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क्या MSP किसानों की सब सब समस्याओं की जड़ है ?

क्या MSP किसानों की सब सब समस्याओं की जड़ है ?

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नमष्कार मित्रों आज हम चर्चा करेंगे ।कि कैसे सनातन मिश्रित खेती पूंजीवादी खेती से हरेक पैमाने पर अच्छी है ।पूंजीवादी खेती की तुलना में मिश्रित खेती किसान के लिए भी अधिक उपयोगी है ।और उपभोक्ता के लिए भी अधिक उपयोगी है। हम चर्चा करेंगे कि क्यों और कैसे पूंजीवादी खेती के कारण किसान केवल और केवल सरकार और पूंजीवादी कम्पनीओं पर निर्भर हो रहा है। और मिश्रित खेती किसान को  कैसे आत्महत्या से  बचा सकती है। और मिश्रित खेती से उपभोक्ता को कैसे सही दाम पर रसायन रहित उत्पादन मिल सकता है | आजकल जो खेती की जा रही है। उसमें एक स्थान पर केवल एक ही तरह की फसल उगाई जाती है ।जैसे कि पंजाब में केवल धान और गेहूं की फसल ही उगाई जाती है ।पूंजीवादी खेती का मूल मंत्र है ।कि किसान अपनी सारी की सारी फसल बाजार में बेचे ।और अपनी जरूरत का सारा समान बाजार से खरीदे ।जैसे कि अगर किसान धान और गेहूं बेचता है। तो उसको सब्जी,...
Unfair and anti-constitutional stand of Shiv Sena on setting up film-industry in Noida (UP)

Unfair and anti-constitutional stand of Shiv Sena on setting up film-industry in Noida (UP)

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It refers to opposition by Shiv Sena to decision of UP government to set a big film-industry with all facilities at Greater Noida (near Yamuna expressway) in size double the area presently Bollywood film-industry has available for shooting films and TV serials. India is one nation, and every state has right to take decisions on starting new innovative projects of larger public-interest. As such UP is not snatching anything from Mumbai or Maharashtra. Such opposition was not even witnessed in Jammu and Kashmir when it was full state before abolishing article 370 and 35-A of the constitution. Film-industry is not monopoly of any particular city or state as is being claimed by Shiv Sena. It would have been better if Shiv Sena through its hold on Maharashtra legislature and Bombay civic bod...
एमएसपी की जगह किसान को अगर अपनी फसल का मनमाना दाम चाहिए तो उनको ये काम करने पड़ेंगे

एमएसपी की जगह किसान को अगर अपनी फसल का मनमाना दाम चाहिए तो उनको ये काम करने पड़ेंगे

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१) सामान्यतः देश को जितनी आवश्यकता है उससे दोगुना अनाज उगाया जा रहा है। ऐसे में अनाज गोदामों में सड़ता है व शराब बनाने वाली कम्पनियाँ उनको सस्ते में ख़रीद लेती हैं। बेहतर हो कि किसान कम मात्रा में उगाए किंतु अच्छी गुणवत्ता का अनाज उगाए व ज़ेविक कृषि की ओर बढ़े तो उसको अपनी फसल के दाम मनचाहे मिलने शुरू हो जाएँगे। क्योंकि ऐसे अनाज की माँग अधिक होगी व आपूर्ति काम तो दाम बढ़ेंगे। २) किसान देश में मांसाहार पर प्रतिबंध लगाने अथवा सीमित करने की माँग करे क्योंकि इसके कारण लोग अनाज कम खाते हैं व किसान का अनाज सस्ते में बिकता है। मांसाहार पर प्रतिबंध लगने से अनाज की माँग बढ़ जाएगी व दाम भी। ३) किसान नक़दी फसलें, फल व सब्ज़ी का उत्पादन बढ़ाए जो उसको अतिरिक्त आमदनी करवाएँगे। इसके साथ ही पूर्व की तरह गाय , भेंस आदि दूध देने वाले पशुओं का पालन पुन शुरू करें जो उनकी सेहत भी सुधरेगा और आमदनी भी। ४) छोट...
बिडेन, मोदी और भारत-अमेरिका संबंधों के बदलते आयाम

बिडेन, मोदी और भारत-अमेरिका संबंधों के बदलते आयाम

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बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045 मोबाइल :9466526148,01255281381 जो बिडेन संयुक्त राज्य अमेरिका के अगले राष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने रिपब्लिकन उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को हराया है। वर्तमान दुनिया में अमेरिका सबसे प्रभावशाली देश है, इसलिए अमेरिका में सत्ता परिवर्तन का दुनिया के अधिकांश देशों पर प्रभाव पड़ेगा। भारत कुछ समय के लिए अमेरिका के महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में सामने आ रहा था। अमेरिका में हाउडी मोदी और भारत में नमस्ते ट्रम्प दोनों देशों के नेताओं के बीच घनिष्ठ अंतरंगता का परिणाम थे। इस स्थिति में, अमेरिका में सत्ता परिवर्तन से भारत और अमेरिका के संबंधों के आयाम भी बदल जाएंगे। अपने विजय भाषण में, उन्होंने एकता के एक संदेश पर जोर दिया और कहा कि अब समय आ गया है कि "अमेरिका की आत्मा को ठीक करो और पुनर्स्थापित करो।" मैं एक ...
राजनीतिक बोझ बनती काग्रेस

