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एनडीए बनाम इंडिया या दक्षिण बनाम उत्तर

एनडीए बनाम इंडिया या दक्षिण बनाम उत्तर

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वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव का शंखनाद हो चुका है। परिवर्तित राजनैतिक समीकरणों के आधार पर यह स्पष्ट हो गया है कि उपरोक्त चुनाव एनडीए बनाम इंडिया अथवा दक्षिण बनाम उत्तर के रूप में होने जा रहा है। इस तथ्य से एनडीए के शिरोमणी नेता मोदी जी भली भांति परिचित हैं साथ ही इंडिया के घटक दलों के नेताओं को भी इसका आभास है। यही कारण है कि मोदी जी दक्षिण की हर छोटी बड़ी पार्टी अथवा नेताओं को एनडीए गठबंधन में जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं, जिसमें उनको पर्याप्त सफलता भी मिल रही है। इस प्रकार की गठबंधन युक्त राजनीति में जहाँ कुछ सकारात्मकता दिखाई देती है वहीं इसमें निहित कुछ नकारात्मक प्रभाव भी जनता के मस्तिष्क पर पड़ता है। उदाहरणस्वरूप महाराष्ट्र राज्य के प्रमुख नेता अजीत पवार को एनडीए गठबंधन में सम्मिलित करने से जहाँ महाराष्ट्र में भाजपा की छवि पर असर पड़ा है। वहीं उत्तर भारत के नेता ओमप्रकाश राजभर...
विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

विदेश में पढ़ने जा रहे हैं तो रहें सावधान

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रजनीश कपूरहमारे देश से उच्च शिक्षा पाने के लिए विदेश जाना कोई नई बात नहीं है। विदेश से पढ़ाई करने वाले भारतीयों की संख्याकाफ़ी है। परंतु जैसे-जैसे समय बदला नए-नए शैक्षणिक संस्थान व विश्वविद्यालय दुनिया के कई देशों में भी खुलते गये। इधरभारत में भी जनसंख्या बढ़ने के कारण यहाँ के विद्यार्थियों को प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं में दाख़िला नहीं मिल पाता। इसीके चलते देश के कई हिस्सों से विद्यार्थियों में पढ़ाई के लिए विदेश जाने की होड़ सी लग गई। परंतु क्या सभी विद्यार्थियों केहिस्से अच्छे संस्थान और उपयोगी डिग्री ही आती है? क्या देश छोड़ कर जाने वाले विद्यार्थियों के साथ कुछ एजेंट धोखा तोनहीं करते? आजकल के माहौल में विदेश में पढ़ाई करने जाने वाले विद्यार्थियों को कई तरह सावधानी बरतने की भी ज़रूरतहै।विदेशों में उच्च शिक्षा पाने के लिए भारत से छात्र दुनिया के कोने कोने में जाते हैं। इनमें सबसे...
<strong>पाक से क्यों खफा हैं इस्लामिक मुल्क</strong>

पाक से क्यों खफा हैं इस्लामिक मुल्क

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 आर.के. सिन्हा पाकिस्तान में आजकल सिर्फ अंदरूनी हालात ही खराब नहीं हैं, उसके सामने कई गंभीर  संकट और भी हैं। उसे उसके दो पड़ोसी देश , जो उसकी तरह से ही इस्लामिक देश हैं, उससे सख़्त नाराज हैं। पहले ईरान और अब अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। फिलहाल अफगानिस्तान और पाकिस्तान आमने-सामने हैं। दोनों मुल्कों क बीच सरहद पर झड़प भी  हुई है। झड़प की शुरूआत पाकिस्तान की तरफ से विगत सोमवार को हुई थी। इसके जवाब में, अफगान तालिबान ने भी सीमा पर पाकिस्तानी चौकियों पर गोलीबारी की। ऐसे में सवाल है कि क्या दोनों देश युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं? पाकिस्तान के हमलों के बाद तालिबान  ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा कि अफगानिस्तान की संप्रभुता पर किसी भी तरह के उल्लंघन के गंभीर परिणाम होंगे। इसके साथ ही तालिबान ने पाकिस्तान की नव...
चार सौ पार क्यों?

चार सौ पार क्यों?

