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योगी के लिए बईमान नौकरशाही* *बनेगी मुसीबत

योगी के लिए बईमान नौकरशाही* *बनेगी मुसीबत

EXCLUSIVE NEWS, घोटाला, राज्य, राष्ट्रीय, सामाजिक
*योगी के लिए बईमान नौकरशाही* *बनेगी मुसीबत* *भ्रष्ट नौकरशाही जनकांक्षाओं को कब्र बना देती है* *आचार्य श्री विष्णुगुप्त* उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ फिर से मुख्यमंत्री बन गये हैं। उनका भारी-भरकम मंत्रिमंडल काम करना भी शुरू कर दिया है। प्रचारित यह किया गया है कि मंत्रिमंडल के गठन में सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व मिला है, इसलिए सभी वर्गो का विकास सुनिश्चित है। खासकर मुस्लिम वर्ग के प्रतिनिधित्व को लेकर खास तरह की चर्चा है। चर्चा यह है कि भाजपा ने ऐसेे व्यक्ति को मंत्रिमंडल में जगह दी है जो शिया मुस्लिम नहीं है बल्कि सुन्नी मुस्लिम है और वह गरीब, अपमानित और हाशिये पर खड़ी मुस्लिम जाति का प्रतिनिधित्व करता है। अब तक भाजपा पर शिया मुस्लिम का प्रभुत्व ही रहता था। योगी के पहले कार्यकाल में जो एक मात्र मुस्लिम मंत्री हुआ करते थे वे शिया मुस्लिम जाति का ही प्रतिनिधित्व करते थे। यूपी और खासकर लखन...
‘आप’ को क्या तकलीफ गांधी जी से

‘आप’ को क्या तकलीफ गांधी जी से

Current Affaires, EXCLUSIVE NEWS, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, राष्ट्रीय, सामाजिक
‘आप’ को क्या तकलीफ गांधी जी से अथवा केजरीवाल यह तो जानें बापू के कितने करीब थे भगत सिंह और बाबा साहेब आर.के. सिन्हा पंजाब और दिल्ली सरकारों के दफ्तरों से गांधी जी के चित्र हटा दिए गए हैं। उनका स्थान ले लिया है भगत सिंह और डॉ.भीमराव अंबेडकर के चित्रों ने। दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकारें हैं। आखिर क्यों दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को और पंजाब में भगवंत मान को यह जरूरी लगा कि वे अपने-अपने राज्यो में गांधी जी के चित्र हटवाएं दें? क्या गांधी जी का चित्र हटाना ज़रूरी था? ‘आप’ के इस कदम से संकेत यह जाता है कि वह भगत सिंह और बाबा साहेब को गांधी जी के सामने खड़ा करना चाहती है। हालांकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। ये तीनों ही पूरे देश के लिये आदरणीय हैं। इन सबका देश ह्रदय से आदर सम्मान करता है। गांधी जी का नाम लेकर हुए अन्ना आंदोलन से निकली ‘आप’  ने ऐसा क्यों किया, यह जवाब उन्हें द...
‘रोहनात’ गांव जहां आज़ादी के 71 साल बाद लहराया तिरंगा

‘रोहनात’ गांव जहां आज़ादी के 71 साल बाद लहराया तिरंगा

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'रोहनात' गांव जहां आज़ादी के 71 साल बाद लहराया तिरंगा -सत्यवान 'सौरभ' आजादी की लड़ाई में भारत के लाखों शूरवीरों ने अपने प्राण न्याैछावर किए थे। मगर आज कुछ यादों को संजोया गया है तो कुछ की किसी को जानकारी ही नहीं है। इसी में शामिल थी 1857 की क्रांति की एक कहानी, जिसमें अंग्रेजी सेना के छक्के छुड़ाने वाले गांव रोहनात हिसार (हरियाणा) के वीर थे। वो 29 मई 1857 की तारीख थी। हरियाणा के रोहनात गांव में ब्रिटिश फ़ौज ने बदला लेने के इरादे से एक बर्बर ख़ूनख़राबे को अंजाम दिया था। बदले की आग में ईस्ट इंडिया कंपनी के घुड़सवार सैनिकों ने पूरे गांव को नष्ट कर दिया।  लोग गांव छोड़कर भागने लगे और पीछे रह गई वो तपती धरती जिस पर दशकों तक कोई आबादी नहीं बसी। दरअसल यह 1857 के गदर या सैनिक विद्रोह, जिसे स्वतंत्रता की पहली लड़ाई भी कहते हैं, के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों के कत्लेआम की जवाबी कार्रवाई थी। रो...
अतिरिक्त भोजन के बावजूद भारत भुखमरी के कगार पर क्यों ?

