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हैपी हार्मोंस स्राव कैसे नियमित हो?

हैपी हार्मोंस स्राव कैसे नियमित हो?

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राकेश दुबे *हैपी हार्मोंस स्राव कैसे नियमित हो?* यूँ तो डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिन हार्मोन हैं । हार्मोन शरीर में बनने वाले एक तरह के केमिकल होते हैं। ये रक्त के जरिये शरीर के विभिन्न अंगों और ऊतकों तक पहुंचते हैं। हार्मोन हमारे शरीर की सभी तरह की गतिविधियों को तो प्रभावित करते ही हैं, ये हमारी मानसिक और भावनात्मक अवस्थाओं को भी पैदा करते हैं या उनकी प्रकृति के लिए जिम्मेदार होते हैं। ऊपर हमने जिन चार हार्मोंस का जिक्र किया है, इन सबको हैपी हार्मोंस कहते हैं। इनके नियमित और संतुलित स्राव से हम खुश रहते हैं, हमारा मूड अच्छा रहता है। जैसे - एंडोर्फिन जब पर्याप्त रूप से और नियमित स्रावित होता है तो हमारा दिमाग शांत और स्वस्थ रहता है। ये हमें कई तरह के दर्द से राहत दिलाता है, जबकि सेरोटोनिन हमारे मूड को स्थिर रखता है और डोपामाइन हमारे मस्तिष्क की कार्यप्रणाली का एक ...
<em>कैरियर द्वन्द : युवा मौत का मार्ग</em>

कैरियर द्वन्द : युवा मौत का मार्ग

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राकेश दुबे *कैरियर द्वन्द : युवा मौत का मार्ग* भारत के सामने इससे बड़ा विरोधाभास नहीं हो सकता।जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘परीक्षा पर चर्चा’ कार्यक्रम में देश के करोड़ों छात्र-छात्राओं, शिक्षकों व अभिभावकों से दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम व वर्चुअल संवाद के जरिये परीक्षा भय से मुक्त होने की बात कर रहे थे, देश के कई भागों से छात्रों के आत्महत्या करने की खबरें आ रही थीं। जाहिर है अभिभावक व शिक्षक इन बच्चों के मानसिक द्वंद्व व वास्तविक दिक्कतों को नहीं समझ पा रहे हैं, जिसके चलते इन बच्चों को मौत को गले लगाना अंतिम विकल्प नजर आ रहा है। निश्चित रूप से परीक्षा का भय इस कदर बच्चों पर हावी है कि उन्हें लगने लगता है कि परीक्षा में असफलता के बाद जीवन में कुछ शेष नहीं रहेगा। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में इन तमाम चुनौतियों को संबोधित किया। उन्होंने गहरी बात कही कि– ‘बच्चों के रिप...
<em>अब मोदी से मुकाबला कैसे होगा?</em>

अब मोदी से मुकाबला कैसे होगा?

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राकेश दुबे और लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में बड़ी सियासी उठापटक हुई है।पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया और इसके बाद एनडीए विधायक दल की बैठक में उन्हें फिर से नेता चुना गया और उन्होंने भाजपा के दामन के सहारे मुख्यमंत्री की शपथ भी ले ली । यह सब विपक्ष के टूटते गठबंधन का श्री गणेश है। जब पहले यह लिखा था कि विपक्ष का गठबंधन टूटने के लिए बनता है।अनेक प्रश्न उठे थे, चूंकि यह स्थापित तथ्य है कि विपक्ष की नियति टूटने की ही है, लिहाजा बार-बार गठबंधन करना पड़ता है। यह नियति जनता पार्टी के दौर से देखते आ रहे हैं। इस बार ‘इंडिया’ का प्रयोग कुछ भिन्न और व्यापक लग रहा था, लेकिन अब दो अलगाव ऐसे सामने आ चुके हैं कि विपक्षी गठबंधन की संभावनाएं प्रभावहीन लगती हैं। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस और पंजाब में भगवंत मान ने आम आदमी पार्टी (आप) की ओर से घोषणाएं की हैं कि व...
परीक्षा पे चर्चा’ निराशा को अवसरों में बदलने की खिड़की

