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साहित्य संवाद

सर्वश्रेष्ठ लोक संचारक एवं आदर्श आदि पत्रकार

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नारद जयंती (17 मई) के पर विशेषसर्वश्रेष्ठ लोक संचारक एवं आदर्श आदि पत्रकार- ललित गर्ग -देव ऋषि नारद या नारद मुनि ब्रह्माजी के पुत्र और भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त महान तपस्वी, तेजस्वी, सम्पूर्ण वेदान्त एवं शस्त्र के ज्ञाता तथा समस्त विद्याओं में पारंगत हैं, वे ब्रह्मतेज एवं अलौकिक तेजोरश्मियों से संपन्न हैं। हैं। वे आदि-पत्रकार हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में एक जगह की खबर दूसरी जगह पहुंचाने एवं इधर की बात उधर करके, दो लोगों के बीच आग लगाने के लिये काफी प्रसिद्ध हैं। माना जाता है कि उन्हंे सब खबर रहती हैं कि सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में कहाँ क्या हो रहा हैं। मूंह पर नारायण नारायण और हाथ में वीणा लिये, नमक-मिर्च लगा के बातें फैलाना, एक बात को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाने, सृष्टि के हित में सृष्टि की किसी बड़ी घटना की आहट को पहचानकर उसे एक लोक से दूसरे लोक में पहुंचाने में उनकी महारत थी। उ...
हिंसा नहीं आध्यात्म के बल पर बने हिंदू राष्ट्र

हिंसा नहीं आध्यात्म के बल पर बने हिंदू राष्ट्र

संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
हिंसा नहीं आध्यात्म के बल पर बने हिंदू राष्ट्र विनीत नारायण पिछले दिनों हरिद्वार में जो विवादास्पद और बहुचर्चित हिंदू धर्म संसद हुई थी उसके आयोजक स्वामी प्रबोधानंद गिरी जी से पिछले हफ़्ते वृंदावन में लम्बी चर्चा हुई। चर्चा का विषय था भारत हिंदू राष्ट्र कैसे बने? इस चर्चा में अन्य कई संत भी उपस्थित थे। चर्चा के बिंदु वही थे जो पिछले हफ़्ते इसी कॉलम में मैंने लिखे थे और जो प्रातः स्मरणीय विरक्त संत श्री वामदेव जी महाराज के लेख पर आधारित थे। लगभग ऐसे ही विचार गत 35 वर्षों में मैं अपने लेखों में भी प्रकाशित करता रहा हूँ। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि भारत की सनातन वैदिक संस्कृति कम से कम दस हज़ार वर्ष पुरानी है। जिसमें मानव समाज को शेष प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करके जीवन जीने की कला बताई गई है। बाक़ी हर सम्प्रदाय गत ढाई हज़ार वर्षों में पनपा है। इसलिए उसके ज्ञान और चेतना का स्रोत वैदिक ...
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

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श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग विभिन्न रामायणों में श्रीराम-चरण पादुका प्रसंग भारत की प्राय: सभी भाषाओं की रामायणों के अयोध्याकाण्ड के अन्त में श्रीराम एवं भरतजी की भेंट का मार्मिक वर्णन प्राप्त होता है। अंत में श्रीराम वशिष्ठ के माध्यम से भरतजी को समझा बुझा कर तथा श्रीराम की चरण पादुकाओं सहित ले जाते हैं। श्रीराम ने भरत को अपने अवतार लेने का उद्देश्य-रहस्य तथा राक्षसों के संहार करने के लिए एवं मुनि-ऋषियों की रक्षा के लिए, पृथ्वी के भार को कम करने आदि का कारण नहीं बताया। श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं वे अपने मुख से यह सब कैसे कह सकते हैं? अत: वशिष्ठजी ने भरत को श्रीराम के अवतार लेने एवं राक्षसों के संहार करने का रहस्य बताकर, श्रीराम के प्रतिनिधि के रूप उनकी चरण पादुकाओं को लेकर लौटने का कहा। यह प्रसंग रोचक, मार्मिक, रहस्यपूर्ण और भ्रातृप्रेम का अपूर्व उदाहरण हैं। अत: ...
श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग

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श्रीरामकथा के अल्पज्ञात दुर्लभ प्रसंग आनन्दरामायण में श्रीराम द्वारा कौए को अद्भुत वरदान प्राय: सभी रामकथाओं में इन्द्र पुत्र जयन्त के कौए के रूप में सीताजी के पास आकर उनको उसके चोंच से क्षति पहुँचाने का तथा श्रीराम द्वारा एक नेत्र छेदन करने का वर्णन पाया जाता है। श्रीराम दया के सागर, करुणानिधान तथा क्षमा करने के लिए प्रसिद्ध हैं। अत: आनन्दरामायण में श्रीराम द्वारा कौए को अद्भुत वरदान देने का प्रसंग है। यथा- एकदा राघव: शिष्य संभासंस्यो जनैर्वृत:। ददर्श द्राक्षावल्लीनां मंडपे काकुमुत्तमम्।। उभयोनैत्रयोरेकनेत्रमूर्तिसमन्वितम्। अतिदीनं कृशं व्यग्रदृष्टिं दीर्घस्वरं चलन्।। आनन्दरामायण राज्यकाण्डम् (पूर्वाद्ध) सर्ग ४-१-२ गुरु श्रीरामदास अपने प्रिय शिष्य विष्णुदास को कहने लगे- एक बार की बात है कि श्रीरामचन्द्रजी अपनी सभा में अनेक मनुष्यों से घिरे हुए बैठे हुए थे। तभी अंगूर की लताओं में ब...
अंग्रेजी नहीं, हिन्दी हो सम्पर्क भाषा

अंग्रेजी नहीं, हिन्दी हो सम्पर्क भाषा

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अंग्रेजी नहीं, हिन्दी हो सम्पर्क भाषा - ललित गर्ग- केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सशक्त भारत-निर्माण के लिए भारतीय भाषाओं के प्रयोग की प्रासंगिकता व्यक्त करते हुए कहा कि जब अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले राज्यों के लोग आपस में बातचीत करें तो उन्हें अंग्रेजी के बजाय हिन्दी को या देश की ही किसी अन्य भाषा को इसका माध्यम बनाना चाहिए।’ निश्चित ही बातचीत एवं व्यवहार की भाषा के रूप में हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं का प्रयोग करने से राष्ट्रीय विकास के नए क्षितिज खुलेंगे, नवाचार के नए-नए आयाम उभरेंगे। भारतीय भाषाओं में बातचीत, व्यवहार, चिंतन एवं शिक्षण से सृजनात्मक एवं स्व-पहचान की दिशाएं उद्घाटित होगी। वास्तव में स्व-भाषाएं विचारों, विचारधाराओं, कल्पनाओं और अपने व्यापक सामाजिक-राष्ट्रीय दर्शन की स्पष्टता का माध्यम बनती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा न...
महावीर है आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष

महावीर है आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष

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महावीर है आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष - ललित गर्ग - महावीर का संपूर्ण जीवन स्व और पर के अभ्युदय की जीवंत प्रेरणा है। लाखों-लाखों लोगों को उन्होंने अपने आलोक से आलोकित किया है। इसलिए महावीर बनना जीवन की सार्थकता का प्रतीक है। महावीर बनने का अर्थ है स्वस्थ जीवन जीना, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना। प्रत्येक वर्ष हम भगवान महावीर की जन्म-जयन्ती मनाते हैं, लेकिन इस वर्ष उस महान् आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष की जयंती को कोरा आयोजनात्मक नहीं बल्कि प्रयोजनात्मक स्वरूप देना है। इसकेे लिये हर व्यक्ति अपने भीतर झांकने की साधना करें, महावीर को केवल पूजे ही नहीं हैं, बल्कि जीवन में धारण कर लें। जरूरी है कि हम महावीर ने जो उपदेश दिये उन्हें जीवन और आचरण में उतारें। हर व्यक्ति महावीर बनने की तैयारी करे, तभी समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। महावीर वही व्यक्ति बन सकता है जो लक्ष्य के प्रति पूर्ण...
आखिर कैसे भगत सिंह ‘आप के’ लिए एक नायक बन गए?

आखिर कैसे भगत सिंह ‘आप के’ लिए एक नायक बन गए?

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आखिर कैसे भगत सिंह 'आप के' लिए एक नायक बन गए? -प्रियंका 'सौरभ' पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यालय में भगत सिंह की एक तस्वीर विवादों में घिर गई है। आप पार्टी के नए मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह एक समतावादी पंजाब बनाने का सपना देखते हैं जिसका सपना भगत सिंह ने देखा था और जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया। हालांकि,मुख्य रूप से फोटो की प्रामाणिकता की कमी के कारण फोटो में पहने हुए बसंती (पीली) पगड़ी भगत सिंह पर आपत्ति जताई जा रही है। जानकारों के मुताबिक उनकी सिर्फ चार ओरिजिनल तस्वीरें हैं। एक तस्वीर में वह जेल में खुले बालों के साथ बैठे हैं, दूसरी उन्हें टोपी में और दो अन्य उन्हें सफेद पगड़ी में दिखाते हैं। उन्हें पीले या नारंगी रंग की पगड़ी में या हाथ में हथियार लिए हुए दिखाने वाली अन्य सभी तस्वीरें कल्पना की उपज हैं। भगत सिंह एक भारतीय समाजवादी क्रांतिकारी थे, जिनकी भा...
श्रीकृष्ण भक्ति के शिखर हैं चैतन्य महाप्रभु