अतिरिक्त भोजन के बावजूद भारत भुखमरी के कगार पर क्यों ?

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अतिरिक्त भोजन के बावजूद भारत भुखमरी के कगार पर क्यों ? -सत्यवान 'सौरभ' ग्लोबल हंगर इंडेक्स वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को ट्रैक करता है। यह अपने स्कोर की गणना करने के लिए चार मापदंडों का उपयोग करता है जैसे कि अल्पपोषण, बच्चों की कम वृद्धि दर और बाल मृत्यु दर। जीएचआई 2021 की रिपोर्ट ने भारत को बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल से नीचे 101वें स्थान पर रखा है। स्थिति गंभीर है और देश व्यापक भूख से जूझ रहा है। भारत वैश्विक भूख सूचकांक में खराब प्रदर्शन पर है यद्यपि हमारे पास अतिरिक्त भोजन है, अधिकांश छोटे और सीमांत कृषक परिवार अपने साल भर के उपभोग के लिए पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन नहीं करते हैं। लोगों के एक वर्ग की सापेक्ष आय में गिरावट आई है। इसका पर्याप्त भोजन खरीदने की उनकी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, खासकर जब खाद्य कीमतों में वृद्धि हो रही है। छोटी और सीम...
संसदीय लोकतंत्र और वैश्वीकरण

संसदीय लोकतंत्र और वैश्वीकरण

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संसदीय लोकतंत्र और वैश्वीकरण संसद सरकार के कामकाज के लिए एक केंद्रीय आधारभूत संस्था है। दुनिया भर के देशों ने संसदीय संस्थाओं को इस तरह विकसित किया है जो स्थानीय जरूरतों के लिए सबसे उपयुक्त है। सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई विविधताओं के बावजूद, एक सामान्य बात यह है कि विभिन्न देशों की संसदें लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनकी जरूरतों, आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति करती हैं; संसद लोगों के प्रतिनिधियों को स्वतंत्र रूप से अपने विचार व्यक्त करने और सरकारी गतिविधियों की जांच करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। इस मंच पर ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर विस्तार से चर्चा की जाती है और शासन के विभिन्न कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों को आकार दिया जाता है। संसद की संस्था एक जीवित इकाई है। इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरती जरूरतों और लगातार बदलते परिदृश्य के साथ खु...
जा सकती है इमरान खान की सरकार, पर हौसले बुलंद हैं*

जा सकती है इमरान खान की सरकार, पर हौसले बुलंद हैं*

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जा सकती है इमरान खान की सरकार, पर हौसले बुलंद हैं* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* इमरान खान को पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बने अभी साढ़े तीन साल ही हुए हैं, लेकिन लगता नहीं कि वह अपना कार्यकाल पूरा कर पाएंगे। हालांकि जैसे जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ का तख्ता-पलट कर दिया था, मौजूदा सेनापति कमर बाजवा को शायद वैसा न करना पड़े। बहुत संभव है, तख्ता-पलट की जगह वोट-पलट के जरिए इमरान को अपदस्थ किया जाए। नवाज शरीफ की मुस्लिम लीग, जरदारी की पीपीपी और फजलुर रहमान की जमात उलेमा-इस्लाम- तीनों ने मिलकर इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा है, जो कब का पास हो जाता। लेकिन पाकिस्तानी संसद की बैठक नहीं बुलाई जा सकी, क्योंकि अभी उसी भवन में ‘इस्लामिक सहयोग संगठन’ का सम्मेलन चल रहा है। बहरहाल, अविश्वास प्रस्ताव पर शीघ्र ही मतदान होना है, लेकिन यह भी संभव है कि उसके पहले ही इमरान अपने इस्तीफे की पेशकश कर दें। इमर...
A new method to fight plastic pollution