परीक्षा पे चर्चा’ निराशा को अवसरों में बदलने की खिड़की

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-ः ललित गर्ग:- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘परीक्षा पे चर्चा’ के दौरान दिया उद्बोधन एवं गुरु मंत्र छात्रों के लिये ऐसा आलोक स्तंभ है जो भविष्य की अजानी राहों एवं परीक्षा के जटिल क्षणों में पांव रखते समय उस आलोक को साथ में रख लिया गया तो उनके मार्ग में कहीं भी अवरोध, तनाव एवं संकट नहीं आ सकेगा। क्योंकि मोदी के ये गुरुमंत्र उनकी समर्थता, सिद्धता, अनुभव एवं साधना से उपजे हैं जो छात्रों के साथ-साथ शिक्षकों और अभिभावकों के लिये भी रामबाण औषधि की तरह है। बोर्ड परीक्षाओं को लेकर छात्रों के अंदर डर और तनाव दोनों होता है, ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बच्चों के भीतर से इस डर और तनाव को समाप्त करने के लिए हर साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम करते हैं। इस वर्ष भारत मंडपम, आईटीपीओ, नई दिल्ली में हुए इस अनूठे एवं प्रेरक कार्यक्रम में जहां तकरीबन 4,000 छात्रों ने हिस्सा लिया, वहीं लगभग 2...
प्रकृति एवं मानव का शांतिपूर्ण सहअस्तित्व ख़तरे में?

प्रकृति एवं मानव का शांतिपूर्ण सहअस्तित्व ख़तरे में?

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राकेश दुबे विश्व में युद्ध के कारण विभाजित होती वैश्विक शक्तियाँ और पर्यावरणीय बदलावों में तेजी-परिणाम ठीक नहीं हैं। अभूतपूर्व ग्रीष्म लहरें, बर्फानी तूफान, बाढ़,सूखा, ग्लेशियर पिघलना और ऊंची उठती समुद्र जल-सतह। हमने स्वयं ये संकट पैदा किए हैं। फिर भी राजनेता विज्ञान और तर्क की आवाज दबा रहे हैं। हमारे ग्रह के वजूद को खतरा मुंह बाए खड़ा है। लगता है आज के इंसान के एजेंडे में मनुष्य-मनुष्य के बीच और प्रकृति एवं मानव के मध्य शांतिपूर्ण सहअस्तित्व के लिए कोई जगह नहीं है। थोड़ा इतिहास - जब ब्रिटिश साम्राज्य का सूरज ढलने लगा और अमेरिकी-सोवियत साम्राज्य का उदय हुआ। एक ‘फौलादी दीवार’ ने यूरोप को दो हिस्सों में बांट डाला, पश्चिमी गठबंधन वाला पश्चिमी यूरोप और सोवियत संघ से जुड़ा पूर्वी यूरोप। साथ ही, दक्षिण अमेरिका मानो संयुक्त राष्ट्र अमेरिका का पिछला आंगन बन गया तो एशिया का मध्य हिस्सा स...
प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश में विकास का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है

प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण के बाद उत्तर प्रदेश में विकास का एक नया दौर शुरू होने जा रहा है

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अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हो गई है और अब अयोध्या विश्व के अति महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों के पटल पर आ गया है। इसका अब भारत की आर्थिक प्रगति पर भी बहुत बड़ा असर होने जा रहा है। स्थानीय स्तर पर तो अब भारत के नए भविष्य की एक नई शुरुआत होने जा रही है। प्राण प्रतिष्ठा के बाद भारत के प्रधानमंत्री माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भी अपने उदबोधन में कहा है कि  प्रभु श्रीराम सभी के है अतः यह भारत के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत होने जा रही है। प्रत्येक भारतीय रामायण पढ़ता है एवं अयोध्या के महत्व को भी समझता है। यह प्रभु श्रीराम का जन्म स्थल है और यह प्रभु श्रीराम की 500 वर्षों के बाद एक तरह से घर वापसी ही मानी जानी चाहिए। प्रभु श्रीराम भारत के कण कण में बसते हैं अतः अब ऐसी आशा की जानी चाहिए कि भारत में निवासरत विभिन्न मत पंथ मानने वाले नागरिक एक होकर भारत के व...
राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से समस्त भारत हुआ राममय

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अयोध्या से आर.के. सिन्हा अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भब्य रूप से सम्पन्न हो गई। संत समाज के अलावा पूरे विश्व से मात्र लगभग ढाई - तीन हज़ार चुनिंदा लोगों को आमंत्रित किया गया था जिसमें सौभाग्य से मैं सपत्नीक आमंत्रित था ।यह सबों के लिये जीवन के एक दुर्लभ क्षण के रूप में याद रखा जाएगा। यह कल्पना से परे अविस्मरणीय दृश्य रहा। अयोध्या के राम मंदिर में अभिजीत मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूरे विधि - विधान के साथ रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई। इसके साथ ही सारा देश सारा देश राममय हो गया।पूरे देश क्या विश्व भर के राम भक्तों के मन में भावनाओं की अनंत आनंद के हिलोरें हैं। भावनाओं की अभिव्यक्ति में शब्द सक्षम या पर्याप्त नहीं हैं। कश्मीर में बर्फ से ढकी ऊंची चोटियों से लेकर कन्याकुमारी में धूप से सराबोर समुद्र तटों तक,राम नाम की गूंज ने पूरे भारत में भक्ति का माहौल बना द...
हिन्दुत्व की स्थापना और शुक्रिया मोदी भाईजान !

