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ऍफ़. डी. आई. नीति में बदलाव : एक अच्छी शुरुआत पर आगे लम्बी राह

ऍफ़. डी. आई. नीति में बदलाव : एक अच्छी शुरुआत पर आगे लम्बी राह

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  ऍफ़. डी. आई. नीति में परिवर्तन कर भारत सरकार ने घरेलू कंपनियों में भारी निवेश के माध्यम से अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण करने के चीनी प्रयास पर अंकुश लगाया । चीन में उत्पन्न हुई महामारी कोविड-१९ ने सम्पूर्ण विश्व को घेर लिया है । भारत में भी इस महामारी ने फरवरी माह में दस्तक दे दी थी और भारतीय सरकार को इससे लड़ने के लिए सम्पूर्ण लॉक-डाउन जैसे कड़े कदम उठाने पड़े । सम्पूर्ण लॉक-डाउन ने इस महामारी के प्रसार पर रोक लगायी परन्तु समूचे देश के आर्थिक क्रियाकलापों पर भी अल्प विराम लगा दिया । जिसके परिणामस्वरूप भारतीय कंपनियां इस समय गंभीर आर्थिक समस्याओं से जूझ रही हैं । विडम्बना यह है कि इस महामारी का उद्गम स्थल चीन न सिर्फ इस महामारी को वश में करता प्रतीत हो रहा है अपितु इस समस्या का लाभ उठाने की लिए भी लालायित दिख रहा है । चीन अपने देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों के माध्यम से विश्व भर में तीव्रता से...
कोविड -19 काल: जाने अपने सभी कर्तव्यों को और करें उनका पालन

कोविड -19 काल: जाने अपने सभी कर्तव्यों को और करें उनका पालन

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प्रत्येक अधिकार की प्राप्ति के लिए उससे सम्बंधित कर्त्तव्य का पालन करना अनिवार्य होता है । - गाँधीवादी सिद्धांत कोरोना वायरस जनित बीमारी कोविड -19 का पहला मामला दिसंबर,2019 में वुहान, हुबेई, चीन में पाया गया था। यह वायरस, मानव-से-मानव संचरण की तीव्र क्षमता के कारण, दुनिया भर में तेजी से फैल गया। दिनांक 11.03.2020 को, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे महामारी घोषित कर दिया। इस लेख के लेखन के समय दुनिया भर में कोविड -19 के 20 लाख से अधिक पुष्टित मामले हैं और इसके कारण एक लाख आठ-हज़ार हज़ार से अधिक मौतें हुई हैं। इस समय भारत में कोविड -19 के 12 हजार से अधिक पुष्टित मामले हैं और इस महामारी के कारण 400 से अधिक मौतें हुई हैं । और यह संख्या हर दिन के साथ तेजी से बढ़ रही है । समय रहते केंद्र सरकार और उत्तराखंड राज्य दोनों ने महामारी का मुकाबला करने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के प्रावधानों...
महायुद्ध – महासंकट के महापरिणाम

महायुद्ध – महासंकट के महापरिणाम

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  अंततः अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने स्वीकार कर ही लिया कि कोरोना महामारी नहीं वरन उनके देश पर चीन का आक्रमण है। उनके देश पर ही नहीं वरन पूरी दुनिया पर। बिना हथियार चलाए चीन ने एक वायरस के माध्यम से पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है और पूरी दुनिया मौत के साए में नपुंसक सी अपनी बर्बादी का यह ख़ौफ़नाक दृश्य 24 घंटे देख रही है। मजेदार बात यह कि जिस लेब में यह वायरस पैदा किया गया उसकी फंडिंग अमेरिका से हो रही थी। शांति पूर्ण ढंग से वायरोलॉजी के उपयोग के लिए संयुक्त प्रयासों से चल रही इस लेब का इतना खतरनाक उपयोग कोई शायद ही सोच पाया हो। क्या विडंबना है कि जिस विश्व स्वास्थ्य संगठन को दुनिया के बड़े देश चीन की कठपुतली मां चुके हैं उसी के निर्देशों पर ही दुनिया के देश कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। क्या इस संस्था के माध्यम से चीन दुनिया को अपने इशारों पर चला रहा है और बर्बा...
तबलीगी जमात की कालिमा को धोने के उपक्रम