श्रीकृष्ण भक्ति के शिखर हैं चैतन्य महाप्रभु

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श्रीकृष्ण भक्ति के शिखर हैं चैतन्य महाप्रभु -ललित गर्ग- चैतन्य महाप्रभु श्रीकृष्ण के प्रेमावतार यानी श्री राधाजी के अवतार माने जाते हैं, वे भारतीय संत परम्परा में श्रीकृष्ण भक्ति रस संस्कृति के एक महान् संत हैं। उन्होंने मध्यकाल में एक देवदूत की भांति भारत की धरा पर जन्म लेकर वैष्णव संत केशव भारती से संन्यास ग्रहण कर शोषित, पीड़ित मानव-समुदाय को प्रेमपूर्ण जीवन जीने की राह दिखाई। वे कवि, समाज सुधारक एवं क्रांतिकारी प्रचारक थे। वैष्णव धर्म के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक थे। उन्होंने जात-पांत के बंधन को तोड़ने और सम्पूर्ण मानव जाति को एक सूत्र में पिरोने के लिये हरिनाम ‘संकीर्तन’ आन्दोलन शुरू किया। वे जन सागर में उतरे एवं फिर जन सागर उनकी ओर उमड़ पड़ा। एक महान् आध्यात्मिक आन्दोलनकारी संत के रूप में उनकी विशेषता थी वे धर्म समभाव, करुणा, एकता, प्रेम, भक्ति, शांति एवं अह...
कोई बचा ले पाक के शियाओं को मरने से

कोई बचा ले पाक के शियाओं को मरने से

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कोई बचा ले पाक के शियाओं को मरने से-आर.के. सिन्हा पाकिस्तान के पेशावर की एक शिया मस्जिद में बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान हुए दिल दहलाने वाले आत्मघाती बम विस्फोट में लगभग 60 से अधिक शिया नमाजी मारे गए और 200 से अधिक घायल हो गए। मारे गए लगभग सभी अभागे शिया मुसलमान बताए जाते हैं। अब गौर करें कि हमलावरों ने निशाना बनाया शिया मुसलमानों और उनकी इबादतगाह को। यह भी याद रखा जाए कि एक इस्लामिक मुल्क में ही शिया मुसलमानों का जीना मुश्किल हो गया है। वे हर वक्त डर-भय के साए में रहते हैं। यह हाल उस पाकिस्तान का है, जो मुसलमानों के वतन के रूप में बना था या जबरदस्ती जिन्ना वादियों द्वारा बनवाया गया था। पेशावर की शिया मस्जिद में हुआ हमला कोई अपने आप में पहली बार नहीं हुआ है । वहां पर शिया मुसलमानों पर लगातार जुल्मों-सितम होते रहे हैं। शिया पाकिस्तान की आबादी का 10 से 15 फीसदी है। वे देश के ...
चेतना द्वारा लाला पन्नालाल स्मृति व्याख्यान माला-6.0 का आयोजन

चेतना द्वारा लाला पन्नालाल स्मृति व्याख्यान माला-6.0 का आयोजन

विश्लेषण, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
चेतना द्वारा लाला पन्नालाल स्मृति व्याख्यान माला-6.0 का आयोजन नई दिल्ली। चेतना द्वारा लाला पन्नालाल स्मृति व्याख्यान माला-6.0 का आयोजन होटल क्राउन प्लाजा रोहिणी में किया गया। पंथनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकवाद विषय पर आधारित इस व्याख्यान माला में मुख्य वक्ता के रूप में सांसद एवं प्रख्यात विचारक प्रो. राकेश सिन्हा, विषय प्रवर्तन के लिए विश्व हिन्दु परिषद् के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी की गरीमामयी उपस्थिति रही। कार्यक्रम की अध्यक्षता पावन चिंतन धारा के संस्थापक गुरु पवन सिन्हा ने की। इस मौके पर लाला पन्नालाल सिंघल स्मृति व्याख्यान माला-5 के अंतर्गत समसामायिक परिस्थितियां और रामकथा विषय पर पद्मश्री डॉ. नरेन्द्र कोहली द्वारा लिखित व प्रसिद्ध कवि नरेश शांडिल्य द्वारा संपादित पुस्तक का विमाचन भी किया गया। इस मौके पर अल्पसंख्यकवाद विषय पर बोलते हुए विश्व हिन्दु परिषद के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी...