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सामाजिक

बदलती आर्थिकी, इंजीनियरिंग और नौकरियां

बदलती आर्थिकी, इंजीनियरिंग और नौकरियां

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देश की आर्थिकी करवट बदल रही है,कोविड के दुष्काल  में गिरावट के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के फिर से उठ खडे़ होने के संकेत मिल रहे है।  आर्थिकी की करवट सही दिशा में  है या नहीं इसका अंदाजा इस बात से भी लग जाएगा कि देश के कॉलेजों व यूनिवर्सिटियों में प्लेसमेंट कैसे होंगे और युवा इंजीनियरों व एमबीए डिग्री धारियों को कैसी नौकरियां मिलेंगी? देश के उच्च शिक्षा संस्थानों में सारे काम अब धीरे-धीरे शुरू हो रहे हैं। अभी तक पठन-पाठन का काम ऑनलाइन किया जा रहा था, किंतु अब कैंपसों में विद्यार्थियों के लौटने का इंतजार किया जा रहा है। उधर, देश के शीर्षस्थ इंजीनियरिंग एवं प्रबंध संस्थानों में प्लेसमेंट की हलचल शुरू हो चुकी है। यह एक अच्छी खबर है कि १  दिसंबर, २०२० से पुराने आईआईटी संस्थानों में वर्चुअल ढंग से प्लेसमेंट का दौर शुरू हो चुका है। पहले की तरह कंपनियों के प्रतिनिधि विद्यार्थियों के इंटरव्यू व चयन...
राजनीतिक बोझ बनती काग्रेस

राजनीतिक बोझ बनती काग्रेस

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कोरोना संक्रमण की शुरूआत से अब तक जो राजनैतिक पार्टी सबसे ज़्यादा प्रताड़ित है वह कांग्रेस पार्टी है। मार्च में जब कोरोना संक्रमण के मामले आने शुरू ही हुए थे कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता चली गई, जब संक्रमण अपनी चरम पर आया तो राजस्थान में पार्टी में भगदड़ मच गई और अब बिहार चुनाव के साथ अनेक राज्यों में उपचुनाव सम्पन्न हुए, जिसमें पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन जारी है। देश में लगभग साठ वर्षों तक सत्ता सम्हालने वाली पार्टी अब क्षेत्रीय दलों पर भी बोझ हो गई है। बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनाव से भी खराब रहा, 2015 में भी कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में थे और केवल चालीस सीटों पर लड़कर 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में भी महागठबंधन के सहयोगी होकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन जीतने में सफल केवल 19 सीटों पर मिली। इसका मतलब है कि कांग्रेस पार...
विहार चुनाव परिणाम: दूरगामी संदेश

विहार चुनाव परिणाम: दूरगामी संदेश

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और मोदी ने बदल दिया बिहार! अब नीतीश पीछे और भाजपा आगे। यानि देर सबेर भाजपा का ही मुख्यमंत्री बनना तय। मगर इन परिणामों के इससे कहीं ज्यादा दूरगामी परिणाम हैं- १) विहार चुनाव परिणामों ने कोरोना संकट के कारण हिल रहे ब्रांड मोदी को फिर से स्थापित कर दिया। यह मोदी के कार्यों व करोना से निबटने की उनकी रणनीति पर जनता का जनमत है और वे अब निर्विवाद रूप से विजयी हैं। इसका असर देश की राजनीति, सहयोगियों, सरकार , नोकरशाही, न्यायपालिका, पार्टी व मीडिया पर मोदी की पकड़ फिर से मक़बूत होने की दिशा में पड़ेगा। २) एनडीए से ज़्यादा भाजपा की यह जीत अब पूरे देश में भाजपा के ग्राफ़ को बड़ाएगी और बिहार के साथ साथ बंगाल, तमिलनाडु व केरल तक में इसका असर दिखेगा। बंगाल में तो ममता दीदी की नींद उड़नी तय है। अन्य राज्यों के उपचुनावों विशेषकर मध्यप्रदेश व गुजरात में भी भाजपा के आगे रहने से देश में राजनीतिक स्थिरता...
HOW WOULD “FIGHTERS FOR FREE MEDIA” REACT TO REPUBLIC  T V  EPISODE   ?

HOW WOULD “FIGHTERS FOR FREE MEDIA” REACT TO REPUBLIC T V EPISODE ?

