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स्वस्थ भारत (न्यास) के सातवें स्थापना दिवस पर पर गाजियाबाद में आयोजित हुआ दो दिवसीय स्वास्थ्य अमृत मंथन शिविर

स्वस्थ भारत (न्यास) के सातवें स्थापना दिवस पर पर गाजियाबाद में आयोजित हुआ दो दिवसीय स्वास्थ्य अमृत मंथन शिविर

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स्वस्थ भारत (न्यास) के सातवें स्थापना दिवस पर पर गाजियाबाद में आयोजित हुआ दो दिवसीय स्वास्थ्य अमृत मंथन शिविर स्वस्थ भारत (न्यास) के सातवें स्थापना दिवस पर पर गाजियाबाद में आयोजित हुआ दो दिवसीय स्वास्थ्य अमृत मंथन शिविर पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल और उतराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी, पद्मश्री रामबहादुर राय और सुलभ इन्टर नेशनल के संस्थापक डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने स्वस्थ भारत न्यास को 7वें स्थापना दिवस के लिए शुभकामनाए दी।   भारत के 26 लोगों को स्वस्थ भारत सारथी और 12 लोगों को स्वस्थ भारत यात्री  सम्मान से किया गया सम्मानित दिल्ली-एनसीआर स्थित मेवाड़ इंस्टिट्यूट में आयोजित दो दिवसीय स्वास्थ्य अमृत मंथन शिविर हुई सम्पन्न देश भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ कोविड काल में भारत के स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र की भूमिका विषय पर किए विचार-मंथ...
क्यों बने भारत हिन्दू राष्ट्र ?

क्यों बने भारत हिन्दू राष्ट्र ?

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क्यों बने भारत हिन्दू राष्ट्र ? विनीत नारायण जब भारत का कोई संत श्री राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन में जुड़ने को तैयार नहीं था तब देशभर के संतों को जोड़कर अकेले अपने बूते पर इस आंदोलन को खड़ा करने वाले विरक्त संत स्वामी वामदेव जी महाराज की प्रबल इच्छा थी कि भारत हिंदू राष्ट्र बने। इस विषय पर दशकों पुराना उनका लेख वृंदावन के विरक्त संत और स्वामी वामदेव महाराज के दाहिने हाथ रहे त्यागी बाबा से प्राप्त हुआ है। उसे यहाँ ज्यों का त्यों प्रस्तुत कर रहा हूँ, “वह राष्ट्र जिसका नाम इण्डिया के स्थान में हिन्दुस्थान होगा, क्योंकि संविधान में ‘इण्डिया दैट इज भारत’ इण्डिया देश का नाम है और ‘भारत’ द्वितीय श्रेणी का नाम है। इसलिये इण्डिया के स्थान में हिन्दुस्थान होना आवश्यक है, जिससे ऐसा भान हो, कि यह देश हिन्दू संस्कृति का है। ऐसा सांस्कृतिक वातावरण बनाया जायेगा, जहाँ हर व्यक्ति सर्वसुखी हों, सर्वनिरोगी...
शिक्षण संस्थान केवल अध्ययन के स्थान नहीं हैं

शिक्षण संस्थान केवल अध्ययन के स्थान नहीं हैं

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शिक्षण संस्थान केवल अध्ययन के स्थान नहीं हैं; ये वे स्थान हैं जो हम में से प्रत्येक की आंतरिक और कभी-कभी छिपी प्रतिभा को निखारते हैं: राष्ट्रपति श्री कोविन्द राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने कहा कि शिक्षण संस्थान केवल अध्ययन के स्थान नहीं हैं; बल्कि ये वे स्थान हैं जो हम में से प्रत्येक की आंतरिक और कभी-कभी छिपी प्रतिभा को निखारते हैं। वह आज (8 मई, 2022) नागपुर के एमआईएचए के दहेगांव मौजा स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान के स्थायी परिसर के उद्घाटन के अवसर पर संबोधित कर रहे थे। राष्ट्रपति ने कहा कि पाठ्यक्रम हमें अपने भीतर के उद्देश्य, महत्वाकांक्षा का आत्मनिरीक्षण करने और अपने सपनों को पूरा करने का अवसर प्रदान करता है। राष्ट्रपति ने कहा कि हम एक ऐसे युग में जी रहे हैं जहां नवाचार और उद्यमिता को सराहा और प्रोत्साहित किया जाता है। नवाचार और उद्यमिता दोनों में न केवल प्रौद्योगिकी के माध्यम...
कोविड-19 उपचार में प्रभावी पायी गई इंडोमिथैसिन

कोविड-19 उपचार में प्रभावी पायी गई इंडोमिथैसिन

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कोविड-19 उपचार में प्रभावी पायी गई इंडोमिथैसिन नई दिल्ली, 06 मई (इंडिया साइंस वायर): भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा किये गए एक नये अध्ययन में हल्के और मध्यम COVID-19 रोगियों के उपचार में एंटीवायरल एजेंट के रूप में, एक गैर-स्टेरायडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवा, इंडोमिथैसिन को प्रभावी पाया गया है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधकर्ताओं द्वारा डिजाइन परीक्षण की मदद से यह अध्ययन अस्पताल में भर्ती हल्के और मध्यम COVID-19 रोगियों पर किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इंडोमिथैसिन एक सस्ती दवा है और इस अध्ययन से इंडोमिथैसिन के उपयोग से हल्के COVID-19 संक्रमण के उपचार का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। यह अध्ययन हाल में शोध पत्रिका नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है। पनीमलार मेडिकल कॉलेज ऐंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में यह अध्ययन आईआईटी मद्रास के सहायक संकाय सदस्य और एमआईओटी हॉस...
ग्वालियर में बनेगा एरोपॉनिक आधारित आलू बीज उत्पादन केंद्र

ग्वालियर में बनेगा एरोपॉनिक आधारित आलू बीज उत्पादन केंद्र

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ग्वालियर में बनेगा एरोपॉनिक आधारित आलू बीज उत्पादन केंद्र नई दिल्ली, 05 मई (इंडिया साइंस वायर): फसलों को रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए जूझ रहे किसानों की मुश्किलें अब बढ़ते प्रदूषण और सिमटती कृषि भूमि की चुनौतियों से और बढ़ गई हैं। इन चुनौतियों से लड़ने के लिए कृषि वैज्ञानिक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का विकास करने में जुटे हैं, जिससे फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा बनी रहे। नये जमाने की अभिनव कृषि तकनीकों में अपनी जगह बना चुकी एरोपॉनिक पद्धति इनमें प्रमुखता से शामिल है। एक नयी पहल के अंतर्गत विषाणु रोग रहित आलू बीज उत्पादन के लिए एरोपॉनिक पद्धति के उपयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ग्वालियर में एक नया केंद्र स्थापित किया जाएगा, जहाँ आलू के बीजों का उत्पादन करने के लिए खेतों की जोताई, गुड़ाई, और निराई जैसी परंपरागत प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होगी। रोगों एवं कीटों के प्रकोप से मुक...
बेहतर कार्ययोजना से लैस हो प्रौद्योगिकी विजन-2047

बेहतर कार्ययोजना से लैस हो प्रौद्योगिकी विजन-2047

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“बेहतर कार्ययोजना से लैस हो प्रौद्योगिकी विजन-2047” नई दिल्ली, 28 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): देश स्वाधीनता के 75वें वर्ष से गुजर रहा है और 25 साल बाद वर्ष 2047 में हम स्वतंत्र भारत की 100वीं वर्षगाँठ मनाएंगे। स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष में देश को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित करना भारत का लक्ष्य है, जिसके लिए स्वयं को समर्पित करने के साथ-साथ एक विस्तृत रूपरेखा की आवश्यकता है। देश के समग्र विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद् (टाइफैक) से प्रौद्योगिकी विजन-2047 दस्तावेज में प्रभावी कार्ययोजना को शामिल किये जाने का आह्वान किया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बद्ध टाइफैक द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘टेक्नोलॉजी ऐंड सस्टेनेबिलिटी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इं...
मुस्लिम नौकरी करने से ज्यादा देने के बारे में भी सोचें