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चार सौ पार क्यों?* यूँ तो सुलझे हुए नेता और विचारक सत्ता और प्रतिपक्ष दोनों में ही है। दोनों ख़ेमों में इन दिनों चर्चा का मुद्दा चार सौ पार की जरूरत क्यों? ही है। इसका स्पष्टीकरण देते हुए भाजपा के कर्नाटक से सांसद और पार्टी के वरिष्ठ नेता अनंत कुमार हेगड़े ने कहा कि संविधान को बदलने के लिए पार्टी को 400 सीटों की जरूरत होगी। ‘‘कांग्रेस ने संविधान को विकृत कर दिया है। उसका मूल स्वरूप बदल दिया है। उसने संविधान में अनावश्यक चीजें ठूंस दी हैं। ऐसे कानून बनाए गए हैं जो हिन्दू समुदाय का दमन करते हैं। ऐसे में अगर इस स्थिति को बदला जाना है, अगर संविधान को बदला जाना है, तो वह उतनी सीटों से संभव नहीं है जितनी अभी हमारे पास हैं।’’ हालाँकि भाजपा ने इस बयान से दूरी बना ली है । उसने कहा कि वह अपने सांसद के वक्तव्य का अनुमोदन नहीं करती। मगर एक बात पक्की है, भाजपा में इस तरह के बयान और दावे कोई नई ब...
संयुक्तराष्ट्र महासभा का खतरनाक दोहरा रवैया

संयुक्तराष्ट्र महासभा का खतरनाक दोहरा रवैया

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मृत्युंजय दीक्षितविश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में जब लोकतंत्र के महापर्व की रणभेरी बजने वाली थी तब सयुंक्तराष्ट्र महासभा में पाकिस्तान और चीन ने अपनी विकृत भारत विरोधी विचारधारा से प्रेरित, इस्लामोफोबिया के नाम पर अयोध्या व सीएए का गलत उल्लेख करते हुए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जो इन देशों की मानसिकता को तो दर्शाता ही है साथ ही संयुक्तराष्ट्र महासभा के दोहरे मापदंड को भी बेनकाब करता है। भारत विगत कई वर्षो से संयुक्तराष्ट्र महासभा में स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिए, “वसुधैव कुटुम्बकम” की नीति के बल पर अथक प्रयास कर रहा है किंतु चीन हर बार भारत के नेतृत्व में चल रहे सयुंक्तराष्ट्र महासभा के सुधार अभियान और भारत की स्थायी सदस्यत के खिलाफ वीटो कर देता है। संयुक्तराष्ट्र महासभा में अकातंकवाद के खिलाफ लड़ाई को भी अगर कोई देश कमजोर कर रहा है तो वह चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी है जि...
भारत का वैभवशाली विवाह संस्कार

भारत का वैभवशाली विवाह संस्कार

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स्वतंत्रता प्राप्ति के समय जहाँ भारत की गणना एक निर्धन राष्ट्र के रूप में होती थी, वहीं इन 75 वर्षों में भारत ने सभी क्षेत्रों में अत्यधिक प्रगति की है। आज भारत को गर्व है कि हमारे देश में एक ऐसे विवाह का आयोजन हो रहा है, जो सम्पूर्ण विश्व को अचम्भित करने वाला है। यदि इतिहास के पृष्ठों पर दृष्टिपात किया जाए तो, हमें किसी भी विवाह समारोह में इतने वैभवपूर्ण संस्कार की कोई सूचना नहीं मिलती है। विवाह पूर्व आयोजित अम्बानी परिवार में होने इस संस्कार समारोह के आधार पर यदि विवाह के मुख्य आयोजन की वैभवता का अनुमान लगाया जाए तो सम्भवतया इसकी वैभवता सर्वोच्च स्तर की होगी। इस विवाह के जानकारों का अनुमान है कि केवल एक दिन के संस्कार में जहाँ विश्व के अधिकांश धनी व्यक्ति अपना आशीर्वाद देने हेतु उपस्थित हुए, उन्होंने पानी के जहाज, टापू, गाड़ियाँ, दुर्लभ हीरों की अंगुठियाँ आदि करोड़ों के उपहार स्वरूव...
आओ M और चुनाव का धुर्वीकरण करो.!

आओ M और चुनाव का धुर्वीकरण करो.!

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मोदी सरकार को सबसे बड़ा धक्का लगा था जब शाहीन बाग हुआ था। उससे पहले कभी ऐसा कुछ मोदी सरकार के सामने नही आया था। वो भी तब जब CAA ऐसा कानून भी नही था कि उसपर ड्रामा हो। वो तो पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यको के लिए कानून था जिसके लिए यहां के M ने जबरदस्ती की नौटंकी की। खैर, उस समय मोदी सरकार ने कानून लाकर उसे होल्ड पर रख दिया। आखिर मोदी सरकार को हिसाब चुकता करना था। वो हिसाब की बारी आयी है अब। अब आओ और ड्रामा करो... चुनाव को हिन्दू M में बदलो। आखिर भुलक्कड़ हिन्दुओ को याद दिलाओ कि कैसे M सड़को पर दादागिरी करते हैं। बाकी इसका क्या लाभ है उसपर भी चर्चा कर लेते हैं। जो तत्कालिक लाभ दिख रहा है वो ऐसा है कि इससे 2014 से पहले आये लोगों को नागरिकता मिलेगी। बंगाल में मतुआ समाज को इससे सबसे ज्यादा लाभ होगा। ये सब भारत के नागरिक बन सकेंगे। सरकार ने इस बार ये सुनिश्चित किया है कि इसमें राज्य क...
लोकसभा चुनाव- यादें सुकुमार सेन और टी.एन. शेषन की

