कंपनियों के चक्रव्यूह में फंसा भारत
कम्पनियों के मकड़जाल में भारत सही दुनिया के तमाम देश व इस लोकतंत्र की चक्रव्यूह में विश्व के सभी लोकतांत्रिक देश पिस रहे हैं पर उनके बनाए हुए इस चक्रव्यूह को भेदने करने का किसी के पास ताकत नहीं रह गई है विश्व भर में इनके बनाए हुए सारे सिस्टम पूरी दुनिया को रेगुलेट करने का एक साधन बन करके रह गया है कंपनियों के भरोसे मीडिया जो जनमानस को रेगुलेशंस करती है और मीडिया पर भरोसा करने के लिए ये education system उनको तैयार करता है मानसिक गुलामी के लिएभारत की कोई कंपनी विश्व की किसी बड़ी कंपनी को खरीदती है तो ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है।
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आपको क्या लगता है ? गर्व करना चाहिए या नहीं ?
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अब आपको याद होगा कि टाटा स्टील ने यूरोप की सब से बड़ी स्टील कंपनी कोरस खरीदी थी 14 बिलियन डॉलर में (14.2 अरब डॉलर)।
तब ये सौदा विश्व के दस सबसे “अच्छे सौदों” में से एक था टाइम्स मैगजीन , फ़ोर्ब्स , मूडी ...