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Tata strategy of Manda

Tata strategy of Manda

BREAKING NEWS, आर्थिक
As a Prof. of Strategy, for past 3 years I knew it was a matter of time before the situation exploded. Cyrus Mistry never had a chance as Ratan Tata handed over to him nothing short of a financial disaster. I assure you the worst is yet to come, and the blame will be wrongly placed on Cyrus's shoulders. And, am tempted to say that I told you so in 2014 ! Excerpt from my Case study published (ref. 314-361-1) at The Case Center, U.K. in 2014 M&A Melodrama at Tata Group : Frenzy to Freeze In 2004, the 'sweet n shy' Tata group embarked on an uncharacteristic pursuit. In a radical departure from an average of one acquisition each year during 1995-2003, the group carried out 51 mergers and acquisitions during 2004-08 i.e. one M&A deal every 35.8 days for 5 years in a row. It may we...
Delhi Media Is Hurting Brand India With Distortions

Delhi Media Is Hurting Brand India With Distortions

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There has been a worrisome tendency over the last two years of Delhi-based media using highly local events, mostly in Delhi, to broad-brush the entire country as religiously intolerant; increasingly intolerant; as Freedom of Expression (FOE) and our rights being under attack; becoming increasingly communal; becoming fascist, etc. The good citizens of India are perplexed, hurt and angry at being so branded. The same media also brands citizens who do not agree with their India view as communal, intolerant, Bhakts, internet Hindus and the like, reducing the space for a genuine debate on multiple issues. Local incidents are blown up as All-India issues. Known and unknown political leaders who hold strong extreme views have often had mics thrust into their faces and their vi...
मौलिक भारत की नयी राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन

मौलिक भारत की नयी राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन

BREAKING NEWS, प्रेस विज्ञप्ति
सम्मानित साथियों सादर प्रणाम। आशा है आप स्वस्थ व सानन्द होंगे। साथियों, मौलिक भारत की नयी राष्ट्रीय कार्यकारणी के गठन हेतू बोर्ड ऑफ़ ट्रस्टी की महत्वपूर्ण बैठक दिनांक 04/03/2017 को  कार्यलय -  A - 74,सेक्टर 2 में आयोजित की गयी। यह तय किया गया कि धीरे धीरे एक छाया मंत्रिमण्डल का निर्माण कर केंद्र सरकार के कामकाज पर पूरी नज़र रखते हुए उन्हें सुझाव दिए जाएंगे। मोदी सरकार के ' न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन' की नीति को कार्यरूप में लाने के लिए लगातार सरकारीकरण को कम कर निजी और स्थानीय क्षेत्र को सशक्त करने के सुझाव एवं कार्ययोजना भी सरकार को दी जायेगी।  3.देश की दो तिहाई विपन्न जनता के उत्थान के लिए इनका रोजगरपरक विकास जो ग्राम और कृषि आधारित हो और पर्यावरपूरक हो के विकास के लिए कार्य किया जायेगा।   4.ग्राम स्वराज्य यानि स्थानीय निकायों का सशक्तिकरण, कृषि आधारित उद्योग धंधों का ...
दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

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देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री लोहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल ने पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर कहा था कि भारत के इतिहास का एक नया अध्याय हमारे सामने खुल रहा है। हमारे पास अपने आप को बधाई देने की वजह है कि हम सब इस मुबारक मौके के भागीदार बन रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व का भी अवसर है। लेकिन इस गौरव बोध और जश्न के साथ हमें अपने कर्तव्यों और दायित्वों को भी याद रखने की जरूरत है। हमें अपने-अपने दिल व दिमाग को साफ करके खुद से, नए गणराज्य से और देश से यह वादा करना चाहिए कि हम ईमानदार आचरण करेंगे। हमें याद रखने की जरूरत है कि हम कौन हैं, हमें क्या विरासत मिली है और हमने क्या हासिल किया है? राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि नकदी रहित लेन-देन होने से अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी। 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2016-17 की शुरूआत में ...
The Corrupt Chief Justices of The Supreme Court of India

The Corrupt Chief Justices of The Supreme Court of India

BREAKING NEWS, TOP STORIES, घोटाला
Rudimentary logic demands that the highest chairs must have the soundest legs. By that measure, judges ought to have impeccable moral character. But in India, judges are protected less by their sterling reputations than by an arcane law: the “contempt of court” act, which - strangely, only in India! - prohibits raising any questions about judges or their actions. This has reduced talk of judicial corruption to a sullen whisper rather than a democratic debate. Supreme Court lawyer Prashant Bhushan has fought this unhealthy immunity for 20 years. In September 2009, partly as a result of his relentless campaigns, the judiciary finally agreed to declare their financial assets. It was a big first step. Much remained to be done. Soon after, in an interview w...
अभिव्यक्ति बनाम देशद्रोह

अभिव्यक्ति बनाम देशद्रोह

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दिल्ली के रामजस कॉलेज की चर्चा आजकल सुर्ख़ियों में हैं। कुछ दिनों पहले JNU में देशद्रोह के नारे लगाने वाले उमर खालिद को अपने शोध पर व्याख्यान देने के लिए बुलाया गया था। उमर खालिद के व्याख्यान का विरोध ABVP द्वारा किया गया। साम्यवादी मीडिया ABVP के विरोध को गुंडई और खालिद के देशविरोधी नारों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बता रहा हैं। भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को आज़ाद करने की बात केवल पाकिस्तान समर्थक करते है। ऐसे में देशद्रोह के आरोप में जमानत पर रिहा खालिद को व्याख्यान के लिए बुलाना देशद्रोही को प्रोत्साहन देने के समान है। खालिद चाहे शैक्षिक रूप से कोई बहुत बड़ा बुद्धिजीवी भी हो तब भी देशद्रोही को किसी प्रकार की छूट नहीं होनी चाहिए। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समझना अत्यन्त आवश्यक है। स्वामी दयानंद अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बड़े पक्षधर थे। परंतु उन्होंने दो विशेष नियमों के पालन करने पर विशेष...
विकास की नई सोच बनानी होगी

