Shadow

CURRENT ISSUE

किसने जलाया बेंगलुरु को

किसने जलाया बेंगलुरु को

addtop, BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, Today News, राष्ट्रीय
भारत की आईटी राजधानी बेंगलुरु के कुछ इलाकों में विगत मंगलवार को एक छोटी सी बात को लेकर जिस तरह से सांप्रदायिक हिंसा को भड़काया गया, उसके दोषी बच के न निकल सकें, यह राज्य सरकार को सख्ती से सुनिश्चित करना होगा। उन पर कठोरतम एक्शन हो ताकि आगे से ऐसा दंगा-फसाद करने के संबंध में कोई सोचे भी नहीं। बेंगलुरु की हिंसा में कुछ मासूमों की जानें भी गई, तमाम निर्दोष लोग घायल हुए और सरकारी संपत्ति को भारी नुकसान हुआ। सबसे अहम बात यह है कि सारी दुनिया में इस हिंसा का बेहद गलत संदेश गया। बेंगलुरु में लाखों विदेशी पेशेवर रहते हैं। जरा सोचिए कि उनके और उनके विदेशों में रह रहे परिवार के जेहन में किस तरह की छवि बनी होगी बेंगलुरु और भारत की इस हिंसा के कारण। बेगलुरू जैसे आधुनिक महानगर में उपद्रवियों ने जगह-जगह गाड़ियों को आग लगाई और एटीएम तक में तोड़फोड़ की गई। उन्होंने कांग्रेस के विधायक के घर पर हमला भी किय...
क्या नई शिक्षा नीति से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे?

क्या नई शिक्षा नीति से शिक्षा क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन आएंगे?

addtop, BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, Today News, TOP STORIES, Uncategorized, राज्य, विश्लेषण, समाचार, सामाजिक
  (हमारे प्राचीन शैक्षिणिक इतिहास, उपलब्धियों, गलतफहमी का जायजा लेने और 21 वीं सदी के भारत के लिए भविष्य की शिक्षा योजना का चार्ट सही समय परआया है। पेशेवर योग्य शिक्षकों की कमी और गैर-शैक्षिक उद्देश्यों के लिए शिक्षकों की तैनाती में वृद्धि ने हमारी शिक्षा व्यवस्था को त्रस्त कर दिया है।)   भारत में ज्ञान प्रदान करने की एक अति समृद्ध परंपरा रही है। 'गुरुकुल' प्राचीन भारत में एक प्रकार की शिक्षा प्रणाली थी जिसमें एक ही घर में गुरु के साथ रहने वाले शिष्य (छात्र) थे। नालंदा इस  दुनिया में शिक्षा का सबसे पुराना विश्वविद्यालय-तंत्र था। दुनिया भर के छात्र भारतीय ज्ञान प्रणालियों से आकर्षित और अचंभित थे। आधुनिक ज्ञान प्रणाली की कई शाखाओं की उत्पत्ति भारत में हुई थी। प्राचीन भारत में शिक्षा को एक उच्च गुण माने ज...
क्यों नहीं सारे अफगान-पाक में प्रताड़ित सिख आ जाते भारत

क्यों नहीं सारे अफगान-पाक में प्रताड़ित सिख आ जाते भारत

addtop, BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय, विश्लेषण, समाचार
अफगानिस्तान में राक्षसी प्रवृति वाले तेजी से पनप रहे तालिबानियों के चंगुल से आजाद होने के बाद सिखों का एक जत्था दिल्ली पहुंच गया है। अब भारत में नागरिकता संशोधन कानून के तहत इन्हें नागरिकता मिले में आसानी हो जायेगी। अफगानिस्तान में हिन्दू और सिखों का रहना वैसे भी अब पूरी तरह नामुमकिन हो गया है। इन पर तालिबानी गुंडे बेहिसाब जुल्मों-सितम करते ही रहते हैं। इन्हें इस्लाम स्वीकार करने के लिए प्रताड़ित करते हैं। इनकी कन्याओं का अपहरण करके जबर्दस्ती विवाह करवाकर उन्हें इस्लाम कुबूल करवाया जाता है। अगानिस्तान में हिन्दू मंदिर तो अब शायद ही कोई बचा हो। कुछ गुरुद्वारे अवश्य बचे हैं। वहां पर  आये दिनों हिन्दू और सिखों का कत्लेआम जारी है। कुछ दशकों के अंतराल के दौरान ही अफगानिस्तान तालिबान के बढ़ते असर के कारण तबाह हो गया। यकीन मानिए कि वह पाकिस्तान के विपरीत एक सामान्यतः उदारवादी देश था। सत्तर के दशक...
Is Zakir Naik is finding Pakistan as his final Shelter

Is Zakir Naik is finding Pakistan as his final Shelter

addtop, BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, Today News, TOP STORIES, Uncategorized, राष्ट्रीय, समाचार
Zakir Naik, a self proclaimed scholar of Islam is actually a hypocrite and mischievous person. He is incorrigible, restraining himself to improve his attitude and misbelief. Change is against his nature. Seizing every moment in India and vomiting controversial statements in order to divide the society, Zakir Naik has now stated from his Malaysian shelter that Pakistani government should deny the permission to construct a Hindu temple at Islamabad. If this is realised, it will be a non-islamic act. He should be questioned, why is he actually worrying about this and guiding Pakistani government unnecessarily on this matter? But he is an expert in making the atmosphere poisonous for no reason. What else can be expected from a poisonous person mischievous guy. His blood and mind is filled with...
कंपनियों के चक्रव्यूह में फंसा भारत

कंपनियों के चक्रव्यूह में फंसा भारत

addtop, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, आर्थिक, विश्लेषण, समाचार
कम्पनियों के मकड़जाल में भारत सही दुनिया के तमाम देश व इस लोकतंत्र की चक्रव्यूह में विश्व के सभी लोकतांत्रिक देश पिस रहे हैं पर उनके बनाए हुए इस चक्रव्यूह को भेदने करने का किसी के पास ताकत नहीं रह गई है विश्व भर में इनके बनाए हुए सारे सिस्टम पूरी दुनिया को रेगुलेट करने का एक साधन बन करके रह गया है कंपनियों के भरोसे मीडिया जो जनमानस को रेगुलेशंस करती है और मीडिया पर भरोसा करने के लिए ये education system उनको तैयार करता है मानसिक गुलामी के लिएभारत की कोई कंपनी विश्व की किसी बड़ी कंपनी को खरीदती है तो ये हर भारतवासी के लिए गर्व की बात है। . आपको क्या लगता है ? गर्व करना चाहिए या नहीं ? . अब आपको याद होगा कि टाटा स्टील ने यूरोप की सब से बड़ी स्टील कंपनी कोरस खरीदी थी 14 बिलियन डॉलर में (14.2 अरब डॉलर)। तब ये सौदा विश्व के दस सबसे “अच्छे सौदों” में से एक था टाइम्स मैगजीन , फ़ोर्ब्स , मूडी ...
Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

Consumer Protection Act 2019 coming into force is incomplete without amending rules for packaged commodities and incorporating provisions for suggestions from consumers

addtop, BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, Today News, TOP STORIES, Uncategorized, आर्थिक, राज्य, विश्लेषण, समाचार
Consumer Protection Act 2019 has come into force from 20.07.2020 with several added features to safeguard interests of consumers. But big question is why some basic root-level changes are not incorporated either in the Act itself or by simultaneous modifications in existing system. National Anti-Profiteering Authority (NAPP) presently working under Department of Revenue should be shifted to Department of Consumer Affairs. Unfortunately there is no provision of entertaining feedback and suggestions coming from experts either by NAPP or by so many bodies constituted under Consumer Protection Act 2019. There must be some body which may have power to study and implement suggestions (if feasible) so that problems may not arise at root-level required to be tackled by NAPP or other bodies cons...
Demoralising and demeaning the achievers

