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राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

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अयोध्या से आर.के. सिन्हा अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भब्य रूप से सम्पन्न हो गई। संत समाज के अलावा पूरे विश्व से मात्र लगभग ढाई - तीन हज़ार चुनिंदा लोगों को आमंत्रित किया गया था जिसमें सौभाग्य से मैं सपत्नीक आमंत्रित था ।यह सबों के लिये जीवन के एक दुर्लभ क्षण के रूप में याद रखा जाएगा। यह कल्पना से परे अविस्मरणीय दृश्य रहा। अयोध्या के राम मंदिर में अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि - विधान के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसके साथ ही सारा देश सारा देश राममय हो गया।पूरे देश क्या विश्व भर के राम भक्तों के मन में भावनाओं की अनंत आनंद के हिलोरें हैं। भावनाओं की अभिव्यक्ति में शब्द सक्षम या पर्याप्त नहीं हैं। कश्मीर में बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों से लेकर कन्याकुमारी में धूप से सराबोर समुद्र तटों तक,राम नाम की गूंज ने पूरे भारत में भक्ति का माहौल बना द...
हिन्दुत्व की स्थापना और शुक्रिया मोदी भाईजान !

हिन्दुत्व की स्थापना और शुक्रिया मोदी भाईजान !

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असंभव हो रहा संभव !!मृत्युंजय दीक्षित500 वर्षों के अथक संघर्ष के पश्चात अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर दिव्य एवं भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ ही उसके गर्भगृह में प्रभु श्रीरामललाकी प्राण प्रतिष्ठा का शुभ अवसर भी अब आ पहुँचा है। संपूर्ण विश्व में सनातनी आनंद सागर में गोते लगा रहे हैं और 22 जनवरी को भव्य दीपावली मनाने के लिए एकरस हो रहे हैं। प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के प्रति उत्साह चरम पर है और बाजारों में उसी प्रकार खरीदारी हो रही है जिस प्रकार पंच दिवसीय पर्व दीपावली पर होती है।जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व अपना 11 दिन का कठिन व्रत, अनुष्ठान प्रारंभ किया है और गीत- संगीत में रुचि रखने वाले कलाकारों को राम भजन गाने के लिए प्रेरित करने के साथ साथ उनके भजन भी सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किए हैं पूरा वातावरण राममय हो गया है। धर्म जाति भाषा...
<strong>गणतंत्र दिवस पर याद रखना इन बालवीरों को</strong>

गणतंत्र दिवस पर याद रखना इन बालवीरों को

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आर.के. सिन्हा हर साल जनवरी का महीने आते ही देश में गणतंत्र दिवस की तैयारियां अपने चरम पर पहुंच जाती हैं। राजधानी दिल्ली में तो गणतंत्र दिवस की तैयारियों बाकी जगहों से अधिक बड़े स्तर पर होती हैं क्योंकि राजधानी दिल्ली में ही गणतंत्र दिवस परेड निकलती है। उस परेड का हिस्सा वे बालवीर भी होते हैं, जिन्हें देश उनके साहस, सूझबूझ और शौर्य के लिए  सम्मानित कर रहा होता है। वे जब राष्ट्रपति जी को सलामी देते हुए आगे बढ़ते हैं, तो कर्तव्यपथ (पहले राजपथ) में उपस्थित जनसमूह उनका हर्षध्वनि से स्वागत करता है। गणतंत्र दिवस परेड का 1959 से हिस्सा हैं बालवीर पुरस्कार विजेता। यह कुछ साल से खुली जीप में निकलने लगे हैं। हालांकि लंबे समय तक यह हाथियों पर सवार होते थे। पर मेनका गांधी के विरोध के बाद इन्हें हाथियों पर बैठाने की परंपरा को रोक दिया गया। बालवीर गणतंत्र दिवस परे...
गरीबी के अभिशाप से मुक्ति की ओर अग्रसर भारत

