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पर्यावरण का संकट एवं द्रौपदी मुर्मू का संकल्प

पर्यावरण का संकट एवं द्रौपदी मुर्मू का संकल्प

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पर्यावरण का संकट एवं द्रौपदी मुर्मू का संकल्प -ः ललित गर्ग :- भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप मंे देश के सर्वाेच्च पद पर, प्रथम नागरिक के आसन पर एक व्यक्ति नहीं, निष्पक्षता और नैतिकता, पर्यावरण एवं प्रकृति, जमीन एवं जनजातीयता के मूल्य आसीन हुए हैं। आजाद भारत में पैदा होकर आजादी के अमृत महोत्सव की बेला में एक ऐसा व्यक्तित्व द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति के आसन पर विराजमान हुई है, जिससे पूरा देश गर्व एवं गौरव का अनुभव कर रहा है। उनके शपथ ग्रहण के साथ देश के जनजाति और वनवासी समुदाय का सिर जिस तरह गर्व से ऊंचा उठा है, वह भारतीय राष्ट्र की नई ताकत और भारतीय राजनीति के नए विस्तार की ओर इशारा करता है। निश्चित ही आदिवासी समुदाय का राष्ट्र की मूलधारा में विस्तार होगा। शपथ ग्रहण के बाद अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति मुर्मू ने आजादी के अमृत महोत्सव को याद किया, जिसे हम कुछ ही दिनों में मनाने वाले है...
“या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा”

“या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा”

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“या तो मैं तिरंगा फहराकर वापस आऊंगा, या फिर उसमें लिपटकर वापस आऊंगा" कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों के प्रयासों और बलिदानों को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन कारगिल युद्ध 1999 के शहीदों को समर्पित है। कारगिल विजय दिवस कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की जीत का प्रतीक है। हमने 527 साहसी आत्माओं को खो दिया, और युद्ध में 1363 सैनिक घायल हो गए। उन बहादुर बलिदानों की उपेक्षा कौन कर सकता है? आइए उनके धैर्य को याद करें और उनके आभारी रहें.-सत्यवान 'सौरभ' कारगिल युद्ध में सैनिकों द्वारा किए गए बलिदान को याद करने के लिए हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। भारतीय सेना के एक मिशन 'ऑपरेशन विजय' ने भारत के लिए अंतिम सफलता हासिल की। कारगिल विजय दिवस प्रत्येक भारतीय द्वारा हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह दिन कारगिल युद्ध 1999 के शहीदों को सम...
उत्तर प्रदेश को अशांत करने का षड्यंत्र?

उत्तर प्रदेश को अशांत करने का षड्यंत्र?

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उत्तर प्रदेश को अशांत करने का षड्यंत्र? मृत्युंजय दीक्षित सावन के पवित्र माह में लाखों की संख्या में शिवभक्त कांवड़िये भोलेनाथ की भक्ति में डूबकर पवित्र कांवड में जल लेकर भगवान शिव पर चढाने जा रहे हैं । सभी प्रसिद्ध व ऐतिहासिक शिव मंदिरों में इनकी भारी भीड़ पहुंच रही है। उत्तरांड के हरिद्वार में ही लाखों शिवभक्त कांवड़िये पहुंच रहे है जो एक अदभुत कीर्तिमान बन रहा है । उत्तर प्रदेश सरकार तथा उत्तराखंड की सरकारों की ओर से कांवड़ यात्रा को ध्यान में रखते हुए अति विशिष्ट प्रबंध किये गये हैं लेकिन यह भीड़ इतनी अधिक है कि यह भी कम लग रहे हैं। वर्ष 2017 से ही योगी अदियानाथ की सरकार कांवड़ यात्रियों की सुविधा का विशेष ध्यान रख रही है और उनकी सुविधा के लिए व्यस्थाएं करती है । उनके भक्ति भाव के सम्मान के लिए उन पर पुष्पवर्षा भी की जाती रही है जो इस बार उत्तराखंड में भी हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्...
डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब

डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब

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डिजिटल शासन के नए युग में परास्त होते गरीब डिजिटल डिवाइड आबादी के अमीर-गरीब, पुरुष-महिला, शहरी-ग्रामीण आदि क्षेत्रों में बनता है। इस अंतर को कम करने की जरूरत है, तभी ई-गवर्नेंस के लाभों का समान रूप से उपयोग किया जा सकेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में ई-गवर्नेंस की पहल जमीनी हकीकत की पहचान और विश्लेषण करके की जानी चाहिए। प्लेटफॉर्म और ऐप-आधारित समाधान गरीबों को पूरी तरह से सेवाओं से वंचित कर सकते हैं या आगे स्वास्थ्य सेवाओं तक उनकी पहुँच को कम कर सकते हैं। जैसे स्लॉट बुक करना फोन, कंप्यूटर और इंटरनेट के बिना उन लोगों के लिये बहुत कठिन हों सकता है।-प्रियंका 'सौरभ' सम्मान के साथ जीने का अधिकार एक संवैधानिक अनिवार्यता है। हालाँकि, यह आज शासन में डिजिटल पहल की चर्चाओं में शायद ही कभी प्रकट होता है। केंद्रीकृत डेटा डैशबोर्ड नीतियों का आकलन करने, मानवीय गरिमा और अधिकारों तक पहुँचने में जितनी...
मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक

मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक

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मिट्टी से लोहपुरुष गढ़ने वाले गंगाधर तिलक-ः ललित गर्ग :-भारत की आजादी के लिये मिट्टी से लोहपुरुषों यानी सशक्त, शक्तिशाली एवं राष्ट्रभक्त इंसानों का निर्माण करने का श्रेय जिस महापुरुष को दिया जाता है, वह लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, जो स्वतंत्रता आंदोलन के समय देश की आशाओं के प्रतीक बने। उनके विचारों और कार्यों ने स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा देने में अग्रिम भूमिका निभाई। उन्होंने ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूँगा’ का नारा देकर लाखों भारतीयों को प्रेरित, संगठित और आन्दोलित किया। तिलक व्यक्ति-प्रबंधन कैसे करते, किस तरह आजादी के लिये हर भारतीय के मन में आन्दोलन की भावना भरते, मनुष्यों को कैसे पहचानते थे और सशक्त-आजाद भारत के लिये बृहत्तर आन्दोलनों के लिये कैसे उनके योगदान को प्राप्त करते थे, वह अपने आपमों विस्मय और अनुकरण का विषय है, उसी का अनुकरण करते हुए प्रधानमंत्री न...
भ्रष्टाचार का दलदल एवं कीचड़ की राजनीति

भ्रष्टाचार का दलदल एवं कीचड़ की राजनीति

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भ्रष्टाचार का दलदल एवं कीचड़ की राजनीति -ः ललित गर्ग :- भ्रष्टाचार के खेल ने दुनिया के सारे लोकतंत्रों को खोखला कर दिया है। भारतीय लोकतंत्र दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, इसलिए इसकी साफ-सफाई ज्यादा जरूरी है। इनदिनों गैरभाजपा प्रांतों में भ्रष्टाचार के मामले बड़ी संख्या में उजागर हो रहे हैं। पहले दिल्ली में आम आदमी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन और अब पश्चिम बंगाल में उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी बता रही है कि ममता बनर्जी एवं अरविन्द केजरीवाल भ्रष्टाचार मुक्त शासन के कितने ही दावे क्यों न करें, लेकिन उनके वरिष्ठ मंत्री भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के घेरे में हैं। विभिन्न राजनीतिक दलों एवं विभिन्न प्रांतों की सरकारों में भ्रष्टाचार की बढ़ती स्थितियां गंभीर चिन्ता का विषय है, चिन्ताजनक स्थितियां भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर किसी सार्थक एवं राष्ट्रहित की बहस ...
*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से*

