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भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव की ब्यार पर प्रश्नचिन्ह क्यों?

भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव की ब्यार पर प्रश्नचिन्ह क्यों?

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भारत में पिछले एक दशक में, विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में, अतुलनीय सुधार दृष्टिगोचर है और भारतीय अर्थव्यवस्था आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ ही विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था भी बन गई है। आगे आने वाले लगभग पांच वर्षों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, ऐसा आंकलन विश्व के कई वित्तीय एवं आर्थिक संस्थान कर रहे हैं। आज विश्व के कई देश पूंजीवादी मॉडल से निराश होकर भारतीय आर्थिक मॉडल को अपनाने की बात करने लगे हैं क्योंकि सनातन संस्कृति पर आधारित भारतीय आर्थिक मॉडल पश्चिमी आर्थिक मॉडल की तुलना में बेहतर माना जा रहा है। परंतु, दुर्भाग्य से भारत में कुछ राजनैतिक दल एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हुए भारत में हाल ही के समय में हुई आर्थिक प्रगति को कमतर आंकते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था ...

अन्नदाता आंदोलनरत है क्यों?

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देश का अन्नदाता खेत की जगह सड़क पर आंदोलनरत है।यदि राजनीति और अन्य दुराग्रहों को नजरअंदाज कर दें तो देश के लिये अन्न उगाने वाले किसानों का अपनी मांगों के लिये सड़क पर आना दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जायेगा। भले ही 2020-21 में हुए लंबे किसान आंदोलन के दौरान होने वाली हिंसक घटनाओं और लाल किले प्रकरण के मद्देनजर केंद्र व हरियाणा सरकार सख्ती दिखा रही हो, लेकिन फिर किसानों के लिये मार्ग में भारी-भरकम अवरोध लगाने और कीलें बिछाने की कार्रवाई को अच्छा नहीं कहा जा सकता है। निस्संदेह,प्रशासन के सामने कानून-व्यवस्था का प्रश्न होता है और ऐसे आंदोलन के दौरान अराजक तत्वों की दखल का अंदेशा बना रहता है। आम नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनजर ऐसे उपाय जरूरी हो सकते हैं मगर सवाल यह है कि ऐसी स्थिति आती ही क्यों है? प्रश्न यह है कि समय रहते किसानों के जायज मुद्दों पर संवेदनशील पहल क्यों नहीं हुई ? तीन कृषि कान...
चुनावी चंदे के धंधे पर लगी सुप्रीम रोक

चुनावी चंदे के धंधे पर लगी सुप्रीम रोक

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रमेश सर्राफ धमोरा सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए राजनीतिक दलों के लिए चंदा जुटाने की पुरानी इलेक्टोरल बांड स्कीम को अवैध करार देते हुए इसके जरिए चंदा लेने पर तत्काल रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इलेक्टोरल बांड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में गठित पांच जजों की बेंच ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया है। बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। अपने फैसले में चीफ जस्टिस ने कहा है कि पॉलीटिकल प्रोसेस में राजनीतिक दल अहम यूनिट होते हैं। पॉलिटिकल फंडिंग की जानकारी वह प्रक्रिया है जिससे मतदाता को वोट डालने के लिए सही चॉइस मिलती है। वोटर्स को चुनावी फंडिंग के बारे में जानने का अधिकार है। जिससे मतदान के लिए सही चयन ह...
खाली हाथ बजट …..

खाली हाथ बजट …..

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 स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक सुधार की जरूरत। 2024 का अंतरिम बजट प्रशासनिक रवायत है क्योंकि पूर्ण बजट तो जुलाई में आएगा‚ जिस पर नई सरकार का रिपोर्ट कार्ड़ स्पष्ट नजर आएगा। व्यवसायों को फलने-फूलने के लिए एक सक्षम वातावरण बनाने, पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्ग के उत्थान की आवश्यकता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि विकास न्यायसंगत, टिकाऊ और हरित हो, विकास की गुणवत्ता पर ध्यान दें। सरकार को बड़ी-बड़ी योजनाओं पर ध्यान देने की बजाय स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक सुधार पर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि ये गरीबों के लिए महत्वपूर्ण योजनाएं हैं, लेकिन यह इस तथ्य से दूर नहीं है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा बजट बेहद अपर्याप्त हैं, भले ही ये सेवाएं खराब बुनियादी ढांचे, भारी रिक्तियों और अपर्याप्...
<strong>दशकों बाद देश की बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय</strong>