गरीबी के अभिशाप से मुक्ति की ओर अग्रसर भारत

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- ललित गर्ग-आजादी के अमृत काल में सशक्त भारत एवं विकसित भारत को निर्मित करते हुए गरीब एवं गरीबीमुक्त भारत के संकल्प की ओर सफलतापूर्वक आगे बढ़ना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनकी सरकार की बड़ी उपलब्धि एवं ऐतिहासिक सफलता है। नीति आयोग के अनुसार जीवन स्तर सुधार, शिक्षा व चिकित्सा की उपलब्धता के आधार पर देश में कुल 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं। विगत नौ वर्ष में ऐसी गरीब कल्याण की योजनाओं को लागू किया गया है, जिससे भारत के भाल पर लगे गरीबी के शर्म के कलंक को धोने के सार्थक प्रयत्न हुए है एवं गरीबी की रेखा से नीचे जीने वालों को ऊपर उठाया गया है।आजादी के 75 साल बाद भी भारत के सामने जो सबसे बड़ी चुनौतियां खड़ी रही है, इनमें गरीबी सबसे प्रमुख है। यही कारण है कि वर्ष 2047 के आजादी के शताब्दी समारोह के लिये जो योजनाएं एवं लक्ष्य तय किये हैं, उनमें गरीबी उन्मूलन के लिये भी व्य...
<strong>राहुल गांधी की नई यात्रा से जुड़ी उम्मीदें</strong>

राहुल गांधी की नई यात्रा से जुड़ी उम्मीदें

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-ललित गर्ग- कांग्रेस के नेता एवं सांसद राहुल गांधी अपने एवं कांग्रेस के राजनीतिक धरातल को मजबूती देने के लिये एक बार फिर यात्रा का सहारा ले रहे हैं। 4000 किलोमीटर की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद अब वे 6700 किलोमीटर की ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ पर निकल चुके हैं। न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी 14 राज्यों के 85 ज़िलों से गुजरेंगे, यात्रा मणिपुर से शुरू होकर नगालैंड, असम, मेघालय, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात से गुजरते महाराष्ट्र में मुंबई पर समाप्त होगी। कांग्रेस को जीवंतता देने एवं उसके पुनरुत्थान के लिए की जाने वाली इस यात्रा में इंडिया गठबंधन दलों एवं खुद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं से भीड़ जुटाने और नारे लगाने भर के लिए भागीदारी की अपेक्षा राजनीतिक संवेदनशीलता और परिपक्वता की परिचायक नहीं है। मात्र 2024 के आमचुनाव के लिये निका...
जापान विमान दुर्घटना से सबका

जापान विमान दुर्घटना से सबका

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रजनीश कपूरदुनिया भर में विमान यात्राएँ हर दिन बढ़ती जा रहीं हैं। विमान में यात्रा करते समय आपको आपातकाल के नियमों से परिचित भी कराया जाता है। परंतु जो भी हवाई यात्री अधिक यात्राएँ करते हैं वो विमान में दिये जाने वाले सुरक्षा व आपात नियमों को न तो ध्यान से पढ़ते हैं और न ही ऐसी जानकारियों को ध्यान से सुनते हैं। इसलिए जब भी कभी कोई हादसा होता है तो उस समय अफ़रा-तफ़री का माहौल बन जाता है। परंतु कुछ दिन पहले हुए एक ख़तरनाक विमान हादसे में केवल 5 लोगों की मौत हुई जबकि 379 यात्रियों को आग के गोले में तब्दील हुए एक विमान से सुरक्षित निकाला गया। ऐसा केवल इसलिए संभव हो सका क्योंकि विमान के क्रू ने अपनी ट्रेनिंग में जो कुछ भी सीखा था, उस पर उस स्थिति में पूरी तरह से अमल किया। इसके साथ ही संयमित यात्रियों ने भी सभी सेफ्टी प्रोटोकॉल्स के पालन करने में कोई कमी नहीं छोड़ी।गत 2 जनवरी को जापान एयरला...
भारत को भारत बनाएं – चलें गांव की ओर

भारत को भारत बनाएं – चलें गांव की ओर

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भारतकोभारतबनाएं - चलेंगांवकीओर प्राचीन काल में भारत का पूरे विश्व में साम्राज्य था। आज ऐसे कई प्रमाण मिल रहे हैं, जिससे सिद्ध हो रहा है कि सनातन संस्कृति का अनुपालन करने वाले लोग इंडोनेशिया तक फैले थे। यह तो हम सब जानते ही हैं कि अफगनिस्तान, ईरान, पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, बांग्लादेश अखंड भारत का ही हिस्सा रहे हैं। आज एक बार पुनः वैश्विक स्तर पर कई देशों का भारत की सनातन संस्कृति की ओर विश्वास बढ़ रहा है क्योंकि ये देश विभिन्न प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त हैं और उनकी इन समस्याओं का हल ये देश निकाल नहीं पा रहे हैं। प्रत्येक भारतीय वसुद्धैव कुटुम्बकम की भावना पर भरोसा करता है अतः पूरे विश्व को ही अपने कुटुंब का हिस्सा मानते हुए चलता है। और, यह भावना हाल ही में पूरे विश्व ने देखी भी है। कोरोना महामारी के दौरान भारत में भारत सरकार एवं राज्य सरकारों के कर्मचारियों के अति...
<strong>घरेलू पर्यटन प्रोत्साहन से मालदीप क्यों बौखलाया?</strong>

घरेलू पर्यटन प्रोत्साहन से मालदीप क्यों बौखलाया?

