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इस चुनाव में मुद्दे और माहौल क्या हैं?

इस चुनाव में मुद्दे और माहौल क्या हैं?

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विनीत नारायणइस बार का चुनाव बिलकुल फीका है। एक तरफ नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा हिंदू, मुसलमान, कांग्रेस कीनाकामियों को ही चुनावी मुद्दा बनाए हुए हैं। वहीं चार दशक में बढ़ी सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी, किसान कोफसल के उचित दाम न मिलना, बेइंतहा महंगाई और तमाम उन वायदों को पूरा न करना जो मोदी जी2014 व 2019 में किए थे - ऐसे मुद्दे हैं जिन पर भाजपा का नेतृत्व चुनावी सभाओं में कोई बात ही नहीं कररहा। ‘सबका साथ सबका विकास’ नारे के बावजूद समाज में जो खाई पैदा हुई है, वो चिंताजनक है। रोचकबात यह है कि 2014 के लोकसभा चुनाव को मोदी जी ने गुजरात मॉडल, भ्रष्टाचार मुक्त शासन और विकासके मुद्दे पर लड़ा था। पता नहीं 2019 में और इस बार क्यों वे इनमें से किसी भी मुद्दों पर बात नहीं कर रहेहैं? इसलिए देश के किसान, मजदूर, करोड़ों बेरोजगार युवाओं, छोटे व्यापारियों यहां तक कि उद्योगपतियोंको भी मोदी जी के भाषणों ...
क्या कांग्रेस का घोषणापत्र बनेगा उसके ताबूत की आखिरी कील ?

क्या कांग्रेस का घोषणापत्र बनेगा उसके ताबूत की आखिरी कील ?

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ये इंडियन नेशनल कांग्रेस है या इंडियन इस्लामिक कांग्रेस?मृत्युंजय दीक्षितलोकसभा चुनाव 2024 की अन्य तैयारियों कांग्रेस में भले ही पिछड़ गयी हो किंतु 48 पृष्ठों, 10 न्याय, 25 गारंटी के बड़े वादों के साथ उसने अपना चुनावी घोषणापत्र लगभग समय से जारी कर दिया। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे द्वारा जारी इस घोषणापत्र ने कांग्रेस को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया है। विपक्ष के रूप में कांग्रेस का दस वर्ष का कार्यकाल सनातन विरोधी रहा और घोषणापत्र ने पार्टी के सनातन विरोधी होने पर अंतिम मोहर लगा दी । वर्तमान कांग्रेस जिसके नेता मोहब्बत की दुकान खोलते हैं वस्तुतः भगवान राम व सनातन हिंदू समाज के प्रति नफरत से भरे हुए हैं। अदालत में भगवान राम को काल्पनिक कहने वाली पार्टी ने स्वाभाविक रूप से अयोध्या में दिव्य भव्य एवं नव्य राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह का बहिष्कार किया और लगातार या तो स्वयं सनातन वि...
जल संकट के बढ़ते ख़तरे

जल संकट के बढ़ते ख़तरे

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विनीत नारायणबेंगलुरु में भीषण पेयजल संकट पिछले कुछ दिनों से अंतरराष्ट्रीय सुर्खियां बन रहा है। हाल ही में कर्नाटक केमुख्य मंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि बेंगलुरु को हर दिन 500 मिलियन लीटर पानी की कमी का सामनाकरना पड़ रहा है, जो शहर की दैनिक कुल मांग का लगभग पांचवां हिस्सा है। सीएम ने कहा कि बेंगलुरु केलिए अतिरिक्त आपूर्ति की व्यवस्था की जा रही है।हालाँकि, पानी की कमी केवल बेंगलुरु तक ही सीमित नहीं है, और न ही यह केवल पीने के पानी की समस्याहै। संपूर्ण कर्नाटक राज्य, साथ ही तेलंगाना और महाराष्ट्र के निकटवर्ती क्षेत्र भी पानी की कमी का सामनाकर रहे हैं। इसका अधिकांश संबंध पिछले एक वर्ष में इस क्षेत्र में सामान्य से कम वर्षा और इस क्षेत्र मेंभूमिगत जलभृतों की प्रकृति से है। अरबों-खरबों रूपया जल संसाधन के संरक्षण एवं प्रबंधन पर आजादी के बाद खर्च किया जा चुका है। उसकेबावजूद हालत ये है कि भारत के स...
भारत बने विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था

