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Celebrating International Women Day on 8th March in India: What about women-reservation?

Celebrating International Women Day on 8th March in India: What about women-reservation?

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Various government-departments, public-sector-undertakings and others like previous years have fulfilled formality of celebrating International Women Day on 08.03.2017 apart from some other gimmicks like all-women flights, all-women bank-branches etc. But all this can never give Indian women their justified right with bosses of many political parties united together to deny legitimate right of women for 33-percent reservation in legislature even despite that fact that political parties openly supporting women-reservation-bill have more than three-fourth strength in both Houses of Parliament separately. Political parties opposing women-reservation cry for reservation on man-made aspects like religion and cast evidently for vote-bank politics, but oppose reservation to women which still rema...
SAVDHAN INDIA AND DASTAK

SAVDHAN INDIA AND DASTAK

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(All that is necessary for evil to succeed is, for good men to do nothing---Edmund Burke.) (By Dr V S Karnik)(Dec 2014) After watching FIFA football matches for a month at night regularly, once the matches were over, there was nothing much for me to watch on TV. Suddenly, I came across two TV serials, based on real crime stories in India. The names of these serials are “Sawadhan India” and “Dastak. “, showing real crime cases of India. The meaning of “Sawadhan India” is to alert people, as somewhere crime is taking place. “Dastak” means that, a criminal, before actually committing a crime, gives some indications about the impending crime, by his pattern of behaviour. Dastak is equivalent to indications of what is going to happen. These real stories and the headings kept me thinking...
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद का बीसीसीआई

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद का बीसीसीआई

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आईपीएल के दसवें संस्करण से ठीक पहले बीसीसीआई के आला पदाधिकारियों के रहने की जरूरत का न तो अहसास हो रहा है न ये लग रहा है कि अगर वो होते कुछ अनूठा कर बैठते। हां, ये जरूर है कि 20 फरवरी को जब आईपीएल के लिए खिलाडिय़ों की नीलामी हुई तो न ज्यादा ग्लैमर था और न ही क्रिकेट बोर्ड अधिकारियों की फोटो खिंचवाती हुई पलटन। लेकिन ये सबकुछ बहुत ही सुव्यवस्थित तरीके से हो गया। बीसीसीआई के वो सूरमा, जो लगातार खबरों में रहते थे, अपने पॉवर पर इतराते थे। वो सभी अपने घरों में बैठे हुए हैं। वो पदाधिकारी, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दावे किए थे कि लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें बीसीसीआई के लिए अहितकारक होंगी, अब खुद देख रहे होंगे कि बीसीसीआई को उनके नहीं रहने से कोई झटका नहीं लगा है और न ही उसका काम उनके नहीं होने से प्रभावित हुआ है। ज्यों ज्यों सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासक क्रिकेट बोर्ड की प्रणाली और संरचना को ...
किसने यूपी के दलित नौजवानों को नहीं बनने दिया उद्यमी

किसने यूपी के दलित नौजवानों को नहीं बनने दिया उद्यमी

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मायावती और अखिलेश एक बार फिर से उत्तर प्रदेश के दलितों को छलने के लिए तैयार खड़े हैं। उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव के तीन चरण पूरे हो चुके हैं चार बाकी हैं। इन दोनों मुस्लिमपरस्त नेताओं ने फिर से दलितों और मुसलमानों को अपने हक में वोट देने के लिए लुभावानी कसरतें करनी शुरू कर दी है। पर अब उनसे कुछ सवाल पूछने का मन कर रहा है। यह अहम सवाल उनसे उत्तर प्रदेश की जनता  तो जगह-जगह पूछ रही है। उनसे पूछा जा रहा है कि उन्होंने दलितों को आरक्षण का मोहताज क्यों बना दिया? उन्होंने दलित नवजवानों के स्वरोजगार और उद्यम के लिए क्या ठोस पहल की? और उनसे ये भी पूछा जा रहा है कि उन्होंने पसमांदा मुसलमानों को अंधेरे में क्यों रखा? कायदे से देखा जाए तो दलितों, पिछड़ों या समाज के किसी भी अन्य उपेक्षित वर्ग के हितों में बोलना कतई गलत नहीं है। उनके सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक उत्थान की मांग तो आज के समय की मांग है। ...
आपसी खींचतान से अस्थिर तमिलनाडु

आपसी खींचतान से अस्थिर तमिलनाडु

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जब जयललिता की मृत्यु हुयी थी तभी इस बात की आशंका व्यक्त होने लगी थी कि क्या अब उनके उत्तराधिकारी पांच साल सरकार चला पाएंगे? 2016 में हुये विधानसभा चुनावों में तमिलनाडु की जनता ने जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके को पूर्ण बहुमत दिया था। जयललिता सिर्फ छह माह ही इस सरकार का नेतृत्व कर पाईं। उनके उत्तराधिकारी के रूप में पनीरसेलवम का चुना जाना उनकी करीबी शशिकला को पसंद नहीं आया। सिर्फ दो माह में ही तमिलनाडु में इस तरह का घटनाक्रम पैदा कर दिया गया जिसमें शशिकला को जेल जाना पड़ा और पनीरसेल्वम मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाये जा चुके हैं। तमिलनाडु की राजनीति पर पैनी नजऱ रखते हुये विशेष संवाददाता अमित त्यागी पूरे घटनाक्रम पर प्रकाश डाल रहे हैं। मिलनाडु की राजनीति एक लंबे समय से क्षेत्रीय दलों के बीच सिमटी हुयी है। वर्तमान में करुणानिधि की डीएमके और जयललिता की एआईएडीएमके दो ऐसे दल हैं जिन्होंने सत्ता क...
Rajiv Gandhi Trust land grab ghotala — Shalini Singh wonders why NDA…

