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उत्कृष्ट विलक्षणताओं के प्रतीक हैं हनुमान

उत्कृष्ट विलक्षणताओं के प्रतीक हैं हनुमान

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उत्कृष्ट विलक्षणताओं के प्रतीक हैं हनुमान - ललित गर्ग - इस संसार में सबसे बड़े भक्त है भगवान हनुमानजी, वे ऐसे भक्त हैं जो अपने भक्तों को ईश्वर से मिलाते हैं। उनको हिन्दू देवताआंे में सबसे शक्तिशाली, जागृत एवं सजीव देवता माना गया है, वे रामायण जैसे महाग्रंथ के सह पात्र थे। वे भगवान शिव के ग्यारवंे रूद्र अवतार थे जो श्रीराम की सेवा करने और उनका साथ देने त्रेता युग में अवतरित हुए थे। इस धरा पर जिन सात मनीषियों को अमरत्व का वरदान प्राप्त है, उनमें बजरंगबली भी हैं। हनुमानजी के पराक्रम की असंख्य गाथाएँ प्रचलित हैं। इन्होंने जिस तरह से राम के साथ सुग्रीव की मैत्री कराई और फिर वानरों की मदद से असुरों का मर्दन किया, वह अत्यन्त प्रसिद्ध है। उनको बजरंगबलि, मारुतिनंदन, पवनपुत्र, केशरीनंदन आदि अनेकों नामों से पुकारा जाता है। उनका एक नाम वायुपुत्र भी है, उन्हें वातात्मज भी कहा गया है अर्थात् वायु से ...
जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत में ब्रिटिश शासन की क्रूरता और दमनकारी प्रकृति का प्रतीक है।

जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत में ब्रिटिश शासन की क्रूरता और दमनकारी प्रकृति का प्रतीक है।

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(आधुनिक इतिहास के खूनी नरसंहारों में से एक ) जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत में ब्रिटिश शासन की क्रूरता और दमनकारी प्रकृति का प्रतीक है। - सत्यवान 'सौरभ' जलियांवाला बाग नरसंहार, जिसे अमृतसर का नरसंहार भी कहा जाता है, एक ऐसी घटना थी जिसमें ब्रिटिश सैनिकों ने पंजाब के अमृतसर में जलियांवाला बाग के नाम से जाने जाने वाले खुले स्थान में निहत्थे भारतीयों की एक बड़ी भीड़ पर गोलीबारी की थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड,13 अप्रैल, 1919, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। उस दिन पंजाब और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय फसल उत्सव बैसाखी थी। अमृतसर में स्थानीय निवासियों ने उस दिन एक बैठक आयोजित करने का फैसला किया, जिसमें सत्य पाल और सैफुद्दीन किचलू, स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले दो नेताओं और रॉलेट एक्ट के कार्यान्वयन के खिलाफ चर्चा और विरोध किया गया, जिसने ब्रिटिश सरकार को बिना...
भारत छोड़ो आंदोलन, पूर्ण स्वतंत्रता के विरोधी, दबे-कुचले वर्गों के मसीहा अंबेडकर

भारत छोड़ो आंदोलन, पूर्ण स्वतंत्रता के विरोधी, दबे-कुचले वर्गों के मसीहा अंबेडकर

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भारत छोड़ो आंदोलन, पूर्ण स्वतंत्रता के विरोधी, दबे-कुचले वर्गों के मसीहा अंबेडकर ( अम्बेडकर जी ने कांग्रेस के पूर्ण स्वतंत्रता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने दलितों के उत्थान हेतु उच्च वर्गीय हिन्दुओं से ज़्यादा अंग्रेज़ों को सहायक माना। देश व दलितों के हितो के बीच टकराव की स्थिति में उन्होंने दलितों के हितों को वरीयता देने की बात कही। ) -प्रियंका 'सौरभ' देश बी आर अंबेडकर की 131वीं जयंती मना रहा है। एक समाज सुधारक, भारतीय संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष और देश के पहले कानून मंत्री के रूप में उनकी भूमिका प्रसिद्ध है। वे एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री, सक्रिय राजनेता, प्रख्यात वकील, श्रमिक नेता, महान सांसद, अच्छे विद्वान, मानवविज्ञानी, वक्ता थे। आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में देश ने आजादी का अमृत महोत्सव की शुरुआत की है। अम्बेडकर के विचारों की गंभीरता, राष्ट्र-निर्माता के...
महावीर जयन्ती, बाहर ही नहीं, भीतर को आलोकित करें

