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हम कब अपने नायकों को पहचानेंगे?

हम कब अपने नायकों को पहचानेंगे?

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 बलबीर पुंज जो राष्ट्र अपने नायकों को नहीं पहचानता, उनका सम्मान नहीं करता— वह जीवित रहने का अधिकार खो देता है। पहले भारत का तीन हिस्सों (खंडित भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश) में विभाजित होना, फिर कश्मीर के एक तिहाई पर कब्जा हो जाना और 1962 के चीन युद्ध में देश की शर्मनाक हार होना— इसी रोग के कुछ लक्षण है। 'देर आए दुरुस्त आए'— एक पुरानी कहावत है, जो दिल्ली में 23-25 नवंबर को संपन्न हुए कार्यक्रम पर बिल्कुल चरितार्थ होती है। असम के अहोम योद्धा लाचित बोरफुकन की 400वीं जयंती पर दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इसके समापन समारोह में शामिल हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत का इतिहास केवल गुलामों का नहीं, योद्धाओं का भी है। किंतु देश के वीरों का इतिहास दबाया गया। क्या यह सत्य नहीं कि मार्क्स-मैकॉले मानस प्रेरित इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास को सर्वाधिक विकृत...
भारत के लिए जी-20: ग्लोबल साउथ का नेतृत्व संभालने का अवसर

भारत के लिए जी-20: ग्लोबल साउथ का नेतृत्व संभालने का अवसर

BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, राष्ट्रीय
भारत के लिए जी-20 की अध्यक्षता ग्लोबल साउथ का नेतृत्व संभालने का अवसर है। संयुक्त राष्ट्र जैसे बहुपक्षीय संगठनों में सुधार पर वैश्विक सहमति बनाना, कोविड के बाद के युग के लिए एक नई विश्व व्यवस्था की ओर पहला कदम था। जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी और यूक्रेन में युद्ध जैसी चुनौतियों का सामना कर रही दुनिया में जी20 की प्रासंगिकता बढ़ी है। भारत की अध्यक्षता समावेशी, महत्वाकांक्षी, निर्णायक और कार्रवाई-उन्मुख होगी, जैसा कि भारत की जी-20 अध्यक्षता थीम "एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य" द्वारा दर्शाया गया है। -प्रियंका सौरभ सदस्य वर्तमान में विश्व सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 80%, वैश्विक व्यापार का 75% और वैश्विक जनसंख्या का 60% हिस्सा हैं। प्रेसीडेंसी, इससे पहले और बाद में (ट्रोइका) प्रेसीडेंसी रखने वाले देशों द्वारा सहायता प्राप्त, प्रत्येक वर्ष के शिखर सम्मेलन के एजेंडे को निर्धारित क...
सुप्रीम कोर्ट के जजों का अहंकार –

सुप्रीम कोर्ट के जजों का अहंकार –

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इनके पतन का कारण बनेगा - वैसे तो यह काफी समय से चल रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों का अहंकार चरम पर चलता दिखाई दे रहा है और यही जुडिशरी के लिए हानिकारक साबित होगा परन्तु कुछ हाल के मसलों में पता चलता है जजों को एहसास ही नहीं होता कि वो क्या बोल रहे हैं - कुछ किस्से बता रहा हूँ - -कल CJI चंद्रचूड़ के सामने वकील शशांक शेखर झा की याचिका सुनवाई के लिए आई जिसमे उन्होंने पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए अपील की थी - इस याचिका को चंद्र्कहुड ने सुनने से ही मना कर दिया और 80% पराली जलाने वाले पंजाब को एक तरह से निर्दोष बता दिया - चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या पराली जलने से रोकने से प्रदूषण ख़तम हो जायेगा, इसके लिए कुछ और तरींका ढूढ़ना होगा - इसका मतलब तो यही हुआ न मीलार्ड कि पराली जलाने से प्रदूषण नहीं होता बल्कि एक दिवाली की रात में पटाखे जलाने से सारा प्रदूषण होता है जिसे रोकने के लिए आप...
जन-जन तक विज्ञान प्रसार

