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अच्छी तरह पहचानिए CAA-NRC का विरोध करने वालों को

अच्छी तरह पहचानिए CAA-NRC का विरोध करने वालों को

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आप गौर करें कि देश में एक तबका संसद में पारित कानूनों से लेकर विभिन्न न्यायालयों के फैसलों का भी सार्वजनिक तौर पर घनघोर अपमान करने लगा है. इसका ताजा उदाहरण नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) है. इन्हें संसद के दोनों सदनों ने भारी बहुमत से पारित किया गया, पर इसके बावजूद इनका पिछले डेढ़ महीने से देश के कुछ भागों में विरोध भी हो रहा है. नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आकर देश में बरसों पहले से ही रह रहे हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रामलीला मैदान के अपने संबोधन में भी यह स्पष्ट तौर पर कहा कि इस कानून से किसी भी भारतीय नागरिक की,चाहे वह किसी भी समुदाय का हो नागरिकता नहीं जाएगी. पर भारी बहुमत से निर्वाचित देश के प्रधान...
*Quick Reactions on Union Budget 2020-21*

*Quick Reactions on Union Budget 2020-21*

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*“Budget 2020 : Wealth Generating, building Trust in Human Capital and inducing Consumption ensuring more than 6.5% GDP Growth says IIF Prof Aman Agarwal”* The Budget 2020 is a developmental growth oriented Budget ensuring more than 6.5% GDP Growth with Fiscal Deficit of less than 3.5% in FY 2020-21 to pave way for 5 trillion dollar economy by 2024 says IIF Prof. Aman Agarwal. Finance Minister Nirmala Sitharaman has laid foundation for Holistic Growth for energysed India, wealthy human capital and an Healthy Indian. The Budget is progressive, farsighted, has a long-term vision keeping Sabh ka Saath, Sabh ka Vikaas, Sabh ka Vishwash to eradicate poverty and lay foundation of Bharat as Sone ki Chidya in the Hearts of every Indian. FM has provisioned adequately to handle distress f...
बजट अपडेट

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स्वच्छ भारत के लिए 12300 करोड का बजट 2025 तक टीवी को खत्म करने का लक्ष्य किसानों के लिए 16 बड़े ऐलान किसान रेल और उड़ान सेवा शुरू होगी पीएम कुसुम स्कीम के जरिए सोलर पंप किसानों को दिए जाएंगे 2025 तक किसानों की आमदनी डबल करने की योजना भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है जीएसटी का आसान वर्जन आएगा हर जिले में मेडिकल कॉलेज होगा 6000 किलोमीटर हाईवे 2024 तक बनेंगे 100 से ज्यादा नए एयरपोर्ट की योजना जिला निर्यात की दृष्टि से एक्सपोर्ट हब बनेंगे 27000 करोड़ इसके लिए दिए गए इंफ्रास्ट्रक्चर पर 5 साल में 100 लाख करोड़ निवेश होगा इसमें हाउसिंग स्वच्छ पानी हेल्थ केयर शिक्षण संस्थान रेलवे स्टेशन एयरपोर्ट आदि शामिल है मानव रहित रेलवे लाइन पूरी तरह खत्म हो चुकी है 27000 किलोमीटर रेल लाइन का इलेक्ट्रॉनिकेशन होगा मुंबई से अहमदाबाद के लिए हाई स्पीड रेल लाइन का ...
गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

