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महावीर है आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष

महावीर है आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष

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महावीर है आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष - ललित गर्ग - महावीर का संपूर्ण जीवन स्व और पर के अभ्युदय की जीवंत प्रेरणा है। लाखों-लाखों लोगों को उन्होंने अपने आलोक से आलोकित किया है। इसलिए महावीर बनना जीवन की सार्थकता का प्रतीक है। महावीर बनने का अर्थ है स्वस्थ जीवन जीना, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करना। प्रत्येक वर्ष हम भगवान महावीर की जन्म-जयन्ती मनाते हैं, लेकिन इस वर्ष उस महान् आत्म-क्रांति के वीर महापुरुष की जयंती को कोरा आयोजनात्मक नहीं बल्कि प्रयोजनात्मक स्वरूप देना है। इसकेे लिये हर व्यक्ति अपने भीतर झांकने की साधना करें, महावीर को केवल पूजे ही नहीं हैं, बल्कि जीवन में धारण कर लें। जरूरी है कि हम महावीर ने जो उपदेश दिये उन्हें जीवन और आचरण में उतारें। हर व्यक्ति महावीर बनने की तैयारी करे, तभी समस्याओं से मुक्ति पाई जा सकती है। महावीर वही व्यक्ति बन सकता है जो लक्ष्य के प्रति पूर्ण...
तो हिन्दी से दूर जाती कांग्रेस

तो हिन्दी से दूर जाती कांग्रेस

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तो हिन्दी से दूर जाती कांग्रेस आर.के. सिन्हा देश के आठ पूर्वोतर राज्यों के सभी स्कूलों के दसवीं कक्षा तक में पढ़ने वाले बच्चों को हिन्दी अनिवार्य रूप से पढ़ाने पर वहां के सभी राज्य सरकारें राजी हो गईं हैं I 22 हजार हिन्दी के अध्यापकों की भर्ती की जा रही है तथा नौ आदिवासी जातियों ने अपनी बोलियों की लिपि देवनागरी को स्वीकार कर लिया है। क्या इन जानकारियों में आपको कहीं हिन्दी को थोपने के संकेत मिलते हैं? लेकिन, कांग्रेस तो कम से कम यही मानती है। कांग्रेस के नेता यह कहते हैं कि सरकार महंगाई तथा बेरोजगारी जैसे गंभीर मसलों पर बात करने की बजाय हिन्दी को गैर-हिन्दी भाषियों पर थोपने की चेष्टा कर रही है। दरअसल विगत दिनों केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उपर्युक्त जानकारियां देश के साथ सांझा की थीं। उसके बाद कांग्रेस के नेता जयराम रमेश और अभिषेक मनु सिंघवी मैदान में उतर आए। जयराम रमेश ने ज्ञान ...
तृतीय विश्व युद्ध की पहल करता यूक्रेन – रूस युद्ध

तृतीय विश्व युद्ध की पहल करता यूक्रेन – रूस युद्ध

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तृतीय विश्व युद्ध की पहल करता यूक्रेन - रूस युद्ध या विश्व के स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन - रूस युद्ध डॉ. शंकर सुवन सिंह यूक्रेन की सीमा पश्चिम में यूरोप और पूर्व में रूस से जुडी है। द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) खत्म होने के बाद दुनिया दो गुटों में बंट गई थी। एक तरफ अमेरिका और दूसरी तफर सोवियत संघ था। यूक्रेन वर्ष 1991 से पहले सोवियत संघ का हिस्सा था। 25 दिसंबर 1991 को सोवियत संघ टूट गया और 15 अलग-अलग देश बन गए। ये 15 मुल्क हैं- यूक्रेन, आर्मीनिया, अजरबैजान, बेलारूस, इस्टोनिया, जॉर्जिया, कजाकिस्तान, कीर्गिस्तान, लातविया, लिथुआनिया, मालदोवा, रूस, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान। यूक्रेन ने वर्ष 1991 में अपनी स्वतन्त्रता की घोषणा की थी। 1991 में यूक्रेन के अलग होने के बाद से दोनों देशों के बीच विवाद शुरू हो गया था। रुसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को 1991 में सोव...
स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन – रूस युद्ध

