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विकास की नई सोच बनानी होगी

विकास की नई सोच बनानी होगी

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हाल ही में एक सरकारी ठेकेदार ने बताया कि केंद्र से विकास का जो अनुदान राज्यों को पहुंचता है, उसमें से अधिकतम 40 फीसदी ही किसी परियोजना पर खर्च होता है। इसमें मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, संबंधित विभाग के सभी अधिकारी आदि को मिलाकर लगभग 10 फीसदी ठेका उठाते समय अग्रिम नकद भुगतान करना होता है। 10 फीसदी कर और ब्याज आदि में चला जाता है। 20 फीसदी में जिला स्तर पर सरकारी ऐजेंसियों को बांटा जाता है। अंत में 20 फीसदी ठेकेदार का मुनाफा होता हैै। अगर अनुदान का 40 फीसदी ईमानदारी से खर्च हो जाए, तो भी काम दिखाई देता है। पर अक्सर देखने  आया है कि कुछ राज्यों मेें तो केवल कागजों पर खाना पूर्ति हो जाती है और जमीन पर कोई काम नहीं होता। होता है भी तो 15 से 25 फीसदी ही जमीन पर लगता है। जाहिर है कि इस संघीय व्यवस्था में विकास के नाम पर आवंटित धन का ज्यादा हिस्सा भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाता है। जबकि हर प्रधानमंत्री भ...
पैसे और मादक पदार्थों का वोटों पर ग्रहण!

पैसे और मादक पदार्थों का वोटों पर ग्रहण!

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वोट की राजनीति ने पूरा अपराध जगत खड़ा किया हुआ है। मतदान जैसी पवित्र विधा भी आज असामाजिक तत्वों के हाथों में कैद है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान पकड़ी गई नगदी, शराब और अन्य मादक पदार्थों के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। कब जन प्रतिनिधि राजनीति को सेवा और संसद को पूजा स्थल जैसा पवित्र मानेंगे? कब लोकतंत्र को शुद्ध सांसें मिलेंगी? कब तक वोटो की खरीद फरोख्त होती रहेगी? सभी दल एवं नेता अभाव एवं मोह को निशाना बनाकर नामुमकिन निशानों की तरफ कौम को दौड़ा रहे हैं। यह कौम के साथ नाइन्साफी है। क्योंकि ऐसी दौड़ आखिर जहां पहुंचती है वहां कामयाबी की मंजिल नहीं, बल्कि मायूसी का गहरा गड्ढ़ा है। चुनाव का समय देश के भविष्य-निर्धारण का समय है। लालच और प्रलोभन को उत्तेजना देकर वोट प्राप्त करना चुनाव की पवित्रता का लोप करना है। इस तरह वोट की खरीद-फरोख्त होती रहेगी तो देश का रक्षक कौन होगा? पांच राज्यों...
कितना असाधारण अब सौ फीसदी कुदरती हो जाना

कितना असाधारण अब सौ फीसदी कुदरती हो जाना

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प्रकृति का एक नियम है कि हम उसे जो देंगे, वह हमें किसी न किसी रूप में उसे लौटा देगी। जो खायेंगे, पखाने के रूप में वही तो वापस मिट्टी में मिलेगा। सभी जानते हैं कि हमारे उपयोग की वस्तुएं जितनी कुदरती होंगी, हमारा पर्यावरण उतनी ही कुदरती बना रहेगा; बावजूद इसके दिखावट, सजवाट और स्वाद के चक्कर में हम अपने खपत सामग्रियों में कृत्रिम रसायनों की उपस्थिति बढ़ाते जा रहे हैं। गौर कीजिए कि कुदरती हवा को हम सिर्फ धुआं उठाकर अथवा शरीर से बदबूदार हवा छोड़कर खराब नहीं करते; ऐसी हज़ारों चीजें और प्रक्रियायें हैं, जिनके जरिये हम कुदरती हवा में मिलावट करते हैं। जिस भी चीज में नमी है; तापमान बढ़ने पर वह वाष्पित होती ही है। वाष्पन होता है तो उस चीज की गंध तथा अन्य तत्व हवा में मिलते ही हैं। होठों पर लिपस्टिक, गालों में क्रीम-पाउडर, बालों में मिनरल आॅयलयुक्त तेल-शैंपू-रंग, शरीर पर रासायनिक इत्र.. अपनी रोजमर्रा की ज...
Meaning and Significance of Vedic Caste System

