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समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो

समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो

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समान आचार संहिता समूचे देश में लागू हो-ललित गर्ग-समान नागरिक आचार संहिता का मुद्दा आज एक बार फिर चर्चा में है। दरअसल यह मुद्दा आज का नहीं है, यह अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के नजरिये से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हित में चिन्तन, निर्णय एवं क्रियान्वयन की अपेक्षा है। भले ही भाजपा के लिये यह चुनावी मुद्दा रहा हो, लेकिन इसको लागू करने की अपेक्षा सभी जाति, धर्म, वर्ग, भाषा के लोगों के हित में हैं। हां, इसे लागू करने का साहस एवं दूरदर्शिता भाजपा और उसके नेता प्रदर्शित कर रहे हैं, यह स्वागतयोग्य है। इसे मजहब या साम्प्रदायिकता की राजनीति से ऊपर उठ कर पूरे देश की सामाजिक समरसता के नजरिये से देखा जाना चाहिए। संवैधानिक दृष्टि से भी यह फैसला बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है क्योंकि भारत का संविधान धर्म या जाति-बिरादरी अथवा स्त्री-पुरुष या क्षेत्रीय पहचान की परवाह कि...
रोजगार एवं स्वावलम्बन पर संघ की सुखद पहल

रोजगार एवं स्वावलम्बन पर संघ की सुखद पहल

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रोजगार एवं स्वावलम्बन पर संघ की सुखद पहल  ललित गर्ग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक श्री मोहन भागवत ने कर्णावती के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की 11-13 मार्च 2022 की बैठक में देश में एक ऐसा आर्थिक मॉडल विकसित करने हेतु आग्रह किया हैै जिसके अंतर्गत मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ रोजगार के अधिक अवसर निर्मित हो सके। जिससे कुटीर एवं लघु उद्योगों का ग्रामीण इलाकों में विस्तार किया जा सके। संघ के ये स्वावलम्बी एवं आत्मनिर्भर अर्थतंत्र के ये विचार, दर्शन, कार्यक्रम एवं इतिहास प्रारंभ से ही सशक्त एवं सुदृढ़ राष्ट्र-निर्माण का आधार रहे हैं। संघ का भारत की आजादी एवं इसके नवनिर्माण में अभूतपूर्व योगदान रहा है और अब भारत को समग्र दृष्टि से विकसित करने के लिये संघ प्रयासरत है, जो एक सुखद आश्चर्य का विषय है, जिस पर समग्र राष्ट्र को बिना किसी आग्रह, पूर्वाग्रह एवं दुराग्रह के आगे बढ़ना चाहिए। ...
खतरनाक है, यह अल्पसंख्यकवाद

खतरनाक है, यह अल्पसंख्यकवाद

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खतरनाक है, यह अल्पसंख्यकवाद *डॉ. वेदप्रताप वैदिक* इधर सर्वोच्च न्यायालय में एक बड़ी मजेदार याचिका पेश की गई है, अश्विनी उपाध्याय के द्वारा! उन्होंने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि अल्पसंख्यकता के नाम पर कई राज्यों में बड़े पैमाने पर ठगी चल रही है। जिन राज्यों में जो लोग बहुसंख्यक हैं, वे यह कहते हैं कि हम लोग अखिल भारतीय स्तर पर अल्पसंख्यक हैं, इसलिए हमें अल्पसंख्यकों की सब सुविधाएं अपने राज्य में भी मिलनी चाहिए। जैसे जम्मू-कश्मीर में मुसलमान बहुसंख्यक हैं लेकिन उन्हें इसके बावजूद वहां अल्पसंख्यकों की सारी सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन जम्मू-कश्मीर के हिंदुओं, यहूदियों और बहाईयों को, जो वास्तव में वहां अल्पसंख्यक हैं, उन्हें अल्पसंख्यकों की कोई सुविधा नहीं मिलती। यही हाल मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल, लक्षद्वीप, मणिपुर और पंजाब का है। इन राज्यों में रहनेवाले धार्मिक बहुसंख्यकों को भी अल्पसंख्यक...
खुशियाँ बाँटिए, ख़ुशियाँ मिलेगी

