सोसायटी का रजत जयंती समारोह भारतीय शिक्षा के स्वदेशीकरण का समय करियर प्लस एजुकेशन सोसाइटी का रजत जयंती समारोह 6 अगस्त 2022 को शांगरी-ला होटल में मनाया गया। इस अवसर पर भारत में उच्च शिक्षा के वर्तमान और भविष्य के बारे में गहन चर्चा और विचार-मंथन हुए। शिक्षा क्षेत्रों के अग्रणी लोगों, कद्दावर राजनेताओं, सरकारी अधिकारियों और सार्वजनिक जीवन की हस्तियों ने उच्च शिक्षा के भविष्य के बारे में अपने विचार साझे किए। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई जिसके पश्चात राष्ट्रगान और गणेश वंदना किए गए। अपने शुभारंभ भाषण में करियर प्लस सोसाइटी के प्रबंध निदेशक अनुज अग्रवाल ने सभी मेहमानों का स्वागत किया और करियर प्लस एजुकेशन सोसाइटी का संक्षिप्त परिचय दिया। उन्होंने निरंतर सहायता और समर्थन के लिए केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन...
Silver Jubilee Celebration of Career Plus Educational Society-It is time for indigenization of Indian Education

Silver Jubilee Celebration of Career Plus Educational Society-It is time for indigenization of Indian Education

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Press Release Silver Jubilee Celebration of Career Plus Educational Society It is time for indigenization of Indian Education Silver Jubilee Celebration of Career Plus Education Society at The Hotel Shangri-La on 6 August 2022 witnessed discussions and brainstorming regarding present and future of higher education in India. Pioneers of education system, veteran politicians, government officials and public life personalities expressed themselves about future course of higher education. The event commenced with lamp lighting which was followed by National Anthem and Ganesh Vandna. In his inaugural address Anuj Agarwal and Niraj Kushwaha, Managing Director, Career Plus Group welcomed all the guests and gave brief introduction of Career Plus Education Society. He expressed gratitude t...
हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने

हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने

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हर घर तिरंगा अभियान और देशभक्ति के मायने नागरिकों के सुरक्षित और समृद्धशाली जीवन के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है; उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा और समृद्धी का होना। इसलिए क्या आपको हर घर तिरंगा फहराने के साथ-साथ हर घर रोज़गार की आवश्यकता ज़्यादा नहीं लग रही है ? आज  आज़ादी के 75 साल बाद भी देश के नौजवान बेरोजागरी के चलते आत्महत्या करने को मजबूर है।  हम सभी देश वासी हर घर तिरंगा लहरायेंगे, लेकिन इस स्वतंत्रता दिवस पर हमें लाल किले से ये आवाज़ भी तो सुनाई दे कि देश के हर नागरिक को समान शिक्षा, स्वास्थ्य सुरक्षा, रोजगार गारंटी दी जाएगी। यही तो सच्चा राष्ट्रवाद है। -प्रियंका 'सौरभ' हर घर तिरंगा आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत एक अभियान है। यह अभियान लोगों को भारत की आजादी के 75वें वर्ष में तिरंगा घर लाने और इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करता है। नागरिकों और तिरंगे के बीच संबंध हमेशा से...
आजीविका मिशन से बढ़ा महिलाओं का स्वावलंबन

आजीविका मिशन से बढ़ा महिलाओं का स्वावलंबन

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आजीविका मिशन से बढ़ा महिलाओं का स्वावलंबन राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम किया है।  स्वयं सहायता समूहों की महिलाएँ न केवल अपने अधिकार के लिए जागरूक हो रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं को उनका हक़ दिलाने और उनकी समस्याएँ सुलझाने के लिए भी प्रयास कर रहीं हैं। गाँवों में महिला सशक्तिकरण का यह अद्भुत उदाहरण है। हरियाणा के भिवानी जिले के सिवानी ब्लॉक के आजीविका मिशन प्रोग्राम मैनेजर जगबीर रमेश सिंहमार का कहना है कि गरीबों में गरीबी से बाहर आने की तीव्र इच्छा होती है, और उनमें जन्मजात क्षमताएं होती हैं इसलिए गरीबों की जन्मजात क्षमताओं को उजागर करने के लिए सामाजिक लामबंदी और गरीबों की मजबूत संस्थाओं का निर्माण महत्वपूर्ण है। सामाजिक लामबंदी, संस्था निर्माण और सशक्तिकरण प्रक्रिया को प्रेरित करने के लिए आजीविका मिशन समर्पित और संवेदनशील संरचना है। -प्रियंका 'सौरभ...
एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी?

एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी?

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एड्स उन्मूलन कैसे होगा यदि सरकारें अमीर देशों पर निर्भर रहेंगी? बॉबी रमाकांत - सीएनएस इस बात में कोई संशय नहीं है कि स्वास्थ्य-चिकित्सा क्षेत्र में तमाम नवीनतम तकनीकी, जैसे कि वैक्सीन, जाँच प्रणाली, दवाएँ, आदि अमीर देशों में विकसित हुए हैं। 4 दशकों से अधिक हो गए हैं जब एचआईवी से संक्रमित पहले व्यक्ति की पुष्टि हुई थी। यदि मूल्यांकन करें तो एचआईवी से प्रभावित समुदाय के निरंतर संघर्ष करने की हिम्मत, और विकासशील देशों (जैसे कि भारत) की जेनेरिक दवाएँ, टीके आदि को बनाने की क्षमता न होती, तो क्या दवाएँ सैंकड़ों गुणा सस्ती हुई होती और ग़रीब देशों तक पहुँची होतीं? आज भी, अमीर देशों में दवाएँ, भारत की तुलना में, सैंकड़ों गुणा महँगी हैं। अमीर देशों पर निर्भर रहते तो कैसे लगभग 3 करोड़ लोगों को जीवनरक्षक एंटीरेट्रोवाइरल दवाएँ मिल रही होतीं? गौर करें कि इनमें से अधिकांश लोग जो एचआईवी के साथ जीवित ह...