विकास की नई सोच बनानी होगी

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हाल ही में एक सरकारी ठेकेदार ने बताया कि केंद्र से विकास का जो अनुदान राज्यों को पहुंचता है, उसमें से अधिकतम 40 फीसदी ही किसी परियोजना पर खर्च होता है। इसमें मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, संबंधित विभाग के सभी अधिकारी आदि को मिलाकर लगभग 10 फीसदी ठेका उठाते समय अग्रिम नकद भुगतान करना होता है। 10 फीसदी कर और ब्याज आदि में चला जाता है। 20 फीसदी में जिला स्तर पर सरकारी ऐजेंसियों को बांटा जाता है। अंत में 20 फीसदी ठेकेदार का मुनाफा होता हैै। अगर अनुदान का 40 फीसदी ईमानदारी से खर्च हो जाए, तो भी काम दिखाई देता है। पर अक्सर देखने  आया है कि कुछ राज्यों मेें तो केवल कागजों पर खाना पूर्ति हो जाती है और जमीन पर कोई काम नहीं होता। होता है भी तो 15 से 25 फीसदी ही जमीन पर लगता है। जाहिर है कि इस संघीय व्यवस्था में विकास के नाम पर आवंटित धन का ज्यादा हिस्सा भ्रष्टाचार की बलि चढ़ जाता है। जबकि हर प्रधानमंत्री भ...
हम कैसी दुनिया बनाना चाहते हैं?

हम कैसी दुनिया बनाना चाहते हैं?

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(अब से समस्या को तभी पकड़िये जब वह छोटी हो) पाकिस्तान में सिंध प्रांत की मशहूर दरगाह लाल शाहबाज कलंदर को आत्मघाती हमले से दहल गई। हमले में 100 लोगों की मौत हो गई और 50 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। आतंकवाद का संरक्षण देने वाला पाकिस्तान स्वयं आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित है। वहीं प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने सूफी अल्पसंख्यक समुदाय पर हुए इस हमले की निंदा की है। पाकिस्तानी अखबार द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार लाल शाहबाज कलंदर जैसी सूफी दरगाह पर हमले से सब सकते में हैं। पवित्र दरगाह उस वक्त निशाना बनी, जब वहाँ भारी तादाद में बच्चे और औरतें भी मौजूद थे। यानी मकसद साफ था कि ज्यादा से ज्यादा जानें जाएं। वैसा ही हुआ भी। आतंकी हमलों की कड़ी में इस ताजा घटना ने कई सवाल उठाए हैं। सबसे बड़ा सवाल पाकिस्तानी खुफिया तंत्र की विफलता का है, जिसे इतनी बड़ी दरगाह के टारगेट होने की भनक तक नहीं हुई। घटना के बाद आतंकव...
नालंदा के बहाने अतीत की महानताओं से मुलाकात..

नालंदा के बहाने अतीत की महानताओं से मुलाकात..

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कल पटना से दिल्ली की ओर बढ़े तो सोचा कि क्यों न कुछ दर्शनीय स्थानों को देखते चलें। एक-दो वरिष्ठ रिश्तेदारों और बिहार में पोस्टेड दोस्तों से सलाह ली; बिहार का नक्शा उठाया और अपने भीतर के कोलंबस को जगाकर रास्ता निर्धारित किया। योजना बनी कि पहले दिन नालंदा, पावापुरी, राजगीर, गहलौर और बोधगया को कवर किया जाए। वक़्त की कमी के चलते पावापुरी और गहलौर ठीक से नहीं देख पाए, पर बाकी तीन जगहों को ठीक से 'जिया'।पहला पड़ाव था- नालंदा। मेरे मन में उसकी छवि यही थी कि वह गुप्त काल में विकसित हुआ एक शानदार विश्वविद्यालय था जिसमें पढ़ने की आकांक्षा लेकर देश-विदेश के बड़े-बड़े जिज्ञासु और शोधार्थी खिंचे चले आते थे। एक बात और सुनी हुई थी कि जब बख्तियार खिलजी ने इसे नष्ट करने के लिये इसकी लाइब्रेरी में आग लगाई थी तो करीब 6 महीनों तक आग जलती रही थी। दंतकथाओं में अक्सर अतिशयोक्तियाँ शामिल हो जाती हैं - इस तर्क से 6 महीन...
BLOOD DONATION – SOME FACTS

BLOOD DONATION – SOME FACTS

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Some Facts on Blood Donation An adult has about 5 liters of blood in the body.Typically, about 300 ml (anywhere between 200 and 450 ml) of blood is taken by a blood bank (depending on requirement) from a person.The blood donated is recouped by the body within 2 to 7 days.One unit of blood (about 450 ml) helps save 3 lives.This is because, the blood taken from a donor is separated into its components (Red cells, White cells, Plasma and Platelets), each of which can be transfused into the blood of a recipient, separately.It takes approximately 10 minutes to remove one unit of blood from the donor . Including the time taken for filling up a form prior to donation, a physical examination (BP and weight) of the donor and the time to relax after donating blood, the whole process can be completed...