खुशियाँ बाँटिए, ख़ुशियाँ मिलेगी

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खुशियाँ बाँटिए, ख़ुशियाँ मिलेगी। ■ राजकुमार जैन राजन आज मनुष्य की कीमत भी दिनों दिन रुपये के अवमूल्यन की तरह घटती जा रही है। उसके मानसिक प्रदूषण में निरन्तर बढ़ोतरी हो रही है। क्या हमने कभी बैठकर विचार किया  है कि ऐसा क्यों है ? अगर नहीं है, तो देर मत कीजिये सुबह का भुला शाम को घर आ जाये तो भुला नहीं कहलाता। हम अपना आत्म विश्लेषण करें और देखें कि क्या कारण है ? जीवन संघर्ष का नाम हैं। जहाँ जीवन है वहीं समस्या है। समस्याओं का चक्र अनवरत गति से चलता रहता है। कभी खुशी कभी गम, कभी सुख कभी दुःख, पर इसे दिल और दिमाग पर हावी न होने दें। खुश रहने के लिए परिस्थितियों के कारण मन को भारी न बनाएं। खुश रहना और अपने आसपास को भी खुशियों से सराबोर रखना एक कला है। यह सबमें नहीं होती, लेकिन जिसमें होती है वह सबका मन जीत लेता है। जो लोग खुश रहना और हंसना -हंसाना जानते हैं, वे अक्सर सकारात्मक रहते हुए ख़ुशियाँ...
‘आप’ को क्या तकलीफ गांधी जी से

‘आप’ को क्या तकलीफ गांधी जी से

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‘आप’ को क्या तकलीफ गांधी जी से अथवा केजरीवाल यह तो जानें बापू के कितने करीब थे भगत सिंह और बाबा साहेब आर.के. सिन्हा पंजाब और दिल्ली सरकारों के दफ्तरों से गांधी जी के चित्र हटा दिए गए हैं। उनका स्थान ले लिया है भगत सिंह और डॉ.भीमराव अंबेडकर के चित्रों ने। दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकारें हैं। आखिर क्यों दिल्ली में अरविंद केजरीवाल को और पंजाब में भगवंत मान को यह जरूरी लगा कि वे अपने-अपने राज्यो में गांधी जी के चित्र हटवाएं दें? क्या गांधी जी का चित्र हटाना ज़रूरी था? ‘आप’ के इस कदम से संकेत यह जाता है कि वह भगत सिंह और बाबा साहेब को गांधी जी के सामने खड़ा करना चाहती है। हालांकि इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। ये तीनों ही पूरे देश के लिये आदरणीय हैं। इन सबका देश ह्रदय से आदर सम्मान करता है। गांधी जी का नाम लेकर हुए अन्ना आंदोलन से निकली ‘आप’  ने ऐसा क्यों किया, यह जवाब उन्हें द...
कौन पोछेगा प्रवासी बिहारी मजदूरों के आंसू

कौन पोछेगा प्रवासी बिहारी मजदूरों के आंसू

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कौन पोछेगा प्रवासी बिहारी मजदूरों के आंसू आर.के. सिन्हा बिहार दिवस के ठीक बाद हैदराबाद  से बिहार के लिए एक बुरी खबर सामने आई कि वहां पर हुई एक भीषण आगजनी की घटना में बिहार राज्य के 11 मजदूर जिंदा जल गए। ये सभी सारण और कटिहार जिलों के थे। ये सब अभागे मददूर कबाड़ गोदाम में लगी भीषण आग में फंस गए थे। आग इतनी तेज थी कि फायर ब्रि‍गेड की नौ गाड़ियों को आग पर काबू करने में तीन घंटों से भी अधिक का समय लगा। इन मजदूरों के परिवारों के लिए तेलंगाना सरकार और बिहार सरकारों ने कुछ मुआवजे की घोषणा की रस्म तो पूरी कर दी है। मुआवजा की घोषणा का मतलब यह हुआ कि अब केस खत्म हो गया। अब कोई इस विषय पर विचार नहीं करेगा कि देश के चप्पे –चप्पे पर होने वाले निर्माण कार्यों से लेकर छोटे-मोटे मजदूरी के कामों में बिहारी ही क्यों लगे हुए हैं? आप  लद्दाख की राजधानी लेह से लेकर गोवा के सुदूर क्षेत्...
अतिरिक्त भोजन के बावजूद भारत भुखमरी के कगार पर क्यों ?

अतिरिक्त भोजन के बावजूद भारत भुखमरी के कगार पर क्यों ?