राजनीतिक बोझ बनती काग्रेस

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कोरोना संक्रमण की शुरूआत से अब तक जो राजनैतिक पार्टी सबसे ज़्यादा प्रताड़ित है वह कांग्रेस पार्टी है। मार्च में जब कोरोना संक्रमण के मामले आने शुरू ही हुए थे कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सत्ता चली गई, जब संक्रमण अपनी चरम पर आया तो राजस्थान में पार्टी में भगदड़ मच गई और अब बिहार चुनाव के साथ अनेक राज्यों में उपचुनाव सम्पन्न हुए, जिसमें पार्टी का निराशाजनक प्रदर्शन जारी है। देश में लगभग साठ वर्षों तक सत्ता सम्हालने वाली पार्टी अब क्षेत्रीय दलों पर भी बोझ हो गई है। बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन पिछले चुनाव से भी खराब रहा, 2015 में भी कांग्रेस राष्ट्रीय जनता दल के साथ गठबंधन में थे और केवल चालीस सीटों पर लड़कर 27 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस चुनाव में भी महागठबंधन के सहयोगी होकर 70 सीटों पर चुनाव लड़ी लेकिन जीतने में सफल केवल 19 सीटों पर मिली। इसका मतलब है कि कांग्रेस पार...
दिल्ली से बेंगलुरु और मुंबई से कोलकत्ता : शेने शेने क्षरण

दिल्ली से बेंगलुरु और मुंबई से कोलकत्ता : शेने शेने क्षरण

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यह आँकलन करना सबसे मुश्किल होगा कि भारतीयता व सनातन संस्कृति को सबसे अधिक चोट किसने पहुँचाई यूरोपीय ईसाई देशी ने ,अरबी मुस्लिम देशों ने या अमेरिकी बाज़रबाद और चीनी व्यापार ने। मगर हम शाश्वत मुसीबत व संघर्ष से घिरे हैं। कश्मीर में गुपकार गैंग तो खुल्लमखुल्ल्ला चीन और पाकिस्तान से पींगे बढ़ा ही रहा है इधर दिल्ली और बंगलुरु में हाल ही में हुए सुनियोजित दंगो जिसमें पीएसआई व तबलिगी जमात की खुली भागीदारी व अरब देशों से आर्थिक सहायता के खेल सामने आए और दक्षिणपंथी भाजपा की सरकार तक को उनसे मुक़ाबला करना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में महाराष्ट्र और पश्चिमी बंगाल में क्या हो रहा होगा इसकी कल्पना मात्र से ही रूह काँपती है। यह बहुत चौंकाने वाली बात है कि दोनो ही प्रदेशों में एक आपसी कदमताल दिख रही है भारत और भारतीयता विरोधी कार्यों में। आज बंगाल पर मुस्लिम परस्त राजनीति करने वाली ममता बनर्जी का राज है...
हाथरस पर हल्ला करने वाले कौन

हाथरस पर हल्ला करने वाले कौन

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उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित कन्या के साथ बलात्कार और हत्या से सारा देश गुस्से में है। यह स्वाभाविक ही है। अब उत्तर प्रदेश सरकार से यही अपेक्षा की जाती है कि वह पकड़े गए आरोपियों को वही सजा दिलवाएगी जो निर्भया के दोषियों को मिली थी। लेकिन, इस जघन्य कृत्य में भी कुछ लोग जाति खोजने से बाज नहीं आए। यह वास्तव में दुखद है। ये अपने को दलितों का शुभचिंतक मानते हैं।  इनमें कुछ राजनीतिक दल और गुजरे जमाने के सरकारी बाबू भी शामिल हैं। ये कभी इन तथ्यों को देश के सामने नहीं लाते कि कुछ साल पहले ही एक दलित लड़की यूपीएससी की परीक्षा में भी टॉपर रही थी, युवराज वाल्मिकी जैसे दलित भारत की हॉकी टीम से खेल रहे हैं,  देश भर में दलित डॉक्टर, इंजीनियर और जीवन के अलग-अलग क्षेत्रों में सफल भी हो रहे हैं। देश के राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी भी दलित समाज से ही आते हैं। अच्छी बात यह है कि इन्हें करारा जवाब भ...
ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

ईसा और मूसा का तीसरा विश्व युद्ध: चीन – अमेरिका के बीच या चीन – रुस के बीच या फिर अमेरिका- रुस के बीच?