Meaning and Significance of Vedic Caste System

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The Vedic Caste System during Ancient Indian Period.       Meaning and Significance of Vedic Caste System The institution of the Vedic caste system of Ancient India which is found among the Hindus has no parallel in the world. The ancient Iranians had some class divisions. But the Hindu caste system with hereditary castes, interdict on intermarriage and inter-dining among various castes is unique. The Vedic caste system in its extreme form makes the lower classes untouchable to the higher classes. This strange social system warrants our study in regard to the origin and development of Ancient Vedic Caste System of India. Three Stages of Evolution When the Aryans first came to India perhaps they did not know the caste system. Scholars have traced three principal stages of evolution ...

Complaint to Speaker Delhi Assembly

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Dear All, Two media reports were published on 20 Feb stating that proceeding for disqualification of membership of Col Devinder Sehrawat, MLA of Bijwasan constituency are under considerations of the Speaker of the Legislative Assembly of Delhi.Report published by Dainik Jagran states that complaint of Anti Party Activities has been submitted by the Aam Aadmi Party Volunteers. Report further states that the Speaker is considering complaint by Volunteers of the party as basis of disqualification of Col Devinder Sehrawat, MLA, as the Constitution of India (Article 10) has provision for processing such complaints (Hilarious Ignorance).The Report of 'Navbharat Times' on the other hand quotes party sources and mentions that Col Devinder Sehrawat, MLA, already suspended by the party is lik...
अनिश्चितताओं और आशंकाओं के बीच

अनिश्चितताओं और आशंकाओं के बीच

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पांच राज़्यों के चुनाव अब अंतिम दौर में हैं। विमुद्रिकरण के मोदी सरकार के निर्णय के बाद सरकार की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा की तरह। रह रह के सरकार के समर्थकों में यह आशंका घर कर रही है कि अगर एनडीए को इन चुनावों में मात मिलती है तो क्या सरकार कालेधन के विरुद्ध अपने सबसे बड़े युद्ध को बीच में ही तो नहीं छोड़ देगी। ऐसे में जबकि कालेधन के सभी अपराधी सबूतों सहित सरकार के रडार पर हैं, अगर एनडीए को कोई झटका लगता है तो सरकार की आर्थिक मोर्चे पर बड़ी नीतिगत पहलों को भी झटका लगना तय है। बड़े कर सुधारों वाले जीएसटी विधेयक को क़ानूनी दर्जा देने की अंतिम लड़ाई संसद में लड़ी जानी है, तो बैंकिंग क्षेत्र में भी बड़े सुधार अपेक्षित हैं और मोदी समर्थकों को सरकार से उम्मीद है कि पांच राज़्यों के चुनावों में बढ़त लेकर वो राज्यसभा में भी बहुमत स्थापित कर लेंगे और फिर राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति के चुनावों में अपन...
अखिलेश के काम नहीं, कारनामें बोलते हैं!

अखिलेश के काम नहीं, कारनामें बोलते हैं!

