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पैसे और मादक पदार्थों का वोटों पर ग्रहण!

पैसे और मादक पदार्थों का वोटों पर ग्रहण!

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वोट की राजनीति ने पूरा अपराध जगत खड़ा किया हुआ है। मतदान जैसी पवित्र विधा भी आज असामाजिक तत्वों के हाथों में कैद है। पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान पकड़ी गई नगदी, शराब और अन्य मादक पदार्थों के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। कब जन प्रतिनिधि राजनीति को सेवा और संसद को पूजा स्थल जैसा पवित्र मानेंगे? कब लोकतंत्र को शुद्ध सांसें मिलेंगी? कब तक वोटो की खरीद फरोख्त होती रहेगी? सभी दल एवं नेता अभाव एवं मोह को निशाना बनाकर नामुमकिन निशानों की तरफ कौम को दौड़ा रहे हैं। यह कौम के साथ नाइन्साफी है। क्योंकि ऐसी दौड़ आखिर जहां पहुंचती है वहां कामयाबी की मंजिल नहीं, बल्कि मायूसी का गहरा गड्ढ़ा है। चुनाव का समय देश के भविष्य-निर्धारण का समय है। लालच और प्रलोभन को उत्तेजना देकर वोट प्राप्त करना चुनाव की पवित्रता का लोप करना है। इस तरह वोट की खरीद-फरोख्त होती रहेगी तो देश का रक्षक कौन होगा? पांच राज्यों...
माँग का सिन्दूर और उसकी उपयोगिता

माँग का सिन्दूर और उसकी उपयोगिता

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माँग में सिन्दूर लगाने की प्रथा अति प्राचीन है । सौभाग्यवती महिलाओं के सोलह श्रृृंगार में से एक श्रृंगार माथे पर माँंग में सिन्दूर लगाना भी है। हमारे समाज में वैदिक रीति की विवाह पद्धति में मंडप में कन्यादान विधि संपन्न्ा होने के बाद वर, वधू की माँग में सिन्दूर लगाता है तथा उसे मंगल सूत्र पहनाता है। इसके पश्चात कन्या अखण्ड सौभाग्यवती कहलाती है । सिन्दूर भारतीय समाज में पूजन-सामग्री का एक प्रमुख घटक है । देवी पूजन में माँ पार्वती, माँ दुर्गा के नौ रूप, माँ सीता तथा अन्य शक्ति स्वरूपा माताओं के पूजन में सिन्दूर का अपना एक विशेष महत्व है । देवी पूजन में सिन्दूर सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। आज भी नवविवाहिता अपनी मांग के अंदर सिंदूर बड़ी कुशलता पूर्वक लगाती है । सिन्दूर लगाने की प्रथा दक्षिण भारत की अपेक्षा उत्तर भारत में अधिक प्रचलित है । सिन्दूर माँ लक्ष्मी का भी प्रतीक है । इसीलिये गृह-लक...
Meaning and Significance of Vedic Caste System

Meaning and Significance of Vedic Caste System

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The Vedic Caste System during Ancient Indian Period.       Meaning and Significance of Vedic Caste System The institution of the Vedic caste system of Ancient India which is found among the Hindus has no parallel in the world. The ancient Iranians had some class divisions. But the Hindu caste system with hereditary castes, interdict on intermarriage and inter-dining among various castes is unique. The Vedic caste system in its extreme form makes the lower classes untouchable to the higher classes. This strange social system warrants our study in regard to the origin and development of Ancient Vedic Caste System of India. Three Stages of Evolution When the Aryans first came to India perhaps they did not know the caste system. Scholars have traced three principal stages of evolution ...
चुनाव सुधार : बस, चार कदम चलना होगा

चुनाव सुधार : बस, चार कदम चलना होगा

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  जनगणना-2011 के अनुसार, कुल भारतीय ग्रामीण आबादी में से 74.5 प्रतिशत परिवारों की आय पांच हजार रुपये प्रति माह से कम है। इसके विपरीत भारत की वर्तमान केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के 78 मंत्रियों में से 76 करोड़पति हैं। राज्य विधानसभाओं के 609 मंत्रियों में से 462 करोड़पति हैं। स्पष्ट है कि भारत की जनता गरीब है, किंतु वह जिन्हे चुनकर भेज रही है, वे अमीर हैं। आम भारतीय इरादतन अपराधी नहीं है। किंतु भारत सरकार की केन्द्रीय मंत्रिपरिषद के 78 मंत्रियों में से 24 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। राज्य सरकारों के 609 मंत्रियों से 210 मंत्रियों के खिलाफ आपराधिक मामले हैं। इसका मतलब है कि गैर अपराधी जनता करीब-करीब 33 प्रतिशत अपराधियों को चुनकर भेज रही है।    उक्त चित्र, लोकतंत्र की मूल आस्था के विपरीत है। उक्त चित्र के मद्देनजर भारत में चुनाव सुधार का मुख्य मुद्दा फिलहाल एक ही है कि चुनाव में बाहुबल और धनबल क...
Palaniswami winning vote of confidence in TN

Palaniswami winning vote of confidence in TN

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AIADMK politics in Tamilnadu revolves for real follower and political heir of J Jayalilatha. Big question how Sasikala can claim to be political heir of J Jayalalitha when she did not object to O Paneerselvan taking charge as Chief Minister of Tamilnadu during illness of J Jayalalitha. Moreover before going to jail following the Supreme Court verdict on 16.02.2017, he took back withdrawal of her close relatives from the party who were expelled about five years back by none other than J Jayalalitha herself. All this proves that Sasiskala in no way is political heir of J Jayalalitha. Palaniswami winning confidence vote as Chief Minister of Tamilnadu on 18.02.2017 through MLAs supporting him brought direct to the state-assembly for floor-test from the resort where they were kept as hostages, ...
The unbridled audacity of our babus

The unbridled audacity of our babus

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The Indian bureaucracy is notorious for inventing outrageous ways of self-aggrandisement. However, nothing demonstrates its unbridled audacity for disregarding all civilised norms of probity than the disreputable Non Functional Upgrade (NFU) scheme. One must doff one’s hat to the ingenuity of the bureaucracy to loot the nation. Simultaneously, the political leadership needs to be pitied for a total lack of spine to check this blatant delinquency. Bureaucracy rules the roost.   The Sixth Central Pay Commission, in its March 2008 report, recommended introduction of NFU to reward civil servants of 49 ‘Organized Central Group A Civil Services’ with automatic time-bound pay promotions till the Higher Administrative Grade. Subsequently, it was made applicable to the IPS and the Indian...
चुनावी अनुष्ठान में अनिवार्य मतदान जरूरी क्यों?

चुनावी अनुष्ठान में अनिवार्य मतदान जरूरी क्यों?

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उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, मणिपुर के विधानसभा चुनावों में एक बार फिर मतदाता को अपने भाग्य का फैसला करने का अधिकार मिला है। यदि मतदाता सशक्त  और स्वस्थ लोकतंत्र चाहता है तो उसे कम-से-कम मतदान में उत्साह का प्रदर्शन करना होगा और अधिकतम मतदान को संभव बनाना होगा। मतदान के प्रति मतदाता की उदासीनता ने ही लोकतंत्र को कमजोर बनाया है। अनेक मोर्चाें पर अधिकतम मतदान के लिये प्रयास किये जा रहे हैं, विशेषतः युवापीढ़ी इसके लिये जागरूक हुई है यह एक शुभ संकेत है। यही कारण है कि विधानसभा चुनावों के पहले चरण में पंजाब और गोवा में क्रमशः 78.6 और 83 प्रतिशत मतदान हुआ। इसके लिए चुनाव आयोग और ‘आओ मतदान करे’-अभियान से जुडे़ विभिन्न पक्ष बधाई के पात्र है। चुनाव आयोग को तो इसके लिये व्यापक प्रयत्न करने ही होंगे, जैसाकि इस बार उसने गोवा में पहली बार मतदान करने वाली लड़कियों को टैडी बियर और लड़कों को पेन बां...
हिंदू फारसी तो दलित गैर संवैधानिक शब्द