तबलीगी जमात की कालिमा को धोने के उपक्रम

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कोरोना कहर से समूचा भारत संकट में है और इस संकट को तबलीगी जमात ने बढ़ा दिया, इसकी गलती से कोरोना संक्रमण पीड़ितों व मौतों की संख्या बढ़ी है। जमात के अमीर मौलाना साद की इस अक्षम्य गलती से न केवल संपूर्ण भारतीय मुस्लिम समाज को गंभीर संकट में डाला बल्कि साम्प्रदायिक सौहार्द एवं आपसी सद्भावना की भारतीय सांझा-संस्कृति को भी धुंधलाया। जबकि देश का एक बड़ा मुस्लिम समुदाय इस संकट की घड़ी में देश के साथ खड़ा है, अपने-अपने स्तर पर सेवा, सहयोग एवं सहायता के उपक्रम कर रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य ने भी हाल ही में स्वीकार किया है कि मुस्लिम समाज में एक वर्ग ऐसा भी है जो सरकार के निर्देशों का पालन कर रहा है, जमात के लोगों की खोज करने में प्रशासन की मदद कर रहा हैं। उन्होंने मुस्लिम समाज में तबलीगी जमात के सदस्यों का विरोध होने की भी सराहना की। भारत का एक बड़ा मुस्लिम वर्ग कोरोना...
प्रकृति से लड़े तो बेमौत मारे जाओगे

प्रकृति से लड़े तो बेमौत मारे जाओगे

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आज पूरे विश्वभर में, घर-घर में, गली में, गाँव में, शहरों में चर्चा का विषय तो एक ही है कि कोरोना जैसी महामारी से निपटा कैसे जाये, कोरोना वायरस, यानि कोविड-19, एक इतना छोटा सा जन्तु जो नंगी आंखों से तो छोड़ दीजिए, सामान्य माइक्रोस्कोप से भी दिख नहीं सकता। इसको देखने के लिए भी इलेक्ट्रोन माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है। अब इस छोटे से पिद्दीनुमा वायरस ने पूरे विश्व को तबाह करके रख दिया है। किसी भी मनुष्य के ही नहीं समस्त जीव-जन्तु के शरीर में हजारों लाखों की संख्या में बैक्टीरियानुमा जीव-जन्तु हमेशा विद्यमान ही रहते हैं । इन्हीं कारणों से समस्त प्राणियों में जीवन की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रहती है। इनमें कुछ ऐसे अर्ध विकसित जीव होते हैं, जिन्हें वायरस कहते हैं जो हानिकारक प्रभाव पैदा करते हैं। इन हानिकर प्रभावों को रोकने के लिए और ऐसे वायरस को शरीर से खत्म करने के लिए चिकित्सा विज्ञान ने बह...
सऊदी अरब पहले तुर्की का गुलाम था यानी ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था

सऊदी अरब पहले तुर्की का गुलाम था यानी ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था

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सऊदी अरब पहले तुर्की का गुलाम था यानी ऑटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। लेकिन सऊदी के कबीलों को यह नहीं पसंद था कि तुर्की का खलीफा उस पर राज करें क्योंकि अरबी मुस्लिम अपने आप को श्रेष्ठ समझते थे और तुर्क अपने आप को श्रेष्ठ समझते थे। तुर्की के खलीफा ने इस्तांबुल से अम्मान फिर अम्मान से दमास्कस यानी दमिश्क़ फिर दमास्कस से होते हुए सऊदी अरब के विशाल रेगिस्तान को पार करके मक्का और मदीना तक रेलवे लाइन बिछाई थी जिसे हेजाज रेलवे कहते हैं मैंने इसके बारे में पहले भी विस्तार से लिखा हुआ है तुर्की का खलीफा सऊदी अरब के लोगों से एक गुलाम की तरह व्यवहार करता था और उसका कमांडर जब चाहे तब अरबों को मार डालता था उसी समय अंग्रेज तुर्की के खलीफा का पतन करना चाहते थे अंग्रेजों को यह बहुत अच्छा मौका मिला और उन्होंने कैप्टन लॉरेंस को इस गुप्त ऑपरेशन पर लगा दिया । लॉरेंस पहले भी इजिप्ट लीबिया सीरिया इत्याद...
आधुनिक और विकसित देशों के नागरिक स्वदेश लौटने को तैयार नहीं

