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विकास दुबे अनकाउंटर

विकास दुबे अनकाउंटर

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तरीका तो बालि को मारने का भी गलत था। तरीका तो #भीष्म को मारने का भी गलत था। तरीका तो #द्रोण को मारने का भी गलत था। तरीका तो #कर्ण को मारने का भी गलत था। तरीका तो #दुर्योधन को मारने का भी गलत था। लेकिन मरने वाले भी गलत ही थे। राज़ चले गए, फलाँ बच गया, चिलाँ का नाम लेता वो। सैयद शहाबुद्दीन ने आज तक लालू यादव का नाम लिया क्या? अतीक अहमद ने आज तक मुलायम सिंह यादव का नाम लिया क्या? गाजी फ़क़ीर ने आज तक अशोक गहलोत का नाम लिया क्या? चिदंबरम ने सोनिया गाँधी का नाम लिया? ताहिर हुसैन क्या कभी अरविंद केजरीवाल का नाम ले सकता है? फिर ये विकास दुबे ऐसा किसका नाम बक देता जो उसे मार देने से दुनिया उलट-पलट हो गई। उसने ख़ुद लड़की का अपहरण कर शादी की थी। उसके शागिर्द अमर के लिए भी उसने गरीब ब्राह्मण लड़की का अपहरण किया था। बिकरु गाँव के लोग मिठाइयाँ बाँट रहे, खुशी मना रहे हैं और जो उसे जानते तक नही...
God provides justice in form of encounter-killing in a country with extra-ordinary delayed Justice Delivery System

God provides justice in form of encounter-killing in a country with extra-ordinary delayed Justice Delivery System

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Encounter-killing of Vikas Dubey of Kanpur on 10.07.2020 should be taken as a god-drafted act by Mahakal Maharaj (Ujjain). It was a repeat of widely acclaimed encounter-killing of four rapist-cum-murderers of Doctor Priyanka Reddy on 06.12.2019 in Hyderabad. Some self-acclaimed Human-Rights-Activists will now approach courts blaming encounter-killing as deliberate police-killing. Biggest problem with activists is that they never light candles for innocent victims killed by dreaded gangsters. It is noteworthy that Vikas Dubey was not amongst the first-ranking gangsters, and many of such gangsters are free to operate their terror-kingdom even from jails. It is but natural where our dirty political system allows persons with criminal records to contest elections evidently with active suppo...
यह कह देना कि हमारे गाँव कोरोना से सुरक्षित हैं,  अभी जल्दबाजी होगी !

यह कह देना कि हमारे गाँव कोरोना से सुरक्षित हैं, अभी जल्दबाजी होगी !

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कोरोना पर लिखें गए कल के लेख पर एक पाठक के कमेंट से आज के लेख की शुरुआत करती हूँ,  जिन्होंने लिखा कि शहरों में भयावहता फैलाने वाले कोरोना का गाँव में कोई प्रभाव नहीं है ! गावों में कुछ केसेज आये भी तो ख़त्म हो गए,  प्रसार नहीं हो पाया ! अपने अनुभव से इस बात को अभी मैं भी स्वीकार कर यही हूँ ! वैज्ञानिकों और डॉक्टरों का भी मानना है कि विकसित देशों,  जैसे अमेरिका, कनाडा यूरोपीय देशों की तुलना में भारत के महानगरों में ही कोरोना से लड़ने की क्षमता अधिक दिख रही है,  तो गावों में रहे वालों लोगों पर निश्चित तौर पर यह क्षमता उससे अधिक होगी ! झारखण्ड में भी कोरोना के बिलकुल शुरुआती तीन केस में हिंदपीढ़ी,  राँची के बाद के दो तो हमारे 10-12 किमी के रेंज में थे ! बेरमो में बांग्ला देश से आयी महिला के माध्यम से और गोमिया में लॉक डाउन के दौरान वाराणसी से ट्रक में छुपकर आये मजदूर के माध्यम से कोरोना फै...
कैसे भारतीय विद्यार्थी पढ़ने के लिए विदेश न जाएं