हिंदू फारसी तो दलित गैर संवैधानिक शब्द

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आज हमारे देश में दो शब्दों को लेकर समाज में एक बड़ी भ्रांति फैली हुई है। पहला हिंदू और दूसरा दलित। ये दोनों शब्द समाज की संरचना में दो विपरित ध्रुव के वाहक के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है। दो अलग-अलग ध्रुवों की पहचान के चलते ही ये दोनों शब्द न केवल समाजगत बाधाओं में उलझे हुए है बल्कि समय-समय पर विवाद के रूप में भी सामने आए है। इसके इतर इन शब्दों की समाज के अलग- अलग वर्ग और दायरों में (दलित-गैर दलित ) अपना स्थान है। दलित शब्द की पहचान भारत के संदर्भ में ख्यात है तो हिंदू शब्द की पहचान हिंदुस्तानी संदर्भ। ऐसा मेरा मानना नही है बल्कि यह समाज में प्रचलित मान्यताओं के आधार पर अपनी पहचान बनाए हुए है। हालाकि यह एक सच भी हो सकता है क्योंकि आज हमारा देश दो वर्ग व दो विचारधाराओं में बट़ा हुआ है। एक विचारधारा उस भारत की पक्षधर है जो गरीबी, गैर बराबरी, सामाजिक समानता और सामाजिक न्याय की पक्षधर है वो...
विकास और सुरक्षा की दृष्टि से ज़रूरी है मणिपुर में बदलाव

विकास और सुरक्षा की दृष्टि से ज़रूरी है मणिपुर में बदलाव

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मणिपुर पूर्वोत्तर में म्यांमार का सीमावर्ती राज्य है। देश की अखंडता को बरकरार रखने के लिए सुदूर सीमावर्ती राज्य का मजबूत होना एक आवश्यक अहम शर्त होती है। हालांकि, 2017 में हो रहे सभी पांच राज्यों की सीमा अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से लगी है किन्तु एक सुदूर प्रदेश होने के कारण मणिपुर की सीमा का महत्व बढ़ जाता है। जिस तरह हृदय से सुदूर अंगों को रक्त पहुंचाने का काम धमनी और शिराओं के माध्यम से होता है वैसा ही सुदूर प्रदेशों में विकास का मॉडल पहुंचाने का काम केंद्र और राज्य सरकारों का होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता संभालने के बाद से ही पूर्वोत्तर के राज्यों पर विशेष ध्यान दिया है। असम के बाद अब मणिपुर पर उनकी निगाह है। मणिपुर की भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार मणिपुर के चुनाव का महत्व समझा रहे हैं विशेष संवाददाता अमित त्यागी। मणिपुर में पिछले पंद्रह सालों से कांग्रेस का शासन रहा है। ओकराम इबोबी ...
नेताओं की फौज के साथ होगी  मोदी मैजिक की परीक्षा

नेताओं की फौज के साथ होगी  मोदी मैजिक की परीक्षा

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उत्तराखंड इस समय बदलाव के लिए तैयार दिख रहा है। अपने गठन के बाद से उत्तराखंड में राजनैतिक उथल पुथल चलती रही है। यहां कांग्रेस और भाजपा मवार सरकार का गठन करते रहे हैं। उत्तराखंड के गठन के प्रारम्भिक दौर में जब उत्तर प्रदेश में मायावती मजबूत थीं तब बसपा भी अपना यहां प्रभाव रखती थी। इसके बाद धीरे धीरे बसपा यहां कमजोर होती चली गयी। कांग्रेस के बड़े नेता एक एक कर अब भाजपा में शामिल हो गये हैं। वर्तमान सरकार के कई मंत्री एवं इसी कार्यकाल के भूतपूर्व मुख्यमंत्री भी अब भाजपाई हैं। कांग्रेस अब बिना नेताओं के सिर्फ पारंपरिक जनाधार के भरोसे उत्तराखंड में उतर रही है। उसके पास न तो काडर बनाने के लिये समय बचा है और न ही अपनी बात कहने के लिये कद्दावरों की फौज। ऐसे में उत्तराखंड की लड़ाई अब युवा कांग्रेसियों के जुनून एवं भाजपा के बढ़ते जनाधार के बीच आकर ठहर गयी है। उत्तराखंड पर विशेष संवाददाता अमित त्यागी...