स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन – रूस युद्ध

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स्थाई भविष्य के लिए चेतावनी है यूक्रेन - रूस युद्ध डॉ. शंकर सुवन सिंह दो देशों का युद्ध, अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का शिकार होता है। सामान संस्कृति, सभ्यता एवं भाषा वाले देश आपस में लड़ रहे हैं। जो देश कभी एक हुआ करते थे वो आज एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं। जो देश जिस देश के निकट हैं वो एक दूसरे के प्रति उतनी ही विकटता पैदा करते हैं। यह कहने में अतिश्योक्ति नहीं होगी कि अत्यधिक निकटता विकृति को पैदा करती है। भगवान् विष्णु के नवें अवतार महात्मा गौतम बुद्ध ने कहा था - वीणा के तारों को इतना भी मत कसो कि वह टूट जाये और इतना ढीला भी मत रखो कि उससे सुर ही न निकले। कहने का तात्पर्य अति किसी भी चीज कि बुरी होती है। चाहे वह निकटता हो या दूरी हो। प्रत्येक देश को संतुलित रहने कि जरुरत है। संतुलन ही किसी भी समाधान का मूल मंत्र है। प्रतिस्पर्धा हमेशा उससे ही होती है जिसके बारे में हम जानते हैं या जिसस...
ताकि हवाई चप्पल पहना शख्स करे हवाई यात्रा

ताकि हवाई चप्पल पहना शख्स करे हवाई यात्रा

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ताकि हवाई चप्पल पहना शख्स करे हवाई यात्रा आर.के. सिन्हा क्या आपने हाल-फिलहाल रेल तथा विमान से सफर किया है? अगर आपने दोनों से यात्रा की है तो आपने कुछ बड़े बदलावों को महसूस किया होगा जो हमारे देश के एविएशन सेक्टर में दिखाई दे रहे हैं। हो यह रहा है कि रेलवे स्टेशनों से अधिक यात्रियों की भीड़ अब हवाई अड्डों पर दिखाई दे रही है। आप किसी दिन राजधानी के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से कहीं चले जाइये या फिर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से अपने गंतव्य स्थल की यात्रा पर निकल जाइये। यकीन मानिए कि आपको इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर ज्यादा भीड़ और अफरा-तफरी मिलेगी। इधर से हर वक्त सैकड़ों-हजारों लोग आ-जा रहे होते हैं। हरेक मिनट पर एक फ्लाइट आ –जा रही होती है। शायद ही इतनी रफ्तार से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर गाड़ियों की आवाजाही होती हो। दरअसल इन दोनों ही जगहों का उदाहरण देने का मकसद यह है, क्योंकि;...
घर का वित्त प्रबंधन करने वाली महिलाएं देश की अर्थव्यवस्था में क्यों नहीं ?

घर का वित्त प्रबंधन करने वाली महिलाएं देश की अर्थव्यवस्था में क्यों नहीं ?

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घर का वित्त प्रबंधन करने वाली महिलाएं देश की अर्थव्यवस्था में क्यों नहीं ? --प्रियंका 'सौरभ' देश में नौकरी पाने की आकांक्षा के बजाय अब स्टार्ट-अप और रोज़गार सृजन की ओर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। युवा उद्यमियों के नेतृत्व में देश में हज़ारों महत्त्वाकांक्षी स्टार्टअप्स को प्रेरित किया जा रहा है। हालाँकि उद्यमिता को प्रायः पुरुष प्रधान कार्यक्षेत्र समझकर महिलाओं की अनदेखी की जाती है। भारत को अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था के लिये महिला उद्यमिता को इसके आर्थिक विकास में एक बड़ी भूमिका निभानी होगी। संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद विश्व के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप भारत के 51 यूनिकॉर्न में से पाँच का नेतृत्व महिलाएँ कर रही हैं। महिलाओं ने फैशन, टेक्सटाइल और होममेड एक्सेसरीज जैसे क्षेत्रों के स्टार्टअप्स में वृद्धि दिखाई है। स्टार्टअप में महिला उद्यमियों के शामिल होने से अनुमान है कि भा...
मुफ्तखोरी की राजनीति गंभीर आर्थिक संकट को न्यौता

मुफ्तखोरी की राजनीति गंभीर आर्थिक संकट को न्यौता

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मुफ्तखोरी की राजनीति गंभीर आर्थिक संकट को न्यौता  ललित गर्ग  भारत की राजनीति में खैरात बांटने एवं मुफ्त की सुविधाओं की घोषणाएं करके मतदाताओं को ठगने एवं लुभाने की कुचेष्टाओं में सभी राजनीतिक दल लगे हैं। महज राजनीतिक लाभ एवं वोट बैंक को प्रभावित करने के उद्देश्य से मुफ्तखोरी को बढ़ावा देना सरकारों के आर्थिक असंतुलन के साथ ही आत्मघाती उपक्रम है। केंद्र सरकार को उन राज्यों को चेताना चाहिए जो कर्ज चुकाने की क्षमता खोते चले जाने के बाद भी मुफ्त की योजनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे उत्पन्न गंभीर आर्थिक संकट को नजरअंदाज करना राजनीतिक अपरिवक्वता का द्योतक है, वही अवसरवादी एवं स्वार्थ की राजनीति को पनपाने का जरिया है। इस तरह की मुफ्त की संस्कृति एवं जनधन को खैरात में बांटने से किस तरह किसी देश में राजनीतिक संकट खड़ा करने के साथ कानून एवं व्यवस्था के लिए भी चुनौती बन सकता है, इसका ताजा उदाहरण है...
श्री नितिन गडकरी ने सोनीपत, हरियाणा में 2,872 करोड़ रुपये की लागत से 297 किलोमीटर लंबाई की 5 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया

श्री नितिन गडकरी ने सोनीपत, हरियाणा में 2,872 करोड़ रुपये की लागत से 297 किलोमीटर लंबाई की 5 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया

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केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने सोनीपत, हरियाणा में 297 किलोमीटर लंबाई की 2,872 करोड़ रुपये की 5 राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं में शामिल जींद से गोहाना राजमार्ग का निर्माण एनसीआर, सोनीपत, नरवाना और पंजाब को संपर्क प्रदान करेगा। श्री गडकरी ने कहा कि 2 लेन की भिवानी-मुंधल-जींद सड़क के निर्माण से राजस्थान, हरियाणा, एनसीआर और उत्तर प्रदेश तक पहुंचना आसान हो जाएगा। माननीय मंत्री ने कहा कि 98 किमी लंबे 2-लेन के झज्जर से लोहारू राजमार्ग के निर्माण से हरियाणा, राजस्थान, एनसीआर और उत्तर प्रदेश के साथ बेहतर संपर्क स्थापित होगा और किसानों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन मार्गों से समय की बचत होगी और साथ ही लोगों की आवाजाही में सुविधा होगी, वाहनों के रखरखाव की लागत कम होगी, दुर्घटनाएं कम होंगी और क्षेत...
भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा

भारत का कृषि निर्यात 50 बिलियन डॉलर की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा

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वर्ष 2021-22 के लिए कृषि उत्पाद (समुद्री तथा कृषि उत्पाद सहित) का निर्यात 50 बिलियन डॉलर को पार कर गया है। यह अब तक का सबसे अधिक कृषि उत्पाद निर्यात है। वाणिज्यिक जानकारी एवं सांख्यिकी महानिदेशालय (डीजीसीआईएंडएस) द्वारा जारी अनंतिम आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के दौरान कृषि निर्यात 19.92 प्रतिशत बढ़कर 50.21 बिलियन डॉलर हो गया। यह वृद्धि दर शानदार है और 2020-21 के 17.66 प्रतिशत यानी 41.87 बिलियन से अधिक है। यह वृद्धि उच्च भाड़ा दरों, कंटेनर की कमी जैसी अप्रत्याशित लॉजिस्टिक चुनौतियों के बावजूद हुई है। पिछले दो वर्षों की यह उपलब्धि किसानों की आय में सुधार के प्रधानमंत्री के विज़न को साकार करने में काफी अधिक सफल होगी। चावल (9.65 बिलियन डॉलर), गेहूं (2.19 बिलियन डॉलर), चीनी (4.6 बिलियन डॉलर) तथा अन्य अनाजों (1.08 बिलियन डॉलर) के लिए यह अब तक का सबसे अधिक निर्यात है। गेहूं निर्यात में अप्रत्याश...
यूक्रेन: भारत ने मुँह खोला

यूक्रेन: भारत ने मुँह खोला

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यूक्रेन: भारत ने मुँह खोला* *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* संयुक्तराष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमारे प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कल यूक्रेन के बारे में जो बयान दिया है, वह विश्व राजनीति में भारत की छवि को तो बेहतर बनाएगा ही, वह रूस को भी अपनी पशुता से बाज आने के लिए शायद प्रेरित कर दे ।तिरुमूर्ति ने यूक्रेन के शहर बूचा में हुए नर-संहार की दो-टूक शब्दों में भर्त्सना की है। उन्होंने मांग की है कि इस नरसंहार की जांच की जानी चाहिए और इसे तुरंत रोका जाना चाहिए। उन्होंने नरसंहार करनेवाले रूस का नाम नहीं लिया। यह सावधानी उन्होंने जरुर बरती लेकिन यह स्पष्ट है कि उन्होंने रूसी फौज के अत्याचार की उतनी ही सख्त आलोचना की है, जितनी अमेरिका और यूरोपीय देश कर रहे हैं। भारत की इस आलोचना का शायद रूस पर कोई असर न पड़े लेकिन भारत की तटस्थता को अब दुनिया के राष्ट्र भारत का गूंगापन नहीं समझेंगे। भारत ने हालांकि कई अ...