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मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता?

मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता?

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मध्यम वर्ग के लोगों की चिंताओं का कोई अंत नहीं होता। क्योंकि ये बच्चों को लायक बनाने में अपना पूरा जीवन निकाल देते हैं। फिर उस अनुरूप बच्चों का विवाह या नौकरी न हो तो भी चिंतित रहते हैं। अपनी इज्जत बनाए रखने के लिए यह अपना दुख दर्द किसी से नहीं कहते हैं। दूसरों से बातचीत करने पर कभी-कभी समाधान मिल जाया करता है। पर क्योंकि यह लोग कहते नहीं इसलिए इन्हें समाधान नहीं मिल पाता और यह चिंताओं से घिरे रहते हैं।  -प्रियंका सौरभभारतीय मध्यम वर्ग का संघर्ष कभी खत्म क्यों नहीं होता? भारतीय मध्यम वर्ग वह वर्ग है जिसे समाज में अपनी मान मर्यादा को भी बनाए रखना होता है। बच्चों की शिक्षा पर भी पर्याप्त ध्यान देना होता है तथा समाज में क्या चल रहा है? इसका भी ध्यान रखना जरूरी होता है। बच्चों के विवाह पर भी इन्हें काफी धन खर्च करना पड़ता है। इसके अतिरिक्त दूसरे के यहां भी कोई फंक्शन होने प...
<strong>किसे नामंजूर है यूनिफॉर्म सिविल कोड ?</strong>

किसे नामंजूर है यूनिफॉर्म सिविल कोड ?

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आर.के.सिन्हा आप देख ही रहे होंगे कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी “समान नागरिक संहिता” को लागू करने की कोशिशें फिर से शुरू होते ही कठमुल्ला मुसलमान और कई तरह के राष्ट्र विरोधी और अलगाववादी तत्व लामबंद होने लगे हैं वे कहने लगे हैं कि वे इस कानून को कतई स्वीकार नहीं करेंगे।  इसके साथ ही वे भी इसका विरोध कर रहे हैं जो कुछ वर्षों से दलित-मुस्लिम एकता के बड़े पैरोकार होने का दावा करते हैं। अब उन्हें यह कौन बताए कि बाबा साहेब आंबेडकर ने यूनिफोर्म सिविल कोड को देश के लिये निहायत जरूरी बताया था। बाबा साहेब ने 23 नवंबर 1948 को संविधान सभा की बहस में यूनिफोर्म सिविल कोड के हक में जोरदार भाषण दिया था । जो मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ के लिए मरने-मारने की बातें कर रहे हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि उन्हें शरीयत कानून इतना ही प्रिय है तो वे बैंकों से मिलने वाले ब्याज को ...
मेवात- चूक कहाँ हुई ?

मेवात- चूक कहाँ हुई ?

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-एक समय था जब अनेक स्थानों पर मुस्लिम दुबारा हिन्दू बनना चाहते थे. परन्तु हमने रोटी बेटी का रिश्ता नहीं जोड़ा. हरियाणा के मुस्लिम बहुल मेवात क्षेत्र में आर्य समाज के स्वामी समर्पणानंद जी ने मुस्लिम नेताओं के सामने हिन्दू बनने का प्रस्ताव रखा था, इसके उत्तर में उस समय के मुस्लिम नेता खुर्शिद अहमद, जो स्वयं धोती कुर्ता पहनते थे और पगड़ी बांधते थे- ने स्वामी दी के प्रस्ताव के उत्तर में कहा था, बाबा जी हिन्दू लोग हमारी लड़कियाँ तो ले लेंगे, हमारी लड़कियाँ सुन्दर होती हैं परन्तु हमारे लड़कों को आपके लोग लड़की देंगे ? यह प्रस्ताव कार्यान्वित नहीं हो सका | उस घटना को लगभग 50 साल हो चुके हैं. मेवात में हिन्दूओं की सैंकड़ों बेटियां लव जेहाद का शिकार हो कर मुस्लिम बन चुकी हैं. -अब यह समस्या लाइलाज बन चुकी है क्योंकि 1980 के बाद आए पेट्रोडालर ने बाजी ही पलट दी है. सऊदी पैसा आने के बाद उत्तरप्रद...
मणिपुर: मुख्य न्यायाधीश और दोषियों को सज़ा?

मणिपुर: मुख्य न्यायाधीश और दोषियों को सज़ा?