भारत बने विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था

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भारत, विश्व में उपभोक्ताओं का सबसे बड़ा केन्द्र बिन्दु है, इसी कारण आज सम्पूर्ण विश्व के उद्योगपतियों की निगाहें भारत पर केन्द्रित हैं। ये उद्योगपति, भारत में निवेश हेतु कोई न कोई अवसर सदैव ही तलाशते रहते हैं। इसी कारण आज भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की वृद्धि हो रही है और यह वृद्धि ही हमारी अर्थव्यवस्था को विश्व में 5वें से तीसरें पायदान पर लाने की सबसे बड़ी कुंजी है। मोदी जी के द्वारा की गई घोषणा का क्रियान्वन आगामी 5 वर्षो में सम्भव हो सकता है, क्योंकि हमारी अर्थव्यवस्था से ऊपर के पायदान पर मात्र 2 राष्ट्र - जापान व जर्मनी ही विराजमान हैं। उपरोक्त दोनों दोनों देशों की अर्थव्यवस्था की वार्षिक वृद्धि दर मात्र 1-2 प्रतिशत ही है, अतः तृतीय पायदान पर भारत के स्थापित होने की पूर्ण सम्भावना बनी हुई है।पिछले 7 दशक में भारत की जीडीपी जो वर्ष 1947 में 2.70 लाख करोड़ थी, वो वर्ष 2023-24 तक 30...
ईवीएम-वीवीपैट: मतदाताओं को है जानने का हक़ !

ईवीएम-वीवीपैट: मतदाताओं को है जानने का हक़ !

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रजनीश कपूरपिछले दिनों देश की शीर्ष अदालत ने एक जनहित याचिका का संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग को नोटिस जारीकिया। नोटिस में अदालत ने चुनाव आयोग से पूछा कि भारत की चुनाव प्रणाली में इस्तेमाल की जाने वाली‘इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन’ (ईवीएम) और उसके साथ जुड़ी ‘वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) मशीनका शत प्रतिशत मिलान क्यों न किया जाए? चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की दृष्टि से याचिकाकर्ता की इसमाँग को उचित मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस जारी किया। विपक्षी दलों द्वारा इस मिलान की माँग काफ़ीसमय से की जा रही है। परंतु न तो चुनाव आयोग और न ही शीर्ष अदालत ने इन माँगों पर ध्यान दिया। सभी कोयही लगता था कि जब भी विपक्ष चुनाव हारता है तभी ईवीएम पर शोर मचाता है।ऐसा नहीं है कि किसी एक दल के नेता ही ईवीएम की गड़बड़ी या उससे छेड़-छाड़ का आरोप लगाते आए हैं। इसबात के अनेकों उदाहरण हैं जहां...
politics

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लोकतंत्र को कमजोर करती है अवसरवादी राजनीति-ललित गर्ग- कांग्रेस में लगातार वफादार नेताओं का पलायन जारी है, नये नामों में कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ, महाराष्ट्र के जिम्मेदार एवं पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम, बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा,  निशाना साधने वाले मुक्केबाज विजेंदर, आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं, जिन्होंने कांग्रेस को बाय-बाय कर दी है। इन सभी ने कांग्रेस के मुद्दाविहीन होने, मोदी के विकसित भारत के एजेंडे, राहुल गांधी की अपरिपक्व राजनीति एवं कांग्रेस की सनातन-विरोधी होने को पार्टी से पलायन का कारण बताया है। कुछ भी कहे, यह राजनीति में अवसरवाद का उदाहरण है, इस तरह का बढ़ता दौर चिंताजनक है। भारत की राजनीति में दलबदल की विसंगति एवं विडम्बना आजादी के बाद से लगातार देखने को मिलती रही है। पिछले साढ़े सात दशक के भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक पराभव के अक्स गा...
<strong>बांग्लादेश में भारत के दुश्मन कौन ?</strong>

बांग्लादेश में भारत के दुश्मन कौन ?

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आर.के. सिन्हा कोई चाहे तो बांग्लादेश के विपक्ष से एहसान फरामोशी  सीख सकता है। जिस भारत ने बांग्लादेश को , या यूँ कहें कि 1970 तक के पूर्वी पाकिस्तान, की प्रताड़ित और पीड़ित आम  जनता के हितों की रक्षा के लिए पाकिस्तान से युद्ध मोल लिया, उस बांग्लादेश की प्रमुख विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) लगातार भारत के खिलाफ जहर उगलती रहती है। उसके जहरीले अभियान से पड़ोसी मुल्क के कठमुल्लों को भी भारत और अपने ही बांग्लादेश के हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा करने का मौका मिल जाता है। बांग्लादेश में बीएनपी ने हाल ही में भारत के उत्पादों के बॉयकाट का  आहवान भी किया हुआ है। इसके चलते वहां प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजेद की सरकार और विपक्ष आमने-सामने है। मुस्लिम बहुल बांग्लादेश में भारत विरोधी भावना कोई नई बात नहीं है। पिछले साल क्रिकेट विश्व कप में भार...
<strong>क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के</strong>

