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बेहतर कार्ययोजना से लैस हो प्रौद्योगिकी विजन-2047

बेहतर कार्ययोजना से लैस हो प्रौद्योगिकी विजन-2047

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“बेहतर कार्ययोजना से लैस हो प्रौद्योगिकी विजन-2047” नई दिल्ली, 28 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): देश स्वाधीनता के 75वें वर्ष से गुजर रहा है और 25 साल बाद वर्ष 2047 में हम स्वतंत्र भारत की 100वीं वर्षगाँठ मनाएंगे। स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष में देश को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महाशक्ति के रूप में स्थापित करना भारत का लक्ष्य है, जिसके लिए स्वयं को समर्पित करने के साथ-साथ एक विस्तृत रूपरेखा की आवश्यकता है। देश के समग्र विकास में प्रौद्योगिकी की भूमिका सुनिश्चित करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ राजीव कुमार ने सूचना, पूर्वानुमान एवं मूल्यांकन परिषद् (टाइफैक) से प्रौद्योगिकी विजन-2047 दस्तावेज में प्रभावी कार्ययोजना को शामिल किये जाने का आह्वान किया है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से सम्बद्ध टाइफैक द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘टेक्नोलॉजी ऐंड सस्टेनेबिलिटी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इं...
मुस्लिम नौकरी करने से ज्यादा देने के बारे में भी सोचें

मुस्लिम नौकरी करने से ज्यादा देने के बारे में भी सोचें

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मुस्लिम नौकरी करने से ज्यादा देने के बारे में भी सोचें आर.के. सिन्हा यकीन मानिए कि कभी-कभी बहुत अफसोस होता कि मुसलमानों को उनके रहनुमाओं ने हिजाब, बुर्का, उर्दू जैसे खतरे के वहम में फंसा कर रखा हुआ है। यह बात उत्तर भारत के मुसलमानों को लेकर विशेष रूप से कही जा सकती है। मुसलमानों के कथित नेता यही चाहते हैं कि इनकी कौम अंधकार के युग में ही बनी रहे। वहां से कभी निकले ही नहीं। इसलिए आज के दिन उत्तर भारत के मुसलमानों में जीवन में आगे बढ़ने को लेकर उस तरह का कोई जज्बा दिखाई नहीं देता जैसा हम गैर- हिन्दी भाषी राज्यों के मुसलमानों में देखते हैं। उत्तर भारत के मुसलमान अब भी सिर्फ नौकरी करने के बारे में ही सोचते हैं। जो कायदे से शिक्षित नहीं हैं, वे कारपेंटर, पेंटर, वेल्डर या मोटर मैकनिक बनकर खुश हो जाते हैं। शिक्षित मुसलमान अजीम प्रेमजी (विप्रो), हबील खुराकीवाला (वॉक फार्ड) या युसूफ हामिद (सि...
तूड़े पर धारा-144 लागू, गाय भैंसों के चारे की चिंता

तूड़े पर धारा-144 लागू, गाय भैंसों के चारे की चिंता

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तूड़े पर धारा-144 लागू, गाय भैंसों के चारे की चिंता -प्रियंका 'सौरभ' हरियाणा में गोवंश के चारे पर भारी संकट पैदा हो गया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा मार उन जगहों पर है जिन जिलों में गोशालाएं सबसे अधिक है। प्रदेश के  सिरसा, फतेहाबाद, हिसार जिले में सबसे अधिक गोशालाएं हैं। अभी से तूड़ी के रेट 850 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया है। परिणामस्वरूप इससे गोशालाओं का खर्च भी दोगुना हो गया है। आंकड़ों के अनुसार औसतन 2000 गाय वाली गोशाला में अकेली तूड़ी का खर्च पहले करीब 20 लाख रुपये आता था मगर अब रेट दो गुने होने से यह खर्च भी दोगुना हो गया है। पिछली बार 6000 से 7500 रुपए प्रति क्विंटल बिकी सरसों से इस बार गेहूं और तूड़े की व्यवस्था गड़बड़ा गई है। प्रदेश भर में गत वर्ष की तुलना में कम एकड़ में गेहूं की बिजाई करने से इस बार तूड़े (गेहूं की फसल के अवशेष से बने पशु चारे) के दाम भी आसमान छू रहे हैं। इस संकट क...
मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’

मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’