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*रजनीश कपूरमशहूर शायर शहाब जाफ़री का एक चर्चित शेर है, “तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यों लुटा। मुझेरहज़नों से गिला नहीं तिरी रहबरी का सवाल है।” मणिपुर हिंसा को लेकर पिछले कुछ दिनों से देश की सर्वोच्च अदालत भीसरकार से कुछ ऐसे ही सवाल कर रही है। मणिपुर में हुई बर्बरता के चलते पूरा देश शर्मसार है। परंतु इस मामले पर जब भीकोई मणिपुर की सरकार या सत्तारूढ़ दल के नेताओं से सवाल पूछता है तो वे दूसरे राज्यों में हुई महिला अपराधों कीघटनाओं या अन्य हिंसा के मामलों कि तुलना करते हैं। ऐसा करके वे असल मुद्दे से ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं।बीती 3 मई को मणिपुर में आरक्षण के मुद्दे को लेकर जो हिंसा भड़क उठी उसने अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान लीऔर सैंकड़ों लोगों को बेघर कर दिया है। बीते मंगलवार को जिस तरह देश के मुख्य न्यायाधीश ने केंद्र सरकार के वकीलों कोआड़े हाथों लिया उससे एक बात तो ...
बढ़ते तापमान की गिरफ्त में उत्तरी गोलार्ध, बढ़ रहा गर्मी, लू और दावाग्नि का जोखिम

बढ़ते तापमान की गिरफ्त में उत्तरी गोलार्ध, बढ़ रहा गर्मी, लू और दावाग्नि का जोखिम

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बढ़ते तापमान के चलते अमेरिका से लेकर चीन तक पूरा उत्तरी गोलार्ध भीषण गर्मी और लू की चपेट में है। वहीं भारत, जापान, दक्षिण कोरिया ने बाढ़ के कहर का सामना किया By Lalit Maurya  बढ़ते तापमान के साथ धधकते जंगल, फोटो: आईस्टॉक अमेरिका से लेकर चीन तक पूरा उत्तरी गोलार्ध इन दिनों भीषण गर्मी और लू की चपेट में है। इसकी वजह से न केवल लोगों का स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इस बाबत विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) ने सोमवार को जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि उत्तरी गोलार्ध का बड़ा हिस्सा भीषण गर्मी और लू की चपेट में है। इसकी वजह से भारी विनाश हुआ है, अनेक लोग हताहत हुए हैं, जबकि हजारो को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। बढ़ते तापमान का असर न केवल धरती पर बल्कि समुद्रों को भी निशाना बना रहा है। गौरतलब है कि गत सप्ताह डब्ल...
मतई वर्ग भी पीड़ित है, इन्हें भी सुरक्षा व न्याय चाहिए ?

मतई वर्ग भी पीड़ित है, इन्हें भी सुरक्षा व न्याय चाहिए ?

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आचार्य विष्णु हरि सरस्वती मणिपुर की हिंसा पर एंकाकी चर्चा और विमर्श नहीं हो रहा है? क्या मणिपुर की हिंसा की चर्चा व विमर्श संपूर्णता में नहीं होनी चाहिए? क्य सिर्फ हिंसा के लिए आरक्षण ही एक मात्र कारण है?मणिपुर हिंसा के लिए क्या सिर्फ मतई वर्ग ही जिम्मेदार है? क्या कूकी मॉब जिम्मेदार नहीं है? क्या कूकी वर्ग को म्यांमार से लाकर एक साजिश के तहत मणिपुर में नहीं बसाया गया था? क्या सिर्फ कूकी वर्ग की महिलाओं के साथ अपमान और हनन जैसी घटनाएं हुई हैं? क्या मतई वर्ग की महिलाओं के साथ ऐसी अपमान जनक और हनन वाली घटनाएं नहीं हुई हैं? क्या कूकी लोगों ने अपनी बहुलता वाले गांवों और क्षेत्रों से मतई लोगों का संहार नहीं किया है, या फिर उन्हें नहीं खदेड़ा है? क्या कूकी लोगों ने मतई वर्ग के व्यापारिक और शैक्षणिक सहित अन्य धार्मिक स्थलों को आग के हवाले नहीं किया है? क्या चर्च की इसमें भूमिका नहीं है? क्...
मेरी माटी-मेरा देश, मन की बात या उपदेश

मेरी माटी-मेरा देश, मन की बात या उपदेश

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 सोचिये क्या हमारे देश के नायकों को बेशर्म इंस्टाग्राम प्रभावकों, राजनेताओं, अभिनेता और अभिनेत्री की तुलना में सम्मानित किया गया और पर्याप्त धन दिया गया? यह मत भूलो कि हमारे देश की रक्षा के लिए कारगिल युद्ध में भाग लेने वाला एक जवान उसी देश में अपनी पत्नी की रक्षा करने में सक्षम नहीं हो सका। इसके लिए देश को  को जवाबदेह होना चाहिए? सबसे पहले हम अग्निवीर लाकर सशस्त्र बलों को नुकसान पहुंचाते हैं, जिसमें किसी भी चीज की कोई गारंटी नहीं है, आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि कोई देश के लिए मर जाएगा? जब आप सशस्त्र बलों में एक साधारण नौकरी की सुरक्षा प्रदान नहीं कर सकते। वास्तव में आप इन शहीद परिवारों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो इस अभियान के दौरान आप सैनिक परिवारों और भविष्य के सैनिकों के मन की बात सुनकर एक योजना बनाइये और साथ ही देश की सभी महत्वपू...
सीमा और अंजू के प्रेम कहानी में पाक की चाल तो नहीं