कैसे भारतीय विद्यार्थी पढ़ने के लिए विदेश न जाएं

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कभी इस बात पर गौर किया है कि भारत से हरेक साल लाखों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, कनाडा आदि देशों में क्यों चले जाते हैं? यह सवाल इसलिए भी समीचिन हो गया है, क्योंकि अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विदेशी विद्यार्थियों को अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप प्रशासन की ओर से एक और बड़ा झटका लगा है। इन विद्यार्थियों में भारतीयों का आंकड़ा बहुत बड़ा है। अमेरिका ने इन विद्यार्थियों से कहा है कि उनके कॉलेज या विश्वविद्यालय अगर पूरी तरह ऑनलाइन पढ़ाई पर आ गए हैं, तो वे या तो किसी और संस्थान में या किसी ऐसे कोर्स में दाखिला ले लें जहां कक्षा में प्रत्यक्ष उपस्थिति के जरिए पढ़ाई हो रही हो, या फिर अमेरिका छोड़कर अपने देश वापस चले जाएं, क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उनका वीजा तो मंजूर नहीं ही किया जाएगा।  दरअसल, कोरोना के कारण अमेरिका में भी ज्यादातर कॉलेजों और विश्वविद्याल...
पूंजीवादी बैंकिंग सिस्टम में आप के पैसे से कैसे खेला जाता हैं उसको आज समझने का प्रयास करते हैं

पूंजीवादी बैंकिंग सिस्टम में आप के पैसे से कैसे खेला जाता हैं उसको आज समझने का प्रयास करते हैं

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अगर आप बैंक से 10 लाख रूपए का HOUSING लोन लेने जाते हो | तो बैंक कम से कम 20 लाख की जमीन गिरवीं रखेगा | पांच लाख आपको अपने पास से भी लगाने के लिए कहेगा | इस तरह बैंक के पास 35 लाख के प्रॉपर्टी गिरवीं रखने पर आपको बैंक 10 लाख रूपए का लोन देगा | हाउसिंग लोन के केस में बैंक आपकी तीन साल की RETURN , VALUATION REPORT , NON ENCUMBRANCE CERTIFICATE ,Legal Opinion , Map passed By MC आदि DOCUMENTS मांगेगा | हो सकता है इनता सब कुछ देने के बाद बैंक फिर भी हाउसिंग लोन देने से इनकार कर दे | अब आप उसी बैंक में ,उसी मेनेजर के पास जाईये और उसी से 10 लाख का कार लोन मांगे | तो वह फटाफट 10 लाख रूपए का लोन आपको दे देगा वह भी बहुत थोड़े डॉक्युमेंट्स पर । कार लोन आपको बिना किसी जमीन आदि गिरवी रखने के आसानी से एक दो दिन मेहो जाता है । यदपि 10 लाख के कार की कीमत शो रूम से निकलते ही 8 लाख की रह जाती है ।क्योकि हा...
कोरोना को नियंत्रित किये जाने की कोशिश हो या नहीं ?

कोरोना को नियंत्रित किये जाने की कोशिश हो या नहीं ?

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मैं डॉक्टर भी नहीं,  वैज्ञानिक भी नहीं,  फिर भी लगभग तीन महीने से मैं कोरोना के प्रति लगातार जागरूकता भरे लेख लिख रही हूँ !  शायद तब भारत में कोरोना के इक्के दुक्के मामले ही होंगे ! अपने पुराने लेखों में मैंने बाहर निकलने पर नियमित मास्क पहनने,  हाथो पर अपना नियंत्रण रखने और बाहर से आये सामानो के प्रति जागरूकता बनाये रखने के बारे में लिखा करती थी ! साथ ही  बाहर से घर में प्रवेश पर आवश्यक सावधानी  और  अपने घर में किसी को प्रवेश न देने के नियम का कड़ाई से पालन करना भी था ! कोरोना को हराने के लिए 1-2 महीने इतना कर लेना पर्याप्त था ! हम सभी जानते हैं कि इन नियमों का पालन होता तो अभी तक कोरोना अपने पैर इतना न पसारता, और हमें अभी तक कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए लिखना न पड़ता ! पर अभी भी बाहर  50% लोग मुंह और नाक में नहीं, गले में मास्क लगाए मिलेंगे आपको ! अब दूसरे मुद्दे पर आती हूँ,...
इस देश में शहीदों का नामों निशां न होगा….