*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से*

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*भारत को बहुत उम्मीदें हैं , १५ वे राष्ट्रपति से* भारत ने श्रीमती द्रौपदी मुर्मू को देश की १५ वीं राष्ट्रपति चुन लिया । वह इस सर्वोच्च संवैधानिक पद पर पहुंचने वाली देश की पहली आदिवासी महिला हैं । वैसे तो जीत के लिए जरूरी ५ लाख ४३ हजार २६१ वोट के स्थान पर उन्हें ५ लाख ७७ हजार ७७७ वोट मिले। पराजित उम्मीदवार यशवंत सिन्हा २ लाख ६१ हजार ६२ वोट ही प्राप्त कर सके। भारत के १५ वें राष्ट्रपति के रूप में श्रीमती द्रौपदी मुर्मू तय कार्यक्रम के अनुसार शपथ लेंगी | वस्तुत: , राष्ट्रपति सिर्फ संविधान की शपथ नहीं लेते, बल्कि वे संविधान की रक्षा की शपथ लेते हैं। श्रीमती द्रौपदी मुर्मू इस शपथ को निभा पायें | इसी आशा और विश्वास के साथ उन्हें शुभ कामना और बधाई | राष्ट्रपति पद पर आदिवासी महिला का निर्वाचन, भारत का एक बार फिर लोकतंत्रीय व्यवस्था में विश्वास का द्योतक है, यह उस आशा का प्रतीक है जो भारत की आ...
कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन

कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन

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कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन नई दिल्ली। कैंसर केयर ग्रुप भिवानी परिवार मैत्री संघ द्वारा कैंसर केयर गोष्ठी, सम्मान समारोह एवं हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एण्ड रिसर्च सेंटर के इन्द्रप्रस्थ हॉल में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भिवानी गौरव एवं वरिष्ठ समाजसेवी आर.सी. मेहतानी ने की। कार्यक्रम में आरजीसीआइआरसी के चेयरमैन राकेश चोपड़ा मुख्य अतिथि के रूप में, आरजीसीआइआरसी के सीईओ डी.एस. नेगी समारोह गौरव के रूप में, आरजीसीआइआरसी के निदेशक  सुधीर रावल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस मौके पर आरजीसीआइआरसी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. दिनेश भुरानी का अभिनन्दन करते हुए उन्हें विदाई भी दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ आरजीसीआइआरसी के मानद सचिव प्रमोद माहेश्वरी द्वारा दीप प्रज्ज्वलन कर ...
युवा पीढ़ी की नैतिकता और सोशल मीडिया का उपयोग

युवा पीढ़ी की नैतिकता और सोशल मीडिया का उपयोग

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युवा पीढ़ी की नैतिकता और सोशल मीडिया का उपयोग हमारे दिलो दिमाग पर घर करती सोशल नेटवर्किंग साइट्स ने लोगों को वास्तविक जीवन को भूलाकर आभासी जीवन में रहने को मजबूर कर दिया है। ये सच है कि सोशल साइट्स की आदत के कारण युवाओं में व्यक्तिगत संवाद की दिक्कत होती जा रही है, जिसकी वजह से वे आज सामाजिक रूप से प्रभावी संवाद नहीं कर पाते हैं। यही कारण है कि युवा वर्ग में हमारे महापुरुषों के नैतिक आदर्श कम होते जा रहें है और युवा पीढ़ी में धैर्य की भारी कमी देखी जा सकती है। नैतिक दृष्टिकोण के गुणों में विश्वास, श्रद्धा, अच्छाई, सत्यता आदि शामिल हैं, जो इंटरनेट के दौर में गायब है। -सत्यवान 'सौरभ' नैतिक दृष्टिकोण वे दृष्टिकोण हैं जो हमारे नैतिक विश्वासों पर आधारित होते हैं और हमारे सही या गलत की अवधारणा को व्यक्त कर सकते हैं। वे नैतिक सिद्धांतों से अधिक मजबूत हैं। चूंकि नैतिक मान...
सर्वोच्च संवैधानिक पदों का चुनाव और विकृत राजनीति

सर्वोच्च संवैधानिक पदों का चुनाव और विकृत राजनीति

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सर्वोच्च संवैधानिक पदों का चुनाव और विकृत राजनीति मृत्युंजय दीक्षित देश में नये राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया जारी है और इस कड़ी में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। राष्ट्रपति पद के लिए सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं जबकि उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की ओर से जगदीप धनखड़ और विपक्ष की ओर से राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा उम्मीदवार हैं। राष्ट्रपति पद के लिए मतदान संपन्न हो चुका है लेकिन इस बीच जिस प्रकार की राजनीति और बयानबाजी देखने को मिली है वह बेहद ही शर्मनाक और विकृत मानसिकता वाली रही है। यह भी साफ हो गया है कि वर्तमान समय में देश के सभी विरोधी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व में भाजपा को मिल रही लगातार विजय से कितने कुंठित हो गये हैं कि वह विरोध करने के लिए किसी भ...