गंगा चुनौती की अनदेखी अनुचित

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गंगा की अविरलता-निर्मलता के समक्ष हम नित् नई चुनौतियां पेश करने में लगे हैं। अविरलता-निर्मलता के नाम पर खुद को धोखा देने में लगे हैं। घाट विकास, तट विकास, तट पर औषधि उद्यान, सतही सफाई, खुले में शौच मुक्ति के लिए गंगा ग्रामों में बने शौच गड्ढे...खुद को धोखा देने जैसे ही काम हैं। अधिक उत्पादन के लिए रासायनिक उर्वरक, खरपतवारनाशक व कीटनाशाकों का बेलगाम प्रयोग भी इसी श्रेणी में आता है। तक़लीफदेह तथ्य यह है कि ऐसा करते हुए हम उन कहानी, शोध, निष्कष व आंखों देखी तक़लीफों की लगातार अनदेखी कर रहे हैं, जो प्रमाण हैं कि चुनौती तो हम खुद अपने लिए पेश कर रहे हैं। पत्रकार अभय मिश्र ने वेंटिलेटर पर ज़िन्दा एक महान नदी की कहानी लिखी है। वह महान नदी, हमारी गंगा है। हक़ीकत में 'माटी मानुष चून' उपन्यास, गंगा के वेंटिलेटर पर जाने की कहानी नहीं है; यदि भारत की नदियों की अनदेखी हुई तो 2075 आते-आते, यह पूरे भारत...
कॅरिअर काउंसलिंग क्यों आवश्यक है ?

कॅरिअर काउंसलिंग क्यों आवश्यक है ?

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कॅरिअर काउंसलिंग ;छात्र मार्गदर्शनद्ध आज के समय में बहुत उपयोगी हो गई है। 10वीं करते समय बहुत से स्टूडेंट कन्फ्यूज होते हैं। वह समझ नहीं पाते कि भविष्य में किस विषय की पढ़ाई करे। आर्ट्स विषयों से पढ़े या विज्ञान विषयों से। काॅमर्स विषय से अध्ययन करें या कोई विशेष ट्र्ेनिंग, डिग्री, डिप्लोमा करें। बहुत बार देखा गया है कि मां-बाप अपनी इच्छाओं को बच्चों पर थोपते हैं। वे बच्चों को कुछ और बनना चाहते है, जबकि बच्चे कुछ और बनना चाहते है। इन सारी चीजों को लेकर एक भारी कंफ्यूजन की स्थिति बन जाती है। इस कंफ्यूजयन को दूर करने के लिए कॅरिअर काउंसलिंग आजकल होने लगी है जिसमंे छात्रों की रूचि और योग्यता के अनुसार काउंसलर उन्हें सही कोर्स के बारे में बताता है। यह भी बताता है कि कौन सा कोर्स किस बच्चे के लिए अच्छा होगा। कॅरिअर काउंसलिंग का महत्व: सही स्ट्र्ीम चुनने को मौका मिलता है : काउंसलिंग कराने ...
बसन्त पंचमी  ‘‘या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता’’

बसन्त पंचमी ‘‘या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता’’

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भारत त्योहारों का देश है। इसी श्रृंखला में बसंत पंचमी अथवा श्रीपंचमी एक हिन्दू त्योहार है। इस दिन विशेष रूप से विद्या की देवी सरस्वतीजी की पूजा की जाने की भारतीय संस्कृति की परम्परा है। इस दिन महिलायें पीले वस्त्र धारण करती हैं। यह त्योहार भारत की ही नहीं अपितु पश्चिमोŸार बांगलादेश, नेपाल आदि देशों में बड़ी श्रद्धा-आस्था से मनाने की परम्परा है। भारत तथा नेपाल में वर्षभर को छः ऋतुओं में विभाजित किया गया है उनमें बसंत अधिकांश लोगों का सबसे प्रिय मौसम है। बसंत में चारो तरफ फूलों की बहार देखने का अवसर होता है, खेतों में पीली-पीली सरसों का सोना बरसने-चमकने लगता है, जौ एवं गेहूँ की बालियाँ पूरे यौवन पर रहती है। आमों के पेड़ों पर बौर दिखाई देने लगते हैं तो दूसरी तरफ रंग बिरंगी तितलियाँ फूलों पर अठखेलियाँ करती दृष्टिगोचर होने लगती हैं। बसंत पंचमी माघ महिने के शुक्ल पक्ष के पाँचवें दिवस मनाई जाती ...
बजट में सस्ते घरों- स्मार्ट सिटीज को मिल सकती है सौगात