दशकों बाद देश की बजट में रक्षा क्षेत्र के साथ हुआ न्याय

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आर.के. सिन्हा भारत ने एक बार फिर से शत्रुओं को साफ संकेत और सख़्त संदेश दे दिया कि वह अपनी सरहदों की निगाहबानी करने में कभी भी पीछे नहीं रहेगा। भारत अपने  रक्षा क्षेत्र को निरंतर मजबूत करता रहेगा। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के अंतरिम बजट को देश के सामने पेश किया। उन्होंने बजट प्रस्तावों में रक्षा क्षेत्र के लिए पिछले वित्त साल की तुलना में 11.1 फीसद अधिक धन की व्यवस्था की। यह राशि देश के जीडीपी के कुल 3.4 फीसद होगी।यह एक स्पष्ट और सख़्त संदेश है कि चीन और पाकिस्तान जैसे दो घोषित शत्रुओं के साथ भारत कभी भी अपनी सीमाओं की रखवाली करने में कमजोर रहने वाला नहीं है। यह दोनों दी देश घनघोर रूप से धूर्त हैं। इनसे भारत कई बार जंग भी कर चुका है। अगर एक 1962 की जंग को छोड़ दिया जाए तो भारत ने हरेक बार ...
<strong>सशक्त भारत का आधार है कानूनों का सरलीकरण</strong>

सशक्त भारत का आधार है कानूनों का सरलीकरण

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-ः ललित गर्ग:- सुप्रीम कोर्ट की हीरक जयन्ती एक अवसर है भारतीय न्याय प्रणाली की कमियां पर मंथन करते हुए उसे अधिक चुस्त, त्वरित एवं सहज सुलभ बनाना। मतलब यह सुनिश्चित करने से है कि सभी नागरिकों के लिये न्याय सहज सुलभ महसूस हो, वह आसानी से मिले, जटिल प्रक्रियाओं से मुक्त होकर सस्ता हो। इस दृष्टि से यह अकल्पित उपलब्धियों से भरा-पूरा अवसर भारत न्याय प्रक्रिया को एक नई शक्ति, नई ताजगी, और नया परिवेश देने वाला साबित हो रहा है। क्योंकि आजादी के अमृतकाल में पहुंचने तक भारत की न्याय प्रणाली अनेक कंटिली झाड़ियों में उलझी रही है। भारतीय न्यायिक व्यवस्था का छिद्रान्वेषण करें तो हम पाते हैं कि न्यायाधीशों की कमी, न्याय व्यवस्था की खामियाँ और लचर बुनियादी ढाँचा जैसे कई कारणों से न्यायालयों में लंबित मुकदमों की संख्या बढ़ती जा रही है तो वहीं दूसरी ओर न्यायाधीशों व न्यायिक कर्मचारियों पर काम का बोझ बढ़त...
नीतिश की चालों से इंडिया गठबंधन को झटक-ः ललित गर्ग:-

नीतिश की चालों से इंडिया गठबंधन को झटक-ः ललित गर्ग:-

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अब लगभग यह तय हो गया है कि भारतीय जनता पार्टी एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को विपक्षी दलों एवं उनके नेताओं के द्वारा हल्के में लेने की स्थितियां उनके लिये कितनी भारी हो सकती है। दूसरा भारत की राजनीति में भाजपा अगर कुछ करने की ठान लेती है तो वह उसे पूरा करती ही है। बिहार में सत्ता का समीकरण बदलना इसी बात का द्योतक है। बिहार में जारी सियासी उथलपुलथ के बीच आरजेडी के राज्यसभा सांसद अहमद अशफाक ने बड़ा ऐलान करते हुए आखिर कह ही दिया है कि अब जेडीयू और आरजेडी का रिश्ता टूट गया है। इस बात के प्रबल संकेत मिल रहे हैं कि मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने आरजेडी से अलग होने का फैसला कर लिया है। अगर ऐसा हुआ तो बिहार में न केवल महागठबंधन की सरकार गिर जाएगी बल्कि इंडिया महागठबंधन में भी दरारे पड़ जायेगी। यह भी संभावनाएं व्यक्त की जा रही है कि इसके बाद नीतीश एक बार फिर भाजपा के साथ मिलकर बिह...
<strong>नरेन्द्र मोदी के राम एवं राष्ट्र को समझें</strong>