हिन्दुत्व की स्थापना और शुक्रिया मोदी भाईजान !

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असंभव हो रहा संभव !!मृत्युंजय दीक्षित500 वर्षों के अथक संघर्ष के पश्चात अयोध्या में प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि पर दिव्य एवं भव्य राम मंदिर के निर्माण के साथ ही उसके गर्भगृह में प्रभु श्रीरामललाकी प्राण प्रतिष्ठा का शुभ अवसर भी अब आ पहुँचा है। संपूर्ण विश्व में सनातनी आनंद सागर में गोते लगा रहे हैं और 22 जनवरी को भव्य दीपावली मनाने के लिए एकरस हो रहे हैं। प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा के प्रति उत्साह चरम पर है और बाजारों में उसी प्रकार खरीदारी हो रही है जिस प्रकार पंच दिवसीय पर्व दीपावली पर होती है।जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा के पूर्व अपना 11 दिन का कठिन व्रत, अनुष्ठान प्रारंभ किया है और गीत- संगीत में रुचि रखने वाले कलाकारों को राम भजन गाने के लिए प्रेरित करने के साथ साथ उनके भजन भी सोशल मीडिया के माध्यम से साझा किए हैं पूरा वातावरण राममय हो गया है। धर्म जाति भाषा...
<strong>गणतंत्र दिवस पर याद रखना इन बालवीरों को</strong>

गणतंत्र दिवस पर याद रखना इन बालवीरों को

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आर.के. सिन्हा हर साल जनवरी का महीने आते ही देश में गणतंत्र दिवस की तैयारियां अपने चरम पर पहुंच जाती हैं। राजधानी दिल्ली में तो गणतंत्र दिवस की तैयारियों बाकी जगहों से अधिक बड़े स्तर पर होती हैं क्योंकि राजधानी दिल्ली में ही गणतंत्र दिवस परेड निकलती है। उस परेड का हिस्सा वे बालवीर भी होते हैं, जिन्हें देश उनके साहस, सूझबूझ और शौर्य के लिए  सम्मानित कर रहा होता है। वे जब राष्ट्रपति जी को सलामी देते हुए आगे बढ़ते हैं, तो कर्तव्यपथ (पहले राजपथ) में उपस्थित जनसमूह उनका हर्षध्वनि से स्वागत करता है। गणतंत्र दिवस परेड का 1959 से हिस्सा हैं बालवीर पुरस्कार विजेता। यह कुछ साल से खुली जीप में निकलने लगे हैं। हालांकि लंबे समय तक यह हाथियों पर सवार होते थे। पर मेनका गांधी के विरोध के बाद इन्हें हाथियों पर बैठाने की परंपरा को रोक दिया गया। बालवीर गणतंत्र दिवस परे...
गरीबी के अभिशाप से मुक्ति की ओर अग्रसर भारत

गरीबी के अभिशाप से मुक्ति की ओर अग्रसर भारत

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- ललित गर्ग-आजादी के अमृत काल में सशक्त भारत एवं विकसित भारत को निर्मित करते हुए गरीब एवं गरीबीमुक्त भारत के संकल्प की ओर सफलतापूर्वक आगे बढ़ना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं उनकी सरकार की बड़ी उपलब्धि एवं ऐतिहासिक सफलता है। नीति आयोग के अनुसार जीवन स्तर सुधार, शिक्षा व चिकित्सा की उपलब्धता के आधार पर देश में कुल 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी से बाहर आए हैं। विगत नौ वर्ष में ऐसी गरीब कल्याण की योजनाओं को लागू किया गया है, जिससे भारत के भाल पर लगे गरीबी के शर्म के कलंक को धोने के सार्थक प्रयत्न हुए है एवं गरीबी की रेखा से नीचे जीने वालों को ऊपर उठाया गया है।आजादी के 75 साल बाद भी भारत के सामने जो सबसे बड़ी चुनौतियां खड़ी रही है, इनमें गरीबी सबसे प्रमुख है। यही कारण है कि वर्ष 2047 के आजादी के शताब्दी समारोह के लिये जो योजनाएं एवं लक्ष्य तय किये हैं, उनमें गरीबी उन्मूलन के लिये भी व्य...