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निजी चार्टर सेवा पर इतनी मेहरबानी क्यों?

निजी चार्टर सेवा पर इतनी मेहरबानी क्यों?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, समाचार
*रजनीश कपूरपिछले सप्ताह हमने देश के नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) की लापरवाही का एक उदाहरण दिया था जहांडीजीसीए एक निजी एयरलाइन की ग़लतियों को अनदेखा कर रही थी। देर से ही सही पर डीजीसीए जागी ज़रूर। परंतु देशके नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन अन्य विभागों के कुछ अधिकारी भारत की एक निजी चार्टर सेवा पर कुछ विशेषमेहरबानियाँ कर रहे हैं। इन मेहरबानियों के चलते अति विशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ हो रहा है।एआर एयरवेज़ नाम की एक निजी एयर चार्टर कंपनी यह खिलवाड़ कर रही है। इस कंपनी की सेवाओं का उपयोग करनेवाले अति विशिष्ट यात्रियों को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं है कि किस तरह उनके जीवन से खिलवाड़ किया जा रहा है। इसकंपनी की सेवाओं का उपयोग उद्योगपतियों, राजनेताओं, नौकरशाहों, फिल्मी सितारों व अन्य मशहूर हस्तियों द्वारा कियाजाता है। या इस कंपनी के मालिक अशोक चतुर्वेदी नियमों की धज्जियाँ उ...
<strong>विदेशी संस्थागत निवेशकों का भारतीय स्टॉक (पूंजी) बाजार में बढ़ रहा है निवेश</strong>

विदेशी संस्थागत निवेशकों का भारतीय स्टॉक (पूंजी) बाजार में बढ़ रहा है निवेश

TOP STORIES, आर्थिक, विश्लेषण
किसी भी देश के लिए स्टॉक (पूंजी) बाजार में हो रहा उतार चढ़ाव उस देश की अर्थव्यवस्था में भविष्य में होने वाले परिवर्तनों को दर्शाता है। यदि स्टॉक बाजार में तेजी दिखाई देती है तो इसका आशय सामान्यतः यह लगाया जाता है कि उस देश की अर्थव्यवस्था में सुधार दृष्टिगोचर है। इसके विपरीत यदि स्टॉक बाजार नीचे की ओर जाता दिखाई देता है तो इसका आशय यह लगाया जाता है कि निकट भविष्य में उस देश की अर्थव्यवस्था में कुछ समस्याएं आने वाली हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में आज लगभग किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं है, जिसके चलते भारत का स्टॉक बाजार नित नई ऊंचाईयां हासिल करता दिखाई दे रहा है। इसके ठीक विपरीत अमेरिका, चीन, रूस, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, आदि जैसे लगभग सभी विकसित देशों में आज आर्थिक समस्याओं का अंबार लगा है। मुद्रा स्फीति की समस्या को तो कई विकसित देश अभी भी सम्हाल नहीं पाए हैं। विदेशी निवेशक संस्थानों का ...
<strong>नैतिकता एवं मर्यादा के मामलें में हम कब अव्वल होंगे?</strong>

नैतिकता एवं मर्यादा के मामलें में हम कब अव्वल होंगे?

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-ः ललित गर्ग:- नैतिकता, मर्यादा एवं आदर्श मूल्यों के लिये दुनिया में पहचान बनाने वाले भारत की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं ने लगातार नैतिकता को तार-तार किया है। नए राजनीतिक मौसम में सत्ता और दाग दोनों साथ-साथ चलते हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है एवं नये बनते भारत की सबसे बड़ी बाधा है। इन हालातों में छोटे से देश न्यूजीलैंड से आई एक खबर भारतीय राजनेताओं के लिए नसीहत भरी है। वहां की न्याय मंत्री किरी एलन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया। इस्तीफे की वजह यह रही कि हद से ज्यादा नशे की हालत में वाहन चलाते हुए किरी ने एक खड़ी हुई कार को टक्कर मार दी थी। जो हादसा हुआ वह यों तो सामान्य लगता है लेकिन प्रतिक्रिया के रूप में नैतिक आधार पर मंत्री ने पद छोड़ दिया, यह भारत के आधुनिक राजनेताओं के लिये एक प्रेरणा है।भारत के सन्दर्भ में न्यूजीलैंड में मंत्री के इस्तीफे का यह उदाहरण इतना ही बताने के लिए काफी है क...
आखिर क्यूं बरी हो जाते हैं गंभीर मामलों के दोषी?

आखिर क्यूं बरी हो जाते हैं गंभीर मामलों के दोषी?

