भारतीय संसद – लोकतंत्र का मंदिर
भारतीय संसद - लोकतंत्र का मंदिर
हमारे संविधान ने हमें शासन की संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था दी है। जब भारत में इस व्यवस्था की नींव राखी गई, तो कई लोग ये सोचते थे कि भारत की भयावह गरीबी, व्यापक निरक्षरता, विशाल और बहुआयामी आबादी के साथ जाति, पंथ, धर्म और भाषा की विविधता को देखते हुए लोकतंत्र भारत के लिए उपयुक्त नहीं होगा। निराशावाद के वे सभी समर्थक गलत साबित हुए हैं। 26.01.1950 को हमारे संविधान के गठन के बाद से इन सभी वर्षों में काम करने वाला भारत का संसदीय लोकतंत्र समय की कसौटी पर खरा उतरा है और एक कार्यशील लोकतंत्र के रूप में बना हुआ है। भारतीय जनता के विशाल मतदाताओं ने जब भी आवश्यकता होती है, 'जिम्मेदारी और अदम्य ज्ञान' की भारी भावना के साथ लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और समर्पण दुनिया को दिखाया है, उन्होंने अपने मत का इस्तेमाल सत्ता में एक पार्टी को उखाड़ फेंकने के लि...