Shadow

संस्कृति और अध्यात्म

उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

उदारवादियों के सिलेक्टिव लिब्रलिस्म से पर्दा उठने लगा है।

addtop, BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, Today News, TOP STORIES, Uncategorized, राज्य, राष्ट्रीय, विश्लेषण, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
आज हम उस समाज में जी रहे हैं जिसे अपने दोहरे चरित्र का प्रदर्शन करने में महारत हासिल है। वो समाज जो एकतरफ अपने उदारवादी होने का ढोंग करता है, महिला अधिकारों, मानव अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर बड़े बड़े आंदोलन और बड़ी बड़ी बातें करता है लेकिन जब इन्हीं अधिकारों का उपयोग करते हुए कोई महिला या पुरूष अपने ऐसे विचार समाज के सामने रखते हैं तो इस समाज के कुछ लोगों को यह उदारवाद रास नहीं आता और इनके द्वारा उस महिला या पुरुष का जीना ही दूभर कर दिया जाता है। वो लोग जो असहमत होने के अधिकार को संविधान द्वारा दिया गया सबसे बड़ा अधिकार मानते हैं वो दूसरों की असहमती को स्वीकार ही नहीं कर पाते। हाल ही के कुछ घटनाक्रमों पर नज़र डालते हैं। 1.हाल ही में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की एक छात्रा को सोशल मीडिया पर धमकी दी गई है कि यूनिवर्सिटी खुलने के बाद उसे जबरन पीतल का हिजाब पहनाया जाएगा। उसक...
हामिया सोफिया को मस्जिद में तब्दील करने का संदेश घृणात्मक है

हामिया सोफिया को मस्जिद में तब्दील करने का संदेश घृणात्मक है

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
मुस्तफा कमाल पाशा की विरासत बन गयी मजहबी घृणा का नया घर/ तुर्की में इस्लामिक कट्टरपंथ का बोलबाला/ इस्लामिक देश में गैर मुस्लिमों की विरासत और प्रतीक चिन्हों का कोई अर्थ नहीं/ पोप भी विरोध में खड़े हुए/ दुनिया भर में भी विरोध/ यूएनस्कों ने भी चिंता जतायी/ पर तुर्की के इस्लामिक शासक को कोई परवाह नही/ इस्लामिक कट्टरपंथी इसे अपनी जीत मानकर खुशी मना रहे हैं/ कल तुर्की भी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सीरिया के रूप में तब्दील हो सकती है। इस्लामिक दुनिया की दो बड़ी घटनाओं ने दुनिया का ध्यान खींचा है, दोनों घटनाएं विघटन और घृणा से जुड़ी हुई हैं और यह प्रमाणित करती हैं कि इस्लामिक देशों में अन्य धर्मों व पंथों की विरासतों तथा प्रतीक चिन्हों का सम्मान और सुरक्षित रखना मुश्किल काम है तथा काफिर मानसिकताएं इन पर कहर बन कर टूटती हैं। पहली घटना पाकिस्तान की रही हैं जिसमें पाकिस्तान की काफिर मानसिकता ने इस्ल...
शांत रहिये, इमोजी यूज कीजिये और खुश रहिये (हमारी भावनाओं को बगैर सामने रहे भी जाहिर करने का बेहतरीन जरिया हैं इमोजी।)

शांत रहिये, इमोजी यूज कीजिये और खुश रहिये (हमारी भावनाओं को बगैर सामने रहे भी जाहिर करने का बेहतरीन जरिया हैं इमोजी।)

addtop, Uncategorized, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
इमोजी हमारी भावनाओं का संकेत होते हैं, जिनके जरिए आप अपने जज्बातों को बयां करते हैं, और हंसी-ख़ुशी दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ सम्पर्क में रहते है. पूरी दुनिया में विश्व इमोजी दिवस 17 जुलाई को मनाया जाता है. इस दिन "इमोजी का वैश्विक उत्सव" माना जाता है. ये दिवस 2014 के बाद से प्रतिवर्ष मनाया जाता है, पहला इमोजी दिवस साल 2014 में बनाया गया था. इस हिसाब से इस बार इस दिवस की सातवीं सालगिरह है. हालांकि इसकी शुरुआत काफी पहले हुई थी. जापान के डिजाइनर शिगेताका कुरीता ने साल 1999 में ही इमोजी का सेट तैयार किया था. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रिटेन की एक प्रसीद यूनिवर्सिटी में इमोजी पाठ्यक्रम के रूप में शामिल है. वास्तवमें विश्व इमोजी दिवस "जेरेमी बर्गे के दिमाग की उपज" है, लंदन स्थित इमोजीपी के संस्थापक ने इसे 2014 में बनाया था. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार ब...
प्रकृति हमें कब बचाएगी

