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इस देश में शहीदों का नामों निशां न होगा….

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भारत को स्वतंत्रता आसानी से नहीं मिली है, अंग्रेजों की गुलामी के दो सौ वर्षों में अनगिनत लोगों ने अपने प्राणों की आहूति दी है। जब 15 अगस्त या 26 जनवरी के दिन जगह जगह देशभक्ति के गीत बजते हैं तो उन गीतों में जगदम्बा प्रसाद मिश्र की  यह पंक्ति सुनने को मिलती है, “शहीदों की चिताओं पर लगेगें हर बरस मेले वतन पर मरनेवालों का यही बाक़ी निशाँ होगा” लेकिन क्या वाकई देश को स्वतंत्र कराने वाले और इसके निर्माण में अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देने वाले महापुरुषों के प्रति हम कृतज्ञ हैं? ऐसा लगता तो नहीं है, 1857 के क्रांतिकारियों से लेकर कांग्रेस पार्टी के बड़े नेताओं, क्रांतिकारी आंदोलन खड़ा करने वाले विनायक दामोदर सावरकर, महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरु और अन्य सभी महापुरुषों के प्रति आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती है। क्या वर्तमान पीढ़ी वाकई इन नेताओं से नाराज है इसलिए वे इनका सम्मान नहीं करते या कोई सो...
भारतीय शिक्षण और संविधान की विचारधारा

भारतीय शिक्षण और संविधान की विचारधारा

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भारतीय राजव्यवस्था में कार्यपालिका के सर्वोच्च अधिकारी केन्द्र में राष्ट्रपति और राज्यों में राज्यपाल होते हैं, फिर जनता की चुनी हुई सरकार के मुखिया के तौर पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री व उनका मंत्रिपरिषद होता है। सत्ता की दो धूरी होने के कारण दोनों के बीच टकराव या मनमुटाव की स्थिति बन सकती है, स्वावभाविक है। यह मनमुटाव का कारण अगर संवैधानिक होगा तो परिणाम भी संविधान से निकलेगा लेकिन एक दूसरे को नीचा दिखाने या अपमानित करने के परिणामस्वरूप दोनों धूरी के बीच ठन जाए तो इसका समाधान कैसे निकले? छत्तीसगढ़ में पिछले डेढ़ साल में यह स्थिति बनती दिख रही है, खासकर उच्च शिक्षा विभाग से संबंधित विधानसभा में पारित किए गए विधेयक के संबंध में। संविधान की अपनी कोई विचारधारा नहीं है तो उनके अनुच्छेदों से बंधे संस्थान विचार की लड़ाई को संविधान की लड़ाई में तब्दील क्यों करना चाहते हैं? मामला कुशाभाऊ ठाकर...
घरेलू कामगारों की अहमियत कब समझेंगे हम?

घरेलू कामगारों की अहमियत कब समझेंगे हम?

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घरेलू कामगारों की बात करते ही मन विचलित हो उठता है और सीने में दर्द भर जाता है कि वो बेचारे कैसे और तरह-तरह के के निम्न स्तर के काम पेट की आग बुझाने के लिए करते है। हर समय गाली-गलौज सहकर भी कम पैसों में ज्यादा कार्य करते रहते है। हमारे देश में घरेलू कामगारों की संख्या करोड़ों में है। एक सर्वे के अनुसार 'भारत में 4.75 मिलियन घरेलू कामगार हैं, जिनमें से शहरी क्षेत्रों में तीन मिलियन महिलाएँ हैं। भारत में लगभग पाँच करोड़ से अधिक घरेलू कामगार हैं, जिनमें से अधिकांश महिलाएँ हैं। बड़े-बड़े और कस्बों में प्रायः हर पाँचवें घर में कामवाली 'बाई' बहुत ही सस्ते दरों में आपको काम करते हुए दिख जाएँगी। हमारे रोज़मर्रे के जीवन में आस-पास एक ऐसी महिला ज़रूर होती है जो अदृश्य होती है जो हमारे घरों में सुबह-सुबह अचानक से आती हैं, झांड़ू-पोछा करती हैं, कपड़े धोती हैं, खाना बनाती हैं और दिन भर बच्चे-बूढ़ों को भ...
क्या किसी नेता में इतना दम है

