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कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर लैब के शोधार्थियों ने बढ़ाया हाथ

कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर लैब के शोधार्थियों ने बढ़ाया हाथ

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वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की जोरहाट स्थित प्रयोगशाला उत्तर-पूर्व विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (एनईआईएसटी) के शोधार्थी छात्रों ने भी अब कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को मजबूती देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया है। एनईआईएसटी के निदेशक डॉ जी. नरहरि शास्त्री के आह्वान पर संस्थान में अध्ययन कर रहे शोधार्थियों ने भी कोविड-19 के संकट में जरूरतमंदों की मदद के लिए पीएम-केयर फंड में आर्थिक सहयोग राशि जमा करायी है। इस पहल के अंतर्गत संस्थान के 58 शोधार्थियों ने 54,201 रुपये पीएम-केयर फंड में जमा कराए हैं। यह सहयोग राशि पीएम-केयर के कोविड-19 दान से संबंधित खाते में सीएसआईआर के सीनियर रिसर्च फेलो (एसआरएफ) प्रचुरज्य दत्ता के खाते से 15 अप्रैल को जमा करायी गई है। डॉ शास्त्री के नेतृत्व में सीएसआईआर-एनईआईएसटी कोविड-19 से निपटने के लिए हैंड-सैनिटाइजर, लिक्विड हैंडवॉश और संक्रमण दूर करने ...
CDRI’s efforts to combat novel coronaviru

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Working on three out of the five verticals formulated by the Council of Scientific and Industrial Research (CSIR), the Central Drug Research Institute (CDRI), has inked an MoU (memorandum of understanding) with King George’s Medical University (KGMU) to sequence the virus strains obtained from COVID-19 patients in Uttar Pradesh. Initially, the Lucknow-based lab will sequence the virus strains from the samples of a few patients. This activity will be taken up under the first vertical ‘digital and molecular surveillance’. As of now, eight different variants of the virus are known to be causing the COVID-19 infection. A team has been put into place for analyzing whether changes to the viral sequences, if any, will impact the proposed treatment strategies. Therapeutics or repurposing of drug...
कोरोनाः भारत की छवि ऊंची उठी

कोरोनाः भारत की छवि ऊंची उठी

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  कई लोगों ने मुझसे पूछा है कि कोरोना-संकट का भारत की विदेश नीति पर क्या असर पड़ा है, आप बताइए। असलियत तो यह है कि कोरोना का युद्ध इतना गंभीर है कि यह पूरा पिछला एक महिना हम सब लोग अंदरुनी सवालों से ही जूझते रहे। फिर भी यह तो मानना पड़ेगा कि इस कोरोना-संकट के दौरान भारत की विश्व-छवि बेहतर ही हुई है। *पहली* बात तो यह हुई कि इस संकट के दौरान सारा भारत एक होकर लड़ रहा है। भारत के पक्ष और विपक्ष का रवैया वैसा नहीं है, जैसा अमेरिका, ब्रिटेन, पाकिस्तान और ब्राजील जैसे देशों में देखने में आ रहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सभी दलों के मुख्यमंत्री पूरी तरह साथ दे रहे हैं। *दूसरा*, भारत की जनता तालाबंदी का पालन जिस निष्ठा के साथ कर रही है, वह दूसरे देशों के लिए एक मिसाल बन गई है। विश्व स्वास्थ्य-संगठन ने स्पष्ट शब्दों में भारत की तारीफ की है। *तीसरा*, भारत ने कोरोना के जांच-यंत्...
अक्ल के पत्थर

अक्ल के पत्थर

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दुखद, त्रासद समाचार है कि इंदौर में कोरोना वायरस की जांच करने जा रही मेडिकल टीम पर पत्थऱ फेंके गये। पत्थरबाजी का जहालत भरा यह  बरताव एकदम पागल कुत्ते के बरताव जैसा है। कुत्ता पागल हो जाये, उसकी मदद करने कोई  जाये, तो वह काट खाता है। कुत्ता कुत्ता होता है, पर इंदौर की मेडिकल टीम को चोट पहुंचा रहे पत्थरबाज तो इंसान थे। इंसान में कब पागल कुत्ता घुस जाये,कहा ना सकता। पागल कुत्ते को मारा जा सकता है। पर पागल कुत्ता टाइप इंसान तो दांव लगने पर मंत्री विधायक बन सकता है। पागल कुत्तों का वोटबैंक नहीं होता। पर पागल कुत्ते की तरह बरताव कर रहे इंसान का अगर वोट बैंक है, तो वह मंत्री विधायक बनकर और बड़े स्तर का कटखना हो सकता है। कुत्तों में अगर वोट बैंक होते, और पागल कुत्तों की आक्रामकता देखकर अगर उनकी विशेष लोकप्रियता होती, तो पागल कुत्ता होना बहुत ही फायदे का सौदा होता। पागल कुत्ता बनने की होड़...
तबलीग जमात और भारत सरकार से ज्वलंत प्रश्न – मौलिक भारत

तबलीग जमात और भारत सरकार से ज्वलंत प्रश्न – मौलिक भारत

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  १) क्यूँ इतने वर्षों से एक उदार इस्लाम विरोधी, जाहिल, गंवार, मूर्ख , अराजक, झूठी, लंपट, अवेज्ञानिक, कट्टरपंथी, आतंक समर्थक व देशद्रोही तबलीग जमात को देश में अपनी गतिविधियों को चलाने की अनुमति दो गयी ? २) ऐसे में जबकि इस जमात के अनेक आतंकी गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आती रही हे , उसके बाद भी इससे संबंधित लोगों को निर्बाध देशभर में घूमने व प्रचार करने की अनुमति क्यों दी जाती रही ? ३) क्यों लगातार इस जमात के लोग पर्यटन वीज़ा पर कई वर्षों से देश में आकार आतंक व कट्टरपंथी इस्लाम का प्रचार करते रहे और ख़ुफ़िया एज़ेंसी सोयी रहीं? क्या जमात के लोग एक साज़िश के तहत भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण फ़ेलाने के लिए भेजे गए हे ? ४) जमात के विदेश से आने वाले लोगों के आपराधिक रिकार्ड व आतंकी और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की जाँच की क्या व्यवस्था की जा...
आप आज समूचे समाज पर उपकार करें !