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Many people would have been surprised and shocked to hear the Mumbai Police Commissioner calling the media and telling  that Republic TV has falsified the TRP rating.  Given the various problems Mumbai is facing  now in addition to the ongoing COVID 19 crisis, is this matter so important for the Mumbai police commissioner to   make an announcement about this  “trivial issue”, spending his valuable time? Many in the would know that the TRP ratings are made on the basis of sample surveyS and  there are many occasions in the past , when the results of the TRP survey have been criticized by one media or the other.   It is a sample survey and sample surveys could always be of doubtful conclusion.  It is like a pre poll survey , which different agencies do  and provide different conclusions, ...
ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

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क्या पहले और दूसरे विश्व युद्ध की कोई ओपचारिक घोषणा हुई थी ?  नहीं न। तो तीसरे विश्व युद्ध की ओपचारिक घोषणा का इंतज़ार क्यों? पिछले एक बर्ष में ज़ेविक हथियार से चीन ने दुनिया की कमर तोड़ दी। अब चीन का प्यादा तुर्की अजरबेजान के कंधे पर बंदूक़ रखकर रुस और फ़्रांस के प्यारे आर्मीनिया को बर्बाद करने पर तुला है। अब तक १५ हज़ार लाशें बिछ चुकी हैं। सच्चाई यह है कि यह बहुत थोड़ी सी तबाही है। अब इस खेल में अलक़ायदा और आइएसआइएस की ज़बरदस्त एंट्री हो चुकी है और दुनिया के सारे ईसाई व मुस्लिम राष्ट्र इस धर्म युद्ध या सभ्यताओं के संघर्ष में शामिल होते जा रहे हैं। प्रबल संभावना है कि अब इस युद्ध में पुराने गठजोड़ व गठबंधन टूटे जाएँगे व नए बनते जाएँगे। जंग का मैदान नित नयी उलटबाँसिया देख रहा है। अब यह भयावह रूप लेने वाला है क्योंकि अनेक महाशक्तियाँ इसमें प्रवेश करने वाली हैं। १) अमेरिका की रिपब्लिकन ख़ेम...
Owaisi : India will continue to recite name of Shri Ram

Owaisi : India will continue to recite name of Shri Ram

समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
The moment foundation stone was laid for the magnificent Ram Mandir (temple) construction in Ayodhya Asaduddin Owaisi and All India Muslim Personal Law Board started their shameless circus and shown their intolerance towards the religion of the 85% majority of the country. They got burned with envy, Immediately after it, and began reiterating that secularism in India is diminishing under the Hinduism dominance. Owaisi  has got an opportunity to disturb the communal harmony, so he seized this fragile moment, to extend his propaganda of provoking minds of secular hindus and inflaming the section of fanatics Muslims. The degree of shamelessness with which Asaduddin Owaisi and All India Muslim Personal Law Board commented rubbish, for their cheap political gains,on Land Ram worship ceremony on...
जल निकायों और संसाधनों का कायाकल्प समय रहते बेहद जरूरी है

जल निकायों और संसाधनों का कायाकल्प समय रहते बेहद जरूरी है

समाचार, सामाजिक
--- डॉo सत्यवान सौरभ,  रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस, दिल्ली यूनिवर्सिटी,  कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट, सरकार की राष्ट्रीय संरचना नीति के तहत राष्ट्रीय जल ब्यूरो दक्षता क्षमता स्थापित करने एवं एक आधुनिक जल नीति की योजना बना रहा है।  राज्यों के बीच आम सहमति का निर्माण इस बदलाव को करने के लिए पूर्व शर्त है। पहली राष्ट्रीय जल नीति को जल संसाधनों के नियोजन और विकास और उपयोग को नियंत्रित करने के लिए तैयार किया गया था। पहली राष्ट्रीय जल नीति को 1987 में अपनाया गया था, 2002 में और बाद में 2012 में इसकी समीक्षा कर सुधात किया गया। राष्ट्रीय जल ढांचे आवश्यकता पर जोर, अंतर-राज्यीय नदियों और नदी घाटियों के सही विकास के लिए व्यापक कानून, सुरक्षित पेयजल और स्वच्छता, खाद्य सुरक्षा को प्राप्त करना, गरीब लोगों को उनकी आज...
क्रांति एवं शांति का समन्वय थे योगी अरविन्द

