सीरिया में ट्रंप का शीर्षासन
अमेरिकी राष्ट्रपति के बारे में दो-ढाई माह पहले मेरी जो धारणा बनी थी, वह अब सही निकलती जा रही है। राष्ट्रपति बनते ही डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि वे सिर्फ ‘अमेरिका महान’ का ख्याल रखेंगे। उन्होंने पिछले राष्ट्रपतियों की तरह सारी दुनिया को सुधारने का ठेका नहीं ले रखा है। उन्होंने अमेरिका के सबसे ज्यादा प्रिय सैनिक गठबंधन, ‘नाटो’ से भी निकल जाने की धमकी दी थी। लेकिन हमें तब ही लग रहा था कि ट्रंप नौसिखिए हैं। उनके मन में जो भी आता है, उसे वे उगल देते हैं या फिर उनके आस-पास मंडरानेवाले चाटुकार उनके कान में जो भी फूंक मार देते हैं, उसे वे अपने बयान की शक्ल दे देते हैं। उन्होंने सीरिया में जो प्रक्षेपास्त्र दागे हैं, वह इसी प्रवृत्ति का प्रमाण हैं। इसमें शक नहीं कि सीरिया के शेखों नामक स्थान पर जहरीली गैस छोड़कर बशर-अल-असद की फौज ने बहुत ही निंदनीय कार्य किया है। इस नर-संहार के जो चित्र छपे हैं...