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-ललित गर्ग- नववर्ष पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लक्षद्वीप की यात्रा पर क्या गये, चीन की कटपुतली बने मालदीव को मिर्ची लग गयी। वहां की नई सरकार और वहां के तमाम लोग इसे अपने पर्यटन उद्योग के लिये गंभीर खतरा मानते हुए भारत एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आपत्तिजनक एवं गैर-जिम्मेदार टिप्पणियां कर दी, नासमझी में की गयी ये टिप्पणियां मालदीप के लिये इतनी भारी पड़ गयी कि भारतीय पर्यटकों ने जहां अपनी मालदीप की यात्रा को रद्द करना प्रारंभ कर दिया, वहीं भारत सरकार की तरफ से भी ऐतराज जताया गया। भारत की त्वरित कार्रवाई को देखकर मालदीप सरकार घबरा गयी और उसने अपने मंत्रियों  के बयान से किनारा कर लिया लेकिन साफ है कि भारत और मालदीव के बीच सदियों पुराने प्रेम एवं सौहार्द के रिश्ते एकाएक तल्ख होते दिखाई दे रहे है। मालदीव की तरफ से लगातार तनाव बढ़ाने वाले बयान आ रहे हैं लेकिन भारत की तरफ से फिर भी...
सरयू का भाग्य देखिए…

सरयू का भाग्य देखिए…

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प्रभु श्रीराम के इक्ष्वाकु वंश के महाप्रतापी पूर्वजों का तर्पण यहीं हुआ। कौशल्या के महल में शिशु रूप में राम के प्रथम स्नान का जल यहीं से गया। राम सरयू की गोद में ही पले-बढ़े। सरयू साक्षी है कि राजतिलक होते-होते 14 वर्ष का वास्तविक वनवास क्या होता है और यह भी कि उस वनवास ने कैसे अयोध्या के एक राजकुमार को सच्चा जननायक बना दिया था। सीता के प्रथम अयोध्या प्रवेश पर सरयू का जल ही कलश में छलछला रहा था। चित्रकूट से खाली हाथ लौटे भरत की आँखों से झरे हरेक आंसू का हिसाब आज केवल सरयू के पास है। लंका से सीता सहित लौट रहे श्रीराम का पुष्पक विमान अयोध्या के आकाश में देखकर सरयू कैसे मचल उठी होगी? महर्षि वाल्मीकि से लेकर गोस्वामी तुलसीदास तक युगों का अंतराल है। इन दो महापुरुषों को श्रीराम की महिमा शब्दबद्ध कर संसार की स्मृतियों में गहरे तक उतारने का श्रेय है। सरयू के तट इनके चरणों से भी पवित्र हुए है...
<strong>राष्ट्रीय पक्षी दिवस- 5 जनवरी, 2024</strong>

राष्ट्रीय पक्षी दिवस- 5 जनवरी, 2024

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पक्षियों का कलरव एवं ऊर्जा का खत्म होना बड़ी चुनौती- ललित गर्ग-देश एवं विदेशों में विलुप्त हो रही विभिन्न पक्षियों की प्रजातियों को बचाने के लिये वर्तमान में राष्ट्रीय पक्षी दिवस की प्रासंगिकता बढ़ी है। हर साल 5 जनवरी को प्रकृति प्रेमी, पर्यावरणविद, पक्षी रक्षक और पक्षीप्रेमी इस दिवस को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। राष्ट्रीय पक्षी दिवस पक्षियों के प्रति प्यार जताने एवं उनके संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध होने का एक खास दिन है। 2002 में पहली बार राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में पक्षी प्रेमियों और अन्य लोग  समान रूप से इस दिवस को मनाते हैं। भारत में भी इस दिवस को मनाने की विशेष प्रासंगिकता है, क्योंकि यहां भी अधिकांश पक्षी प्रजातियों को गंभीर भविष्य का सामना करना पड़ रहा है या वे विलुप्तता की कगार पर है।संयुक्त राज्य अमेरिका में इस दिवस को...