मुस्लिम नौकरी करने से ज्यादा देने के बारे में भी सोचें

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मुस्लिम नौकरी करने से ज्यादा देने के बारे में भी सोचें आर.के. सिन्हा यकीन मानिए कि कभी-कभी बहुत अफसोस होता कि मुसलमानों को उनके रहनुमाओं ने हिजाब, बुर्का, उर्दू जैसे खतरे के वहम में फंसा कर रखा हुआ है। यह बात उत्तर भारत के मुसलमानों को लेकर विशेष रूप से कही जा सकती है। मुसलमानों के कथित नेता यही चाहते हैं कि इनकी कौम अंधकार के युग में ही बनी रहे। वहां से कभी निकले ही नहीं। इसलिए आज के दिन उत्तर भारत के मुसलमानों में जीवन में आगे बढ़ने को लेकर उस तरह का कोई जज्बा दिखाई नहीं देता जैसा हम गैर- हिन्दी भाषी राज्यों के मुसलमानों में देखते हैं। उत्तर भारत के मुसलमान अब भी सिर्फ नौकरी करने के बारे में ही सोचते हैं। जो कायदे से शिक्षित नहीं हैं, वे कारपेंटर, पेंटर, वेल्डर या मोटर मैकनिक बनकर खुश हो जाते हैं। शिक्षित मुसलमान अजीम प्रेमजी (विप्रो), हबील खुराकीवाला (वॉक फार्ड) या युसूफ हामिद (सि...
तूड़े पर धारा-144 लागू, गाय भैंसों के चारे की चिंता

तूड़े पर धारा-144 लागू, गाय भैंसों के चारे की चिंता

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तूड़े पर धारा-144 लागू, गाय भैंसों के चारे की चिंता -प्रियंका 'सौरभ' हरियाणा में गोवंश के चारे पर भारी संकट पैदा हो गया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा मार उन जगहों पर है जिन जिलों में गोशालाएं सबसे अधिक है। प्रदेश के  सिरसा, फतेहाबाद, हिसार जिले में सबसे अधिक गोशालाएं हैं। अभी से तूड़ी के रेट 850 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया है। परिणामस्वरूप इससे गोशालाओं का खर्च भी दोगुना हो गया है। आंकड़ों के अनुसार औसतन 2000 गाय वाली गोशाला में अकेली तूड़ी का खर्च पहले करीब 20 लाख रुपये आता था मगर अब रेट दो गुने होने से यह खर्च भी दोगुना हो गया है। पिछली बार 6000 से 7500 रुपए प्रति क्विंटल बिकी सरसों से इस बार गेहूं और तूड़े की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। प्रदेश भर में गत वर्ष की तुलना में कम एकड़ में गेहूं की बिजाई करने से इस बार तूड़े (गेहूं की फसल के अवशेष से बने पशु चारे) के दाम भी आसमान छू रहे हैं। इस संकट क...
मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’

मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’

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मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’ नई दिल्ली, 20 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): मंगल पर भविष्य में बस्तियां बसाने और लाल ग्रह पर निर्माण की संभावनाओं की तलाश में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इस दिशा में कार्य करते हुए भारतीय वैज्ञानिकों को एक नयी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों ने मंगल पर बस्तियां बसाने में उपयोगी ‘अंतरिक्ष ईंट’ बनाने के लिए बैक्टीरिया आधारित एक विशिष्ट तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर इस तरह की ईंट बनाने में हो सकता है। बेंगलूरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने ‘अंतरिक्ष ईंट’ बनाने के लिए मंगल की सिमुलेंट सॉयल (एमएसएस) यानी प्रतिकृति मिट्टी और यूरिया का उपयोग किया है। इन ‘अंतरिक्ष ईंटों’ का उपयोग मंगल ग्रह पर भवन जैसी संरचनाओं के निर्माण के लिए किया जा सकता है, जो लाल ग्रह पर मानव को ...
धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

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धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित त्रिविमीय (Three Dimensional) वस्तुओं के निर्माण के लिए 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसे मेटल 3डी प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है। 3डी प्रिंटिंग की इस तकनीक में मेटल प्रिंटिंग सामग्री की परत बनाकार वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग की एक प्रमुख स्रोत सामग्री धातु पाउडर है, जिसे मुख्य रूप से परमाणुकरण (Atomization) तकनीक द्वारा उत्पादित किया जाता है। इस प्रविधि में पिघली धातु हवा या पानी के द्रुत प्रवाह में टूटकर पहले तरल सूक्ष्म बूंदों में रूपांतरित होती है, जो अंत में ठोस होकर पाउडर बन जाती है। मेटल 3डी प्रिंटिंग में आमतौर पर उपयोग होने वाली परमाणुकरण तकनीक की एक सीमा यह है कि इससे बेहतर परिणाम नहीं मिलते, यह महंगी पड़ती है, और विभिन्न सामग्री प्रकारों के उपयोग में इसमे...