आधुनिक और विकसित देशों के नागरिक स्वदेश लौटने को तैयार नहीं

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कोरोना वायरस के असर से अब संसार का कोई भी देश बचा नहीं है। कोरोना वायरस ने सच में सारी दुनिया को घुटनों पर लाकर खड़ा कर दिया है। हर जगह कोरोना से रोज हजारों मौतें हो रही हैं। दुनिया इस वायरस के असर के कारण डरी-सहमी है। पर इसका एक दूसरा पहलू यह भी है कि अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया और चीन, जहां से इस वायरस की उत्पति हुई और अन्य कई विकसित देशों के पेशेवर मैनेजर मल्टीनेशनल कंपनियों के भारत में रहने वाले हजारों नागरिक अपने को यहां पर अपने खुद के देश की बजाय ज्यादा सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। फिलहाल ये अपने देशों में वापस जाने के लिए भी तैयार नहीं हैं। विमान की और मुफ्त सफ़र की व्यवस्था के बावजूद आनाकानी कर रहे हैं । अगर बात अमेरिका से शुरू करें तो वहां पर रोज बड़ी संख्या में लोग कोरोना के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। अपने को सर्वशक्तिमान समझने वाले अमेरिका की दर्दनाक स्थिति अब तो इतनी खराब हो ग...
कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर लैब के शोधार्थियों ने बढ़ाया हाथ

कोविड-19 से लड़ने के लिए सीएसआईआर लैब के शोधार्थियों ने बढ़ाया हाथ

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वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की जोरहाट स्थित प्रयोगशाला उत्तर-पूर्व विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (एनईआईएसटी) के शोधार्थी छात्रों ने भी अब कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को मजबूती देने के लिए अपना हाथ बढ़ाया है। एनईआईएसटी के निदेशक डॉ जी. नरहरि शास्त्री के आह्वान पर संस्थान में अध्ययन कर रहे शोधार्थियों ने भी कोविड-19 के संकट में जरूरतमंदों की मदद के लिए पीएम-केयर फंड में आर्थिक सहयोग राशि जमा करायी है। इस पहल के अंतर्गत संस्थान के 58 शोधार्थियों ने 54,201 रुपये पीएम-केयर फंड में जमा कराए हैं। यह सहयोग राशि पीएम-केयर के कोविड-19 दान से संबंधित खाते में सीएसआईआर के सीनियर रिसर्च फेलो (एसआरएफ) प्रचुरज्य दत्ता के खाते से 15 अप्रैल को जमा करायी गई है। डॉ शास्त्री के नेतृत्व में सीएसआईआर-एनईआईएसटी कोविड-19 से निपटने के लिए हैंड-सैनिटाइजर, लिक्विड हैंडवॉश और संक्रमण दूर करने ...
CDRI’s efforts to combat novel coronaviru

CDRI’s efforts to combat novel coronaviru

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Working on three out of the five verticals formulated by the Council of Scientific and Industrial Research (CSIR), the Central Drug Research Institute (CDRI), has inked an MoU (memorandum of understanding) with King George’s Medical University (KGMU) to sequence the virus strains obtained from COVID-19 patients in Uttar Pradesh. Initially, the Lucknow-based lab will sequence the virus strains from the samples of a few patients. This activity will be taken up under the first vertical ‘digital and molecular surveillance’. As of now, eight different variants of the virus are known to be causing the COVID-19 infection. A team has been put into place for analyzing whether changes to the viral sequences, if any, will impact the proposed treatment strategies. Therapeutics or repurposing of drug...
चीन द्वारा 10 दिन में अस्पताल खड़ा करना क्रूरता, बर्बरता व धूर्तता पूर्ण सामाजिक-धोखा

चीन द्वारा 10 दिन में अस्पताल खड़ा करना क्रूरता, बर्बरता व धूर्तता पूर्ण सामाजिक-धोखा

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  चीन में प्रतिदिन कई-कई हजार लाशें क्रेमेशन सेंटर्स (शवदाह गृहों) में लाद-लाद कर पहुंचाई जा रहीं थीं। लेकिन चीन दुनिया के सामने फर्जी दावा ठोंक रहा था कि पूरे कोरोना-काल में केवल कुछ हजार ही मौतें हुईं हैं। (जितनी कुल मौतें चीन ने बताई, उतनी तो लाशें हर रोज क्रेमेशन सेटर्स पहुंच रहीं थीं)। चीन ने दुनिया को धोखे में रखा, दुनिया के अनेक देशों ने कोरोना को हल्के में लिया, गंभीरता से नहीं लिया, जिसके कारण देशों को भारी व अकल्पनीय क्षतियां उठानी पड़ीं। चीन में लाखों लोग बीमार थे। डाक्टरों के पास साधारण मास्क तक नहीं थे। मरीजों के लिए बिस्तर तक नहीं थे। अस्पताल कोरोना मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे थे। लोग अपने माता-पिता, रिश्तेदारों व मित्रों को अपनी आंखों के सामने तड़प-तड़प कर मरता देख रहे थे। लाखों लोग छोटे-छोटे माचिस के डब्बेनुमा घरों में कोरोना संक्रमित लोगों के साथ रहने को ब...