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अतिरिक्त भोजन के बावजूद भारत भुखमरी के कगार पर क्यों ? -सत्यवान 'सौरभ' ग्लोबल हंगर इंडेक्स वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को ट्रैक करता है। यह अपने स्कोर की गणना करने के लिए चार मापदंडों का उपयोग करता है जैसे कि अल्पपोषण, बच्चों की कम वृद्धि दर और बाल मृत्यु दर। जीएचआई 2021 की रिपोर्ट ने भारत को बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल से नीचे 101वें स्थान पर रखा है। स्थिति गंभीर है और देश व्यापक भूख से जूझ रहा है। भारत वैश्विक भूख सूचकांक में खराब प्रदर्शन पर है यद्यपि हमारे पास अतिरिक्त भोजन है, अधिकांश छोटे और सीमांत कृषक परिवार अपने साल भर के उपभोग के लिए पर्याप्त खाद्यान्न का उत्पादन नहीं करते हैं। लोगों के एक वर्ग की सापेक्ष आय में गिरावट आई है। इसका पर्याप्त भोजन खरीदने की उनकी क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, खासकर जब खाद्य कीमतों में वृद्धि हो रही है। छोटी और सीम...
एक बार फिर आये ऋषभ युग

एक बार फिर आये ऋषभ युग

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भगवान ऋषभदेव जन्म जयन्ती 26 मार्च, 2022 पर विशेषएक बार फिर आये ऋषभ युग -ललित गर्ग-भगवान ऋषभदेव जैन धर्म एवं वर्तमान अवसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थंकर हैं। तीर्थंकर का अर्थ होता है-जो तीर्थ की रचना करें। जो संसार सागर यानी जन्म मरण के चक्र से मुक्ति दिलाकर मोक्ष प्रदत्त करें। ऋषभदेव को ‘आदिनाथ’ भी कहा जाता है। वे भगवान विष्णु के अवतार थे। जन-जन की आस्था के केन्द्र तीर्थंकर प्रभु ऋषभदेव का जन्म चैत्र कृष्ण नवमी को अयोध्या में हुआ। उन्होंने मनुष्य जाति को नया जीवन दर्शन दिया। जीने की शैली सिखलाई। वे जानते थे कि नहीं जानना बुरा नहीं मगर गलत जानना, गलत आचरण करना बुरा है। इसलिए उन्होंने सही और गलत को देखने, समझने, परखने की विवेकी आंख दी जिसे सम्यक् दृष्टि कहा जा सकता है।महाराज नाभि के यहां ऋषभ रूपी दिव्य बालक का जन्म हुआ। उसके चरणों में वज्र, अंकुश आदि के चिन्ह जन्म के समय ही दिखाई दिये। बालक के अ...
Researchers develop new materials to help power up low power electronics

Researchers develop new materials to help power up low power electronics

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Researchers develop new materials to help power up low power electronics Efforts to fabricate better and more effective energy sources for sensors and other low power electronics is expected to get a boost with a team of researchers from the Indian Institute of Technology Guwahati, and Daegu Gyeongbuk Institute of Science and Technology (DGIST), South Korea, developing a set of new materials for devices that help convert biomechanical energy into electrical energy. Following the rapid growth of the Internet of Things (IoT) in recent years, many small electronics such as sensors, actuators, and wireless transmitters are being produced for various applications ranging from health monitoring and environmental protection to remote control equipment. Presently, batteries are commonly ...
करियर प्लस की उपाध्यक्ष शिक्षाविद डॉ. सारिका अग्रवाल को मिला “ नेशनल वुमन अचीवर्स अवार्ड -2022”

करियर प्लस की उपाध्यक्ष शिक्षाविद डॉ. सारिका अग्रवाल को मिला “ नेशनल वुमन अचीवर्स अवार्ड -2022”

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करियर प्लस की उपाध्यक्ष शिक्षाविद डॉ. सारिका अग्रवाल को मिला “ नेशनल वुमन अचीवर्स अवार्ड -2022” नोएडा निवासी शिक्षाविद व समाजसेवी डा. सारिका अग्रवाल को दिनांक 25 मार्च 2022 को दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में आयोजित एक समारोह में “ नेशनल वुमन अचीवर्स अवार्ड -2022” से सम्मानित किया गया। दीप वेलफ़ेयर सोसाइटी, मेट्रिक्स सोसाइटी व शोध संस्था द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस कार्यक्रम में केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री श्रीमती पूर्णिमा भौमिक मुख्य अतिथि थीं। पिछले पच्चीस वर्षों से आईएएस, पीसीएस व अन्य प्रतियोगिता परीक्षाओं आदि की कोचिंग के क्षेत्र में देश की अग्रणी संस्था करियर प्लस एजुकेशनल सोसाइटी की उपाध्यक्ष डा सारिका अपनी संस्था के माध्यम से दलित, गरीब, दिव्यांग व पिछड़े हज़ारों छात्र छात्राओं को निशुल्क कोचिंग उपलब्ध करा उनको सफलता के शिखर पर पहुँचा चुकी हैं। उनकी संस...