लोकसभा चुनाव- यादें सुकुमार सेन और टी.एन. शेषन की

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आर.के. सिन्हा एक बार फिर से देश लोकसभा चुनावों के लिए तैयार है। लोकसभा चुनावों की घोषणा अब कभी भी हो सकती है। देश में चारों तरफ लोकसभा चुनाव का माहौल बनता ही चला जा रहा है। वास्तव में यह भारतीय लोकतंत्र का सबसे महत्वपूर्ण और खासमखास उत्सव भी है। इस उत्सव में इसबार 86 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे। इनमें 47 करोड़ महिला वोटर होंगी। इस उत्सव में देश के 28 राज्य और नौ केंद्र शासित शामिल होंगे।  लोकसभा चुनावों को सफलता पूर्वक करवाने की जिम्मेदारी डेढ़ करोड़ सरकारी अफसरों   पर होगी। करीब सवा करोड़ मतदान केन्द्रों में जाकर मतदाता देश के 543 लोकसभा सांसदों का चुनाव करेंगे। यह सब आंकड़ें गवाह हैं कि भारत से बड़ा और व्यापक संसदीय चुनाव विश्व भर में  कहीं और नहीं होता। बहरहाल, भारत में अब तक लोकसभा के 17 चुनाव हो चुके हैं। पहली लोकसभा के चुनाव 25 अ...
नारी सशक्तिकरण: भ्रम और सत्य

नारी सशक्तिकरण: भ्रम और सत्य

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8 मार्च - अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष नारी सशक्तिकरण: भ्रम और सत्य यहां विचारणीय प्रश्न यह है कि यदि क्रिया-प्रतिक्रिया को आधार बनाकर, नारी सशक्तिकरण की योजना बनाई जाये, तो वह कितनी सशक्त होगी ? महिलाओं के साथ अत्याचार, असमानता और यौन हिंसा के कारण क्या सचमुच निरक्षता, दहेज और कानून की कमजोरी ही है ? समाधान पाने के लिए प्रश्न कीजिए कि हम क्या करें ? भारत में साक्षरों की संख्या बढ़ायें, दहेज के दानव का कद घटायें, अवसर बढ़ाने के लिए नारी आरक्षण बढ़ायें, विभेद और नारी हिंसा रोकने के लिए नये कानून बनायें, सजा बढ़ायें या कुछ और करें ? यदि इन कदमों से बेटा-बेटी अनुपात का संतुलन सध सके, बेटी हिंसा घट सके, हमारी बेटियां सशक्त हो सकें, तो हम निश्चित तौर पर ये करें। किंतु आंकङे कुछ और कह रहे हैं और हम कुछ और। आंकङे कह रहे हैं कि यह हमारे स्वप्न का मार्ग हो सकता है, किन्तु सत्य इससे ...
सवाल गुणवत्ता का !

सवाल गुणवत्ता का !

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रजनीश कपूरपिछले सप्ताह दिल्ली एनसीआर के दो शॉपिंग मॉल की छत गिरने से देश भर में एक ख़ौफ़ का संदेश गया। जिस तरह एकनामी शॉपिंग मॉल की छत ताश के पत्तों की तरह भरभरा कर नीचे आ गिरी इससे इसके निर्माण और गुणवत्ता पर कईसवाल उठाए जा रहे हैं। शहर के नामी बिल्डर द्वारा निर्मित इस करोड़ों रुपये के मॉल में कई महँगे ब्रांड की दुकानें हैं। यहमॉल ग्राहकों और सैलानियों से भरा रहता है। ऐसे में विभिन्न मॉल में जाने वालों को अब वहाँ जाने से पहले यह सोचनापड़ेगा कि क्या बड़े-बड़े मॉल में जाना सुरक्षित है या वे वापिस अपने स्थानीय बाज़ारों में ही ख़रीदारी करने जाएँ?दक्षिण दिल्ली के वसंत कुंज इलाक़े में स्थित एम्बिएंस मॉल की छत रविवार की देर रात अचानक गिरी। ग़नीमत है कि यहहादसा मध्यरात्रि के बाद हुआ जब वहाँ पर लोग नहीं थे। यदि ऐसा हादसा सुबह या दोपहर के समय हुआ होता तो जान-माल का नुक़सान कई गुना होता, क्योंक...