BREAKING NEWS, TOP STORIES, घोटाला, विश्लेषण
देश का जूडिशरी सिस्टम अभी भी तेज गति से काम नहीं कर रहा है जिसका रिज्लट अपराधियों के बरी हो जाने के तौर पर सामने आता है। अदालत में जो केस जितना अधिक लंबा चलता है उससे लोगों की रूचि खत्म होती जाती है। यदि कोई बड़ा मामला होता है और उस केस में अदालत से फैसले के लिए सिर्फ तारीख ही तारीख मिलती रहती है तो उस केस से लोगों का दिलोदिमाग हट जाता है। कई बार मुद्द्ई टूट जाते हैं। इसमें कई बार पुलिस की टीमें भी दोषी होती है, वो देर से चार्जशीट फाइल करती है, इस वजह से कोर्ट में तारीख मिलती रहती है। वकील भी मामलों में देरी से फैसला करवाने के लिए जिम्मेदार होते हैं वो केस को लंबित करते चले जाते हैं। यदि पुलिस पर्याप्त सबूतों के साथ केस फाइल करे और अदालत जल्द फैसला सुनाने पर आमदा हो तो आरोपी छूटने नहीं पाएंगे। *-प्रियंका सौरभ* देश में जूडिशरी और पुलिसिंग की लचर व्यवस्था के चलते ही कई गंभीर से गं...
क्या है कृत्रिम बुद्धि अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या ए.आई?

क्या है कृत्रिम बुद्धि अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या ए.आई?

TOP STORIES, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, राज्य, विश्लेषण
आजकल जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ए.आई. का उपयोग किये जाने की चर्चा हो रही है तो स्वाभाविक रूप से हम सभी के मन में प्रश्न उठता है कि ये ए.आई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धि वास्तव में है क्या और बुद्धि कृत्रिम कैसे हो सकती है?हिंदी के कृत्रिम शब्द का अर्थ है बनावटी यानि जो मूल नहीं है नक़ल है, यही अर्थ आंग्ल भाषा के शब्द आर्टिफिशियल का भी है अतः स्पष्ट है कि कृत्रिम रूप से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता ही कृत्रिम बुद्धि अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जिसे संक्षेप में ए.आई कहते हैं। ए.आई. के माध्यम से कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरम्भ 1950 के दशक में हुआ था इसका जनक जॉन मैकार्थी को माना जाता है उनके अनुसार ए.आई. बुद्धिमान मशीनों, वि...
<strong>मुकदमों के बोझ से झुकी अदालतें एवं जटिल होता जीवन</strong>

मुकदमों के बोझ से झुकी अदालतें एवं जटिल होता जीवन

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
-ः ललित गर्ग:- लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक न्यायपालिका इन दिनों काफी दबाव में है। उस पर मुकदमों का अंबार लगा हुआ है। देश के सर्वोच्च न्यायालय से लेकर विभिन्न अदालतों में मुकदमों का बोझ इस कदर हावी है कि न्याय की रफ्तार धीमी से धीमी होती जा रही है। अदालतों पर बढ़ते बोझ की समस्या की तस्वीर आंकड़ों के साथ पेश की जाए तो आम आदमी न्याय की आस ही छोड़ बैठेगा। साफ है कि एक ओर तो न्यायपालिका पर मुकदमों का बोझ लदा है, दूसरी ओर उसके जरूरत भर न्यायाधीश भी नहीं हैं। देश की न्याय प्रक्रिया को यदि दुरुस्त करना है तो एक साथ दो मोर्चों पर काम करने की जरूरत है। देश के छोटे-बड़े सभी न्यायालयों में लगभग 5 करोड़ मुकदमे पैंडिंग हैं। कई तो 30-30 वर्षों से चल रहे हैं। संबंधित मर-खप गया, कई विदेश चले गये, कईयों को लापता घोषित कर दिया गया। न्याय में विलम्ब करना न्याय से इन्कार करना होता है। न्यायाधीशों पर ...
मणिपुर चीरहरण विशेष

मणिपुर चीरहरण विशेष

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
चीरहरण को देख कर, दरबारी सब मौनप्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वो कौन यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्‍यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्‍टम के बड़े फेलियर का है। क्‍या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्‍या कर रहा है? क्‍यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्‍या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई बड़े सवाल हैं। घटना का वीडियो बहुत परेशान करने वाला है। समाज में रहने वाला व्यक्ति इस वीडियो को देखते ही गुस्से से लाल हो रहा हैं,  इतिहास साक्षी है जब भी किसी आतातायी ने स्त्री का हरण किया है या चीरहरण किया है उसकी क़ीमत संपूर्ण मनुष्य ज़ाति को चुकानी पड़ी है। हमें स्मरण रखना चाहिए- स्त्री का शोषण, उसके ऊपर किया गया अत्याचार, उसका दमन, उसका अपमान.. आधी मानवता पर नहीं बल्कि पूरी मानवता पर एक कलंक ...
<em>मणिपुर समस्या…</em>