सीमा और अंजू के प्रेम कहानी में पाक की चाल तो नहीं

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आर.के. सिन्हा आजकल सोशल मीडिया पर सीमा और अंजू की मोहब्बत से जुड़ी कहानियों को चटकारे लगाकर पेश किया जा रहा है। पर इस तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि कहीं इन दोनों के कथित इश्क में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों का कोई रोल तो नहीं है। ये आप सभी जानते हैं कि सीमा एक पाकिस्तानी महिला है। उसका ग्रेटर नोएडा के सचिन नाम के नौजवान से सोशल मीडिया पर इश्क का परवान चढ़ा तो वो अपना वतन और शौहर को छोड़कर नेपाल होते हुए अपने प्रेमी के पास आ गई। वो अपने साथ अपने बच्चों को भी ले आई।   उधर, राजस्थान के भिवाड़ी में रहने वाली दो बच्चों की मां अंजू पाकिस्तान चली गई अपने प्रेमी से मिलने। वहां उसने निकाह के बाद इस्लाम धर्म को कुबूल भी कर लिया । अब अंजू हो गई है फातिमा। अंजू की फेसबुक के जरिये पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रान्त में रहने वाले 29 साल के नसरूल्लाह से दोस्ती हुई थी, यह बत...
31 जुलाई 1940 : क्रान्तिकारी ऊधमसिंह का बलिदान

31 जुलाई 1940 : क्रान्तिकारी ऊधमसिंह का बलिदान

EXCLUSIVE NEWS, TOP STORIES, विश्लेषण, सामाजिक
लंदन जाकर जनरल डायर को गोली मारी थी --रमेश शर्मा क्रान्ति कारी ऊधमसिंह को लंदन में 31 जुलाई 1940 को फांसी दी गई थी । सरदार ऊधमसिंह ने लंदन जाकर उस जनरल डायर को गोली से उड़ा दिया था जिसके आदेश पर जलियाँवाला बाग में निहत्थे लोगों की लाशें बिछा दी गईं थी । ऊधमसिंह उस हत्या कांड के चश्मदीद थे । उनके सामने ही वैशाखी के लिये एकत्र निर्दोष भारतीयों का दमन हुआ था । उन्होंने इसका बदला लेने की ठानी और जीवन भर उसी लक्ष्य पूर्ति में लगे रहे । उन्हे जनरल डायर को मारकर ही चैन मिला ।सरदार ऊधमसिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को संगरूर जिले के गाँव सनाम में हुआ था । उनका परिवार काम्बोज के नाम से जाना जाता था । उनके एक बड़े भाई भी थे जिनका नाम मुक्ता सिंह था । परिवार आराम से चल रहा था कि 1907 में किसी बीमारी से माता पिता दोनों की मृत्यु हो गई । बड़े भाई यद्यपि बहुत बड़े न थे फिर उन्होंने ऊधम सिंह को संभा...
इस्लाम की लम्बी सोच

इस्लाम की लम्बी सोच

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--------- ------- ----- कोई भी विचार जो १४०० साल पुराना है, उसे हमें लम्बी सभ्यतागत दृष्टि में ही समझना होगा। जिस तरह भारत एक सभ्यतागत राष्ट्र है, उसी तरह इस्लाम एक सभ्यतागत शक्ति है और इसे उसी प्रकार से समझा जाना चाहिए। मुसलमान यह कहते हैं कि ‘इस्लाम कभी नहीं हारा’। दुखद बात यह है कि एक देश को छोड़कर यह सच है। लेकिन इसका क्या अर्थ है? कि इस्लामी सेनाएँ कभी नहीं हारी? कि युद्ध के मैदान में शत्रु उनसे कभी नहीं जीते? कि उनके इतिहास में कभी बुरे साल या दशक नहीं आये? नहीं, ऐसा नहीं है। पैगंबर मोहम्मद की मृत्यु के बाद अरब से बाहर निकलते ही इस्लामी सेनाएं पूर्व में भारत के द्वार पर पहुंच गईं और पश्चिम में स्पेन में यूरोप के दरवाजे खटखटाने लगीं।ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उस समय के दो महान साम्राज्यों ने लगभग तुरंत ही इस्लाम के सामने घुटने टेक दिए। उस समय के सबसे महान साम्राज्यों में से एक, फ...