क्या कारण है कांग्रेस की मंद होती रोशनी के

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-ललित गर्ग- देश की सबसे पुरानी एवं मजबूत कांग्रेस पार्टी बिखर चुकी है, पार्टी के कद्दावर, निष्ठाशील एवं मजबूत जमीनी नेता पार्टी छोड़कर अपनी सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी पार्टी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो रहे हैं, वह भी तब जब लोकसभा चुनाव सन्निकट है। कांग्रेस नेताओं का यह दलबदल आश्चर्य की बात हैं, पार्टी छोड़ने का जैसा सिलसिला चल रहा है, वह देश के इस सबसे पुराने दल की दयनीय दशा और स्याह भविष्य को ही रेखांकित करता है। हालांकि भाजपा और कुछ अन्य दलों के चंद नेता कांग्रेस की शरण में भी गए हैं, लेकिन इसकी तुलना में उसके नेताओं के पार्टी छोड़ने की संख्या कहीं अधिक है। प्रश्न है एक लोकतांत्रिक संगठन की यह दुर्दशा एवं रसातल में जाने की स्थितियां क्यों बनी? इसके कारणों की समीक्षा एवं आत्म-मंथन जरूरी है। कांग्रेस पार्टी लगातार न केवल हार रही है, बल्कि टूट एवं बिखर रही है, जनाधार कमजोर हो रहा है, इ...
श्री अयोध्या धाम में नवनिर्मित प्रभु श्रीराम मंदिर ने भारतीय समाज को एक किया है

श्री अयोध्या धाम में नवनिर्मित प्रभु श्रीराम मंदिर ने भारतीय समाज को एक किया है

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22 जनवरी 2024 का दिन भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा क्योंकि इस दिन श्री अयोध्या धाम में प्रभु श्रीरामलला के विग्रहों की एक भव्य मंदिर में समारोह पूर्वक प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई थी। इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में पूरे देश से धार्मिक, राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र के शीर्ष नेतृत्व तथा समस्त मत, पंथ, सम्प्रदाय के पूजनीय संत महात्माओं की गरिमामय उपस्थिति रही थी। इससे निश्चित ही यह आभास हुआ है कि प्रभु श्रीराम मंदिर ने भारत में समस्त समाज को एक कर दिया है। यह भारत के पुनरुत्थान के गौरवशाली अध्याय के प्रारम्भ का संकेत माना जा सकता है।     सामान्यतः किसी भी भवन का ढांचा नीचे से ऊपर की ओर जाता दिखाई देता है परंतु प्रभु श्रीराम मंदिर के बारे में यह कहा जा रहा है कि प्रभु श्रीराम का यह मंदिर जैसे ऊपर से बनकर आया है और पृथ्वी पर स्थापित कर दिया ...
कंगना बनाम कांग्रेस 

कंगना बनाम कांग्रेस 

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कंगना बनाम कांग्रेस  उत्तराखंड की तरह हिमाचल प्रदेश भी छोटा सा खूबसूरत राज्य है । संयोग है कि दोनों राज्यों में इतने बड़े बड़े धर्मस्थल हैं कि दोनों राज्यों को देवभूमि कहा जाता है । प्रकृति ने इन हिमालयी आभा वाले राज्यों को अपार सौंदर्य से नवाजा है । ये राज्य अध्यात्म , चिंतन , संस्कृति एवम सभ्यता के महान केंद्र हैं । सच कहें तो भारत को ऑक्सीजन देने का बड़ा जिम्मा इन्हीं हिमालयी राज्यों का है । वेद उपनिषद पुराण आदि धर्मग्रंथों के जनक ये दो राज्य कश्मीर , असम और पूर्वोत्तर से मिलकर ज्ञान , तप और साधना के केंद्र हैं । साथ साथ तीर्थाटन एवं पर्यटन के मुख्य आधार रहे हैं । ऐसे में यदि हिमाचल में मंदिरों के गढ़ खूबसूरत मंडी नगर को भाव पूछकर अपमानित किया जाए तो घाव गहरा हो जाता है । इसी क्षेत्र से देश की जानी मानी अभिनेत्री कंगना को उम्मीदवार बनाते ही यदि कोई उनका चित्र डालकर " मंडी मे...