A new method to fight plastic pollution

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A new method to fight plastic pollution New Delhi, March (India Science Wire): In a significant development in environmental pollution, a team of researchers from the Indian Institute of Technology (IIT)-Mandi, has developed a method that promises to help transform plastic into hydrogen when exposed to light. The generation of hydrogen from plastics is expected to be more useful because hydrogen is considered the most practical non-polluting fuel of the future. Plastics, most of which are derived from petroleum, are not biodegradable. They cannot be easily broken down into harmless products. It is feared that most of the 4.9 billion tonnes of plastics ever produced would end up in landfills, threatening human health and the environment. In the new study, researchers have develo...
आखिर कैसे भगत सिंह ‘आप के’ लिए एक नायक बन गए?

आखिर कैसे भगत सिंह ‘आप के’ लिए एक नायक बन गए?

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आखिर कैसे भगत सिंह 'आप के' लिए एक नायक बन गए? -प्रियंका 'सौरभ' पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यालय में भगत सिंह की एक तस्वीर विवादों में घिर गई है। आप पार्टी के नए मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह एक समतावादी पंजाब बनाने का सपना देखते हैं जिसका सपना भगत सिंह ने देखा था और जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया। हालांकि,मुख्य रूप से फोटो की प्रामाणिकता की कमी के कारण फोटो में पहने हुए बसंती (पीली) पगड़ी भगत सिंह पर आपत्ति जताई जा रही है। जानकारों के मुताबिक उनकी सिर्फ चार ओरिजिनल तस्वीरें हैं। एक तस्वीर में वह जेल में खुले बालों के साथ बैठे हैं, दूसरी उन्हें टोपी में और दो अन्य उन्हें सफेद पगड़ी में दिखाते हैं। उन्हें पीले या नारंगी रंग की पगड़ी में या हाथ में हथियार लिए हुए दिखाने वाली अन्य सभी तस्वीरें कल्पना की उपज हैं। भगत सिंह एक भारतीय समाजवादी क्रांतिकारी थे, जिनकी भा...
If you thought that Nazis were finished off after World War II, think again

If you thought that Nazis were finished off after World War II, think again

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The history of Europe is a history of relentless brutal, bloody and destructive series of conflict. One of the most alluring target of conquest by big nations was Russia and her surrounding areas, such as Ukraine. Each power used a logic mostly perverted by their beliefs and ideologies to dominate, Russia. Every aggressive power needs an ideology to justify its behaviour and carry out its designs with the support of their population, financiers, glory and power seekers. Napoleon was not the first and Hitler was not the last to covet the incredible riches of the Russian empire. They like the countries in the Western world led by America simply wanted to plunder it. Not all the driving quests for conquest of Russia was economic. There are also religious, political and ideological fo...
कैसे भगत सिंह जोड़ते भारत-पाक को

कैसे भगत सिंह जोड़ते भारत-पाक को

Current Affaires, राष्ट्रीय, सामाजिक
कैसे भगत सिंह जोड़ते भारत-पाक को आर.के. सिन्हा भारत-पाकिस्तान में गुजरे सात दशकों के दौरान कभी कोई बहुत मैत्रीपूर्ण संबंध नहीं रहे। दोनों के बीच कई बार जंग भी हुई। दोनों में आपस में कुछ न कुछ विवाद बना ही रहता है। विवाद के अनेकों कारण हैं। पर भगत सिंह एक इस तरह की शख्सियत हैं जिन्हें दोनों देशों की जनता आदरभाव से देखती है। भगत सिंह भारत के तो निर्विवाद नायकों में से एक मुख्य हैं ही। वे पाकिस्तान में भी बहुत आदर के भाव से देखे जाते हैं। इस लिहाज हमें भगत सिंह के अलावा कोई दूसरी शख्सियत नहीं मिलती। पाकिस्तान के शहर लाहौर और कुछ अन्य स्थानों पर उनका जन्म दिन और शहीदी नियमित रूप से मनाया जाता है। दरअसल भगत सिंह और उनके दो अन्य साथियों क्रमश: राज गुरु और सुखदेव को लाहौर सेंट्रल जेल में 23 मार्च 1931 को फ़ांसी दी गई थी। उन पर इल्ज़ाम लगाया गया था कि उन्होंने एक ब्रितानी अधिकारी की हत्या की...