Demoralising and demeaning the achievers

BREAKING NEWS, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, Uncategorized, राज्य, विश्लेषण, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक
It is happening this year again as was expected. The moment the 10th and 12th results were released, the so called pseudo-intellectuals jumped into the meaningless debate, similarly as the frogs come out from ground in rainy season. These so called erudite following their usual agenda to devalue or defame those who have secured high marks and to console those who got comparatively lesser marks. They, in order to dishearten and demoralise those who have endeavour hard, are questioning about the possibility of securing 98 and 99 percent marks. They are ignoring the fact that at only hand may excelle. On the other hand, thousands of students have failed also. Hundreds of thousands of them have  secured below 50 percent marks. It is hard to believe, when some so called intellectuals gone to t...
कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

कोविड-19 महामारी में महिलाधिकार क्यों अधिक खतरे में?

addtop, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, Today News, TOP STORIES, राष्ट्रीय, विश्लेषण, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
वर्तमान कोरोना वायरस रोग (कोविड-१९) महामारी के कारणवश इस वर्ष का विश्व जनसंख्या दिवस बहुत ही प्रासंगिक और सामयिक रहा क्योंकि राष्ट्रीय महिला आयोग के अनुसार, कोविड-१९ महामारी से सम्बंधित तालाबंदी के दौरान महिला-हिंसा और प्रताड़ना में बढ़ोतरी ही हुई है. भारत की प्रख्यात महिलाधिकार कार्यकर्ता, हार्वर्ड विश्वविद्यालय की अनुबद्ध प्रोफेसर और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया से जुड़ीं डॉ गीता सेन ने इस बात पर दुःख जताया कि कोविड-१९ महामारी के चलते एशिया पैसिफिक देशों (जिसमें भारत भी शामिल है) में महिलाओं/ किशोरियों से सम्बंधित अनेक प्रचलित हानिकारक प्रथाओं के जोखिम को बढ़ावा मिला है, जैसा कि संयुक्त राष्ट्र के यूएनएफपीए की स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पापुलेशन रिपोर्ट २०२० में कहा गया है. महामारी के दौरान महिला-हिंसा की समानांतर महामारी करीब ४० सालों से महिलाधिकार के लिए समर्पित डॉ गीता सेन ने बताया कि म...
21वीं शताब्दी के डिजिटल दौर पर वैदिक ‘चश्मा’!

21वीं शताब्दी के डिजिटल दौर पर वैदिक ‘चश्मा’!

addtop, CURRENT ISSUE, EXCLUSIVE NEWS, मल्टीमीडिया, राज्य, समाचार, संस्कृति और अध्यात्म, सामाजिक, साहित्य संवाद
21वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में आईटी क्रान्ति का डिजिटल दौर चल रहा है। पेपरलैश कारोबार को तब निर्ग्रन्थ व्यवस्था थी जो स्मृतिपटल पर चिरस्थाई रूप से सुरक्षित होती थी और सतत् अपग्रेड होती रहती थी। कैशलैश पुरानी परम्परा रही, व्यक्ति की क्रेडिट कार्ड के रूप में व्यक्तित्व नगदी के बगैर जीवन निर्वाह का आधार था। कृषि प्रधान देश में समाज का प्रत्येक वर्ग बिना नगद व्यवहार के सेवा भाव से स्वाभाविक वर्णाश्रम धर्म का निर्वाह करता था, फसल उठने पर बिना लिखापढ़ी के ही प्रत्येक क्रिया कलाप का वार्षिक लेन देन वहैसियत अपग्रेट होता था। तब साइबर क्राइम का खतरा कतई नहीं था। इसी क्रम में कुछेक विन्दुओं को अतीत से वर्तमान का तुलनात्मक विश्लेषण करने का प्रयास है, प्रकृतिवादी अतीत के उस दौर में प्राकृतिक घटक पशु-पक्षी, जल-वायु, आदि दैवीय आपदा का पूर्वानुमान लगाकर संकेत देने की सामथ्र्य रखते है। दरअसल ‘‘दुनिया को ...