मणिपुर समस्या…

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, समाचार
वो लोग जो मणिपुर का रास्ता नहीं जानते…* पूर्वोत्तर के राज्यों की राजधानी शायद जानते हो लेकिन कोई दूसरा शहर का नाम तक नहीं बता सकते उनके ज्ञान वर्धन के लिए पोस्ट… क्योंकि फ्रांस वीडियो चर्चा के बाद इनको बहुत पेट में मरोड़ उठा था मणिपुर को लेकर… एक इतिहास: जब अंग्रेज भारत आए तो उन्होंने पूर्वोत्तर के ओर भी कदम बढ़ाए जहाँ उनको चाय के साथ तेल मिला… उनको इस पर डाका डालना था…उन्होंने वहां पाया कि यहाँ के लोग बहुत सीधे सरल हैं और ये लोग वैष्णव सनातनी हैं… परन्तु जंगल और पहाड़ों में रहने वाले ये लोग पूरे देश के अन्य भाग से अलग हैं तथा इन सीधे सादे लोगों के पास बहुमूल्य सम्पदा है… अतः अंग्रेज़ों ने सबसे पहले यहाँ के लोगों को देश के अन्य भूभाग से पूरी तरह काटने को सोचा… इसके लिए अंग्रेज लोग ले आए इनर परमिट और आउटर परमिट की व्यवस्था… इसके अंतर्गत कोई भी इस इलाके में आने से पहले परमिट बनवाएगा औ...
अनुवाद एक सेतु है

अनुवाद एक सेतु है

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, साहित्य संवाद
हर भाषा का अपना एक अलग मिज़ाज होता है,अपनी एक अलग प्रकृति होती है जिसे दूसरी भाषा में ढालना या फिर अनुवादित करना असंभव नहीं तो कठिन ज़रूर होता है।भाषा का यह मिज़ाज इस भाषा के बोलने वालों की सांस्कृतिक परम्पराओं,देशकाल-वातावरण,परिवेश,जीवनशैली,रुचियों,चिन्तन-प्रक्रिया आदि से निर्मित होता है।अंग्रेजी का एक शब्द है ‘स्कूटर’। चूंकि इस दुपहिये वाहन का आविष्कार हमने नहीं किया,अत: इससे जुड़ा हर शब्द जैसे: टायर,पंक्चर,सीट,हैंडल,गियर,ट्यूब आदि को अपने इसी रूप में ग्रहण करना और बोलना हमारी विवशता ही नहीं हमारी समझदारी भी कहलाएगी । इन शब्दों के बदले बुद्धिबल से तैयार किये संस्कृत के तत्सम शब्दों की झड़ी लगाना स्थिति को हास्यास्पद बनाना है।आज हर शिक्षित/अर्धशिक्षित/अशिक्षित की जुबां पर ये शब्द सध-से गये हैं। स्टेशन,सिनेमा,बल्ब,पावर,मीटर,पाइप आदि जाने और कितने सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी भाषा के ...
रोबोटिक्स और एटोमिक हथियारों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग घातक !

रोबोटिक्स और एटोमिक हथियारों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग घातक !

BREAKING NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण
विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने मानव को अब तक बहुत सी सुविधाएं प्रदान की हैं। विज्ञान मानव के लिए वरदान भी साबित हुआ है तो वहीं दूसरी ओर विज्ञान मानव जाति के लिए अभिशाप भी साबित हुआ है। आज हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(कृत्रिम बुद्धि)के युग में सांस ले रहे हैं। जी हां ,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कि कृत्रिम बुद्धि। दूसरे शब्दों में यदि हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(कृत्रिम बुद्धि)को समझना चाहें तो हम यह बात कह सकते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) यानी कि कृत्रिम बुद्धि मशीनों द्वारा मानव संज्ञानात्मक(कॉग्निटिव) प्रक्रियाओं का अनुकरण है। यह प्रक्रियाओं को स्वचालित(ऑटोमेटिक )करता है और आईटी सिस्टम में संज्ञानात्मक कंप्यूटिंग (मानव विचार प्रक्रियाओं का अनुकरण) को लागू करके मानव बुद्धि को अनुकरण करना इसका लक्ष्य है। सरल शब्दों में यह बात कही जा सकती है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी कि कृत्रिम बुद्धि ...