नरेन्द्र मोदी के राम एवं राष्ट्र को समझें

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-ः ललित गर्ग:-केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अयोध्याधाम में प्रभु श्रीराम मंदिर के सफल प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना की और एक धन्यवाद प्रस्ताव में कहा कि लोगों द्वारा उनके प्रति दिखाए गए प्यार और स्नेह ने उन्हें ‘जननायक’ के रूप में स्थापित किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा पढ़े गए इस प्रस्ताव में मोदी को एक नए युग का अग्रदूत बताया गया। क्योंकि उन्हीं की अगुवाई में सोमवार को अयोध्या में संपन्न कार्यक्रम में नवनिर्मित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के गर्भगृह में श्री रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्रस्ताव में यह भी कहा गया, हम कह सकते हैं कि 1947 में इस देश का शरीर स्वतंत्र हुआ था और अब इसमें आत्मा की प्राण-प्रतिष्ठा हुई है। निश्चित ही मोदी अब इस नए युग के प्रवर्तन के बाद, नवयुग प्रवर्तक के रूप में भी सामने आए हैं। श्रीरामलला के नूतन विग्रह में...
तभी अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण सार्थक होगा…..

तभी अयोध्या में श्री राम मंदिर का निर्माण सार्थक होगा…..

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*जब हम "रामराज्य" के मूल आदर्शों को संरक्षित करें, अपने भीतर श्री राम को जागृत करें।* "रामराज्य" की अवधारणा हमेशा भारत के आम लोगों के साथ गूंजती रही है। "रामराज्य" को आम तौर पर भगवान राम का शासन माना जाता है और अक्सर इसे प्रशासन का सबसे अचूक रूप माना जाता है। स्वतंत्रता के समय, यही अवधारणा महात्मा गांधी द्वारा गढ़ी गई थी जब वह भारतीयों द्वारा शासित भविष्य के भारत की कल्पना कर रहे थे। वह लोकतांत्रिक व्यवस्था के बारे में बात कर रहे थे जहां शासक लोगों की खुशी के लिए शासन करेंगे। ऐसी व्यवस्था जहां सभी के लिए समान अधिकार होंगे, चाहे वह किसी भी वर्ग का हो, और हिंसा न्याय प्राप्त करने का माध्यम नहीं हो सकती। आज देश-दुनिया में शत्रुतापूर्ण ताकतों के अशुभ जमावड़े को देखते हुए इसके लिए जबरदस्त प्रयास की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह हमारा सच्चा लक्ष्य है जिसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए। यदि ह...
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

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अयोध्या से आर.के. सिन्हा अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भब्य रूप से सम्पन्न हो गई। संत समाज के अलावा पूरे विश्व से मात्र लगभग ढाई - तीन हज़ार चुनिंदा लोगों को आमंत्रित किया गया था जिसमें सौभाग्य से मैं सपत्नीक आमंत्रित था ।यह सबों के लिये जीवन के एक दुर्लभ क्षण के रूप में याद रखा जाएगा। यह कल्पना से परे अविस्मरणीय दृश्य रहा। अयोध्या के राम मंदिर में अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि - विधान के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसके साथ ही सारा देश सारा देश राममय हो गया।पूरे देश क्या विश्व भर के राम भक्तों के मन में भावनाओं की अनंत आनंद के हिलोरें हैं। भावनाओं की अभिव्यक्ति में शब्द सक्षम या पर्याप्त नहीं हैं। कश्मीर में बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों से लेकर कन्याकुमारी में धूप से सराबोर समुद्र तटों तक,राम नाम की गूंज ने पूरे भारत में भक्ति का माहौल बना द...