जन-जन तक विज्ञान प्रसार

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‘जन-जन तक विज्ञान प्रसार’ नई दिल्ली, 10 अक्टूबर (इंडिया साइंस वायर): 15 अगस्त 1947 को स्वाधीन भारत का उदय समूचे विश्व से औपनिवेशिक साम्राज्यवाद की विदाई की प्रस्तावना सिद्ध हुआ। सदियों की पराधीनता से मुक्त हुए भारत ने द्रुत आर्थिक विकास एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की राह चुनी। सन् 1958 में 'वैज्ञानिक नीति संकल्प पत्र' (साइंटिफिक पॉलिसी रेज़ोलुशन) पर भारतीय संसद ने अपनी स्वीकृति की मुहर लगाई। लक्ष्य था; सभी समुचित संसाधनों द्वारा विज्ञान एवं वैज्ञानिक शोध का पोषण, विस्तार एवं उसकी निरंतरता सुनिश्चित करना। देशभर में प्रौद्योगिकी और विज्ञान शिक्षण, प्रशिक्षण, शोध एवं विकास संस्थानों की स्थापना की मुहिम शुरू हुई। स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद आज भारत विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं नवाचार के क्षेत्र में एक वैश्विक शक्ति बनने की ओर अग्रसर है। एक आधुनिक स...
हर जगह वायरल होती निजता, कैसे जियेंगे हम?

हर जगह वायरल होती निजता, कैसे जियेंगे हम?

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हर जगह वायरल होती निजता, कैसे जियेंगे हम? चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी की एक छात्रा द्वारा अपनी हॉस्टल की साठ से अधिक छात्राओं के नहाते वक्त के न्यूड वीडियो रिकॉर्ड कर अपने पुरुष मित्र को भेजना और फिर उनका दुनिया में वायरल होना किसी भी समाज को जानवर से बदतर बताता है, पांवो से जमीन खिसक जाती है ऐसी घटनाएं सुनकर, आखिर कौन है दोषी इन कुकृत्यों का? अब गंभीर सवाल ये है कि महिलाओं के नितांत प्राइवेट वीडियो, अतरंगी तस्वीरें या एमएमएस क्यों लीक हो रहे हैं? इसका जवाब ढूंढने से पहले कुछ बुनियादी बातों के बारे में समझने की कोशिश करते हैं। आज के दिन सेक्सटॉर्शन के लिए भारत क्या, अमेरिका, ब्रिटेन वगैरह में भी अलग से कानून नहीं है। सेक्सटॉर्शन का मतलब - किसी के कंप्यूटर, मोबाइल वगैरह में सेंध लगाकर इंटीमेट तस्वीर, वीडियो वगैरह चुराना या वेबकैम वगैरह से वीडियो बना लेना और फिर विक्टिम को ब्लैकमेल करना। इसके लिए ...
बंद होते सरकारी स्कूल

बंद होते सरकारी स्कूल

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बंद होते सरकारी स्कूल दरअसल सरकारी स्कूल फेल नहीं हुए हैं बल्कि यह इसे चलाने वाली सरकारों, नौकरशाहों और नेताओं का फेलियर है। सरकारी स्कूल प्रणाली के हालिया बदसूरती के लिए यही लोग जिम्मेवार है जिन्होंने निजीकरण के नाम पर राज्य की महत्वपूर्ण सम्पति का सर्वनाश कर दिया है। वैसे भी वो राज्य जल्द ही बर्बाद हो जाते है या भ्र्ष्टाचार का गढ़ बन जाते है जिनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और पुलिस व्यवस्था पर निजीकरण का सांप कुंडली मारकर बैठ जाता है। एक तरफ जहां प्राइवेट स्कूलों की फीस बहुत मंहगी हो गई है, वहीं दूसरी ओर सरकारी स्कूलों में कक्षा आठ तक मुफ़्त शिक्षा दी जाती है जहां अमीर और गरीब दोनों तरह के छात्र एक साथ पढ़ सकते हैं। दूसरा प्राइवेट स्कूलों की किताबें भी बहुत मंहगी होती हैं वही सरकारी स्कूलों में किताबें मुफ़्त में मिलती हैं और सबसे बड़ी बात ...
बिहार में पुलिस दमन मानों प्रजातंत्र न हो सज़ातंत्र हो