प्रकृति हमें कब बचाएगी

addtop, EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, Uncategorized, विश्लेषण, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
इस दुष्काल में हुए लॉक डाउन ने भारतीयों को प्रकृति का सानिध्य महसूस कराया था हम घर में रहते हुए सुबह की मंद बयार और गौधुली की उष्मा महसूस करने लगे थे | लॉक डाउन-१ हटा हो या २  हालत बदतर ही  हुए | अब उद्योग खुलने के साथ पर्यावरण सूचकांक फिर डराने लगा है | सच भी है कोई भी व्यावहारिक कारोबार हमेशा इस बात को लेकर चिंतित रहेगा कि वह वो सब करे करे जिन पर उसका कारोबार निर्भर है। पर्यावरण कार्यकर्ताओं का विरोध ठप है क्योंकि लॉकडाउन के कारण लोग एकत्रित नहीं हो सकते। ऐसे में अब तक उनकी अनदेखी करता आया मंत्रालय अब क्यों ध्यान देगा? सच तो यह है कि सारा भारतीय समाज जिस पर्यावरण की निर्मलता से निरापद रहेगा | उस पर्यावरण के मोर्चे पर देश  पिछड़  रहा है |इस  नाकामी का एक मानक येल विश्वविद्यालय के पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक में दिखता है। सन २०२०  में जारी सूचकांक में भारत १८०  देशों में १६८ वें स्थान पर रहा...
भारत में सच्चा लोकतंत्र कैसे लाएं ?

भारत में सच्चा लोकतंत्र कैसे लाएं ?

addtop, Today News, TOP STORIES, Uncategorized, राज्य, राष्ट्रीय, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
कल के मेरे लेख हमारे ‘ढोंगी लोकतंत्र’ पर प्रतिक्रियाओं की बरसात हो गई। लोग पूछ रहे हैं कि भारत को सच्चा लोकतंत्र कैसे बनाएं ? कुछ सुझाव दीजिए। सबसे पहले देश की सभी पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र हो याने किसी भी पद पर कोई भी नेता बिना चुनाव के नियुक्त न किया जाए। पार्टी के अध्यक्ष तथा सभी पदाधिकारियों का सीधा चुनाव हो, गुप्त मतदान द्वारा। दूसरा, किसी को भी नगर निगम, विधानसभा या संसद का उम्मीदवार घोषित करने के पहले यह जरुरी हो कि वह पार्टी-सदस्य पहले अपनी पार्टी के आतंरिक चुनाव में बहुमत प्राप्त करे। नेताओं द्वारा नामजदगी एकदम बंद हो। तीसरा, यह भी किया जा सकता है कि पार्टी अध्यक्ष, महासचिव और सचिवों को दो बार से ज्यादा लगातार अपने पद पर न रहने दिया जाए। चौथा, पार्टी के आय और व्यय का पूरा हिसाब हर साल सार्वजनिक किया जाए। हमारी पार्टियों को रिश्वत और दलाली के पैसों से परहेज करना सिखाया जाए। पां...
Remove word Muslim from name of Aligarh Muslim University to prevent incidents like forcing Hindu girl-student to wear hijab

Remove word Muslim from name of Aligarh Muslim University to prevent incidents like forcing Hindu girl-student to wear hijab

Uncategorized, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
It refers to reports about shocking incident in Aligarh Muslim University where a Hindu girl-student was forced to wear hijab. Things will not improve till psychological security is provided to non-Muslim students by renaming the university simply as Aligarh University. Or else, the university can be named after some great freedom-fighter like Shaheed Bhagatsingh, Lala Lajpatrai or Ashfaqulla Khan. SUBHASH CHANDRA AGRAWAL
संभलिये, दुष्काल की परिणति अपराध वृद्धि हो सकती है

संभलिये, दुष्काल की परिणति अपराध वृद्धि हो सकती है

राज्य, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
इस दुष्काल में कई प्रकार के सर्वे आ रहे हैं | सबको विश्वसनीय नहीं माना जा सकता और न ही सबको अविश्वसनीय |लेकिन जिन सर्वेक्षणों के साथ कोई सरकारी एजेंसी  या कोई अन्य साखपूर्ण संस्था जुडी हो, उसके अनुमान को नकारा नहीं जा सकता | देश के जाने-मने सामाजिक शोध संस्थान ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कहा है कि “कोरोना संक्रमण से उपजे संकट ने जिस तरह देश की आर्थिकी व सामाजिक ताने-बाने को झंझोड़ा है, उसके नकारात्मक प्रभावों का सामने आना लाजिमी है। आज समाज एक अप्रत्याशित भय व असुरक्षा की मनोदशा में पहुंचा है। एक अलग तरह की हताशा व कुंठा का भाव लोगों में घर कर गया है।इसके परिणाम स्वरूप अपराध में वृद्धि हो सकती है | “ वैसे यह साफ़ नजर आ रहा है कि तालाबंदी के पहले दौर ही ने करोड़ों लोगों के रोजगार छीने, ऐसे लोग अभी तक सामान्य स्थिति हासिल नहीं कर पाये। ऐसे में समाज में अपराधों के बढ़ने के लिए उर्वरा भूमि तैया...
सनातन धर्म का वास्तविक स्वरूप