इस देश में शहीदों का नामों निशां न होगा….

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भारत को स्वतंत्रता आसानी से नहीं मिली है, अंग्रेजों की गुलामी के दो सौ वर्षों में अनगिनत लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी है। जब 15 अगस्त या 26 जनवरी के दिन जगह जगह देशभक्ति के गीत बजते हैं तो उन गीतों में जगदम्बा प्रसाद मिश्र की  यह पंक्ति सुनने को मिलती है, “शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा” लेकिन क्या वाकई देश को स्वतंत्र कराने वाले और इसके निर्माण में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले महापुरुषों के प्रति हम कृतज्ञ हैं? ऐसा लगता तो नहीं है, 1857 के क्रांतिकारियों से लेकर कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं, क्रांतिकारी आंदोलन खड़ा करने वाले विनायक दामोदर सावरकर, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु और अन्य सभी महापुरुषों के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती है। क्या वर्तमान पीढ़ी वाकई इन नेताओं से नाराज है इसलिए वे इनका सम्मान नहीं करते या कोई सो...
भारतीय शिक्षण और संविधान की विचारधारा

भारतीय शिक्षण और संविधान की विचारधारा

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भारतीय राजव्यवस्था में कार्यपालिका के सर्वोच्च अधिकारी केन्द्र में राष्ट्रपति और राज्यों में राज्यपाल होते हैं, फिर जनता की चुनी हुई सरकार के मुखिया के तौर पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री व उनका मंत्रिपरिषद होता है। सत्ता की दो धूरी होने के कारण दोनों के बीच टकराव या मनमुटाव की स्थिति बन सकती है, स्वावभाविक है। यह मनमुटाव का कारण अगर संवैधानिक होगा तो परिणाम भी संविधान से निकलेगा लेकिन एक दूसरे को नीचा दिखाने या अपमानित करने के परिणामस्वरूप दोनों धूरी के बीच ठन जाए तो इसका समाधान कैसे निकले? छत्तीसगढ़ में पिछले डेढ़ साल में यह स्थिति बनती दिख रही है, खासकर उच्च शिक्षा विभाग से संबंधित विधानसभा में पारित किए गए विधेयक के संबंध में। संविधान की अपनी कोई विचारधारा नहीं है तो उनके अनुच्छेदों से बंधे संस्थान विचार की लड़ाई को संविधान की लड़ाई में तब्दील क्यों करना चाहते हैं? मामला कुशाभाऊ ठाकर...
घरेलू कामगारों की अहमियत कब समझेंगे हम?

घरेलू कामगारों की अहमियत कब समझेंगे हम?

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घरेलू कामगारों की बात करते ही मन विचलित हो उठता है और सीने में दर्द भर जाता है कि वो बेचारे कैसे और तरह-तरह के के निम्न स्तर के काम पेट की आग बुझाने के लिए करते है। हर समय गाली-गलौज सहकर भी कम पैसों में ज्यादा कार्य करते रहते है। हमारे देश में घरेलू कामगारों की संख्या करोड़ों में है। एक सर्वे के अनुसार 'भारत में 4.75 मिलियन घरेलू कामगार हैं, जिनमें से शहरी क्षेत्रों में तीन मिलियन महिलाएँ हैं। भारत में लगभग पाँच करोड़ से अधिक घरेलू कामगार हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं। बड़े-बड़े और कस्बों में प्रायः हर पाँचवें घर में कामवाली 'बाई' बहुत ही सस्ते दरों में आपको काम करते हुए दिख जाएँगी। हमारे रोज़मर्रे के जीवन में आस-पास एक ऐसी महिला ज़रूर होती है जो अदृश्य होती है जो हमारे घरों में सुबह-सुबह अचानक से आती हैं, झांड़ू-पोछा करती हैं, कपड़े धोती हैं, खाना बनाती हैं और दिन भर बच्चे-बूढ़ों को भ...