बजट में सस्ते घरों- स्मार्ट सिटीज को मिल सकती है सौगात

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ऐसी आशा की जा रही है कि सकारात्मक बजट प्रस्तावों से करोड़ों लोगों को रोजगार देने  वाले रीयल एस्टेट सेक्टर के दिन सुधर सकते हैं। उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अपने बजट प्रस्तावों में रीयल एस्टेट सेक्टर  के लिए कोई ठोस प्रस्ताव लेकर आयेंगीं। निश्चित रूप से कोई भी सरकार आज की मॅंद अर्थव्यवस्था में एस्टेट सेक्टर के  मसलों को नजरअंदाज नहीं कर सकती है, क्योंकि कृषि के बाद रीयल एस्टेट क्षेत्र ही सबसे बड़ा रोजगार देने वाला सेक्टर है। प्राय: प्रत्येक बजट के पहले  अफोर्डेबुल हाउसिंग सेक्टर की बात होने ही लगती है।सबको अपना मकान हो यह मोदी जी का वायदा भी तो है। उम्मीद है कि सरकार देश में हरेक हिन्दुस्तानी के छत के सपने को साकार करने के लिए निजी बिल्डरों के साथ मिलकर सस्ते घर भी उपलब्ध कराने की कोई योजना ला सकती है। इसके लिए यह भी जरूरी है कि सरकार प्रमुख शहरों में या उससे सटे शहरों में ...
पीएच संतुलन क्या है और इसे कैसे पाएं

पीएच संतुलन क्या है और इसे कैसे पाएं

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शरीर के आंतरिक द्रवों का पीएच स्तर हमारी प्रत्येक जीवित कोशिका को प्रभावित करता है। जब पीएच लेवल असंतुलित हो जाता है, हमारे शरीर का प्रत्येक क्षेत्र नकारात्मक रूप से प्रभावित होता है, जिसके परिणामस्वरूप कैंसर, हृदय रोग, मोटापा, एलर्जीस, थकान और समय पूर्व बुढ़ापा आने जैसी समस्याएं हो जाती हैं, इसके साथ ही तंत्रिकाओं और मांसपेशियों की सामान्य कार्यप्रणाली भी प्रभावित होती है। आधुनिक जीवनशैली और खानपान की आदतों ने पीएच संतुलन को वार्निंग जोन में पहुंचा दिया है। पीएच संतुलन क्या है? हमारा शरीर एसिड-अल्कलाइन का एक नाजुक संतुलन बनाए रखता है, इसे ही पीएच संतुलन कहते हैं। पीएच का अर्थ होता है (पोटेंशियल हाइड्रोजन), जो किसी भी सोल्युशन (घोल) में हाइड्रोजन आयन की माप है। मानव शरीर के लिए सोल्युशन का अर्थ होता है, शरीर के फ्ल्यूड्स और उत्तक। हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका पीएच के स्तर से प्रभावित हो...
Court gives week’s time to come up with a proposal.

Court gives week’s time to come up with a proposal.

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The Supreme Court on Friday agreed to examine a proposition made by the Election Commission (EC) to ask political parties to not give ticket to those with criminal antecedents. Appearing before a Bench led by Justice Rohinton F. Nariman, senior advocate Vikas Singh said 46% of Members of Parliament have criminal records. The Supreme Court’s long string of judgments against criminalisation of politics had hardly scratched the surface of the deep rot. The Bench, also comprising Justice Ravindra S. Bhat, asked Mr. Singh and petitioner Ashwini Kumar Upadhyay’s lawyer, senior advocate Gopal Sankaranarayanan, to put their heads together and come up with a joint proposal detailing how it can be ensured that parties did not fall in with criminal politicians. Justice Nariman, speaking f...
Limit number of pages in court-verdicts or issue a precise-version of court-verdicts simultaneously

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Courts especially Supreme Court are giving very lengthy judgements at times running into hundreds or thousands of pages like Supreme Court verdict of 09.11.2019 on Ram Jambhoomi, which are practically not read by common persons including even litigants themselves and are even beyond understanding of commoners. Such lengthy court-verdicts are show-pieces for libraries and are read only by researchers and select lawyers. Need is that commoners including litigants may find short and precise court-verdicts so that they may not have to depend on lawyers to know salient features of the lengthy court-verdicts. Such an improved system will prevent media and commentators to twist court-findings according to their needs. Things can improve a lot if India also adopts practice of countries where th...