क्या किसी नेता में इतना दम है

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गलवान घाटी में भारत की मुठभेड़ चीन से हुई लेकिन देखिए कि आजकल दंगल किनके बीच हो रहा है। यह दंगल हो रहा है-- भाजपा और कांग्रेस के बीच। दोनों पार्टियों ने एक-दूसरे पर इतने जमकर हमले किए कि जितने भारतीय और चीनी नेताओं ने एक-दूसरे पर नहीं किए। कांग्रेसी नेताओं ने प्रधानमंत्री का नया नामकरण कर दिया और चीन के आगे घुटने टेकने का आरोप यह कहकर भी जड़ दिया कि ‘पीएम केयर्स फंड’ में भाजपा ने चीनी कंपनी हुवेई से 7 करोड़ रु. का दान ले लिया है। इस पर भाजपा और सरकार का भड़कना स्वाभाविक था। उसने अब सोनिया-परिवार के तीन ट्रस्टों पर जांच बिठा दी है और उन पर यह आरोप भी लगाया है कि उन्होंने चीनी सरकार और चीनी दूतावास से करोड़ों रु. स्वीकार किए हैं। कांग्रेसी नेता भाजपा सरकार पर आरोप लगा रहे हैं कि वह चीन से तो पिट ली है लेकिन कांग्रेस पर फिजूल गुर्रा रही है। उन्होंने यह भी कहा है कि पीएम केयर्स फंड में कितना रुपया ...
IRCTC to set up ticket-counter for air-tickets of private domestic airliners in Parliament Complex

IRCTC to set up ticket-counter for air-tickets of private domestic airliners in Parliament Complex

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It refers to media-reports indicating that Indian Railway Catering and Tourism Corporation (IRCTC) may be setting up a ticket-counter at Parliament complex to sell tickets of private airlines. This will be first such counter comforting private companies that too parallel to Air India counter operating till now to sell only Air India tickets. A Parliamentarian is entitled for 34 business-class air-tickets annually. Idea is not bad to comfort Parliamentarians. But he cost can and should be saved by IRCTC counter also selling Air India tickets thus abolishing need of a separate Air India counter. Moreover practice should be changed so that all those including Parliamentarians (except those requiring security) travelling through air may get only economy-class air-travel facility. Since bigges...
Deferring merger of three public-sector General-Insurance companies not good

Deferring merger of three public-sector General-Insurance companies not good

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Deferring merger of three public-sector General-Insurance companies not good - Public-sector companies should follow private-sector Insurance-companies to bring new schemes with collaboration of public-sector banks   It refers to Union Cabinet on 09.07.2020 deferring merger of three out of four General-Insurance companies which was announced in the Union Budget of 2018-19 and 2019-20. The three General Insurance companies which were proposed to be merged are continuing showing losses for several years with global rating agency downgrading rating of these loss making public-sector companies. If pre-planned merger of public-sector banks could be affected from 01.04.2020 even during lockdown, there should be no reason to defer merger of public-sector Insurance-companies to reduce unnecessar...
Time to reduce dependency on China

Time to reduce dependency on China

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The violent skirmishes at the Sino-India border has yet again sparked off calls to boycott imports from adversary country, China. The dependency on China must be superseded by self reliance. As usual, some pessimist leftist/secularists envisage that it is unfeasible. They supplement their prediction by sophistry and weak reasons and mis arguments. They hardly bother about the self pride of the 130 Crore nationalists country men’s pride. Additionally, they are unaware that government of India and Private sectors in the whole country have already resolved, and are endeavouring their level, to boycott China products or to reduce it to our minimum requirements. Initiating with road projects, no tender will be given to companies, having  any kind of partnership with Chinese ventures, to constru...
अनलाॅक भी लाॅकडाउन जैसा बंदिशों भरा

अनलाॅक भी लाॅकडाउन जैसा बंदिशों भरा

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कोरोना महामारी ने हमारे जीवन के मायने ही बदल दिये है, संकट अभी भी चहूं ओर पसरा हुआ है, भले सरकार की जागरूकता, प्रयत्नों एवं योजनाओं ने जनजीवन में आशा का संचार किया हो, लेकिन इस महाव्याधि मुक्ति के लिये अभी लम्बा संघर्ष करना होगा, मानव निर्मित कारणों से जो कोरोना महासंकट हमारे सामने खड़ा है उसका समाधान भी हमंे ही खोजना होगा, उसके लिये धैर्य, संयम एवं विवेक का प्रदर्शन करना होगा। देश लॉकडाउन के नए फेज में प्रवेश कर गया है जिसे अनलॉक 2.0 कहा गया है। लॉकडाउन के चलते घरों में बंद लोग ऊब चुके हैं, उनके आर्थिक संसाधन चरचरा रहे हैं, बंदिशों को लेकर उनमें छटपटाहट है। उन्हें यह उम्मीद थी कि अनलॉक 1.0 में जितनी छूटें उन्हें मिली थीं, उसके अधिक छूटें इस दूसरे अनलॉक में भी मिलेंगी और कुल मिलाकर बंदिशें इतनी कम हो जाएंगी कि कुछ सावधानियों के साथ वे सामान्य जीवन का आनंद ले पाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं ह...