सनातन धर्म का वास्तविक स्वरूप

Uncategorized, धर्म, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
*धर्म बंधुओ, राष्ट्र के रूप में हमारी समस्या और उसके समाधान पर बहुत कुछ लिखा गया है, लिखा जाता रहेगा। मेरी दृष्टि में सबसे पहले हमें समस्या के पूरे स्कैन, उसकी निष्पत्ति और कारण को भली प्रकार से ध्यान में रखना होगा। तभी इसका समाधान सम्भव होगा।* *आपने पूजा, यज्ञ करते समय कभी संकल्प लिया होगा। उसके शब्द ध्यान कीजिये। ऊँ विष्णुर विष्णुर विष्णुर श्रीमद भगवतो महापुरुषस्य विष्णुराज्ञा प्रवर्तमानस्य श्री ब्रह्मणो द्वितीयपरार्धे श्री श्वेत वराहकलपे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे प्रथमचरणे जम्बूद्वीपे भारत वर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मावर्तेकदेशे पुण्यप्रदेशे ......यह संकल्प भारत ही नहीं सारे विश्व भर के हिंदुओं में लिया जाता है और इसके शब्द लगभग यही हैं। आख़िर यह जम्बूद्वीपे भारत वर्षे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मावर्तेकदेशे है क्या ?* *धर्मबंधुओ! जम्बू द्वीप सम्पूर्ण ...
कोरोना कहर से बदली जिन्दगी को स्वीकारें

कोरोना कहर से बदली जिन्दगी को स्वीकारें

addtop, SPECIAL ISSUE, Uncategorized, विश्लेषण, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
कोरोना महासंकट ने हमारी सोच एवं संवेदना ही नहीं बदली बल्कि हमारा सम्पूर्ण जीवन बदल दिया है। जनसंख्या की दृष्टि से विश्व का दूसरा सबसे बड़ा और लोकतंत्र व्यवस्था में सबसे बड़ा राष्ट्र, कोरोना महामारी को नियंत्रित करने में अब तक सफल रहा हैं। हमने भी देशव्यापी लाॅकडाउन, सोशल डिस्टेंसिग, निजी स्वच्छता, संयम, आत्मबल जैसे उपायों से कोरोना वायरस के भयावह प्रसार को रोकने की कोशिश की है। सामुदायिक व्यवहार में इस संयम, स्व-विवेक, सादगी एवं अनुशासन के अभीष्ट परिणाम भी मिले हैं। जहां-जहां इन उपायों का कड़ाई से पालन किया गया है, वहां पर रोगियों की संख्या तथा मृत्यु दर में कमी दर्ज की गई है। इसके विपरीत जहां इन उपायों का उल्लंघन या उनके पालन में ढिलाई बरती गई, वहां पर रोगियों की संख्या में तेजी देखी गई है। अब कोरोना असली चुनौती बन रहा है। अभी हमें पूरी सावधानी एवं सतर्कता बरतनी होगी, अन्यथा कोरोना क...

भारत के लिए नया सिरदर्द

CURRENT ISSUE, जीवन शैली / फिल्में / टीवी, विश्लेषण, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
इन दिनों मुसीबतों के कई छोटे-मोटे बादल भारत पर एक साथ मंडरा रहे हैं। कोरोना, चीन और तालाबंदी की मुसीबतों के साथ-साथ अब लाखों प्रवासी भारतीयों की वापसी के आसार भी दिखाई पड़ रहे हैं। इस समय खाड़ी के देशों में 80 लाख भारतीय काम कर रहे हैं। कोरोना में फैली बेरोजगारी से पीड़ित सैकड़ों भारतीय इन देशों से वापस भारत लौट रहे हैं। यह उनकी मजबूरी है लेकिन बड़ी चिंता का विषय यह है कि इन देशों के शासकों पर दबाव पड़ रहा है कि वे विदेशी कार्मिकों को भगाएं ताकि स्थानीय लोगों के रोजगार में बढ़ोतरी हो सके। इन देशों के कई उच्चपदस्थ शेखों से आजकल जब मेरी बात होती है तो वे यह कहते हुए पाए जाते हैं कि उनके बच्चे अभी-अभी विदेशों से पढ़कर लौटे हैं लेकिन अपने ही देश में सब अच्छी नौकरियों पर विदेशियों ने कब्जा कर रखा है। इस प्रपंच पर इधर सबसे पहले ठोस हमला किया है, कुवैत ने। कुवैत में कुवैतियों की संख्या सिर्फ 13 लाख है जब...