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वैसे तो हम भारतीयों की यह आदत रही है कि संकट के समय एकजुट हो जाते हैं ।सचमुच यह  समय एकजुटता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण को स्वीकारने और उसके पीछे चलने का है | समूचे राष्ट्र को यह  संकल्प करना होगा कि हम वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए दिशा-निदेशों का पालन करेंगे । ‘इस बार समाज रक्षा का तरीका पृथक है, समाज की रक्षा के लिए खुद को फौरी तौर पर समाज से अलग  लेने का है।  वैज्ञानिकों के बाद प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि घर से बाहर तभी निकलें, जब बहुत जरूरी हो। आज २२ मार्च ‘जनता कर्फ़्यू’ का दिन है, इसकी उद्देश्य पूर्ति में सरकार के कठोर कदम से ज्यादा हमारी जागरूकता जरूरी है। आने वाले तीन हफ्ते घर से बाहर निकलने से पहले सोचें कि क्या घर से निकलना बेहद जरूरी है? घर में रहने के नाम पर  अक्सर घबराहट फैलती है और लोग जमाखोरी करने में जुट जाते हैं। अमेरिका जैसे विकसित देश में यह देखा गया है कि वहां भी स्टोर के ...
निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग?

निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग?

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निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के बचाव के लिए उठाए गए कदम ने चौंकाया है और गम्भीर सवाल को जन्म दिया है. अतः सरकार इस तथ्य की जांच CBI, IB या NIA से करवाए कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के संरक्षक कौन लोग हैं, उनका एजेंडा क्या है...? ज्ञात रहे कि पूरा देश इस तथ्य से भलीभांति परिचित है कि निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारी एक निजी बस के ड्राईवर कंडक्टर खलासी क्लीनर का काम करते थे. अतः उनकी अर्थिक पृष्ठभूमि/स्थिति का आंकलन आसानी से किया जा सकता है. पूरा देश इस कटु सत्य से भी भलीभांति परिचित हैं कि भारतीय अदालतों में मुकदमेबाजी कितनी महंगी है, विशेषकर जब यह मुक़दमेबाजी हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचती है तो खर्च की सारी सीमाएं तोड़ देती है. यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों से निर्भया के हत्यारे चारों बलात्कारियों के बचाव के लिए की जा रहीं अभूतपूर्व कोशिशों के कारण एक गम्भ...
Final hanging of Nirbhaya convicts after too much legal hurdles calls for systematic reform for time-bound hanging of convicts of death-sentence

Final hanging of Nirbhaya convicts after too much legal hurdles calls for systematic reform for time-bound hanging of convicts of death-sentence

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Final hanging of Nirbhaya convicts after too much legal hurdles calls for systematic reform for time-bound hanging of convicts of death-sentenceIt is a matter of satisfaction that finally four convicts of Nirbhaya rape-cum-death were ultimately hanged to death at 5.30 am on 20.03.2020 after crossing all hurdles created by lawyers of convicts including last-moment mid-night effort to knock court-doors. Even politicians cutting across party-lines expressed satisfaction on final justice to Nirbhaya who faced most inhuman torture on 16.12.2012. But legal loopholes brought in the whole affair calls for immediate reform in the system whereby crimes attracting death-penalty may be heard on fast track at all stages of trial from District Court to Supreme Court. Provision of filing mercy-petitio...
Complete shut-down till 31st March 2020 would have been more advisable

Complete shut-down till 31st March 2020 would have been more advisable

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Complete shut-down till 31st March 2020 would have been more advisablePrime Minister Narender Modi in his nation-wide telecast at 8 pm on 19.03.2020 in an emotional and heart-touching speech kept short of announcing a complete shut-down in the country because of country approaching third state of corona-spread perhaps to avoid panic-creation amongst masses, even though such a harsh step was of utmost necessity rather than a self-imposed single-day janta-curfew that too on 22.03.2020 three days after the speech. India with 135 crore population is not at all in a position to face even the third-stage of Corona-spread of community-transmission what to talk about fourth stage. Advisory for people above 60 years of age for voluntary stay at homes may not be workable in a country where senior...
Name-and-shame posters of rioters to be removed in UP on High Court order in name of right to privacy

Name-and-shame posters of rioters to be removed in UP on High Court order in name of right to privacy

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It refers to Allahabad High Court taking sue-motto cognizance of hoardings of rioters against whom cost is imposed for recovering cost of damages by UP government at important road-crossings of state-capital Lucknow under policy of name-and-shame in a bid to prevent such riots. It is significant that the court held special sitting on Sunday to take up the matter, ultimately ordering immediate removal of such hoardings in name of right to privacy. But such hoardings for defaulters of property-tax in Delhi are often put by civic authorities. Since steps taken by state-government to recover cost of damage from rioters provided positive results when there are reports that initially booked rioters gave details of their associates in rioting to get cost distributed, UP government should chall...