क्रांति एवं शांति का समन्वय थे योगी अरविन्द

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
हमारा प्रेम, हमारी आजादी, हमारी संवदेनाएं, हमारी आकांक्षाएं, हमारे सपने, हमारा जीवन सबकुछ जब दांव पर लगा था तब एक हवा का तेज झोंका आया और हम सब के लिये एक संकल्प, एक आश्वासन एवं एक विश्वास बन गया। जिन्होंने न केवल हमें आजादी का स्वाद चखाया बल्कि हमारे जीवन का रहस्य भी उद्घाटित किया। एक अमृत पुत्र एवं महान क्रांतिकारी के रूप में जिनकी पहचान हैं महर्षि अरविन्द। राष्ट्रीय एवं मानवीय प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत करते हुए उन्होंने युवा अवस्था में स्वतन्त्रता संग्राम में क्रान्तिकारी के रूप में भाग लिया, किन्तु बाद में यह एक योगी एवं दार्शनिक बन गये और इन्होंने पांडिचेरी में एक आश्रम स्थापित किया। उनका अनुभूत सत्य है कि ‘रहे भीतर, जीयें बाहर’। जो भी उनकी विलक्षण आध्यात्मिक एवं योग की सन्निधि में आता, वह निरोगी एवं तेजस्वी बन जाता। जो राष्ट्रीय सोच की छांव में आता, देश के लिये बलिदान होने ...
आत्मा को दीप्त करता महापर्व-पर्युषण

आत्मा को दीप्त करता महापर्व-पर्युषण

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
- आचार्य डाॅ.लोकेशमुनि- जैन संस्कृति में जितने भी पर्व व त्योहारों मनाये जाते हैं लगभग सभी में तप एवं  साधना का विशेष महत्व है। जैनों का सर्वाधिक महत्वपूर्ण पर्व है पयुर्षण पर्व । यह पर्व ग्रंथियों को खोलने की सीख देता है और आत्मशुद्धि का वातावरण निर्मित करता है। इस आध्यात्मिक पर्व के दौरान कोशिश यह की जाती है कि जैन कहलाने वाला हर व्यक्ति अपने जीवन को इतना मांज ले कि वर्ष भर की जो भी ज्ञात-अज्ञात त्रुटियां हुई हैं, आत्मा पर किसी तरह का मैल चढ़ा है वह सब धुल जाए। संस्कारों को सुदृढ़ बनाने और अपसंस्कारों को तिलांजलि देने का यह अपूर्व एवं अलौकिक अवसर है। इस पर्व के आठ दिन इतने महत्वपूर्ण हैं कि इनमें व्यक्ति स्वयं के द्वारा स्वयं को देखने का प्रयत्न करता है। ये आठ दिन नैतिकता और चरित्र की चैकसी एवं उसकी प्रयोगशाला का काम करते हैं और व्यक्ति को प्रेरित करते हैं वे भौतिक और सांसारिक जीव...
मेरे कृष्ण

मेरे कृष्ण

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
श्री कृष्ण जन्मोत्सव वास्तव में एक बालक जन्म से कुछ अधिक है, ये पर्व मानव सभ्यता को जीवन मूल्यों के साथ जीवन से जुड़े विभिन्न मनोभावों जैसे प्रेम, विश्वास, क्रोध, अनुराग, घृणा आदि के प्रति जागरूक करता है। विचारणीय तथ्य है कि समस्त बंधनो में जन्म लेने वाला शिशु किस प्रकार समस्त बंधनों को पार करके एक नए परिवार में प्रवेश पाता है। उसको जन्म देने वाले, पालने वाले सब एक माध्यम है ताकि शिशु अपनी विभिन्न लीलाओं के माध्यम से समाज को जागरूक कर सके। श्री कृष्ण का जीवन एक प्रतिबिम्ब है जिसमे उनके अनेक रूप जीवन शैली की सकारात्मकता एवम नकारात्मकता को समाविष्ट किये हुए है। कृष्ण एक नटखट बालक है, एक बाँसुरी वादक है, एक भयंकर योद्धा है, एक राजनेता है, एक महायोगी है और एक प्रेमी है। वास्तव में कृष्ण जीवन का एक आचरण है जिसका संबंध पूरे समाज से है। यदि श्री कृष्ण के जीवन का अध्ययन करें तो पाते हैं कि श्...