महावीर जयन्ती, बाहर ही नहीं, भीतर को आलोकित करें

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महावीर जयन्ती, 14 अप्रैल, 2022 बाहर ही नहीं, भीतर को आलोकित करें -ललित गर्ग- जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्मोत्सव चैत्र शुक्ल त्रयोदशी, इस वर्ष 14 अप्रैल 2022 को सम्पूर्ण दुनिया में मनाया जायेगा। यह दिन महावीर की शिक्षाओं एवं सिद्धान्तों को अपनाने एवं धारण करने का दिन है। महावीर ने जो शिक्षाएं दी, वे जन-जन के लिये अंधकार से प्रकाश, असत्य से सत्य एवं निराशा से आशा की ओर जाने का माध्यम बनी है। इसलिये भी जैन धर्म के अनुयायियों के लिये महावीर जयन्ती का महत्व है। महावीर लोकोत्तम पुरुष हैं, उनकी शिक्षाओं की उपादेयता सार्वकालिक, सार्वभौमिक एवं सार्वदेशिक है, दुनिया के तमाम लोगों ने इनके जीवन एवं विचारों से प्रेरणा ली है। सत्य, अहिंसा, अनेकांत, अपरिग्रह ऐसे सिद्धान्त हैं, जो हमेशा स्वीकार्य रहेंगे और विश्व मानवता को प्रेरणा देते रहेंगे। महावीर का संपूर्ण जीवन मानवता के अभ्य...
प्रधानमंत्री ने महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की

प्रधानमंत्री ने महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की

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प्रधानमंत्री ने महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने महान समाज सुधारक, दार्शनिक और लेखक महात्मा ज्योतिबा फुले को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। श्री मोदी ने कहा कि सामाजिक न्याय के पुरोधा और असंख्य लोगों के लिये आशा के स्रोत के रूप में महात्मा फुले का व्यापक सम्मान है। उन्होंने सामाजिक समानता, महिला सशक्तिकरण और शिक्षा को बढ़ावा देने के लिये अथक कार्य किया है। प्रधानमंत्री ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम के माध्यम से महान विचारक ज्योतिबा फुले के बारे में अपने विचार व्यक्त किये थे, जहां श्री मोदी ने कहा था कि महात्मा फुले ने बालिकाओं के लिये स्कूल आरंभ किया था तथा कन्या शिशु हत्या के विरुद्ध आवाज उठाई थी। उन्होंने जल संकट के समाधान के लिये भी अभियान चलाये थे। श्रृंखलाबद्ध ट्वीट में प्रधानमंत्री ने कहा हैः “सामाजि...
धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित

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धातु पाउडर बनाने की वैकल्पिक तकनीक विकसित त्रिविमीय (Three Dimensional) वस्तुओं के निर्माण के लिए 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग बढ़ रहा है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसे मेटल 3डी प्रिंटिंग के रूप में जाना जाता है। 3डी प्रिंटिंग की इस तकनीक में मेटल प्रिंटिंग सामग्री की परत बनाकार वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग की एक प्रमुख स्रोत सामग्री धातु पाउडर है, जिसे मुख्य रूप से परमाणुकरण (Atomization) तकनीक द्वारा उत्पादित किया जाता है। इस प्रविधि में पिघली धातु हवा या पानी के द्रुत प्रवाह में टूटकर पहले तरल सूक्ष्म बूंदों में रूपांतरित होती है, जो अंत में ठोस होकर पाउडर बन जाती है। मेटल 3डी प्रिंटिंग में आमतौर पर उपयोग होने वाली परमाणुकरण तकनीक की एक सीमा यह है कि इससे बेहतर परिणाम नहीं मिलते, यह महंगी पड़ती है, और विभिन्न सामग्री प्रकारों के उपयोग में इसमे...
भारत में आईएएस अधिकारियों की कमी, संघवाद की पवित्रता पर सवाल

भारत में आईएएस अधिकारियों की कमी, संघवाद की पवित्रता पर सवाल

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भारत में आईएएस अधिकारियों की कमी, संघवाद की पवित्रता पर सवाल -सत्यवान 'सौरभ' भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) (कैडर) नियम 1954 आईएएस अधिकारियों की विभिन्न राज्य सेवाओं से संबंधित है। ये अधिकारी राज्य और केंद्र दोनों की सेवा करते हैं। आईएएस (कैडर) नियम के तहत कुछ राज्य संवर्ग के अधिकारी कुछ वर्षों की सेवाओं को पूरा करने के बाद केंद्र सरकार की सेवाओं के लिए प्रतिनियुक्त होते हैं। हालाँकि, हाल के वर्षों में राज्य संकट पैदा करने वाली मौजूदा रिक्तियों के अनुसार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आवश्यक अधिकारियों की संख्या प्रदान करने में विफल रहे हैं। 1991 के उदारीकरण के बाद आईएएस अधिकारियों की वार्षिक भर्ती में भारी कमी के चलते 1991 से पहले के स्तर पर बहाल करने में केंद्र को लगभग 20 साल लग गए। 1 जनवरी, 2021 तक, अखिल भारतीय स्तर पर आईएएस अधिकारियों की कमी 23% थी। राज्य सिविल सेवा अधिकारियों का ...
पाक अधिकृत कश्मीर का ख़ौफ़नाक सच