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मंगल पर भवन-निर्माण के लिए ‘अंतरिक्ष ईंट’ नई दिल्ली, 20 अप्रैल (इंडिया साइंस वायर): मंगल पर भविष्य में बस्तियां बसाने और लाल ग्रह पर निर्माण की संभावनाओं की तलाश में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। इस दिशा में कार्य करते हुए भारतीय वैज्ञानिकों को एक नयी सफलता मिली है। वैज्ञानिकों ने मंगल पर बस्तियां बसाने में उपयोगी ‘अंतरिक्ष ईंट’ बनाने के लिए बैक्टीरिया आधारित एक विशिष्ट तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग बड़े पैमाने पर इस तरह की ईंट बनाने में हो सकता है। बेंगलूरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने ‘अंतरिक्ष ईंट’ बनाने के लिए मंगल की सिमुलेंट सॉयल (एमएसएस) यानी प्रतिकृति मिट्टी और यूरिया का उपयोग किया है। इन ‘अंतरिक्ष ईंटों’ का उपयोग मंगल ग्रह पर भवन जैसी संरचनाओं के निर्माण के लिए किया जा सकता है, जो लाल ग्रह पर मानव को ...
धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

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धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित त्रिविमीय (Three Dimensional) वस्तुओं के निर्माण के लिए 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसे मेटल 3डी प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है। 3डी प्रिंटिंग की इस तकनीक में मेटल प्रिंटिंग सामग्री की परत बनाकार वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग की एक प्रमुख स्रोत सामग्री धातु पाउडर है, जिसे मुख्य रूप से परमाणुकरण (Atomization) तकनीक द्वारा उत्पादित किया जाता है। इस प्रविधि में पिघली धातु हवा या पानी के द्रुत प्रवाह में टूटकर पहले तरल सूक्ष्म बूंदों में रूपांतरित होती है, जो अंत में ठोस होकर पाउडर बन जाती है। मेटल 3डी प्रिंटिंग में आमतौर पर उपयोग होने वाली परमाणुकरण तकनीक की एक सीमा यह है कि इससे बेहतर परिणाम नहीं मिलते, यह महंगी पड़ती है, और विभिन्न सामग्री प्रकारों के उपयोग में इसमे...
आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के सबक

आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के सबक

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आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट के सबक: बाद में फायदेमंद होंगे आज महंगे लग रहे उत्सर्जन कम करने के तरीके यह रिपोर्ट ऊर्जा, भवन, यातायात, भूमि और औद्योगिक क्षेत्रों में अपनाए जाने वाले उन उपायों की विस्तृत सूची पेश करती है, जिनसे उत्सर्जन में तेजी से और सस्ते तरीके से कटौती की जा सकती है संयुक्त राष्ट्र की जलवायु-विज्ञान संस्था, जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी समिति यानी आईपीसीसी ने चार अप्रैल, 2022 को अपनी छठी आकलन रिपोर्ट की तीसरी किस्त जारी की। इसे आईपीसीसी के वर्किंग ग्रुप-3 ने तैयार किया है, और इसका फोकस ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए, जलवायु परिवर्तन में कमी लाने पर है। इस पूरी रिपोर्ट में दुनिया भर के ताजे वैज्ञानिक शोधों को शामिल किया गया है, जिसके चलते यह हजारों पेज में है। हालांकि ‘समरी ऑफ पॉलिसीमेकर्स’ शीर्षक वाले 63 पेज के अध्याय में इसके मुख्य बिंदुओं को शामिल किया गया है। न...
जब हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को जीवन रक्षक दवाएं मिलेंगी तभी एड्स उन्मूलन सम्भव है

जब हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को जीवन रक्षक दवाएं मिलेंगी तभी एड्स उन्मूलन सम्भव है

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जब हर एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति को जीवन रक्षक दवाएं मिलेंगी तभी एड्स उन्मूलन सम्भव है शोभा शुक्ला - हर एचआईवी पॉजिटिव इंसान को सही जांच से यह पता होना चाहिए कि वह एचआईवी पॉजिटिव है, सबको जीवन रक्षक एंटीरेट्रोवायरल दवाएं मिलें, और सभी का वायरल लोड नगण्य रहे, तब ही एड्स उन्मूलन सम्भव है। न सिर्फ़ सभी एचआईवी के साथ जीवित लोग पूर्ण ज़िंदगी जी सकेंगे बल्कि एचआईवी के फैलाव पर भी रोकथाम लगेगा। एक ओर जहां नए एचआईवी सम्बंधित शोध को तेज करने की ज़रूरत है जिससे कि अधिक प्रभावकारी जांच, इलाज और बचाव साधन हम सब को मिलें, वहीं यह भी सच है कि हर एक को जाँच, एंटीरेट्रोवायरल दवा और वायरल लोड नियंत्रित करने की सेवा देना आज मुमकिन है - जिससे कि एड्स उन्मूलन की दिशा में तेजी से कदम बढ़ें। यह कहना है डॉ ईश्वर गिलाडा का जो एड्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के १३ वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अध्यक्ष हैं, और इंटर्नैशनल ए...
समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो

समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो

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समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो-ललित गर्ग-समान नागरिक आचार संहिता का मुद्दा आज एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल यह मुद्दा आज का नहीं है, यह अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के नजरिये से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हित में चिन्तन, निर्णय एवं क्रियान्वयन की अपेक्षा है। भले ही भाजपा के लिये यह चुनावी मुद्दा रहा हो, लेकिन इसको लागू करने की अपेक्षा सभी जाति, धर्म, वर्ग, भाषा के लोगों के हित में हैं। हां, इसे लागू करने का साहस एवं दूरदर्शिता भाजपा और उसके नेता प्रदर्शित कर रहे हैं, यह स्वागतयोग्य है। इसे मजहब या साम्प्रदायिकता की राजनीति से ऊपर उठ कर पूरे देश की सामाजिक समरसता के नजरिये से देखा जाना चाहिए। संवैधानिक दृष्टि से भी यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि भारत का संविधान धर्म या जाति-बिरादरी अथवा स्त्री-पुरुष या क्षेत्रीय पहचान की परवाह कि...
रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का माध्यम बने अहिंसा यात्रा

रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का माध्यम बने अहिंसा यात्रा

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रूस-यूक्रेन युद्ध की समाप्ति का माध्यम बने अहिंसा यात्रा -ललित गर्ग- रूस-यूक्रेन युद्ध को चलते हुए लगभग एक माह होने जा रहा है। रूस वांछित नतीजा हासिल नहीं कर पाया है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है, अधिक विनाश एवं विध्वंस की संभावनाएं बढ़ती जा रही है। यूक्रेन और रूस में शांति का उजाला करने, अभय का वातावरण, शुभ की कामना और मंगल का फैलाव करने के लिये भारत को शांति प्रयास करने चाहिए। एकमात्र भारत ही ऐसा देश है जो अपने आध्यात्मिक तेज एवं अहिंसा की शक्ति से मनुष्य के भयभीत मन को युद्ध की विभीषिका से मुक्ति दे सकता। इन दोनों देशों को युद्ध विराम के लिये राजी करके विश्व को निर्भय बना सकता है। इन युद्ध एवं हिंसा के वातावरण में अहिंसा यात्रा एवं उसके प्रणेता आचार्य श्री महाश्रमण का सन्देश कारगर हो सकता है। क्योंकि राष्ट्रसंत आचार्य श्री महाश्रमण कीर्तिधर यायावर संतपुरुष हैं, जिन्होंने अपनी अहिंसा या...
संसदीय लोकतंत्र और वैश्वीकरण

संसदीय लोकतंत्र और वैश्वीकरण

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संसदीय लोकतंत्र और वैश्वीकरण संसद सरकार के कामकाज के लिए एक केंद्रीय आधारभूत संस्था है। दुनिया भर के देशों ने संसदीय संस्थाओं को इस तरह विकसित किया है जो स्थानीय जरूरतों के लिए सबसे उपयुक्त है। सामाजिक, सांस्कृतिक और भाषाई विविधताओं के बावजूद, एक सामान्य बात यह है कि विभिन्न देशों की संसदें लोगों का प्रतिनिधित्व करती हैं और उनकी जरूरतों, आशाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति करती हैं; संसद लोगों के प्रतिनिधियों को स्वतंत्र रूप से अपने विचार व्यक्त करने और सरकारी गतिविधियों की जांच करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। इस मंच पर ही राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर विस्तार से चर्चा की जाती है और शासन के विभिन्न कानूनों, नीतियों और कार्यक्रमों को आकार दिया जाता है। संसद की संस्था एक जीवित इकाई है। इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभरती जरूरतों और लगातार बदलते परिदृश्य के साथ खु...