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क्या पहले और दूसरे विश्व युद्ध की कोई ओपचारिक घोषणा हुई थी ?  नहीं न। तो तीसरे विश्व युद्ध की ओपचारिक घोषणा का इंतज़ार क्यों? पिछले एक बर्ष में ज़ेविक हथियार से चीन ने दुनिया की कमर तोड़ दी। अब चीन का प्यादा तुर्की अजरबेजान के कंधे पर बंदूक़ रखकर रुस और फ़्रांस के प्यारे आर्मीनिया को बर्बाद करने पर तुला है। अब तक १५ हज़ार लाशें बिछ चुकी हैं। सच्चाई यह है कि यह बहुत थोड़ी सी तबाही है। अब इस खेल में अलक़ायदा और आइएसआइएस की ज़बरदस्त एंट्री हो चुकी है और दुनिया के सारे ईसाई व मुस्लिम राष्ट्र इस धर्म युद्ध या सभ्यताओं के संघर्ष में शामिल होते जा रहे हैं। प्रबल संभावना है कि अब इस युद्ध में पुराने गठजोड़ व गठबंधन टूटे जाएँगे व नए बनते जाएँगे। जंग का मैदान नित नयी उलटबाँसिया देख रहा है। अब यह भयावह रूप लेने वाला है क्योंकि अनेक महाशक्तियाँ इसमें प्रवेश करने वाली हैं। १) अमेरिका की रिपब्लिकन ख़ेम...
किसानों की यह कैसी लड़ाई जिसे किसानों का ही समर्थन नहीं ?

किसानों की यह कैसी लड़ाई जिसे किसानों का ही समर्थन नहीं ?

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ऐसा पहली बार नहीं है कि सरकार द्वारा लाए गए किसी कानून का विरोध कांग्रेस देश की सड़कों पर कर रही है। विपक्ष का ताजा विरोध वर्तमान सरकार द्वारा किसानों से संबंधित दशकों पुराने कानूनों में संशोधन करके बनाए गए तीन नए कानूनों को लेकर है। देखा जाए तो ब्रिटिश शासन काल से लेकर आज़ादी के बाद आज तक हमारे देश की आधी से ज्यादा आबादी कृषि पर निर्भर होने के बावजूद हमारे देश में किसानों की हालत दयनीय है। कर्ज़ में डूबे किसानों की आत्महत्या के आंकड़े खुद इस तथ्य की सच्चाई बयाँ करते हैं। किसानों की इस दयनीय हालात से देश पर सबसे अधिक समय तक सत्ता में रहने का गौरव प्राप्त करने वाली कांग्रेस अनजान हो ऐसा भी नहीं है। यही कारण है कि वो कांग्रेस जब 70 सालों बाद देश से अपने लिए वोट मांगती है तो सरकार बनने के 100 दिनों के भीतर किसानों की कर्जमाफी का वादा करती है। यह अलग खोज का विषय है कि जिन राज्यों में वो ...
मध्य एशिया बनने जा रहा है तीसरे विश्व युद्ध का पहला मैदान

मध्य एशिया बनने जा रहा है तीसरे विश्व युद्ध का पहला मैदान

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  ईसाईयत (आर्मीनिया) पर इस्लाम ( अजरबेजान) का हमला हो चुका है। आर्मीनिया के साथ इसराइल, अमेरिका फ़्रांस, ब्रिटेन व भारत आदि नाटो देश हैं तो अजरबेजान के साथ इस्लामिक जगत का स्वयंभू ख़लीफ़ा तुर्की,पाकिस्तान ईरान, उत्तरी कोरिया व चीन जैसी ताक़तें हैं। प्रथम विश्वयुद्ध (१९१४-१८)के बाद ४० देशों में बंटे ख़लीफ़ा ऐ इस्लाम तुर्की ( ऑटमन गणराज्य) को मित्र देशों ने युद्धोपरांत संधि के अंतर्गत सौ साल तक अपमानजनक संधि से बांधकर रखा हुआ था , जो अब पूरी होने जा रही है। इसीलिय मध्य एशिया में उबाल है।कोई बड़ी बात नहीं कि यह चिंगारी यूरोप को भी लपेट ले।विश्व के सबसे बड़े युद्ध क्षेत्र में हो रही यह लड़ाई चंद दिनो के अंदर विश्व युद्ध की शुरुआत मानी जाएगी। इस क्षेत्र में इसराइल बहुत आक्रामक हो ही चुका है और अपने दुश्मन चीन समर्थक इस्लामिक देशी को निशाना बना ही रहा है। अमेरिका पहल पर यूएई से संधि ...