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यूपी में एक के बाद एक ताबड़तोड़ हो रही हत्याएं, लूटपाट, डकैती, बलात्कार, योजनाओं में बंदरबाट, यादव सिंह जैसे भ्रष्ट अफसरों को बचाने, जवाहरबाग की तर्ज पर जगह-जगह जमीन हथियाने, सरकारी नौकरियों के भर्ती में धांधली एवं मानक में अनदेखी, न्याय के लिए सड़क पर उतरे लोगों को लाठियां, सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों की सपाई गुंडो द्वारा सरेराह कत्लेआम, पेड़ों पर फलों की जगह लटकती बहन-बेटियों की लाशे, हाईवे पर दरिंदगी का तांडव, करोड़ों-अरबों की लागत से बनी सड़कों का छह माह में ही उखड़ जाना, मुजफ्फरनगर समेत 200 से अधिक दंगों में कत्लेआम, आगजनी व खून-खराबा तथा आरोपियों को छोड़ निर्दोषों पर फर्जी मुकदमें दर्ज कर प्रताड़ना और कार्य पूरा हुए बगैर उद्घाटन की संस्कृति, दिन-रात बिजली की अघोषित कटौती, साफ पानी को तरसते शहर, ,अपनी किस्मत पर रोता बुंदेलखंड, बालीवुड के ठुमको पर झूमता सैफई, कश्मीर बनता कैराना ही अगर आपकी ...
Are western journalists and correspondents biased towards India?

Are western journalists and correspondents biased towards India?

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When India’s space agency ISRO launched a successful mission to Mars, prior to the 104 satellites sent in the first week of February, the New York Times ran a demeaning cartoon, showing an Indian farmer with his cow, knocking at the doors of the Elite Space Club. And this triggers an important question: 70 years after Independence, are western journalists and correspondents still biased against India, a country they are supposed to report honestly about, so that their readers, who are mostly ignorant, get enlightened? Well, from a western correspondent himself, the answer is…YES. There are four reasons for that sad fact: 1) India is never in the news in the West unless there is some major catastrophe or huge elections. Thus, if you want to write and be published, you have to ...
So, how polluted is India’s air, really?

So, how polluted is India’s air, really?

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The release of the US-based Health Effects Institute’s (HEI) State of Global Air report has generated the latest alarm over air pollution in India. The report includes an analysis of 25 years of Global Burden of Disease (GBD) data assessing the impact of air pollution on mortality.According to 2015 GBD data, PM2.5 (particulate matter with a diameter of 2.5 micron) contributed to 4.2 million deaths globally, 52% of which occurred in China and India. In 2015, ground-level ozone caused 254,000 deaths worldwide, with India accounting for 42% of these deaths.The report, and media attention, has been focused on particulate matter pollution which has the most immediate harmful impact. However, other pollutants such as sulphur dioxide (SO2) and nitrogen dioxide (NO2) also pose significant health h...
धर्माधारित आतंकवाद –एक सच्चाई

धर्माधारित आतंकवाद –एक सच्चाई

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यह हमारे देश का दुर्भाग्य है कि अनेक अवसरों पर आतंकवादियों के समर्थन में बुद्धिजीवी व कट्टर मुसलमानो के अतिरिक्त ढोगी धर्मनिरपेक्षता वादी और जयचंदी हिन्दुओं की सहभागिता होने से आतंक की जड़ पर प्रहार नहीं हो पाता । इन विपरीत परिस्थितियों के कारण हमारा समाज व राष्ट्र जिहादियों के अनेक षडयंत्रो से घिरता जा रहा है।जिससे अनेक मोर्चो पर हमारे उदासीन रहने के कारण आतंकियों का दुःसाहस भी  बढ़ रहा है।आतंकवाद को मिटाने वालों व आतंकवादियों की इस्लामी पहचान को ढाल बना कर  बचाने वालों में जो समाजिक विभाजन हो गया है वह एक खतरनाक भविष्य का संकेत है। प्रायः  हमें मंदिरो में जो धर्म की शिक्षा दी जाती है उससे अच्छे-बुरे व पाप-पुण्य का ज्ञान अवश्य मिलता है परंतु इससे शत्रु की पहचान का भाव नहीं समझा जा सकता। जबकि मदरसो- मस्जिदों आदि मे धर्म का अर्थ कट्टरता से जोड़ा जाता है , उन्हें कैसे सुरक्षित रहना है बताया जा...