पाक अधिकृत कश्मीर का ख़ौफ़नाक सच

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पाक अधिकृत कश्मीर का ख़ौफ़नाक सच विनीत नारायण ‘द कश्मीर फ़ाइल्ज़’ में जो दिखाया गया है वो उस ख़ौफ़नाक सच के सामने कुछ भी नहीं है जो अब अमजद अय्यूब मिर्ज़ा ने पाक अधिकृत कश्मीर में हुए हिंदुओं के वीभत्स नरसंहार के बारे में केलिफ़ोरनिया के अख़बार में प्रकाशित किया है। अय्यूब मिर्ज़ा ने पिछले महीने 21 मार्च को प्रकाशित अपने लेख में ‘द कश्मीर फ़ाइल्ज़’ को एक दमदार फ़िल्म बताते हुए इस बात की तारीफ़ की है कि कैसे इस फ़िल्म ने पाकिस्तान समर्थित जिहादियों और श्रीनगर के स्थानीय कट्टरपंथियों के आतंक को रेखांकित किया गया है। इस लेख में मिर्ज़ा लिखते हैं कि ये तो प्याज़ की पहली परत उखाड़ने जैसा है। उनके अनुसार जम्मू कश्मीर से अल्पसंख्यक हिंदुओं व सिखों को मारने और भगाने का सिलसिला 1990 से ही नहीं शुरू हुआ। इसकी जड़ें तो 1947 के भारत-पाक बँटवारे के अप्रकाशित इतिहास में दबी पड़ी हैं। अमजद अय्यूब मिर्...
अंग्रेजी नहीं, हिन्दी हो सम्पर्क भाषा

अंग्रेजी नहीं, हिन्दी हो सम्पर्क भाषा

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अंग्रेजी नहीं, हिन्दी हो सम्पर्क भाषा - ललित गर्ग- केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सशक्त भारत-निर्माण के लिए भारतीय भाषाओं के प्रयोग की प्रासंगिकता व्यक्त करते हुए कहा कि जब अलग-अलग भाषाएं बोलने वाले राज्यों के लोग आपस में बातचीत करें तो उन्हें अंग्रेजी के बजाय हिन्दी को या देश की ही किसी अन्य भाषा को इसका माध्यम बनाना चाहिए।’ निश्चित ही बातचीत एवं व्यवहार की भाषा के रूप में हिन्दी या अन्य भारतीय भाषाओं का प्रयोग करने से राष्ट्रीय विकास के नए क्षितिज खुलेंगे, नवाचार के नए-नए आयाम उभरेंगे। भारतीय भाषाओं में बातचीत, व्यवहार, चिंतन एवं शिक्षण से सृजनात्मक एवं स्व-पहचान की दिशाएं उद्घाटित होगी। वास्तव में स्व-भाषाएं विचारों, विचारधाराओं, कल्पनाओं और अपने व्यापक सामाजिक-राष्ट्रीय दर्शन की स्पष्टता का माध्यम बनती हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा न...
मातृत्व की कला बच्चों को जीने की कला सिखाना है’।

मातृत्व की कला बच्चों को जीने की कला सिखाना है’।

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मातृत्व की कला बच्चों को जीने की कला सिखाना है'। (माँ अपने बच्चे के चेहरे पर पहली मुस्कान देखती है।) --प्रियंका 'सौरभ' यह एक सर्वविदित तथ्य है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चे के लिए सबसे अच्छी उम्र होती है क्योंकि वह इस उम्र में सबसे ज्यादा सीखता है। एक बच्चा पांच साल से कम उम्र के घर पर ज्यादातर समय बिताता है और इसलिए वह घर पर जो देखता है और देखता है उससे बहुत कुछ सीखता है। छत्रपति शिवाजी को उनकी माँ ने बचपन में नायकों की कई कहानियाँ सुनाईं और वे बड़े होकर कई लोगों के लिए नायक बने। घर पर ही एक बच्चा सबसे पहले समाजीकरण सीखता है। एक बच्चा पहले घर पर बहुत कुछ सीखता है। लेकिन आज, चूंकि अधिकांश माता-पिता कमाने वाले व्यक्ति हैं, इसलिए वे अपने बच्चों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय नहीं बिता सकते हैं। बच्चों को प्ले स्कूलों में भेजा जाता है और अक्सर उनके दादा-दादी द्वारा उनका पालन-पोषण किया जाता...