Rajiv Gandhi Trust land grab ghotala — Shalini Singh wonders why NDA…

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If Congress vice-president Rahul Gandhi is guilty of crying wolf over instances of alleged "personal corruption" by Prime Minister Narendra Modi and dilly-dallying over producing "concrete evidence", the latter is perhaps guilty of the reverse: sitting on substantial ammunition already available against the Gandhi family. A case in point is the allotment of prime panchayat land to the Rajiv Gandhi Charitable Trust (RGCT) in Haryana during the chief ministership of Congressman Bhupinder Singh Hooda. The five-acre prime property on the Gurgaon-Faridabad highway – a real estate gold mine – was allotted to the trust for constructing an eye hospital for the poor. The RGCT is headed by Congress president Sonia Gandhi. Manoj Muttu is the trustee/administrator, while the other trustees inclu...
SCIENTIFIC REASON BEHIND HINDU TRADITION

SCIENTIFIC REASON BEHIND HINDU TRADITION

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Joining Both Palms Together To Greet In Hindu culture, people greet each other by joining their palms – termed as “Namaskar.” The general reason behind this tradition is that greeting by joining both the palms means respect. However, scientifically speaking, joining both hands ensures joining the tips of all the fingers together; which are denoted to the pressure points of eyes, ears, and mind. Pressing them together is said to activate the pressure points which helps us remember that person for a long time. And, no germs since we don’t make any physical contact!   2. Why Do Indian Women Wear Toe Ring image courtesy Wearing toe rings is not just the significance of married women but there is science behind it. Normally toe rings are worn on the second toe. A particular nerve f...
Eight anti-India intellectuals and academics you must be aware of

Eight anti-India intellectuals and academics you must be aware of

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1. Angana Chatterji Books: Violent Gods: Hindu Nationalism in India’s Present; Narratives from Orissa Land and Justice: The Struggle for Cultural Survival in Orissa Pronouncements:  In Gujarat, Hindu extremists killed 2,000 people in February-March of 2002. Muslims live in fear there, victims of pathological violence. Raped, lynched, torched, ghettoised. A year and half later, Muslims in Gujarat are afraid to return to their villages, many still flee from town to town. Ghosts haunted by history. Country, community, police, courts — institutions of betrayal that broker their destitution. This is India today. Grassroots movements in resistance to the debacle of nation making are combating the sangh. Where Dalits, Adivasis and others are allied in subalt...
होली के रंगों का आध्यात्मिक महत्व

होली के रंगों का आध्यात्मिक महत्व

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होली भारत का एक विशिष्ट सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक त्यौहार है। अध्यात्म का अर्थ है मनुष्य का ईश्वर से संबंधित होना या स्वयं का स्वयं के साथ संबंधित होना है। इसलिए होली मानव का परमात्मा से एवं स्वयं से स्वयं के साक्षात्कार का पर्व है। होली रंगों का त्यौहार है। रंग सिर्फ प्रकृति और चित्रों में ही नहीं हमारी आंतरिक ऊर्जा में भी छिपे होते हैं, जिसे हम आभामंडल कहते हंै। एक तरह से यही आभामंडल विभिन्न रंगों का समवाय है, संगठन है। हमारे जीवन पर रंगों का गहरा प्रभाव होता है, हमारा चिन्तन भी रंगों के सहयोग से ही होता है। हमारी गति भी रंगों के सहयोग से ही होती है। हमारा आभामंडल, जो सर्वाधिक शक्तिशाली होता है, वह भी रंगों की ही अनुकृति है। पहले आदमी की पचहान चमड़ी और रंग-रूप से होती थी। आज वैज्ञानिक दृष्टि इतनी विकसित हो गई कि अब पहचान त्वचा से नहीं, आभामंडल से होती है। होली का अवसर अध्यात्म के लोगों के...
दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

दिल दिया है जान भी देंगे ऐ वतन तेरे लिए

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देश के प्रथम उप-प्रधानमंत्री लोहपुरूष सरदार वल्लभभाई पटेल ने पहले गणतंत्र दिवस के अवसर पर कहा था कि भारत के इतिहास का एक नया अध्याय हमारे सामने खुल रहा है। हमारे पास अपने आप को बधाई देने की वजह है कि हम सब इस मुबारक मौके के भागीदार बन रहे हैं। यह हमारे लिए गर्व का भी अवसर है। लेकिन इस गौरव बोध और जश्न के साथ हमें अपने कर्तव्यों और दायित्वों को भी याद रखने की जरूरत है। हमें अपने-अपने दिल व दिमाग को साफ करके खुद से, नए गणराज्य से और देश से यह वादा करना चाहिए कि हम ईमानदार आचरण करेंगे। हमें याद रखने की जरूरत है कि हम कौन हैं, हमें क्या विरासत मिली है और हमने क्या हासिल किया है? राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का कहना है कि नकदी रहित लेन-देन होने से अर्थव्यवस्था में पारदर्शिता बढ़ेगी। 25 जनवरी को गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि 2016-17 की शुरूआत में ...