
एक देश एक बजट : एक सराहनीय कदम
भारत में रेल यात्रा लंबी दूरी तय करने का सबसे सुगम और सहज माध्यम है। आम जनता के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं। ऑनलाइन बुकिंग और सोशल मीडिया नेटवर्किंग ने आम जनता की मुश्किलों को काफी हद तक कम करने में मदद की है। अब तक रेल बचट आम बजट से अलग पेश किया जाता था मगर अब सरकार ने इसका विलय केन्द्रीय बजट के साथ करने का फैसला लिया है। अगले वित्त वर्ष (2017-18) से केंद्रीय बजट और रेल बजट को अलग अलग पेश करने की औपनिवेशिक परंपरा अब खत्म हो जाएगी। सरकार द्वारा उठाया गया यह एक सराहनीय कदम है।
रेल बजट को अलग से पेश करने की यह प्रक्रिया स्वतंत्रता से पूर्व 1924 में ब्रिटिश सरकार ने की थी। साल 1921 में ईस्ट इंडिया रेलवे कमेटी के चेयरमैन सर विलियम एक्वर्थ ने यह देखा कि पूरे रेलवे सिस्टम को एक बेहतर मैनेजमेंट की जरूरत है। दस सदस्यों वाली एक्वर्थ समिति ने अपनी रिपोर्ट में रेल बजट को सामान...