बिहार में पुलिस दमन मानों प्रजातंत्र न हो सज़ातंत्र हो

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बिहार में पुलिस दमन मानों प्रजातंत्र न हो सज़ातंत्र हो  - ललित गर्ग - बिहार में फिर जंगलराज शुरु हो गया है। नई सरकार बनते ही पुलिस बर्बरता देखने को मिल रही है। लीडरशीप भ्रष्ट हो तो पुलिस-प्रशासन कैसे ईमानदार एवं अनुशासित होगा? कल ही छोटे परदे पर तब यह देख कर मन को गहरा असन्तोष हुआ जब एक एडीएम तिरंगा लिए गिरे पड़े एक बेरोजगार युवक को रोजगार की मांग करने पर बेरहमी से पीट रहे थे। देश की सेवक, जनता की रक्षक, अपराधियों को सजा दिलाने वाली, कानून व्यवस्था को बनाये रखने वाली पुलिस की इस तरह की बर्बर, क्रूर एवं खौफनाक छवि कोई नयी बात नहीं है। यह खाकी एवं खादी की मिलीभगत का परिणाम है, इसी खाकी के बल पर खादी वाले घौंसपट्टी जमाते हैं और इसी खादी के बल पर खाकी वाले आपराधिक कृत्यों, घालमेल, आर्थिक अनियमितताओं, कमजोरों पर अत्याचार, दमन, लाठीचार्ज और जमीन से लेकर हर तरह के सौदों में हेरफेर को अंजाम देते...
राजमार्गों का निर्माण: लक्ष्य पूर्ति के लिए गुणवत्ता से न हो समझौता

राजमार्गों का निर्माण: लक्ष्य पूर्ति के लिए गुणवत्ता से न हो समझौता

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*रजनीश कपूर राज्य सभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी का एक विडीओ काफ़ी चर्चा में था। प्रश्न के उत्तर में मंत्री जी ने ऐसे कई दावे कर दिए जो यदि समय पर सच हुए तो हर भारतीय का सीना फूला नहीं समाएगा। परंतु सवाल उठता है कि अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए नेताओं द्वारा किए गए ऐसे वादों और दावों में कहीं निर्माण की गुणवत्ता के साथ समझौता तो नहीं हो रहा? पिछले दिनों हुई वर्षा के कारण हिमाचल प्रदेश व अन्य पहाड़ी राज्यों में हुए भूस्खलन की खबरें आपने ज़रूर पढ़ी होंगी। आए दिन ऐसी दुर्घटनाओं में जान-माल का काफ़ी नुक़सान होता है। पहाड़ों पर होने वाली इन दुर्घटनाओं को कुदरत का क़हर कह कर पल्ला झाड़ लिया जाता है। लेकिन सत्य इसके विपरीत है। प्रकृति के साथ छेड़-छाड़ हमें बहुत महंगी पड़ रही है, इस बात के सैंकड़ों उदाहरण मिल जाएँगे। ऐसी दुर्घटनाओं के पीछे ...
विज्ञान-उद्योग सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नया मंच

विज्ञान-उद्योग सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक नया मंच

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नई दिल्ली, 16 अगस्त (इंडिया साइंस वायर): भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) कार्यालय ने एक नया मंच शुरू करने की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य उद्योग और वैज्ञानिक अनुसंधान तथा विकास पारिस्थितिकी तंत्र के बीच सहयोग को बढ़ावा देना है, जिससे संयुक्त राष्ट्र सतत् विकास लक्ष्यों के अनुरूप भारत के स्थिरता लक्ष्यों को पूरा करने में मदद मिल सके। यह घोषणा स्वतंत्रता के 75 वर्ष (आजादी का अमृत महोत्सव) के अवसर पर की गई है। पीएसए कार्यालय के नेतृत्व में, 'मंथन' नामक इस मंच से भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी- आधारित सामाजिक प्रभाव नवाचार और समाधानों के परिदृश्य को संभावित रूप से बदलने की उम्मीद की जा रही है। यह मंच; सूचना विनिमय सत्रों, प्रदर्शनियों और कार्यक्रमों के जरिये भविष्य के विज्ञान, नवाचार एवं प्रौद्योगिकी आधारित विकास की रूपरेखा विकसित करने के लिए ज्ञान हस्त...